Saturday, February 27, 2010

गंगा भयीं पोखरा!

Bhains पानी कम हो रहा है। कम गंगा में। उभर रहे हैं द्वीप। तट पर कटान करने वाली गंगा अब उथली होती जा रही हैं। माने पोखरा की माफिक!

जैसे पोखरा में भैंसे हिलकर बैठती और मड़ियाती हैं, वही दृष्य था। सेम टु सेम। अन्तर इतना भर कि उनके आस पास का जल रुका नहीं, मन्थर गति से बह रहा था। भैंसें सांस छोड़ रही थीं तो आवाज आ रही थी। दूर फाफामऊ के पुल पर पसीजर गाड़ी के जाने और सीटी की आवाज भी थी।

Friday, February 26, 2010

बालम गदेलवा और चील!

बालम मोर गदेलवा बड़ी जबरदस्त फागुनी पोस्ट है। आपे नहीं पढ़ी/सुनी तो वहां हो आइये! हिन्दी ब्लॉगिंग वहां अपनी समग्रता पर है।

बाकी, सवाल यह है कि जवान पत्नी का गदेला बालम (बच्चा पति) क्यों होता है? होता जरूर रहा होगा। शायद बेमेल विवाह का यह रिवर्स संस्करण भी समाज की कोई जरूरत रही हो। आजकल गदेला बालम नहीं दीखते। पर मेरी मां ने एक कजरी बताई जिसमें बालम गदेला है।

Wednesday, February 24, 2010

जो दिखता हूँ, वह लिखता हूँ

प्रवीण पाण्डेय से उनकी पिछली पोस्ट स्ट्रीट चिल्ड्रन के बारे में पूछ लिया गया कि समारोह में मुख्य अतिथि बनने के अलावा आपका योगदान क्या रहा? इस बारे में प्रवीण पाण्डेय ने बहुत गहरे में सोचा। उसके बाद जो ई-मेल मुझे भेजी, वह अपने आप में महत्वपूर्ण पोस्ट है। मैं उस ई-मेल को जस का तस प्रस्तुत कर रहा हूं -

Tuesday, February 23, 2010

मोबाइल आर्धारित टिकट व्यवस्था

कल एक सज्जन (श्री अभिषेक) ने मेरी पोस्ट से असंबद्ध एक टिप्पणी की -

ज्ञानदत्त जी
आप रेलवे के सबसे बड़े अफसर हैं जिनको मैं किसी भी तरह से जानता हूँ (भले ही सिर्फ ब्लॉग के ज़रिये!). रेलवे के लिए एक सुझाव है, यदि लागू हो जाए तो बहुत अच्छा रहेगा.
कृपया ये पोस्ट पढ़िए और यदि आप सहमत हों तो अपने विभाग में आगे बढाइये.

http://removing.blogspot.com/2010/02/use-mobile-to-save-paper-really.html
श्री अभिषेक के इस लिंक पर जाने पर उनकी एक पोस्ट है जो मोबाइल फोन के माध्यम में रेल टिकट उपलब्ध कराने की बात करती है।

अब जो मुझे जानते हैं, उन्हे ज्ञात है कि मैं मालगाड़ी का परिचालन देखता हूं। रेलवे की टिकट प्रणाली की दशा दिशा को अपडेट करने का समय भी नहीं निकल पाता। लिहाजा मैने श्री प्रवीण पाण्डेय, जो बैंगळूरु मण्डल के वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक हैं, से इस बारे में प्रकाश डालने को कहा।

Sunday, February 21, 2010

नाले पर जाली

गंगा सफाई का एक सरकारी प्रयास देखने में आया। वैतरणी नाला, जो शिवकुटी-गोविन्दपुरी का जल-मल गंगा में ले जाता है, पर एक जाली लगाई गई है। यह ठोस पदार्थ, पॉलीथीन और प्लॉस्टिक आदि गंगा में जाने से रोकेगी।

अगर यह कई जगह किया गया है तो निश्चय ही काफी कचरा गंगाजी में जाने से रुकेगा। नीचे के चित्र में देखें यह जाली। जाली सरिये की उर्ध्व छड़ों से बनी है।

Friday, February 19, 2010

वसंती रंग में नत्तू पांडे

ताजा ताजा चित्र भेजे हैं नत्तू पांडे के वाणी-विवेक ने; ई-मेल से। पूरा घर भर इकठ्ठा हो गया लैपटॉप के पास फोटो का स्लाइड शो देखने।

Wednesday, February 17, 2010

स्ट्रीट चिल्ड्रेन

पगली’ की याद अभी मनस-पटल से उतरी नहीं थी, कि एक समाजिक संस्था द्वारा आयोजित वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जाना हुआ। यह संस्था ’स्ट्रीट चिल्ड्रेन’ के ऊपर कार्य कर रही है और रेलवे स्टेशन में सक्रिय रूप से कार्यरत होने के कारण सतत सम्बन्ध में है। अति विशिष्टों के कार्यक्रम की व्यस्ततावश, समय न होने के बाद भी अनुरोध अस्वीकार न कर पाया और कार्यक्रम से आने के बाद लगा कि समय का इससे अधिक सदुपयोग संभव भी नहीं था।

