Sunday, August 1, 2010

रविवार भोर ६ बजे

तख्ती पर बैठे पण्डा। जजमानों के इन्तजार में। गंगा तट पर नहाते पुरुष और स्त्रियां। पण्डा के बाईं ओर जमीन पर बैठा मुखारी करता जवाहिर लाल। गंगा बढ़ी हुई हैं। सावन में ही भदईं गंगा का अहसास!

DSC02422

मात्र ९० डिग्री के कोण घूम कर उसी स्थान से लिया यह कोटेश्वर महादेव के मंदिर का चित्र! श्रावण मास की गहमागहमी। शंकर जी पर इतना पानी और दूध चढ़ाया जाता है कि वे जरूर भाग खड़े होते होंगे!

 DSC02423

और कुछ दूर यह आम के ठेले पर बैठा बच्चा। मुझसे पूछता है – का लेब्यअ! मानो आम के अलावा और कुछ भी बेचने को हो ठेले पर!

DSC02424 सांध्य अपडेट - 

रविवार की संझा

सांझ अलसाई सी। छुट्टी का दिन, सो बहुत से लोग और अनेक लुगाईयां। गंगा के किनारे खेलते अनेक बच्चे भी।

Ghat Evening 

कोटेश्वर महादेव मन्दिर के पास घाट की सीढ़ियों पर बहुत सी औरतें बैठीं थीं। कुछ यूं ही और कुछ किसी अनुष्ठान की प्रतीक्षा में। कोने की कोठरी में रहने वाले चुटपुटी महाशय एक मोटर साइकल वाले से उलझ रहे थे।

चुटपुटी एक क्लासिक चरित्र हैं। और भी बहुत से हैं। जिन्दगी जीने बखानने को बस डेढ़ किलोमीटर का दायरा चाहिये। बस! कोई ढ़ंग का लिखने वाला हो तो कोटेश्वर महादेव पर उपन्यास ठेल दे!

Koteshvar Evening


52 comments:

  1. सुंदर चित्र हैं।

    इतने दिनों बाद फिर से वही अंदाजे बंया...वही गंगा रपट वाली स्टाइल देख अच्छा लग रहा है। जवाहिर लाल उर्फ सनीचरा की मुखारी अक्सर आपके कैमरे में कैद होती रहती है।

    बढ़िया।

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  2. सुप्रभात!
    चित्र लाजवाब हैं.

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  3. सवेरे सवेरे गंगा जी के दर्शन भी हो गये.. इस बार फ़ोटोज काफ़ी क्लीयर है.. और बच्चे का ’का लेबअ?’ पूछना सुबह बना गया है...

    आप सच मे ब्लोगजगत के मार्निन्ग ब्लोगर है..

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  4. सुखद है। धीरे धीरे फिर लीक पर आ जाइए लेकिन स्वास्थ्य की क़ीमत पर नहीं।
    प्रात: 6 बजे को भोर कहना ठीक है क्या?

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  5. @गिरिजेश राव
    मैं जानता था कि कोई भोर पर आपत्ति करने वाले होंगे!
    पर मेरी भोर आजकल देर से हो रही है! :)

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  6. 'गंगा भईं पोखरा' से अलग गंगा का आसन्न-भदौवा रूप आकर्षक है !

    इतने चढ़ाव के कारण ही तो शिव पथरा गए होंगे ! ... बच्चा आम बेच रहा है और ये आम बात नहीं है ! ..

    आपकी पोस्ट ने कजरी के भाव जगा दिए , देखते हैं कुछ मिले लट्टम-फट्टम तो श्रावण को श्रवण-गत करें ! ..

    सतीश जी की बात से सहमत हूँ कि साज वही , अंदाज वही ! पर , स्वास्थ्य प्राथमिकता पर रहना चाहिए ! आभार !

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  7. आम वाले का आपको भोरना, रविवार के छह बजे, मुझे भोर का एक और अर्थ दिखा गया। और याद आ गई सूर की पंक्तियां,
    ज्यौं दूती पर-बधू भोरि कै,
    लै पर-पुरुष दिखाबै।

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  8. बहुत दिनों बाद आपको पढना सुखद रहा , काश हम भी शांत गंगा किनारे रेत में बात वहां का आनंद ले सकें !

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  9. विवेक जी जिन पुरनियों को आपने कोसा जानते हैं उन्होंने क्या कहा था -
    सुन्दर दृश्य ,और कथोपकथन ....

