बिजनेस स्टेण्डर्ड में (टी एन नाइनन का) २७ नवम्बर’२०१० का सम्पादकीय:
बस कहें, क्षमा करें > … अगर ये दोनो (बीडी और वीएस) खुद यह मान लें कि उन्होंने सीमा लांघी हैं और इसके लिए माफी मांग लें और यह कहें कि आगे ऐसा नहीं होगा तो पूरा पत्रकार समुदाय राहत की सांस ले सकेगा और अपना सर थोड़ा ऊपर उठा सकेगा।
साथ ही युवा पत्रकार छात्रों की पीढ़ी और इस पेशे में अभी-अभी कदम रखने वाले पत्रकार जो दत्त और दूसरे पत्रकारों को अपना आदर्श मानते आए हैं उन्हें भी इस बात से राहत मिलेगी।
सांघवी और दत्त दोनों ही अपने पेशे के आदर्श हैं और ऐसे समय में जबकि ढेरों प्रकाशक मीडिया की साख नष्ट करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं तो इनसे इनके पेशे और सहकर्मियों को यही उम्मीद है।
वाह! आप एक महाकाण्ड की खबर जेब में धर कर साल भर से ज्यादा बैठे रहें। अन्तत आपसे नहीं, सीएजी से पता चले।
और गली कूचे के मनई से आप ह्विसिल ब्लोअर बनने की उम्मीद रखें। उसे नैतिकता और देश भक्ति का पाठ पढ़ायें। चाहे वो गरीब मरे गैंगेस्टर या एनकाउण्टर की गोली से। और आप, मीडियाशक्तिमान खबर न बताने पर (मैं यहां सूचना का दुरुपयोग नहीं लिख रहा; आखिर उसका कोई भ्रष्ट कोण है या नहीं, कह नहीं सकते) खुद क्षमायाचना मात्र से सटक लें।
जय हो!