उन्ही के पास बैठा था एक लड़का। पैंट-बुशशर्ट पहने। कई दिनों से न नहाने से उलझे बाल। बीन और सांप रखने वाली मोनी (बांस की तीलियो से बना गोल डिब्बा) लिये। सामने कथरी पर कुछ पैसे और कुछ अनाज था। हमें देख कर बोला – नागराज भला करेंगे। दीजिये उनके लिये।
अच्छा, दिखाओ जरा नाग।
यह सुन कर वह कसर मसर करने लगा। बोला – बहुत बड़ा है। मेरी पत्नीजी के पुन: कहने पर बोला – बहुत बड़ा बा (सांप), (मोनी) खोले पर हबक क हथवा पकड़िले तब!?
वह डर रहा था। मैने कहा – अच्छा बीन बजाओ। फेफडों में खूब हवा भर कर वह अच्छी बीन बजाने लगा। मानो सांप न दिखा पाने की कसर बीन बजाने में पूरी कर रहा हो। एक छोटी सी फिल्म उतार ली मैने। उसे रोका। पत्नीजी ने पांच रुपये दिये उसे।
रुपये देने के बाद सांप दिखाने का फिर आग्रह। एक दर्शक ने ललकारा – दिखा बे!
हंथवा पकल्ले तब?
चल, थोड़ी झांकी तो दिखा, पता चले कितना बड़ा है।
उसने डरते डरते मोनी थोड़ी सी खोली। सांप बड़ा था, कुंडली मारे। दर्शक महोदय को लगा कि कहीं सांप अनियंत्रित हो निकल न पड़े। सो बोले – बन्द कल्ले बे!
सांस में सांस आई। उसकी भी और हमारी भी। उसने झट से मोनी बन्द कर दी।
चलते चलते मैने उसका नाम पूछा। उसने बताया – छोटू।
अभी तो शायद घर से मोनी-बीन चुरा कर भाग कर घाट पर बैठा हो, पर एक दो साल में छोटू सांप खोल कर बीन की लहर पर नचाने में सक्षम हो जायेगा। या वह कोई और काम करेगा? आप कयास लगायें!
बीन तो अच्छी बजा ले रहा है. देखिये, भविष्य की जेब में उसके लिए क्या है. शुभकामनाएँ तो दे सकते हैं.
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
क्या कयास लगाएं ! बड़ा भारी कोस्चन है, आउट ऑफ सिलेबस :)
ReplyDeleteक्या कहा जा सकता है मोनी का भविष्य ...!
ReplyDeleteछोटू का भविष्य तो नियत हो चुका है
ReplyDeleteकाश वह कोई और काम ही करे. दोनों की आज़ादी इसी में है.
ReplyDeleteदोनो एक दूसरे के पूरक बने रहे तो पेट पलता रहेगा .
ReplyDeleteआज़ादी की शुभकामनाये
आज स्वतन्त्रता दिवस है।
ReplyDeleteकाश दोनों आज़ाद हो सकते!
साँप को इस मोनी से और छोटू को अपनी गरीबी से।
और कया टिप्पणी करूँ?
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ
कुछ भी हो यह घटोले बाज ओर धोखे बाज नही होगा हमारे नेताओ की तरह से, काम कर के ही खायेगा....इज्जत की रोटी.
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
ऎसे ही न जाने कितने सवाल हैं जिनका सिर्फ़ सोचना भी तकलीफ़ देता है...
ReplyDeleteअभी तबियत कैसी है? फ़िलिम वगैरा देखने का मन हो तो ’पीपली लाईव’ देख आयें.. अच्छी बन पडी है.. ऎसे ही काफी सवाल पूछती है..
लग रहा है कयास!
ReplyDeleteसौ दिन बडकौ के तो एक दिन छोटू का... आखिर नाग पंचमी जो है...:)
ReplyDeleteदोनो एक दूसरे का भविष्य डसे बैठे हैं। बिना दिखाये वो तो कमा लिया था, अब तो साँप अन्दर पड़े पड़े अपना साँपत्व भूल जायेगा और छोटू बीन के स्वर के अतिरिक्त सभी स्वर।
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ...!
ReplyDeleteयही ठीक है कि दोनों ही आजाद हों -नागराज उसकी कैद से और वह अपनी निर्भरता से !
ReplyDeleteसार्थक लेखन के लिये आभार एवं “उम्र कैदी” की ओर से शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteजीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बन जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!
अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।
http://umraquaidi.blogspot.com/
आपका शुभचिन्तक
“उम्र कैदी”