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  10. हमारे यहा तो गंगा जी के तट पर रेत नही दिख रहा है इस समय जल ही जल है

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  11. ये पहली फ़ोटो रसूलाबाद घाट की है क्या?

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  12. गंगा का स्तर बढ़ रहा है और आपका स्वास्थ्य भी। यह सिन्क्रोनाइजेशन बना रहने दें। गंगा का संग मन को नवप्राण-प्लावित करता है। कोई साइड इफेक्ट भी नहीं।
    शंकर बाबा इतना दूध पी अवश्य भाग खड़े होते यदि बिना पानी मिला दूध पिलाया जाता। उन्हे तो अपने खालिस भक्तों की प्रतीक्षा है मृत्यु लोक में।
    आम की भी तीन कैटेगरी बनाकर रखी है छुटकू जी ने। संभवतः वही पूछ रहे हों कि क्या लेना है।

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  13. स्वागत है सर जी!
    शिव सब पर, खासकर भक्तों पर कृपा करें श्रावण मास में!

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  14. @2382215567698227998.0
    > Abhishek

    यह शिवकुटी का घाट है। रसूलाबाद का घाट इससे २ कि.मी. पहले पड़ता है।

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  15. बहुत खूब सुन्दर चित्र

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  16. अहा! स्वागत है.

    आपका लिखना कम हुआ और हमारा ब्लॉग जगत में भ्रमण और पठन-पाठन घट गया. आशा है अति शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त कर लेंगे.

    सुंदर चित्र. बड़े आकार से और भी जीवंत.

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  17. आशा है अब पोस्टों की निरंतरता फिर बनेगी. एक फ़ोटो हज़ार बातें ख़ुद कह देती है.

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  18. नमस्कार,बहुत सुंदर चित्र साथ मै विवरण भी सुंदर जी, शिव जी को केसा लगता होगा युरिया से बने दुध से नहाने मै...

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  19. ई आपका कैमरवा भी लगता है जान गया है कि , इसको कौन मूड में कईसन फ़ोटो खींचना है ....एकदम धचाक चित्र है ...आउर ओतने सुंदर है.........बोले तो ढिन चक

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  20. सुन्दर चित्र।
    बरसों बाद् हाल ही में गंगा स्नान किया था।
    इलाहाबाद में नहीं, बल्कि हरिद्वार में।
    मार्च महीने में पत्नि के साथ हरिद्वार में स्वामी रामदेवजी के यहाँ (एक दिन योगपीठ और एक सप्ताह योगग्राम में) समय बिताया था।
    हरिद्वार में गंगा स्नान भी किया।
    आप लोग भाग्यशाली हैं।
    गंगा जैसी नदी देश में और कहाँ।

    अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के कहने पर स्वामी रामदेवजी के यहाँ मेरे अनुभवों के बारे में एक लंबा रिपोर्ट भी लिखा था लेकिन हिन्दी में नहीं, अंग्रेज़ी में।
    यदि आपको या किसी और इसे पढ़ने में रुचि है तो बता दीजिए और हम इसकी कड़ी दे देंगे।

    आशा है अब आपका स्वास्थ्य सुधर गया है और आगे नियमित रूप से लिखते रहेंगे।
    शुभकामनाएं
    जी विश्वनाथ, बेंगळूरु

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  21. @ G Vishwanath Ji: Please give the link to your article. I am very much interested.

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  22. सुन्दर चित्र ...
    शीघ्र पूर्ण स्वास्थय लाभ करें ...शुभकामनायें ..!

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  23. स्वास्थय सुधार देखकर प्रसन्नता हो रही है..बस, आराम से जरा. तस्वीरें अच्छी है. आपे शुरु किया जाये कोटेश्वर महादेव पर उपन्यास.

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  24. ब्लाग जगत में मानसिक हलचल का पुनरागमन भला लगा। जैसे बैटरी चार्ज हो गई हो।
    शंकर जी जरूर भाग खड़े होते होंगे। आप ने यह चित्र रविवार को लिया है। आप सोमवार दोपहर को ले सकें तो वह बहुत सुंदर होगा।
    युवावस्था में जब दादा जी के साथ मंदिर में रहा करता था तो सावन के सोमवार को दोपहर मंदिर के पट बंद होने के उपरांत शंकर जी के मंदिर की सफाई मुझे करनी पड़ती थी। बीस सीढ़ी नीचे स्थित कुएँ से करीब चालीस फुट की रस्सी से खींच कर लाया गया दस बाल्टी पानी सफाई के लिए कम पड़ जाता था। पर शंकर जी की सफाई जरूरी थी। सावन के सोमवार की शाम उन्हें दूल्हे राजा की तरह सजा कर भक्तों के लिए झाँकी जो तैयार करनी पड़ती थी।

