फॉर्ब्स इण्डिया; जॉन एफ हैरिस, एडीटर इन चीफ पोलिटिको, के सात चुनिन्दा ब्लॉगर्स की लिस्ट देता है:
- जोनाथन चैट, न्यू रिपब्लिक पर
- हॉट एयर
- ग्लेन ग्रीनवाल्ड, सलोन पर
- द कॉर्नर, नेशनल रिव्यू पर
- फाइवथर्टीएट
- द बज़, द सेण्ट पीटसबर्ग टाइम्स पर
- द मन्की केज
हिन्दी ब्लॉगरी की शुरुआत एक छोटे से पर क्लोज-निट ग्रुप(close-knit group) के रूप में हुई थी। और शुरू के दिनों में उस ग्रुप ने बहुत मेहनत की। वही काम अब शायद राजनीतिशास्त्र या दर्शन या किसी अन्य विषय पर हिन्दी में पहल करने वालों को करना होगा। एक क्लोज-निट ग्रुप! ऊर्जावान और सिनर्जेटिक - परस्पर ग्रुप सदस्यों को प्रेरणा देने वाला। तभी विविध विषयों पर सार्थक हिन्दी लेखन पनप सकेगा।
ब्लॉगर बैठकें बहुत हो चुकीं। बहुत गिनी जा चुकी टिप्पणियां। विशेषता-युक्त लेखन वाले कहां हैं? एक दीखते हैं - पुरातत्व पर लिखने वाले श्री पी.एन. सुब्रमणियन। और शायद शरद कोकास (यद्यपि उतना प्वाइण्टेड नहीं)। पुरातत्व पर प्वाइण्टेड लिखने वाले 10-15 और?
इसी तरह के अन्य विषयों पर अन्य गुप?
यह सच है मुझ जैसे ब्लागर{?}दिशाहीन ब्लोगिंग कर रहे है . और यह भी सच है हिन्दी में ब्लाग पढने वाले भी सार्थक विषय पर लिखे पर तबज्जो नही देते . गीत,गज़ल,किस्से कहानिया या व्यग्य? ही पढने लायक सम्झे जाते है .
ReplyDeleteआज के समय में ब्लाग पर मनचाहा विषय है विवाद . महंगाई ,गरीबी ,भ्रष्टाचार जैसे विषय लिखे तो जाते है लेकिन पढे नही जाते .
मुझे इंन्तजार है हिन्दी ब्लाग जगत को परिपक्व होने का जो टिप्पणी के भंवरजाल से निकल सके .
हो सके तो आप अपना ईमेल मुझे मेल कर दें
ReplyDeleteज्ञान भाई,
हिंदी के टॉप ७ ब्लोगर की लिस्ट छापो न ....
प्लीज़
अनूप शुक्ल, समीरलाल, शिव कुमार शर्मा आदि आदि
:-)
सबसे पहले तो यह प्रश्न कि अचानक से चिट्ठाजगत को क्या हो गया? किसी भाई को खबर हो तो बताये.
ReplyDeleteऐसी ही एक सूची कल-परसों कहीं देखी थी जिसमें अपने विषय पर गहरी पकड़ रखनेवाले विदेशी ब्लौगरों का ज़िक्र था, उसे हिस्ट्री में ढूंढना पड़ेगा.
क्लोज़-निट-ग्रुप की बात तो जब तब होती रहती है. यह बात और है कि उसमें अब कई क्लोज़-निट-ग्रुप बन गए हैं. मीडियोक्रिटी हावी सो तो है, उन ब्लौगों की तरफ झांकता ही कौन है?
ग्रुप आधारित एग्रीगेटर होना चाहिए. एक और एग्रीगेटर?
प्रौढ़ विचार, प्रेरक पोस्ट. सुब्रह्मनियन जी तो लाजवाब हैं ही, विषय, पुरातत्व हो, परम्परा, परिवेश या घुमक्कड़ी. आपके आब्जेक्टिव मूल्यांकन के लिए उनसे पहले आप बधाई के पात्र हैं.
ReplyDeleteसार्थक लेखन जो विषयगत दिशा लिये हो, तब स्थापित होगा जब उन विषयों पर समानमना ब्लॉगर टिप्पणी न गिनने की प्रारम्भिक दृढ़ता दिखायेंगे। सूचनात्मक, परिचयात्मक ब्लॉग बीच बीच में आते रहें पर एक दिशा अवश्य बने। चिन्तन को संबल मिले तो चिन्तन विकसित होगा।
ReplyDeleteहिंदी के टॉप ५ ब्लॉगर :
ReplyDeleteहलकान 'विद्रोही'
हलकान 'विद्रोही'
हलकान 'विद्रोही'
हलकान 'विद्रोही'
सतीश सक्सेना जी.