Sunday, February 14, 2010

बज़ का अवतरण और ई-मेल से पोस्टें

पिछले कुछ दिनों में दो नई बातें हुई हैं।

एक तो जी-मेल ने बज़ (Buzz) निकाला। उसमें लपटिया गये। फेसबुक अकाउण्ट सुला दिये। बज़ से सुविधा-असुविधा पर हो रही चौंचियाहट में कुछ खुद भी बज़बजाये।  

दूसरे शिवकुमार मिश्र की देखा देखी मोबाइल पर इंण्टरनेट चढ़वा लिये। शाम को दफ्तर से घर लौटते अंधेरा हो जाता है। किताब नहीं पढ़ी जा सकती। सो मोबाइल पर इण्टरनेट पर खबरें बांच लेते हैं देस परदेस की।

Friday, February 12, 2010

शहरीकरण और ब्लॉगिंग के साम्य

IndianUrbanRev हिन्दी ब्लॉगरी के बारे में "सपाट होते विश्व" (The World is Flat) से उतना साम्य नहीं मिलता, जितना शहरीकरण के अपने आस पास दिख रहे फिनॉमिना या अर्बन रिवोल्यूशन पर किताब पढ़ने से मिलता है। जेब ब्रूगमान की लिंकित पुस्तक आप पढ़ें तो जैसा विभिन्न देशों में पिछले कई दशकों में शहरीकरण के उदाहरण मिलेंगे, वैसा ही हिन्दी ब्लॉगरी में होता प्रतीत होता है।

आप अपने आस पास अर्बनाइजेशन देखें। बम्बई में मराठी मानूस का तर्क ले कर शहरी बनने की जुगत लगाते लोगों को बाहर रखने का यत्न हो रहा है। आस्ट्रेलियायी लोग भारतीयों को येन-केन-प्रकरेण दबोलना चाहते हैं। ब्लैक को गोरे इसी तरह से घेट्टो बनाने को मजबूर करते रहे हैं पिछली शती में। इस प्रक्रिया में लोकल पोलीस, म्यूनिसिपालिटी, नेता और कानून; सब रोल अदा करते हैं सबर्बिया को कोने में धकेलने में। उनको मिलती है सबसे रद्दी जमीन, शहरी सुविधाओं का अभाव, धारावी जैसी दशा। और उनमें जीवट होता है उन परिस्थितियों का भी प्रयोग कर आगे बढ़ने का। वे अर्ध-संस्कृत भाषा, हिंसा और छोटे अपराधों से परहेज नहीं करते। इसके बिना चारा नहीं।

Wednesday, February 10, 2010

कार्बन त्याग के क्रेडिट का दिन

हिमालय पिघलेगा या नहीं, पचौरी जी १.६ किमी के लिये वाहन का प्रयोग कर रहे हैं, भैया आप पोस्ट-पेड़ हो या प्रि-पेड़ हो, सी एफ एल लगाइये, बिजली और पानी बहुमूल्य है, आई एम डूइंग माइ बिट व्हॉट अबाउट यू, कार्बन क्रेडिट इत्यादि।

Tuesday, February 9, 2010

माघ मेला के बाद गंगा कछार में खेती

माघ मेला के बाद गंगा नदी में पानी की आमद घट गई है। लिहाजा नये टापू उभरने लगे हैं। आज सवेरे देखा कि पिछले हफ्ते में उभर आये टापू पर भी खेती प्रारम्भ हो गयी है। सवेरे सवा छ बजे सूर्योदय नहीं हुआ था, पर एक नाव उन पर जा रही थी।

यह फोटो मोबाइल कैमरे से नाइट मोड में लिया गया है।

Sunday, February 7, 2010

उत्कृष्ट का शत्रु

मैने पढ़ा था - Good is the enemy of excellent. अच्छा, उत्कृष्ट का शत्रु है।

फर्ज करो; मेरी भाषा बहुत अच्छी नहीं है, सम्प्रेषण अच्छा है (और यह सम्भव है)। सामाजिकता मुझे आती है। मैं पोस्ट लिखता हूं - ठीक ठाक। मुझे कमेण्ट मिलते हैं। मैं फूल जाता हूं। और जोश में लिखता हूं। जोश और अधिक लिखने, और टिप्पणी बटोरने में है। लिहाजा जो सामने आता है, वह होता है लेखन का उत्तरोत्तर गोबरीकरण!

Wednesday, February 3, 2010

आँखों के दो तारे तुम

small_readers_2 आत्म-अधिक हो प्यारे तुम,

आँखों के दो तारे तुम ।

रात शयन से प्रात वचन तक, सपनों, तानों-बानों में,

सीख सीख कर क्या भर लाते विस्तृत बुद्धि वितानों में,

नहीं कहीं भी यह लगता है, मन सोता या खोता है,

निशायन्त तुम जो भी पाते, दिनभर चित्रित होता है,

कृत्य तुम्हारे, सूची लम्बी, जानो उपक्रम सारे तुम,

आँखों के दो तारे तुम ।१

Tuesday, February 2, 2010

टिप्पणीयन

सब के प्रति समान दुर्भावना के साथ (खुशवन्त सिंह का कबाड़ा पंच लाइन) -


By Anonymous on 6:12 AM

बाबा समीरानन्द ji ne Anup ji ki to baja baja diya aur aab agla number apka hi hai.
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हिन्दी भाषियों के लिये अनुवाद -
बेनामी जी की टिप्पणी मसिजीवी के ब्लॉग पर -
बाबा समीरानन्द जी ने अनूप जी का बाजा बजा दिया और अब अगला नम्बर आपका ही है।