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  25. अहा!
    कई दिनों बाद (जै गंगा मईया)
    तस्वीरों के लिये आभार

    सही कहा जी - डेढ किलोमीटर के दायरे में काफी कुछ बखानने को पडा है।
    चुटपुटी का चित्रण कब करेंगें?
    प्रणाम

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  26. ganga ghat ka vivran-chitran
    de gani da bhore-bhor

    sab bachban daur lagawan
    tippani karan us or

    ke ham bhi usi ma mil gaye
    hame bhi ashish dai den.

    sk jha
    chd

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  27. @Ghostbusterजी,

    कडी आपको ईमेल द्वारा भेज चुका हूँ।
    आराम से पढ़िए, बहुत लंबा रिपोर्ट है।
    ई मेल के साथ कुछ तसवीरें भी संलग्न हैं।

    यदि किसी और को इसमें रुचि हो तो कड़ी है:

    http://notepad.cc/share/RC5YqXgPIZ

    यदि तसवीरें भी देखना चाहते हैं तो कृपया मुझे ईमैल करें। अवश्य भेजूँगा।


    शुभकामनाएं
    जी विश्वनाथ, बेंगळूरु

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  28. बहुत सुन्दर सचित्र वर्णन। बढिया पोस्ट।

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  29. @GVishwanathJee: Received your mail. Thank you very much for link to your article. It is definitely a long one but I am willing to read it.

    The photographs are very nicely taken and give a good idea of the place. Thanks.

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  30. आम के अलावा और भी बहुत कुछ. :) पूछना था ना उससे.
    ये रसूलाबाद का घाट किस दिशा में २ कि.मी. पहले पड़ता है?
    इससे याद आया हमारे कॉलेज में रैगिंग में सीनियर पूछते कहाँ से हो? कोई कहता 'बिहार से'. 'अच्छा कौन गाँव?'... फिर अगला सवाल होता 'नहारिया के एक पार की ओह पार?' फिर बात यहाँ से आगे बढती....

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  31. सुन्दर मनोहारी चित्र और विवरण....
    आभार.

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  32. स्वस्थ्य कैसा है आपका ?????

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  33. बहुत सुन्दर तस्वीरें हैं....गंगा तट...पेडों की ओट से झांकता मंदिर और ठेले पर आम की ढेरी सजाए उस छुटके की तस्वीरें बिलकुल जीवंत लग रही है..
    पोस्ट की निरंतरता जारी रहें....शुभकामनाएं

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  34. पोस्ट का वर्णन काफी कुछ तो चित्र ही कर दे रहे हैं. आम बेचने वाला बच्चा सिब्बल जी के शिक्षा के अधिकार की पोल खोल रहा है.

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  35. मार्निंग ब्लॉगर को फिर से देखना अच्छा लगा ( अब अपन मार्निंग पाठक तो हैं नहीं फिर भी)

    तसवीरें अच्छी आई हैं, आपके इस गंगातीरे पोस्टो के बहाने बहुत कुछ जान ने और समझने मिलता है .
    जल्द ही पुराने फॉर्म में लौटें आप ,
    कोलकाता प्रवास पर था, इसलिए देर से पहुचा आपके ब्लॉग पर

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  36. सुन्दर मनोहारी चित्र और विवरण....

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  37. बहुत दिनों बाद आपको पढना सुखद रहा

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  38. बहुत अच्‍छे अच्‍छे चिंत्र हैं .. आपकी पोस्‍ट को देखकर खुशी हुई .. आशा है अब आप स्‍वस्‍थ होंगे !!

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  39. बहुत सुन्दर सचित्र प्रस्तुति..... पावन माँ गंगा के दर्शन करने के लिए .....आभार

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  40. सावन में शिव जी के अभी तक दर्शन नहीं किये थे । आपने मंदिर के ही दर्शन करा दिये । कृतार्थ हुये । जय हो शिव शंभू की । गंगा जी के भी दर्शन हो गये । घर बैठे तीर्थ यात्रा भी हो गयी और पुण्य भी अर्जित कर लिया । इसे कहते हैं बजुर्गों की कृपा ।

    काका स्वास्थ्य का ध्यान रखियेगा । आजकल गंगा में पानी साफ नहीं होता है । नहाने का जोखिम मत उठाईयेगा । प्रणाम ।