अगर ये पाँच ब्लॉगर ठान लें तो एक महीने के भित्तर हिंदी ब्लागिंग की मदद से दुनियां बदल दें:-)
@ शिव कुमार मिश्र,
ReplyDeleteवैसे तो मियां मेरी प्रार्थना ज्ञान भाई साहब से थी ! आपने हलकान भाई को कहाँ कुदा दिया :-)
रह गयी मेरी ...तीरंदाजी करते एक मेढकी तो मार नहीं पाया अब तक शिव भाई :-(
क्यों मज़ाक करते हो !
अब प्रणाम स्वीकार करो और मुझ गरीब को बख्शो यार :-))
ज्ञान भाई प्लीज़ ...
हा हा हि ही हु हू हे है हो हौ
ReplyDeleteएक धीर-गंभीर पोस्ट पर गुस्ताखी (अ)स्वीकार हो.
बाकि शिव कुमार मिश्र जी की टीप का मैं अनुमोदन करता हूँ :)
श्री पी.एन. सुब्रमणियन जी, अजित वडनेरकर जी जैसे कई स्वनामधन्य ब्लॉगर हिन्दी जगत में हैं। विशेषकर संगीत और काव्य की दिशा में कई नाम लिये जा सकते हैं - मेरा ज्ञान सीमित है (मुल्ला की दौड मस्जिद तक) लेकिन हाँ मज़हब, फ़साद, उस्तादी के प्रचारक भी काफी हैं।
ReplyDelete@ hindizen >ग्रुप आधारित एग्रीगेटर होना चाहिए. एक और एग्रीगेटर?
ReplyDeleteनहीं, पन्द्रह बीस पच्चीस लोगों का समूह तो गूगल या याहू ग्रुप से काम चला सकता है।
देख लूँगा दीपक बाबा ...मौका देख पाला बदल लेते हो ! रहना तो तुम्हे यहीं है :-)
ReplyDeleteपिछले दिनों मुम्बई के सात सितारा होटल में व्याख्यान के लिए बुलाया गया| बोलने वाले दो थे और सुनने वाले मुश्किल से पांच| सारे के सारे धन्ना सेठ| मैंने जड़ी-बूटियों पर बोला| दूसरे वक्ता की बारी आयी तो मैं चौक पडा| उनका विषय था हिन्दी ब्लागिंग| ४५ मिनट का व्याख्यान था जिसमे से काफी देर तक वे आपके और रवि रतलामी जी के ब्लॉग पर अटके रहे| मेरा भी ब्लॉग दिखाया| बार-बार कहते रहे कि रेलवे का एक अधिकारी हिन्दी में ब्लागिंग कर रहा है| श्रोता यह सुनकर आंखें चौड़ी करते रहे|
ReplyDeleteसाधारण (हिन्दी ब्लागरों के लिए) से व्याख्यान के पच्चीस हजार लिए गए| श्रोताओं ने गहरी रूचि दिखाई| मैं तो नियमित विमान से गया था| वे एक सेठ जी के साथ चार्टर में आये थे| महाशय देश भर में ऐसे व्याख्यान देते हैं, उन्हें जो इतनी बड़ी कीमत चुका सके| इनका एक भी ब्लाग नहीं है और न ही वे हिन्दी के ब्लॉगर|
हिन्दी ब्लागिंग का ऐसा जलवा देखकर मैं स्तब्ध रह गया| अब सोचता हूँ कि सारे ब्लॉग बंद करके एक पावर पाइंट प्रेजेंटेशन बनाऊ और चार्टर का सुख भोगूँ|
हम-आप यहाँ टाप ब्लॉगर की चिंता में घुले जा रहे हैं वहां कोई हमारी रेटिंग कर अपनी जेबें भर रहा है|
@सक्सेना जी,
ReplyDeleteआप ऐसा क्यों कह रहे हैं, सर. बख्शने की बात सही नहीं है. आपके लिए मेरे मन में बहुत आदर है. और हमेशा रहेगा.
मुझे लगता है कि आपका मुझे प्रणाम करना ठीक नहीं है. मैं आपको प्रणाम करता हूँ. और प्रणाम करने का हक़ मेरा ही है.
आपको प्रणाम!
हिंदी में niche blogging नहीं होती.. यहाँ हर कोई हर मामले में दक्ष है.. और यूँ देखा जाए तो कई ब्लोग्स ऐसे है जो एक ही थीम लेकर चलते है.. जैसे टिप्पणियों पर लिखना.. ब्लोगरो पर लिखना, सम्मेलनों पर लिखना, और संस्कृति की रक्षा हेतु लिखना.. वैसे इन सबसे इतर कुछ ऐसे ब्लॉग है जो एक ही थीम लेकर चलते है.. जैसे शिवकुमार मिश्र जी का ब्लॉग, एक बार आपही ने कहा था कि "शिव ने इस ब्लॉग को एक इमेज दी है जिस वजह से मैं इस पर लिख कर उस इमेज को तोडना नहीं चाहता..
ReplyDeleteवैसे एक बात जाते जाते युही याद आ गयी..
ReplyDeleteअनुरोध : कृपया इस लाईन को कोई व्यक्ति अन्यथा नहीं ले
बिच्छु का मंतर नहीं जानने वाले व्यक्ति को सांप के बिल में हाथ नहीं डालना चाहिए
प्रणाम
@ कुश >जैसे शिवकुमार मिश्र जी का ब्लॉग, एक बार आपही ने कहा था कि "शिव ने इस ब्लॉग को एक इमेज दी है जिस वजह से मैं इस पर लिख कर उस इमेज को तोडना नहीं चाहता..
ReplyDelete-----------
बिल्कुल, शिव से मैने ब्लॉग के नाम में से भी मेरा नाम निकालने को बहुत बार कहा। ब्लॉगर के नाते भी और भाई के नाते भी। He is taking too much of a time in deciding. I do not know if he is deciding at all!
ohhhh......dadda.......
ReplyDelete'bartar system' se bahar aayen tab na.......
jai hind-jai blogging
I came in with clear idea to take up woman issues and i created blogs where woman could write together . Naari blog and Naari kavita blog and Daal roti chawal blog have not deviated from the line and length since 2007
ReplyDeletei have been critisized for showing the mirror but it does not effect me because AT LEAST I HAVE A REASON TO BLOG
I have not come here in search of relationships contrary i have come here in persuit of like minded souls with whom i can try and wake up the society from its slumber or sleep .
we dont need any groups here
ReplyDeletewe dont need family here
we need "issues"
विचारणीय मुद्दा। अब हिंदी ब्लॉगिंग के शैशव की बात में अटके रहना ठीक नहीं। यह पोस्ट एक प्रस्थान विंदु हो सकती है।
ReplyDeleteभाइयों, अब तो बड़े बन जाइए। कुछ काम की बातें लिखी जाँय तो पढ़ने का आनंद आये।
वैसे अवधिया जी की टिप्पणी से गजब की बात पता चली। काश, वहाँ हमें बुलाया होता...। :)
सर,
ReplyDeleteआपसे मतभिन्नता रखने की गुजारिश है।
१. यहां भी अंगरेज़ों (या बाहर वालों की) नकल ...? क्यों करें?
कविता के क्षेत्र में किया, आज देखिए क्या हाल है, कि एक भी कविता न याद रहती है, न याद करने लायक।
२. हिन्दी का अपना गुण दोष है। सहजता-जटिलता है। हिन्दी ब्लॉगिंग भी अपने तरीक़े से अपना रास्ता बना लेगा। हम जब तक अपने ढंग से लिखते रहे, हमने रामायण, गीता, से लेकर अभिज्ञान शकुन्तलम लिखा।
और वो लोग हमारे कालिदास को भारत का शेक्सपियर कहने लगे।
लोग उनकी नकल करने लगे।
जब तक हम अपनी हॉकी खेलते थे, हम विश्वविजेता थे। उन्होंने हमारा अंदाज़ हमसे छीन लिया और आज हम किस दुर्दशा के शिकार हैं।
एक-से-एक स्तरीय रचनाएं आ रही हैं, हिन्दी ब्लोगिंग में भी।
सिर्फ़ दो-तीन लोग ही नहीं प्रतिनिधित्व करते अच्छी ब्लोगिंग के। अन्य लोगों के ब्लोग्स भी देखे जाएं।
सिर्फ़ एक ब्लोगर का लिंक दे रहा हूं, देखिए।
ऐसे कई हैं।
http://amirrorofindianhistory.blogspot.com/
http://samkalinkathayatra.blogspot.com/
-------------
http://sharadakshara.blogspot.com/
http://misssharadsingh.blogspot.com/
इन्हें भी लोग पढें, तो इनका हौसला बढे।
कुंवर कुसुमेश की ग़ज़लें।
कई हैं।
ReplyDelete@ शिव कुमार शर्मा ,
अरे रे रे आप तो गंभीर हो गए !
मैंने आपके प्यार पर, अपना हक़ समझ केवल मज़ाक किया था शिव भाई !
आपके प्यार का आभार ...! लगता है कि अब तक कुछ तो ईमानदारी अवश्य रही होगी जो आपके यह शब्द सुनने को मिले ...
आपके शब्द मेरे लिए प्रेरक रहेंगे और कोशिश करूंगा कि आप जैसे लोगों का सम्मान भविष्य में भी लेता रहूँ !
आदर सहित, जिसके आप सर्वथा योग्य है !
ब्लोगिंग कि सार्थकता क्या है ? मैं इसी विषय पर उलझ जाती हूँ ...मैं किसी खास मकसद से ब्लोगिंग में नहीं आई ...बस स्वयं को व्यस्त रखना चाहती थी ...यहाँ बहुत कुछ पढने को मिला तो अच्छा लगा ...हर इंसान कि सोच और पसंद अलग अलग होती है ...अपनी पसंद के अनुरूप वो पढता और लिखता है ...ब्लॉग जगत में आ कर मुझे मौका मिला चर्चा मंच से जुडने का ..और इस मंच के माध्यम से मैंने प्रयास किया है कि ऐसे बहुत से ब्लोगर्स का परिचय दिया जा सके जो बहुत अच्छा लिखते हैं ...और यह प्रयास अभी भी जारी है ...अच्छी कहानियाँ , लेख , कविताएँ लोगों तक पहुंचती हैं ..पढने से नए विचार बनते हैं ...संस्मरण के माध्यम से भी काफी जानकारी मिलती है ...लेकिन आप राजनैतिक , सामाजिक कोई भी मुद्दा यहाँ पर यदि उठाते हैं तो वाद विवाद तो होता है पर क्या यहाँ की बात उस जगह तक पहुंचती है जहाँ पहुंचानी चाहिए ? यदि हाँ तब तो बहुत अच्छा है ..और यदि नहीं तो फिर यहाँ बहस का क्या लाभ ?
ReplyDeleteआपने विचारणीय विषय दिया ..आभार
@ मनोज कुमार - ओह, इस लड़की के इतिहास विषयक ब्लॉग में तो बहुत सम्भावनायें लगती हैं!
ReplyDeleteआदरणीय ज्ञान दत्त जी जब से ब्लॉग्गिंग में आया हूँ आपके नाम की चर्चा सुन रहा हूँ.. लेकिन पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.. आते ही जो आपकी पोस्ट दिखी उस से निराश हुआ... हिंदी ब्लॉग्गिंग में आप काफी वरिष्ट हैं लेकिन आपको यह मानना चाहिए कि पिछले एक वर्ष में हिंदी ब्लॉग्गिंग को नई दिशा मिली है... पाठको की संख्या बढ़ी है.. ब्लोगों के संख्या बढ़ी है . और ब्लॉग में गंभीर और विशुद्ध साहित्य (कविता कहानी ) से इतर भी बहुत कुछ लिखा और पढ़ा जा रहा है. आज हिंदी में इतिहास, विचार, दर्शन, आलोचना, अनुवाद संस्कृति, पुस्तक समीक्षा आदि पर भरपूर सामग्री उपलब्ध है और बड़ी तेजी से उपलब्ध हो रहा है.. ... बहुत अधिक तो मैं भी नहीं पढता लेकिन कुछ लोगों के ब्लॉग पर हिंदी में गंभीर और प्रमाणित समसामियिक सामग्री मिल सकती है ...
ReplyDeleteजैसे
www.naisadak.blogspot.com
http://manojiofs.blogspot.com
http://rashmiravija.blogspot.com
http://shabdavali.blogspot.com
http://anuvadghar.blogspot.com
http://testmanojiofs.blogspot.com
http://raj-bhasha-hindi.blogspot.com
http://uday-prakash.blogspot.com
http://ngoswami.blogspot.com
http://kabaadkhaana.blogspot.com
http://kavya-prasang.blogspot.com
http://deendayalsharma.blogspot.कॉम
http://www.apnimaati.com
मुझे लगता है इसके इतर भी कई ब्लॉग हैं जहाँ अच्छी सामग्री और गंभीर ब्लॉग्गिंग हो रही है..
क्षमा सहित अरुण
ग्यान भाई क्यों हम जैसों का कबाडा कर रहे हैं सच कहें तो हम तो केवल टाइम पास के लिये ही हैं कविता कहानियां.गज़लें आदि लिख कर दिल की भडास निकाल लेते हैं। अगर आब अधिक गम्भीर हो गये तो हमारे पतिओं के साथ बहुत बडा अन्याय होगा। कम से कम उनकी शान्ति का तो ख्याल करो?
ReplyDeleteलेकिन आपकी बात विचारणीय है। धन्यवाद।
@ अरुण चन्द्र राय,
ReplyDelete"आते ही जो आपकी पोस्ट दिखी उस से निराश हुआ..."
पहली पोस्ट पढ़ते ही निष्कर्ष पर पंहुचना अच्छा नहीं माना जायेगा राय सर !
खेद है कि यह आप जैसा गंभीर ब्लागर और संवेदनशील ( जैसा मैंने जाना ) कहे फिर औरों से क्या शिकायत :-(
आशा है अन्यथा नहीं लेंगे , आपको न जानता होता तो यकीनन मेरा जवाब देना उचित नहीं था मगर पूर्वपरिचित होने के कारण यह शिकायत दर्ज करा रहा हूँ !
आशा है यह प्रतिक्रिया सही नज़र से स्वीकार करेंगे !
माफ कीजियेगा सर ! शायद पहली बार यहाँ कुछ कहने की हिम्मत कर रही हूँ, मुद्दा तो आपने विचारणीय उठाया है. परन्तु हिंदी ब्लॉग में कूप मंडूकता है... इससे सहमत नहीं. हाँ यह ठीक है कि यहाँ ब्लॉग लिखने वाला हर कोई साहित्यकार नहीं और जहाँ तक मैंने जाना है ब्लॉग स्व चिंतन और भावनाओ की अभिव्यक्ति के लिए है.जरुरी नहीं इतिहास पर लिखने वाला ही गंभीर लिखता हो सरल भावनाओं की अभिव्यक्ति भी गंभीर लेखन में आता है.हाँ यह और बात है कि अपने अपने कूपे में बैठे लोग वह पढ़ना ही न चाहें.
ReplyDeleteबहुत कुछ अच्छा लिखा जा रहा है बस निष्पक्ष होकर नजरें उठाने की बात है.
@ सक्सेना जी,
ReplyDeleteआपका बड़प्पन फल से लदे वृक्ष के सामान है.
आपको प्रणाम!
`एक क्लोज-निट ग्रुप! ऊर्जावान और सिनर्जेटिक - परस्पर ग्रुप सदस्यों को प्रेरणा देने वाला।'
ReplyDeleteएक नये चिट्ठा-चर्चा की ज़रूरत लगती है।
... और ये क्या गडबडझाला है... सवाल सिव कुमार शर्मा से किया जा रहा है और उत्तर शिव कुमार मिश्र दे रहे हैं। यह तो वही हुआ ना रामस्वरूप ने चोरी की फलस्वरूप पकडा गया:) हा हा ही ही....
पहले तो सोचा ओह! इतनी देर हो गयी....सुबह की पोस्ट अभी शाम को देख रही हूँ....पर अच्छा हुआ काफी सारी टिप्पणियाँ भी देखने को मिलीं...बहुत कुछ मनन करने योग्य सामग्री मिली.
ReplyDelete@ अरुण चन्द्र राय @ शिखा स्वरूप - अच्छा लगा आपका हिन्दी ब्लॉगिग को डिफेण्ड करना। यह भी लगा कि आप उसे हा हा ही ही वाले कोण से अलग भी देखते हैँ।
ReplyDeleteइसके स्वरूप में आगे जो बदलाव आयेगा और जो भी गुणवत्ता आयेगी, वह आप जैसे लोगोँ के कारण आयेगी। जो इसे मात्र नेटवर्किंक का वेहीकल नहीं, अपनी उत्कृष्टता का एक्स्प्रेशन भी मानते हैं।
अपने विचार यहां शेयर किये, बहुत धन्यवाद।
ग्रुप तो नहीं लेकिन 'गुट' तो यहॉं बने हुए हैं। टिप्पणियों का आधार 'पोस्ट' नहीं, व्यक्ति और/या आंचलिकता होती है - ऐसा अनुभव होता है। इसी कारण विषयपरक और वस्तुपरक टिप्पणियॉं अपेक्षया कम ही दिखाई देती हैं। किन्तु यह सहज और स्वाभाविक है, आपत्तिवाली बात नहीं।
ReplyDeleteआपकी बात का सहारा लेकर निवेदन कर रहा हूँ - सदि कोई सज्जन, चुनाव सुधारों पर काम कर रहे हों तो मैं उनसे जुडना चाहूँगा। मेरा मानना है कि देश में भ्रष्आचार का एक मात्र कारण हमारे मँहगे चुनाव हैं।
मेरा ई-मेल पता है - bairagivishnu@gmail.com
अभी तक किसी ने भी टिपण्णी में इस सुन्दर प्रस्तुति पर आभार व्यक्त नहीं किया. किसी ने नाईस भी नहीं कहा. ये परिवर्तन का संकेत है :) वैसे भी अब टिपण्णी पर ट्रेंड निकलने का ज़माना आ गया है.
ReplyDeletenice !
ReplyDeleteपंकज अवधिया जी की बात गौर तलब है..कोई तीसरी आँख भी 'हिंदी ब्लोगों' पर नज़र रखे हुए है और इससे उन्हें इतना फयदा? कमाल की सूचना है!
ReplyDeleteकभी कभी निरर्थक पोस्ट पर ढेरों अच्छी प्रतिक्रियाएं देख कर आश्चर्य होता है !
ReplyDeleteब्लॉग जगत कहाँ जाएगा, समय ही तय करेगा !
कुछ लोगों के ग्रुप बना कर इसमें सुधार लाने की संभावना कम ही है !
जिसको जो पसंद है वो तो वही लिखेगा और वहीँ जाएगा !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
पोस्ट और टिप्पणियों से काफी कुछ नई जानकारीयां मिली। एक तरह से यह चिट्ठाचर्चा टाईप का फ्लेवर दिखा।
ReplyDeleteबढ़िया।
इस विशेष उल्लेख के लिए आभार परन्तु हम तो केवल सतही तौर पर ही लिखते हैं. धुरंदर लोग नेपथ्य में चले गए हैं. एक एक को खींच लाना होगा.
ReplyDeleteपहले पेड़ बड़ा हो जाये फिर डाली डंगाली (शाखायें) गिनेंगे और उनकी चिन्ता भी करेंगे मय वर्गीकरण...अभी तो ध्यान केन्द्रित किया जाये कि पेड़ को पानी खाद प्रोपर मिलता रहे और वो बड़ा हो.
ReplyDeleteGyanji,
ReplyDeleteI will be out of station till Monday and may not have access to the internet.
Here is a quick comment before I pack up for the day.
Many good blogs suffer from a lack of sufficient numbers of serious readers.
If this is the state of affairs for a blogger who writes on general subjects that any one can read and understand, what will be fate of a serious blogger writing in depth on a serious subject? The number of readers will fall further.
Some bloggers are obsessed with numbers. They count page hits and comments and worry about them.
I wonder if any one writes a blog on a purely technical subject and succeeds in making it popular.
Many start and give up halfway.
I started reading blogs for information and entertainment and finally found that I was using it more for networking than anything else.
I am not complaining. Networking using this medium is not bad per se. I have gained a number of friends which I could not using other media or methods.
Regards
G Vishwanath
अपने ब्लॉग पर आप का निमंत्रण देखा। अचरज से भरा पहले प्रोफाइल चेक किया ताकि पुष्टि हो सके कि चचा ही हैं। फिर टिप्पणी के अंत का 'भीगी पलकें और टपकते आंसू' देखा तो प्रसन्न हुआ कि चचा भी अब कविता या रोमांटिक कहानी लिखने लगे हैं। :) यहाँ आया तो मामला FDKD (फड़कते दिल को धोखा) वाला निकला। खैर!...
ReplyDeleteपंकज अवधिया जी की टिप्पणी से परम प्रसन्न हुआ। हमें तो अधन्नी नहीं हासिल कोई माल पीटे जा रहा है। बढ़िया है...
कांक्रीट के बनने में इनर्ट मटेरियल्स का भी बहुत योगदान होता है। केमिस्ट्री सही रहती है। वरना केवल सीमेंट से कांक्रीट बना कर कोई दिखाए। ह, हा, हि, ही, हु, हू, हे, है, हं, ह: जैसे हानिकारक तत्वों के अलावा अपन जैसे इनर्ट मटेरियल्स भी हैं जो हिन्दी ब्लॉगरी के लिए जरूरी हैं।...मैंने टी वी पर सीमेंट का प्रचार तो बहुत देखा है लेकिन गिट्टी बालू का कभी नहीं देखा। उन्हें इसकी आवश्यकता भी नहीं है। काम ही नहीं चल सकता। वैसे भी इलाके में गिट्टी बालू का च्वायस कम ही रहता है। बहुत दूर से मँगा भी नहीं सकते। जो है सो है। ...
मैं तो इतना जानता हूँ कि मेरे लिखे अक्षर अंग्रेजी, मंडारिन आदि के अक्षरों के साथ चल रहे हैं। वही काफी है। ...हिन्दी की जातीय चेतना 'ग्रुप' के नहीं 'गुट' के अधिक निकट है, परवाह नहीं। चरैवेति।
@ ............ सिवाय कविता-कहानी-संस्मरण के अन्य किसी विषय पर गम्भीर लेखन खूंटा गाड़ नहीं पाया है।
ReplyDelete--- ऊपर से पलटदासों की कृपा ! :) यह भी मजे की चापरनासी चल रही है ! और फिर प्रिंट की ओर लपकता छपास रोग !
जरूरी बात कही है आपने . लेखन के अन्य आयाम आने चाहिए . अन्य फील्ड्स के लोग हिन्दी में लिखें , यह जरूरी है . सिर्फ एक पक्ष उठने से मामला उटंग रहेगा :)
विशेषता-युक्त लेखन वाले कहां हैं?
ReplyDeleteWork in progress :-)
Wait for BlogGarv.com ब्लॉग गर्व -जहाँ शामिल किए जाने वाला कहेगा: मुझे अपने ब्लॉग पर गर्व है
फिलहाल यह अनुपलब्ध है। लेकिन 'अच्छे' ब्लॉगों की जानकारी bloggarv@gmail पर दी जा सकती है।
पंकज अवधिया जी की टिप्पणी से कोई हैरानी नहीं हुई। आर्थिक आँकड़े की बात किनारे कर दी जाए तो कई ब्लॉगर हिन्दी ब्लॉगों पर, शैक्षणिक-व्यवसायिक संस्थायों में, व्याख्यान हेतु बुलाए जाते हैं और यह भी सत्य है कि श्रोता हिन्दी ब्लॉगिंग की जानकारियां सुनकर आंखें चौड़ी करते देखे जा सकते हैं।
ReplyDeleteइतने गुनीजनो ने बहुत कुछ कह दिया अब और कहने के लिए कुछ नहीं बचा है |एक बात जरूर है की ब्लॉगिंग की सार्थकता तभी है जब कोइ पाठक कुछ सर्च करता हुआ आपके ब्लॉग तक आता है और उसे वो विषयवस्तु वंहा मिलती है| वो पढ़ कर संतुष्ट होता है तो आप एक सार्थक ब्लोगर है| नहीं तो आपका ब्लॉग एक डायरी के अलावा कुछ नहीं है |
ReplyDeleteआपने हिंदी और अंग्रेजी ब्लॉगों की तुलना की यह सवाल पूछा कि हम कब ऐसा लिखना शुरू करेंगे। हमारे यहां कब ऐसा होगा?
ReplyDeleteअभी जो लोग ब्लॉगिंग कर रहे हैं वे बहुतायत में आपके इम्तहान में पास नहीं हो रहे। जिनकी आपको प्रतीक्षा है वे इस पोस्ट को पढ़ नहीं रहे हैं। इस तरह आप बेचारे सीधे-साधे कविता-कहानी-संस्मरण लिखने वालों और हा-हा ठी-ठी करने वालों को दौड़ा रहे हैं कि हमें तुम्हारा नहीं विशेषज्ञ लोगों का इंतजार है।
मैंने आपके बताये ब्लॉगों के लिंक में से पहला ब्लॉग देखा। अधिकतर पोस्टों में किसी समाचार का लिंक दिया है, उस पर एक-दो लाइन की कमेंट्री है और फ़िर अगला लिंक है इसके बाद फ़िर कमेंट्री। मेरी समझ में यह मैगी विशेषज्ञता है।
दो भाषाओं के ब्लॉगस की तुलना करते हुये अपनी भाषा के ब्लॉग की हालत पर दुखी होना उचित नहीं लगता। तुलना करनी ही है तो समग्रता में करिये। इंटरनेट हमारे यहां अभी भी बड़ी सुविधा है जबकि अंग्रेजी के लोगों के लिये आवश्यकता। वहां ब्लॉग लिखना काफ़ी पहले शुरु हुआ हमारे यहां काफ़ी बाद में। अमेरिका में तो कहा जाने लगा है कि ब्लॉग उतार पर हैं जबकि हमारे यहां शुरुआती दिन हैं। इसके अलावा और भी भिन्नताओं के बावजूद आपने हिन्दी और अंग्रेजी के ब्लॉगस की तुलना करके हिंदी ब्लॉगिंग की हालत पर चिंतित होना तय किया। यह हिंदी ब्लॉगिंग के साथ ज्यादती है।
किसी भी भाषा में अधिकतर लेखन कविता-कहानी-संस्मरण और हा-हा-ठी-ठी का ही होता है। कोई भी भाषा इससे अलग व्यवहार नहीं करती होगी। ब्लॉग अभिव्यक्ति का एक माध्यम है। आम लोगों की अभिव्यक्ति का माध्यम। उसमें आप छंटनी करके यह हिसाब देखने लगे कि यहां इस तरह का लेखन नहीं है उस तरह का लेखन नहीं है। यह जबरियन आम लोगों में हीनभाव के इंजेक्शन लगाने जैसा है। यह अच्छी बात नहीं है।
ब्लॉगर बैठकों और टिप्पणियों के अपने मह्त्व हैं। हमारा समाज मिलन-जुलन वाला समाज है तो मिलेगा-जुलेगा ही। अंग्रेजी की कार्बन कापी काहे के लिये बनें हमारे ब्लॉग्स?
विशेषज्ञ विषयों पर लिखने वाले तब आयेंगे यहां हिंदी में लिखने जब उनको हवा लगेगी कि यहां एक बड़ा पाठकवर्ग है। भले ही आगे बेहतरीन लेखक आयें और तब यह कविता-कहानी-संस्मरण और हा-हा-ठी-ठी का लेखन करने वाले अप्रासंगिक हो जायें लेकिन उन बेहतरीन और अच्छा लिखने वालों के लिये जमीन तैयार करने का यही लोग करेंगे और यह गतिविधियां करेंगी। जिनके लिये आपने कहा -बहुत हुआ।
हिंदी ब्लॉगिग में वैरायटी बढ़ रही है। मीडिया पर जिस तरह के लेख विनीत कुमार ने लिखे हैं हाल में , आप खोजकर बतायेगा कि अंग्रेजी ब्लॉगर ने क्या वैसे लेख लिखे हैं। रवीश कुमार के सामाजिक विषयों पर लेख। समसामयिक विषयों पर शिवकुमार मिश्र जैसे व्यंग्य-कटाक्ष और इसके अलावा बहुत कुछ।
और तो और खुद आपने भीगी पलकों वाले ब्लॉग पर जैसे मार्मिक लेख लिखे हैं वैसा किसी ने लिखा है अंग्रेजी ब्लॉग में? सतीश सक्सेना जैसा भाईचारा, इंसानियत, अरविन्द मिश्र जैसा नारी सौंन्दर्य का वर्णन करने वाले ब्लॉग कहीं दिखे आपको अंग्रेजी में? :)
बहुत सारी बातें हैं लेकिन मुझे हिन्दी ब्लॉगिंग की हालत उत्ती खराब नहीं लगती। हो सकता है अत्यधिक लगाव के चलते हो लेकिन हिंदी ब्लॉगिंग के लिये यह शेर दोहराना चाहता हूं:
मैं कतरा सही लेकिन मेरा वजूद तो है
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है।
ReplyDelete@ अनूप शुक्ल ,
गुरु !
आज आप ठीक तो हो ???
:-)
aadarniy sir
ReplyDeleteaaj main aapke comment box par koi tippni nahi karungi ,kyon ki mujhe aaj aapke purntaya swasth hokar punah blog par vapsi dekhkar jo khushi ho rahi hai vo mai bayaan nahi kar pa rahi hun.maine pravven ji se aapke swasthy ka jikar bhi kiya tha ki ab aap kase hai lekin aapki moujudagi dekh kar muje jawab mil gaya hai .
ishwar se aapke achhe swasthy avam lambi umra ki prarthana karti hun.
poonam
ब्लॉग को ब्लॉग ही रहने दो कोई नाम न दो....:-)
ReplyDeleteब्लॉग के विषय को भाषा में नहीं तोला जा सकता, अग्रेज़ी के ब्लॉग हिंदी से अच्छे हैं ये कहना उचित नहीं...अंग्रेजी या हिंदी भाषा में लिखने वाले इंसान हैं और इंसान अच्छे और बुरे दोनों भाषाओं में मिल जायेंगे...हिंदी में जो लिखा जा रहा है वो हमें अंग्रेजी के ब्लोग्स में नहीं मिलेगा और ये ही बात अंग्रेजी के ब्लोग्स के लिए भी है. शशक्त अभिव्यक्ति भाषा की मोहताज़ नहीं...अच्छा लिखने वाला दोनों भाषाओँ में मिलेगा और ऐसे ही बुरा लिखने वाला भी...ये सही है के अंग्रेजी ब्लॉग के पाठक हिंदी की तुलना में बहुत अधिक हैं क्यूँ की अंग्रेजी लिखने पढ़ने वाले लोग हिंदी की तुलना में बहुत अधिक हैं...बाकि कथ्य या स्तर में अंतर की बात पचने वाली नहीं है...
नीरज
मैंने यह पोस्ट सब्सिक्रिप्शन से पहले ही दिल्ली में पढ़ ली थी ...कमेन्ट चाहकर भी व्यस्तता के कारण नहीं कर पाया ..
ReplyDeleteशायद अच्छा ही हुआ ...बेलौस टिप्पणियों के बाद मुझे भी तकलीफ होती है ......
एक बुज्रुर्ग और सम्मानित ब्लॉगर की बात का जवाब देना भी ठीक बात नहीं है ..
इतना जानता हूँ उम्र बढ़ते जाने से प्रायः लोग सिनिकल (अगर सनकी नहीं ) जरुर हो जाते हैं ,और जितना वे सिनिकल होते जाते हैं दुनिया साली उनकी नजर में उत्तरोत्तर और भी खराब होती जाती है ..
मुझे लगता है जो अच्छा है उसकी चर्चाएँ व्यक्ति को ऊर्जावान और गतिशील बनाये रखती हैं -
हिन्दी ब्लागजगत में विषयाधारित ब्लॉग कई हैं ,मगर शिगूफे छोड़ने के भी अपने आनंद होते हैं !
कुल मिलाकर सब कुछ इस बात का संकेत ही है कि हिन्दी ब्लॉगिंग का भविष्य उज्जवल है ।
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