Sunday, March 27, 2011

कंटियायुग की आसन्न गर्मियां

Gyan1264-002गर्मियां आने को हैं। दस्तक दे ही दी है। बिजली की किल्लत आसन्न है। हर गली कूचे के किनारे लगे ट्रांसफार्मर गर्म हो कर बम बोलेंगे। फिर निठल्ले लोगों की फौज खड़ी हो कर घण्टों देखेगी कि कैसे ठीक करते हैं उनको बिजली कर्मी। बहुधा ट्रांसफार्मर बदले जाते हैं। उनका तेल रिसता है या चोरी जाता है!
और भी कई तरह की चीजें खराब होंगी। थर्मल या हाइडल (निर्भर करता है कि आपके इलाके के पास कौन सा बिजली का जेनरेशन सोर्स है) से बिजली जायेगी। कई बार अण्डरग्राउण्ड केबल पंक्चर हो जाया करेगी। कई बार बे मौसमी आन्धी-पानी से बिजली बन्द होगी। कई बार लगेगा कि बिजली यदा कदा जाती है तो कई दिन ऐसे लगेंगे कि बिजली यदा कदा आती है!
पर एक चीज कंटियाफंसाऊ यूपोरियन वातावरण में तय है, वह है एक्सेस कंटिया फंसाने की बदौलत बिजली के तार टूटने या बिजली जाने का नियमित खेल। यहां शिवकुटी में पिछले पांच साल से रहते हुये मैं यह खेल यूं देखता रहा हूं, जैसे धृतराष्ट्र की सभा में सभासद आये दिन शकुनि को पासे फैंकते देखते रहे होंगे - बोर होते, पर असहाय!