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  41. @8265915632804513509.0
    >कृष्ण मोहन मिश्र
    मुझे नदी/तालाब के समीप जाने को डाक्टरी मनाही है! सो गंगा में नहाने का प्रश्न नहीं! :(

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  42. सुन्दर चित्र। शीघ्र स्वास्थ्य लाभ लें और नियमित हलचल बनाए रखें। हम जैसा निष्क्रियपना आप पर सुहाता नहीं है।

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  43. सावन में शिव जी के अभी तक दर्शन नहीं किये थे । आपने मंदिर के ही दर्शन करा दिये । कृतार्थ हुये । जय हो शिव शंभू की । गंगा जी के भी दर्शन हो गये । घर बैठे तीर्थ यात्रा भी हो गयी और पुण्य भी अर्जित कर लिया । इसे कहते हैं बजुर्गों की कृपा ।

    काका स्वास्थ्य का ध्यान रखियेगा । आजकल गंगा में पानी साफ नहीं होता है । नहाने का जोखिम मत उठाईयेगा । प्रणाम ।

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  44. बहुत दिनों बाद आपको पढना सुखद रहा

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  45. आम के अलावा और भी बहुत कुछ. :) पूछना था ना उससे.
    ये रसूलाबाद का घाट किस दिशा में २ कि.मी. पहले पड़ता है?
    इससे याद आया हमारे कॉलेज में रैगिंग में सीनियर पूछते कहाँ से हो? कोई कहता 'बिहार से'. 'अच्छा कौन गाँव?'... फिर अगला सवाल होता 'नहारिया के एक पार की ओह पार?' फिर बात यहाँ से आगे बढती....

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  46. सुन्दर चित्र।
    बरसों बाद् हाल ही में गंगा स्नान किया था।
    इलाहाबाद में नहीं, बल्कि हरिद्वार में।
    मार्च महीने में पत्नि के साथ हरिद्वार में स्वामी रामदेवजी के यहाँ (एक दिन योगपीठ और एक सप्ताह योगग्राम में) समय बिताया था।
    हरिद्वार में गंगा स्नान भी किया।
    आप लोग भाग्यशाली हैं।
    गंगा जैसी नदी देश में और कहाँ।

    अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के कहने पर स्वामी रामदेवजी के यहाँ मेरे अनुभवों के बारे में एक लंबा रिपोर्ट भी लिखा था लेकिन हिन्दी में नहीं, अंग्रेज़ी में।
    यदि आपको या किसी और इसे पढ़ने में रुचि है तो बता दीजिए और हम इसकी कड़ी दे देंगे।

    आशा है अब आपका स्वास्थ्य सुधर गया है और आगे नियमित रूप से लिखते रहेंगे।
    शुभकामनाएं
    जी विश्वनाथ, बेंगळूरु

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  47. अहा! स्वागत है.

    आपका लिखना कम हुआ और हमारा ब्लॉग जगत में भ्रमण और पठन-पाठन घट गया. आशा है अति शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त कर लेंगे.

    सुंदर चित्र. बड़े आकार से और भी जीवंत.

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  48. गंगा का स्तर बढ़ रहा है और आपका स्वास्थ्य भी। यह सिन्क्रोनाइजेशन बना रहने दें। गंगा का संग मन को नवप्राण-प्लावित करता है। कोई साइड इफेक्ट भी नहीं।
    शंकर बाबा इतना दूध पी अवश्य भाग खड़े होते यदि बिना पानी मिला दूध पिलाया जाता। उन्हे तो अपने खालिस भक्तों की प्रतीक्षा है मृत्यु लोक में।
    आम की भी तीन कैटेगरी बनाकर रखी है छुटकू जी ने। संभवतः वही पूछ रहे हों कि क्या लेना है।

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  49. 'गंगा भईं पोखरा' से अलग गंगा का आसन्न-भदौवा रूप आकर्षक है !

    इतने चढ़ाव के कारण ही तो शिव पथरा गए होंगे ! ... बच्चा आम बेच रहा है और ये आम बात नहीं है ! ..

    आपकी पोस्ट ने कजरी के भाव जगा दिए , देखते हैं कुछ मिले लट्टम-फट्टम तो श्रावण को श्रवण-गत करें ! ..

    सतीश जी की बात से सहमत हूँ कि साज वही , अंदाज वही ! पर , स्वास्थ्य प्राथमिकता पर रहना चाहिए ! आभार !

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय