अखिल भारतीय हिन्दी ब्लॉगिंग सम्मेलन हुआ, काहे से कि इसमें यूपोरियन और कलकत्तन प्रतिनिधित्व था। और कई महान ब्लॉगर आ नहीं पाये। उन तक समय से निमन्त्रण नहीं पंहुच पाया। मच्छर भगाने के लिये हाई पावर हिट का प्रयोग किया गया था। वातानुकूलित कमरे की व्यवस्था थी, पर जाड़ा शुरू होने के कारण बिजली का खर्चा बचा लिया गया।
कुल दो लोग थे। बोलें तो वरिष्ठ। इनमें शिवकुमार मिश्र तो महान ब्लॉगर हैं। आशा है कि वे मुझे टिप्पणी में महान बतायेंगे।
इन्होने हिन्दी ब्लॉगिंग के भूत वर्तमान भविष्य पर चर्चा की। सर्वसम्मति से यह तय पाया गया कि ब्लॉगरों की संख्या एक करोड़ तक ले जाने के लिये सघन/व्यापक टिप्पणी अभियान जरूरी है। और एक करोड़ ब्लॉगर होने के बाद ही हिन्दी ब्लॉगिंग का कोई आर्थिक पक्ष हो सकेगा।
सम्मेलन का उत्तरार्ध, अगर समय निकल पाया तो, लंचोपरान्त होगा।
अपडेट: लंच के आकार-प्रकार को देखते हुये सर्वसम्मति से सम्मेलन समाप्त मान लिया गया। सोना ज्यादा महत्वपूर्ण समझा गया। वैसे भी मुझे यह मलाल है कि मुझे महान नहीं माना शिवकुमार मिश्र ने!
इस सम्मेलन की पूरी रिपोर्ट रखें...
ReplyDeleteमुख्य अतिथि के भाषण की प्रति भी सदन में शीघ्रातिशीघ्र रखी जाये।
ReplyDeleteदिव्य सम्मेलन और दिव्य रिपोर्टिंग। मील का पत्थर लेख। सम्मेलन कराने वालों और रिपोर्टिंग करने वालों के लिए यह लेखमाला सन्दर्भ पोस्ट साबित होगी, मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास है।
ReplyDeleteउत्तरार्ध की प्रतीक्षा रहेगी।
बगल में इंवर्टर दो बैटरियों वाला है या एक ही बैटरी है? ऐसे ही पूछ लिया, इसका अखिल भारतीय हिन्दी ब्लॉंगिंग से कोई सम्बन्ध नहीं है।
एक ठो नया शब्द जेहन में आया है - 'ब्लॉगोई'-किस्सागोई की तर्ज़ पर।
इसका भी अखिल भारतीय हिन्दी ब्लॉंगिंग से कोई सम्बन्ध नहीं है।
मन किया तो टीप दिए। बहुत दिनन थे टीपन पायो।
@ गिरिजेश राव - इनवर्टर बिना ब्लॉगिंग का अस्तित्वै नहीं है। जितनी ज्यादा बैटरी उतना वरिष्ठ इनवर्टर सॉरी ब्लॉगर।
ReplyDeleteयह इनवर्टर दो बैटरी वाला है। एक दो बैटरी का इनवर्टर और है। उसका चित्र फिर कभी! :D
ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की गई है..
ReplyDelete..और इस सम्मेलन की सबसे बड़ी बात शायद ये ही थी कि मच्छर भगाने कि लिए सबसे पावरफुल हिट का प्रयोग किया गया था :)
ReplyDeleteआप सबके प्यार से अभिभूत हूँ.
ReplyDeleteआपसब को प्रणाम!
यह ब्लागर सम्मेलन तो इस द्रष्टि से सफल लग रहा है की इसमें कम से कम ब्लागरों के आर्थिक हितों के बारे में गंभीर विमर्श किया गया ..... मच्छरों से दूर रहे यह अच्छी बात है .... आभार
ReplyDeleteचाय-पानी का इंतजाम कैसा था?
ReplyDeleteक्या किसी के पास लैपटौप नहीं था? फिर काहे का सम्मलेन!
चाहे जो हो, मुझे यकीन है कि हिंदी की सेवा का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया होगा.
हम नहीं मानेंगें इसे 'अखिल भारतीय हिन्दी ब्लॉगिंग सम्मेलन' इसमें हमें तो बुलाया ही नहीं गया, हमारे बिना कइसे सफल हो सकता है ये सम्मेलन.
