Tuesday, May 4, 2010

नाले पर जाली - फॉलोअप

मैने इक्कीस फरवरी’२०१० को लिखा था :

Vaitarni Nala Jaali_thumb[2] गंगा सफाई का एक सरकारी प्रयास देखने में आया। वैतरणी नाला, जो शिवकुटी-गोविन्दपुरी का जल-मल गंगा में ले जाता है, पर एक जाली लगाई गई है। यह ठोस पदार्थ, पॉलीथीन और प्लॉस्टिक आदि गंगा में जाने से रोकेगी।

अगर यह कई जगह किया गया है तो निश्चय ही काफी कचरा गंगाजी में जाने से रुकेगा।


Vaitarnai nala follow up
आज देखा कि सरकार ने मात्र जाली लगा कर अपने कर्तव्य की इति कर ली थी। जाली के पास इकठ्ठा हो रहे कचरे की सफाई का अगर कोई इन्तजाम किया था, तो वह काम नहीं कर रहा। अब पानी इतना ज्यादा रुक गया है जाली के पीछे कि वह जाली से कगरियाकर निर्बाध बहने लगा है। अर्थात पॉलीथीन और अन्य ठोस पदार्थ सीधे गंगा में जा सकेंगे।

ढाक के कितने पात होते हैं? तीन पात!   


यह पोस्ट मेरी हलचल नामक ब्लॉग पर भी उपलब्ध है।

15 comments:

  1. जाली के द्वारा रोके गए कचरे को यदि नहीं हटाया जा रहा है तो जाली का कोई ओचित्य ही नहीं रहा गया |
    ये तो ढाक के तीन पात वाली कहावत ही चरितार्थ हुई |

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  2. चलिए, पोलीथीन तो वैतरणी तर गए

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  3. सरकार के सभी कार्यक्रम ऐसे ही होते हैं ..

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  4. जो गंगा मिलन की आस लिए जा रहा है उसे क्या रोक सकेंगे। आस लगाने के पहले ही कोई इंतजाम हो तो कोई बात बने। हमारी तो आदत है। शिवजी का चबूतरा बना कै पुन्न कमा लिया। पीछे सब कुछ बकरियों के हवाले।

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  5. सरकार.. हर कम सरकार करे.. हर जगह का फोलो अप सरकार करे... ये मॉडल फेल होने के लिए बना है.. सरकार = जनता के प्रतिनिधि.. प्रतिनिधि चुन जनता सो जाए... सारे काम प्रतिनिधि करेंगे... अगले हजार साल तक भी कुछ नहीं होगा...

    जैसा आपने गंगा घाट सफाई अभियान चलाया था.. वैसा ही कुछ कारगर होगा..

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  6. समय और धैर्य हर दर्द की दवा हैं।

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  7. समय और धैर्य हर दर्द की दवा हैं।
    समय + धैर्य = और दर्द

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  8. वेसे तो नाले के पानी को फ़िलटर कर के , साफ़ कर केओर पीने के कबिल कर के ही गंगा जी मै छोडा जाना चाहिये, सिर्फ़ जाली लगा कर इति श्री..... वाह रे जुगाड

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  9. सरकारी काम इसी तरह किये जाते हैं.गंगाजी में कचडा जाने से बचाने के लिए जो योजना बनाई गयी है. वही कार्य एक बार और किया जाएगा. इससे कुछ लोगों को रोजगार (आमदनी का जरिया) मिल जाता है,

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  10. अब सरकार को क्या पता था कि पानी में भी सोचने की शक्ति होती है, कि वह सामने रास्ता बंद देख साइड से बह निकलेगा.

    पानी से भी ज़्यादा समझदार सरकारी बाबू की ज़रूरत है गंद रोकने के लिए.

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  11. 80% log kaamchor aur nithalle hain.

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  12. घर से कचरा साफ किया, रास्ते पर डाल दिया. यही मानसीकता है ना जी हम महान संस्कृति के सभ्य लोगों की? गंगा गंदा नाला बनेगी ही.

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  13. आधे-अधूरे इन्‍तजामात के नतीजे भला पूरे कैसे मिल सकते हैं।

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  14. इंजीनियर by training अभिशप्त हैं। मुझे खुले गड्ढे और उनके ढक्कन चुभते रहते हैं और आप को नाले की जाली !
    वैसे हिमांशु जी ने दूसरी वाली पर जो ठहराव होने पर कगरिया कर निकलने वाली बात कही है, मार्के की है।
    सिविल इंजी. का सिद्धांत है - load goes to stiffness. फेल्योर के समय कगरिया कर प्रवाह निकल जाता है और अपने पीछे विध्वंश छोड़ जाता है।

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय