डैम! लीक्स और टेप्स के जमाने में इंस्टेण्ट कमेण्ट्स और इंस्टेण्ट विशेषज्ञता का विस्तार हो रहा है। एनडीटीवी का दस बजे का कार्यक्रम देख #बरखागेट पर ट्विटर कमेण्ट्स की भरमार हो गयी है। वाल स्ट्रीट जर्नल का इण्डिया रीयलटाइम का ब्लॉग-छत्ता फटाफट पोस्ट/कमेण्ट/पोल्स दिये जा रहा है।
मैं इस फिनॉमिना ( नेट पर जन आवाज) से चमत्कृत हूं और इसे समझने का यत्न कर रहा हूं। पर इससे तड़ से निष्कर्ष निकालने की दशा में नहीं हूं।
विनीतकुमार तो मनीकण्ट्रोल पर दिये गये कमेण्ट्स और एनडीटीवी की स्टॉक वैल्यू के जरीये विशेषज्ञ पोस्ट ठेल दे रहे हैं – पिट रहा है एनडीटीवी का शेयर, बरखादत्त का जल्द ही होगा पत्ता साफ । वाह, शेयर सब के पिटे हैं। (हमारा मुरैना से सोया की खली और तेल लदान करने वाले तेल शोधक का शेयर भी लगभग उतना ही पिटा है जितना एनडीटीवी का!१) पर अगर आप मीडिया स्पेशलिस्ट हैं तो चिन्दियां बटोर कर भी बुद्धिमत्ता पूर्ण पोस्ट टिका सकते हैं और हिन्दी ब्लॉग के हम भकुआ पढ़वैय्ये कहते हैं - विचारणीय ...चिंतनीय/बहुत अच्छी खबर दी!
इस पोस्ट पर सही टिप्पणी नीरज रोहिल्ला की है, और उसी ने मुझे यह पोस्ट लिखने का ध्येय दिया:
वाह,
गेस्ट पोस्ट और फ़ोरम्स से बढिया निष्कर्ष निकाले हैं। अगली बार रेडिफ़ और टाईम्स आफ़ इंडिया के कमेन्ट्स से भारत की विदेश नीति भी निर्धारित हो सकती है।
बधाई
हमें लगता है कि हम भी एक ठो बुद्धिमता का कोट सिलवाय कर गुरु-गम्भीर तरीके से हुंकारात्मक ठेला करें। रोज ट्विटर की ट्वीट्स बटोर कर।
हिन्दी ब्लॉगरी में विशेषज्ञता की जय हो!
१. तेल शोधक का शेयर गिरने पर शिवकुमार मिश्र ने मुझे और खरीदने को कहा। एनडीटीवी की शेयर खरीदी की जाये क्या?
यहाँ ज्ञान ही नहीं ज्ञानी भी टके सेर मिलते हैं।
ReplyDeleteकाश, ज्ञान बाँट कर पैकेट पार्मेट में प्रेषित किया जा सकता। यदि यह संभव होता तो, ट्वीट्स आदि को जोड़कर हम भी ज्ञान का जखीरा खड़ा कर लेते और दे दनादन दागते रहते। एक ट्वीट का धमाका दूसरे संदर्भों में फुस्स हो जाता है।
ReplyDeleteज्ञान या किसी भी बौद्धिक तथ्य को दो पक्ष ही पुष्ट कर पाते हैं, समग्रता व एकाग्रता। पता नहीं इन कसौटियों पर ट्वीट्स व फेसबुकिया चिपत्तियाँ कहाँ दुत्कारी फिरेंगी, जब वोटिंग नहीं, ज्ञान की स्थापना की बात हो।
यही सदेच्छा पूरी हो जाये काश..
ReplyDeleteशेयर के मामले में कोई सलाह नहीं दे सकते। कभी पूंजी के धंधे को शेयर किया ही नहीं। मैं ने जुगनू भी चमकता देखा है, वह भी चमत्कृत करता है। पर उस की रोशनी क्या किसी काम आ सकती है?
ReplyDeleteरेडिफ के कमेंट्स :) टाइम्स ऑफ़ इंडिया के तो कभी नहीं देखे लेकिन रेडिफ पर तो बड़े कमाल की टिपण्णीयाँ आती हैं. एकदम सटीक ट्रेंड बताती हुई. हा हा.
ReplyDeleteहम भी ऐसी ही चिन्िदयों के सहारे किसी विषय पर चर्चा कर लेते हैं और तुर्रम खां भी बन लेते हैं...
ReplyDeleteमुरैना के तेल उद्योगपति का शेयर काफी गिरा है....खासकर उनके सभी ठिकानों पर आयकर छापों के बाद से ही स्थिति डाउन है...पर चलेगा...नकली तेल का असली शेयर फिर उठेगा
`गुरु-गम्भीर तरीके से हुंकारात्मक ठेला करें। रोज ट्विटर की ट्वीट्स बटोर कर।'
ReplyDeleteहाय! अब गंगा का क्या होगा रे कालिया :)
डैम! लीक्स और टेप्स के जमाने में इंस्टेण्ट कमेण्ट्स और इंस्टेण्ट विशेषज्ञता का विस्तार हो रहा है।
ReplyDeleteयह वाक्य बलैयाँ लेने वाला लगा...
डैम! लीक्स और टेप्स के जमाने में इंस्टेण्ट कमेण्ट्स और इंस्टेण्ट विशेषज्ञता का विस्तार हो रहा है।
ReplyDeleteयह वाक्य बलैयाँ लेने वाला लगा...
`गुरु-गम्भीर तरीके से हुंकारात्मक ठेला करें। रोज ट्विटर की ट्वीट्स बटोर कर।'
ReplyDeleteहाय! अब गंगा का क्या होगा रे कालिया :)
काश, ज्ञान बाँट कर पैकेट पार्मेट में प्रेषित किया जा सकता। यदि यह संभव होता तो, ट्वीट्स आदि को जोड़कर हम भी ज्ञान का जखीरा खड़ा कर लेते और दे दनादन दागते रहते। एक ट्वीट का धमाका दूसरे संदर्भों में फुस्स हो जाता है।
ReplyDeleteज्ञान या किसी भी बौद्धिक तथ्य को दो पक्ष ही पुष्ट कर पाते हैं, समग्रता व एकाग्रता। पता नहीं इन कसौटियों पर ट्वीट्स व फेसबुकिया चिपत्तियाँ कहाँ दुत्कारी फिरेंगी, जब वोटिंग नहीं, ज्ञान की स्थापना की बात हो।