ReplyDeleteभाईयों, इस पर जमकर विवाद होना चाहिये. यह सब फुरसतिया की चाल है :) :) :)
दूनों भाई टीशर्ट म गजब फब रहे हैं, हमारा परणाम स्वीकारें.
bhai bhateejavad sae crore sae bhi upar bilog banaayae jaasaktey haen
ReplyDeletesaarthak muddo par jo bhi baat hui haen kam sae kam unko turant minutes of the meeting ki tarah diyaa jaaye
तो .......खूब जमेगी जब मिल बैठेंगे तीन.. आप, वो और बैग पाइपर :)
ReplyDeleteब्लॉगर सम्मेलनों को एक नयी विधा के रूप में देखा जा रहा है। जब एकान्त चिन्तन से बात नहीं बनती है तो सम्मेलन कर कुछ निष्कर्ष निकाले जायें।
ReplyDeleteयह सम्मेलन बहुत दूर तक गूँज लेकर जायेगा।
वैसे खाने में क्या बना था? ठीक है, जब सो कर उठें तब बता दीजियेगा।
चाय गर्म था या फिर ठंडा......
ReplyDeleteफोटूग्राफर का परिचय भी दीजिए.....
लंच का मेनू नहीं बताया गया....
हमरे इन्वर्टर कि बेट्रिया खराब है - अत: हम खराब ब्लोगर...
जय हो!!!
ReplyDeleteइस समय की ज्वलंत समस्या मच्छर ही है ।
ReplyDeleteब्लॉगिंग (और साथ में हिन्दी के भी) के उत्थान के लिये इस प्रकार की गम्भीर, विमर्श युक्त सम्मेलन होना अति आवश्यक है… :) :) :P
ReplyDeleteवरिष्ठों का गरिष्ठ भोजन इसमें आड़े नहीं आना चाहिये… :)
ओह! हमें सूचित किए बिना ही ब्लॉगर सम्मेलन!
ReplyDeleteऐसा कैसे हो गया?
;)
इस सम्मेलन के मुद्दे क्या थे, आयोजक, प्रायोजक?
;)
रपट अधूरी है, किसने क्या कितना कहा, इसका विवरण नहीं है। ;)
ये तो हुआ जो चुटकी लेने का मन था।
बात यह है कि दोनों की फोटू मस्त आई है। शिव भैया से तो चंद मिनटों की मुलाकात हो चुकी है ( अब लंबी मुलाकात का इंतजार है) और आपसे मुलाकात की इच्छा है। देखें कब मुहूर्त निकल पाता है।
बिदेस से कितने (विद्वान) ब्लॉगर सरकारी खर्चा पर बुलाये गये थे? और विद्वानियत का मिनिमम रिक्वायर्मेंट्वा का था, और वो रिक्वाइर्मेंट्वा किस अंतर-राष्ट्रीय अखबार के निविदा कालम में छपा था - ई जानकारी हमको एक प्रेस रिलीज़ के द्वारा तुरंतै बताया जाये।
ReplyDeleteऔर हाँ, खाने में अचार सन्हिता कौन सी थी - उसका नाम भी हिन्दी उत्थान के उद्देश्य से सामने रखा जाये।
ReplyDeleteसंजीव तिवारी से शत-प्रतिशत सहमत! शिवकुमार मिश्र हलकान विद्रोही से चर्चा करके आपके बारे में बयान जारी करें शायद!
ReplyDeleteशिव कुटी में संपन्न महान बोल्लारों के सम्मलेन में जो चिंतन हुआ उससे अवगत कराएँ.
ReplyDeleteएक और कुकुरमुत्ता मीट
ReplyDelete@ अरविन्द मिश्र - कुकुरमुत्ता यहां बिग बाजार में मिलता है। पूछा, कहां से लाते हैं तो मनीजर बोला - बनारस से। :)
ReplyDeleteशिव भाई को चेयरमैन बनाना भूल गए होगे ...अन्यथा आप महान मान लिए जाते !अगली मीटिंग में हुशियार रहिएगा !
ReplyDeleteमुख्य अथिति को माला नहीं पहनाई??
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
शिव जी को आप महान मान ही लिये हैं...
लीजिये आपको हम 'महान' बोल देते हैं... वैसे तो रिपोर्ट बढ़िया है... पर एक-दू ठो फुटवा और लगाये होते, अलग अलग एंगिल से... :)
...
इनमें से महान वाले ब्लॉगर से तो हमारा भी राम रमैया है जी। एक ठो टिप्स बताते हैं, किसी पुराने शेर को थोड़ा गलत करके पढ़त आप, और फ़िर शिव भैया उसे सुधारते। फ़िर उनसे किसी पुराने मुशायरे का रेपीट टेलीकास्ट सुनते। उनकी भड़ास निकल जाती और आप को भी महान मान लेते।
ReplyDeleteहलकान भाई को भी नहीं न्यौता?
एक और ब्लोगेर सम्मलेन. बाप रे
ReplyDeleteलगता है अभिभूतइ के चक्कर में आपको महान बताना भूल गए. ऐसे कैसे चलेगा :) अभी तो धन्यवाद, साधुवाद और पता नहीं कौन कौन से वाद देने बाकी ही है.
ReplyDeleteआजकल तो हर जगह चाय की व्यवस्था दिख रही है - इधर भी है क्या ?
ReplyDeleteक्षमा करें, यह तो खानापूर्ति का स्तर भी नहीं छू पाई।
ReplyDelete@ सक्सेना ज़ी
ReplyDeleteसक्सेना ज़ी, आप ही सही समझ पाए. यह चेयरमैन न बनाये जाने के कारण ही हुआ है.
आपको प्रणाम!!
टिप्पणियां; लगता है साधुवादी युग से निकल कर प्रणाम ठेलते हुये परनामी सम्प्रदाय में दीक्षित होने लगी हैं!
ReplyDeleteटिप्पणियों का परनामी युग! वाह! :)
बधाई आप दोनों को।
ReplyDeleteआप दोनों की तसवीरें ध्यान से देख रहा था।
शक्लें मिलने लगी हैं।
ब्लॉग्गिंग से पैदा हुआ भाईचारा?
गंजेपन किसका ज्यादा है वह तय नहीं कर पाया।
क्या ज्यादा ब्लॉग्गिंग करने से बाल झडते हैं?
या ब्लॉग्गिंग में महानता की कीमत है यह?
अगले सम्मएलन में कृपया इस पर चर्चा कीजिए।
अगला सम्मेलन कब और कहाँ?
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
-ई-मेल से प्राप्त टिप्पणियां:
ReplyDeleteडा. भूपेन्द्र सिंह, रींवा -
आदरणीय बंधू,इस तरह के सम्मलेन आप अल्लाहाबाद मे करें तो कृपया मुझे भी बतादिया कीजिये मैं भी दिग्गजों के साहचर्य से लाभ ले लिया करूंगा /सादर
Dr.Bhoopendra Singh
T.R.S.College,REWA
इनोवेटर (गोपालजी गुप्ता)
अच्हा ..आपलोग सम्मलेन में व्यस्त थे ..मै भी सोचु सर के (श्री शिवकुमार मिश्रा) के पोस्ट क्यों नहीं मिल रहे है ..आशा करता हु सम्मलेन अच्छी रही होगी....धन्यवाद्
जय हो!!!
ReplyDeleteवाह...सुन्दर सहमिलन !!!!
ReplyDeleteपाण्डे जी,
ReplyDeleteमिश्रा जी ने तो आपको महान नहीं कहा, यह तमगा मेरी तरफ से ले लीजिये।
@ शिव जी ,
ReplyDeleteबड़े भैया ( ज्ञान दत्त जी ) को समझाते रहने की कोशिश न छोड़ें :-)
सादर
अब कोई संदेह नहीं रह गया आपकी महानता में.
ReplyDeletebadhai v shubhkamnaye
ReplyDeleteशिव और आप...कौन कहता है दो हैं ये तो ग्यारह हैं...ग्यारह ब्लोगर तो आज तक किसी सम्मलेन में नहीं आये...बधाई
ReplyDeleteनीरज
ले बिल्लैय्या , हम तो घोषणा ही करते रह गए , इहां मिसर पांडे मिल के निबटा भी लिए । बकिया इंतज़ाम तो ठीक रहा बस एक छोटा मोटा अचार संहिता ( देखिए आ पर जोर नहीं डाले हैं ) तो बनाईये लेते , खासकर जब इंवर्टर भी था ही तो ।
ReplyDeleteहमें लगता है इहां भी सबके ई खेल खेले के पडी कि ..............कब बनोगे करोडपति ??? बताईए , करोड पा लो पहिले , तब्बे दस बीस मिलेगा .ई कौन रूल हुआ ..हम कहे न था ..ई गुगलवा क्रैक है तनिक