यह श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ की कैलीफोर्निया प्रवास पर सातवीं अतिथि पोस्ट है।
इस बार भी तसवीरों के माध्यम से आप को अपनी बात बताना चाहता हूँ।
यहाँ तसवीरें छोटी आकार में दिखेंगी। यहां तसवीरों को resize करके यहाँ पेश रहे हैं ताकि पन्ना जल्द ही लोड हो जाए। साथ ही पिकासा स्लाइड-शो का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे पन्ना भी ज्यादा स्क्रॉल न करना पड़े।
आपकी यदि मूल तसवीर में रुचि है तो पोस्ट के अंत में दी हुई कडी पर जाकर पूरी तसवीर देख लीजिए। पिछले पोस्ट पर कुछ मित्रों ने टिप्प्णी की थी के चित्र बहुत छोटे हैं, इस लिये इस बार हमने यह तरीका अपनाया।
योसेमाइट योसमिटी नैशनल पार्क (Yosemite National Park)
जिन्हें प्रकृति का सौन्दर्य से लगाव हैं उनको यह पार्क बहुत अच्छा लगेगा। पहाड, चट्टान, जंगल, नदी. झरने, जल प्रपात वगैरह मिलेंगे यहाँ। लोग यहाँ ट्रेक्किंग और कैंपिन्ग करने आते हैं।
हम भी एक रात यहीं ठहरे थे पर किसी होटल में। इस उम्र में हमसे कैंपिन्ग नहीं होगा।
पानी का प्रवाह बहुत तेज था। पानी भी एकदम ठंण्डा और शुद्ध।
रंग से लगता था कि पानी नहीं बल्कि बर्फ़ है पर यह तो केवल पानी के ऊपर का झाग का रंग है। बहुत देर तक हम यहीं बैठे रहे।
पार्क इतना बडा है की सब कुछ देखने के लिए कई दिन लग सकते हैं
हम जैसे पर्यटकों की सुविधा के लिए एक open air trolley bus का प्रबन्ध था। इसमे एक guide भी था जो सब कुछ समझाता था।
सान्ताक्रुज बीच (Santa Cruz Beach)
भारत में रहते हम Arabian Sea और Bay of Bengal दोनों देखे हैं। कन्या कुमारी भी गया हूँ जहाँ दोनो का संगम होता है।
भारत के अन्य स्थलों पर आप सागर में या तो सूर्योदय या सूर्यस्त देख सकते हैं।
कन्या कुमारी ही ऐसी जगह है जहाँ आप सूर्योदय और सूर्यस्त दोनों सागर में होते देख सकते हैं। पहली बार प्रशान्त महासागर का अनुभव किया हमने कैलीफोर्निया के सान्ताक्रुज बीच (Santa Cruz Beach) पर। यहां भारत की सी भीड़ भाड़ बिल्कुल नहीं थी। पानी और रेत एकदम साफ़ थे।
पानी बहुत ठंण्डा था और मैं सोचता रहा पानी के अन्दर जाऊं या नहीं।
हिम्मत जुटाकर थोडा आगे निकला। चित्र में देखिए पानी की ठंण्डक के कारण मेरी प्रतिक्रिया। मेरे कन्धे आप को बता देंगे कि पानी कितना ठंण्डा था।
मैने पत्नी को भी आमंत्रित किया था, पानी का अनुभव करने के लिए पर उसने पहले तो मना कर दिया। उसे ठंण्ड से डर था। हमने प्रोत्साहित किया और किसी तरह वह भी पानी में अपने पैर गीले करने के लिए राजी हो गई। पर प्रोत्साहन के शब्द काफ़ी नहीं थे। पूरी जोर लगाकर हमें उसे उठाना पडा।
इन चित्रों को देखकर एक दोस्त ने मुझसे कहा था , "अरे यह तो अमरीकी beach नहीं लग रहा है"।
हमने पूछा "ऐसा क्यों सोचते हो?" उत्तर मिला " यहाँ सभी कपडे पहने हुए हैं। बिकिनी पहनी महिलाएं कहाँ है?" हमें समझाना पडा के यह ठंड का मौसम था और यह गरमी के दिनों, Florida के Miami beach का दृश्य नहीं है।
गोल्डन गेट ब्रिज (Golden Gate Bridge)
पेशेवर एक structural engineer हूँ मैं। ३६ साल से बस इसी पेशे से जुडा हुआ हूँ। सो कैलिफ़ोर्निया जाकर गोल्डन गेट पुल न देखूं, यह हो ही नहीं सकता! कमाल का ब्रिज है यह!
करीब १९३० के आसपास बना था और दुनिया में अपने जमाने में सर्वश्रेष्ठ पुल माना जाता था।
आज भी हम ऐसी संरचनाएं देखकर प्रेरित होते हैं।
सागर से हम इसका चित्र खींच नहीं सकते थे। पुल के एक छोर से ली हुई तसवीर देखिए। पुल पर चलते चलते हमने काफ़ी समय बिताया।
उस जमाने में welding की प्रथा नहीं थी। स्टील को जोडने के लिए rivets का प्रयोग होता था।
Steel structures का design तो मेरा speclialization का विषय है। सोचा इस पर अपने परिवार को एक lecture दूँ। पर पत्नी को कहाँ इसमे रुचि होगी। वह तो खाडी की सुन्दरता को निहार रही है। क्षितिज पर सैन फ़्रैन्सिस्को शहर दिख रहा है।
बेटी को देखिए। मानो यह कह रही है मेरे दामाद से "कैसी लग रही हूँ। मेरी अच्छी तसवीर लेना। मारो गोली पापा के इन rivets को"!
बेचारा दामाद ही था जिसने मेरा rivetted connections पर व्याख्यान सुना।
पुल से शहर कैसे दिखता है इसका अन्दाजा चित्र से आप को मालूम हो जाएगा|
सैन फ़्रैन्सिस्को एक पुराना शहर है। आज भी वहाँ ट्राम (trams) चलते हैं। हमने इसका भी आनंद उठाया।
आज बस इतना ही।
आगे अगली कडी में।
इन तसवीरों को पूरी साइज़ में देखने के लिए इस कडी को आजमाइए।
तसवीरों को आप zoom करके देख सकते हैं।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
इस पोस्ट को पढ कर और चित्र देख कर हमें भी अपनी कैलिफोर्निया विजिट याद आगई । जितना सुंदर आलेख उतने ही मोहक चित्र ।
ReplyDeleteकैलिफोर्निया की यादें ताजा हुईं...
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
अरे वाह, इन चित्रों को देखकर मुझे अपनी भावी कैलीफोर्निया यात्रा याद आ गयी!:)
ReplyDeleteयोशेमाईट नेशनल पार्क शायद एक विराट ज्वालामुखी के मुहाने पर स्थित है. अच्छा हुआ आपने उसे फटने से पहले ही देख लिया. कहते हैं यह किसी भी समय फट सकता है.
और गोल्डन गेट ब्रिज तो डिजास्टर मूवीज बनाने वालों की बहुत बड़ी चिढ़ है. इसे उड़ाने में उन्हें बहुत मजा आता है. अमेरिका का ब्रुकलिन ब्रिज भी बहुत प्रसिद्द है. इसके बारे में मैंने यहां लिखा है
रिवेट से स्टील जोड़े का अर्थ है कि रिवेट की गुणवत्ता पर टिका पुल, मुख्य स्ट्रक्चर क्रैक-प्रोन हो जाता है और उससे बचाव के लिये अधिक मैटेरियल लगाना पड़ता है। चलिये दामाद जी का ज्ञान बहुत बढ़ गया होगा।
ReplyDeleteजाड़े में तो केवल धूप सेंकने में आनन्द आता है।
आपने बहुत अधिक संक्षिप्तीकरण कर दिया। सारे ही स्थान वापस से स्मृति में आ गए।
ReplyDeleteहमें विदेश घुमाने के लिये धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत तसल्ली से आपने इन सब जगहों का भ्रमण किया, सारी तसवीरें बोलती जान पड़ रही हैं. आपके दामादजी कि फोटो नहीं दिख रही है. उन्हें कैसे भूल गए सर. ब्रिज पर आपका व्याख्यान सुनने को हम भी लालियत हैं.
ReplyDeleteमनोज खत्री
इन सभी जगहों का मै भी खूब आनन्द ले चिकी हूँ। सभी जगह बहुत ही सुन्दर हैं। अच्छी पोस्ट सब यादें ताज़ा हो आयीं। आपको व आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteएक उपन्यास पढ़ा था गुड बाइ कलिफोर्निया । क्या वाकई यह शहर इतने खतरे के बीच खड़ा है ।
ReplyDeleteसर आप रिवेट का व्याख्यान हम लोगों को दे सकते हैं । हमें कोई आपत्ति नहीं होगी ।
ReplyDeleteचित्र बहुत अच्छे हैं। मुझे भी पर्वत पसंद हैं। भारत मे तो काफी trekk किया है ॥ उम्मीद है कभी कॅलिफोर्निया मे भी करूँगा।
धन्यवाद
नीरज
और हाँ ... आपको दीवाली की ढेर सारी advance शुभकामनाएँ
ReplyDeleteतस्वीरों के लिये हार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteकुछ चित्र तो वालपेपर लगाने लायक हैं जी
एक आध फोटो, फोटो खींचने वाले दामाद जी का भी लगाईये
हमें भी मजा आ रहा है, आपके साथ कैलिफोर्निया घूमने में
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आपकी यात्रा के बारे में लगातार पढ़ रहा हूँ और रोमांचित भी हो रहा हूँ|
ReplyDeleteऐसे स्थान में जहां भूकंप की संभावना लगातार बनी रहती है इस गोल्डन गेट ब्रिज का पीढीयों से टिका रहना आश्चर्य उत्पन्न करता है|
आपने सेन फ्रांसिस्को की यात्रा के दौरान यह गीत तो अवश्य ही सुना होगा|
http://www.youtube.com/watch?v=2-u3ciH2AfI&feature=related
यहां की सीधी ढलानों को हम अक्सर हालीवुड फिल्मों में देखते रहते हैं|
चित्र देख कर मन प्रसन्न हुआ।
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteवाह! मजा आ गया कैलीफोर्निया देखकर। एक बार फिर आपको धन्यवाद और दीपावली की शुभकामनायें।
ReplyDeleteलेक्चर सुनाने वाले को कोई न कोई मिल ही जाता है :)
ReplyDeleteअच्छा वृत्तांत। दीपावली की शुभकामनाएं॥
ReplyDeleteइसे कहते हैं लेखक की कला , इतने अच्छे तरीके से मैं यहाँ रहते हुए भी कभी यहाँ के बारे में नहीं लिख पाया ! सारी पोस्ट का आनद ले रहा हूँ !
ReplyDeleteविश्वनाथ जी और आपके पूरे परिवार को मेरी ओर से बहुत बहुत शुभकामनायें इस पावन पर्व की !
धन्यवाद !
राम त्यागी
लगातार अच्छी जानकारियॉं मन को प्रफुल्ल कर रही हैं। बढती उम्र और छोटी जेब के कारण दनिया दर्शन अब कोई 'विश्व-नाथ' की करा सकता है, इसी तरह।
ReplyDeleteकृपया इस क्रम को निरन्तर रखिएगा।
दीपावली के इस शुभ बेला में माता महालक्ष्मी आप पर कृपा करें और आपके सुख-समृद्धि-धन-धान्य-मान-सम्मान में वृद्धि प्रदान करें!
ReplyDeleteआप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
ReplyDeleteमैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
आदरणीय पान्डेय जी,
ReplyDeleteआपको, परिजनों एवम मित्रोंको दीवावली मंगलमय हो!
दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteसभी मित्रों को पढने और टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDelete@ज्ञानजी,
Yosemite का सही उच्चारण है योसमिटी, योसमाईट नहीं
हमने भी यही गलती की और बेटी ने सुधारा।
@निशान्तजी,
Brooklyn bridge पर आपका पुराना लेख पढा।
प्रेरणादायक!
@manoj Khatri, अंतर सोहिलजी
दामाद की तसवीरें सारवजनिक प्लैटफ़ोर्म पर हम छापना नहीं चाहते थे।
He is a very private sort of person and will not like it.
मेरा बेटा भी ऐसा ही है। उसके बारे में जब भी लिखता हूँ उसे अच्छा नहीं लगता।
इस मामले में हम तीन (मियाँ -बीवी और बेटी) तो एकदम अलग हैं।
--continued
@विष्णु बैरागीजी,
ReplyDeleteकेवल नाम है विश्वनाथ। हम किसी के "नाथ" नहीं खासकर जब घरवाली आसपास है।
न ही हम "विश्व" घूमे हैं। तीन महीने तक कोरिया में रहा था, और वापस आते समय सिंगापोर देखी थी।
एक सप्ताह के लिए फ़िनलैंड गया ता। फ़िर कभी कोरिया के अनुभव के बारे में लिखेंगे।
@Pankaj Oudhia
आपकी दी हुई कडी पर जाकर वह पुराना गाना भी सुना। धन्यवाद।
इस कैलिफ़ोर्निया का दौर पर हम तो लिखते रह सकते हैं पर सोचता हूँ अब इस विषय पर काफ़ी कुछ लिख दिया।
इस एक ही विषय पर अटका नहीं रहना चाहता।
ज्ञानजी को विशेष धन्यवाद, मुझे यहाँ स्थान देने के लिए।
आगे फ़ुरसत मिलने पर किसी और विषय पर लिखेंगे।
तब तक ब्लॉग जगत में यहाँ वहाँ मेरी टिप्पणियों को बरदाश्त करने की कृपा करें
दीपावली के अवसर पर सबको हमारी शुभकामनाएं।
@ जी. विश्वनाथ - धन्यवाद। मैने पोस्ट और चित्रों के कैप्शन में सुधार कर दिया है।
ReplyDeleteअच्छी रही आपके साथ की यह यात्रा!
ReplyDeleteएक बार अरब सागर में सूर्य अस्त के चित्र को मेरी पोस्ट पर देख कर ज्ञानचंद जी ने टिप्पणी लिखी थी 'हमारे यहाँ गंगा में भी ऐसा दृश्य दीखता है''..कहने का अर्थ है कि पानी में डूबता या उगते सूरज को देखना लगभग सभी जगह से एक सा होता होगा जैसा आप को भी अमेरिका में सूर्यास्त देखते हुए भारत की याद आ गई..
ReplyDelete========
सुन्दर संक्षिप्त विवरण -चित्र वाकई बहुत सुन्दर हैं..सागर के किनारे तो वैसे भी बेहद आकर्षक होते हैं ..अनुरोध है कि 'rivetted connections' पर कभी अलग से पोस्ट लिखीये..वेल्डिंग के बिना लोहे को पहले कैसे जोड़ा जाता था जो आज तक ये पुल इतने मज़बूत हैं...इस विषय में अधिक जानने की उत्सुकता है.
आभार.