Friday, October 22, 2010

भाग ६ - कैलीफिर्निया में श्री विश्वनाथ

यह श्री गोपालकृष्ण विश्वनाथ की अमरीकी/कैलीफोर्निया प्रवास पर छठी अतिथि पोस्ट है।


इस बार बातें कम करेंगे और केवल चित्रों के माध्यम से आप से संप्रेषण करेंगे।

शॉपिंग:
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एक जमाना था, जब हम विदेश से चीजें खरीदकर लाने में गर्व महसूस करते थे। अब भूल जाइए इस बात को। कुछ चीज़ों को छोडकर, हम भारतीयों के लिए वहाँ से कुछ खरीदना मूर्खता ही लगता है।

सब कुछ यहाँ भारत में उपलब्ध है और बहुत ही कम दामों में।
कई सारी चीज़ें तो भारत, चीन, बंगला देश से वहाँ भेजी जाती हैं जहाँ तीन या चार गुना दामों पर बिकती हैं।

वैसे मॉल्स तो बहुत अच्छे हैं और हमारे मॉल्स से बडे हैं। चित्र देखिए।
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हमने कई सारे मॉल्स देखे पर वहां कुछ खरीदने से हिचकते थे। पत्नी चीज़ें देखती थीं,  अच्छी लगती थीं फ़िर दाम देखती थीं और झट मन में डॉलर को रुपयों में बदलती थीं  और फ़िर चौंक जाती थी।

हम दूर से तमाशा देखते रहते थे।

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बस किसी तरह कुछ तो वहाँ से खरीदकर ले ले जाना  ही था।

लोग क्या कहेंगे? अरे! अमरीका से कुछ नहीं लाया? पत्नि ने अपनी लालसा पूरी की। यह देखिए, पत्नी और बेटी किन चीज़ों से आकर्षित हुए हैं। यहाँ की सभी वस्तुएं  एशियाई देशों से वहाँ पहुंची हैं।

हमें चुप और खुश करने के लिए हम से पूछे बगैर मेरे लिए कुछ कपडे और एक घडी  खरीदकर दी ।
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जैसा मैंने पहली किश्त में बताया था, अमरीकी लोग ज्यादा दिखाई नहीं देंगे आपको।
चेहरे देखिए इस चित्र में। ग्राहक चीनी या कोरियाई लगते हैं।
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एक बात हमें पसन्द आई। जब मॉल वाले कोई नई खाने लायक चीज़ बेचना चाहते हैं तो फ़्री सैंपल (free sample) का प्रबन्ध है। इस महिला को देखिए जो फ़्री सैंपल तैयार कर रही है। हमने अवसर पाकर खूब इन चीज़ों को चखा।

यह भी अच्छी चाल है। हम तो भोले भाले हैं। फ़्री सैंपल चखने के बाद वहाँ से छुपके से खिसक जाना हमें अच्छा नहीं लगा।
क्या सोचेंगे यह अमरीकी लोग भारतवासियों के बारे में? मन की शान्ति के लिए कुछ खरीदना पड़ा। :-(
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बर्फ़ का अनुभव
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आजीवन हम पश्चिम या दक्षिण भारत में ही रहे हैं। हमने ज़िन्दगी में बर्फ़ का अनुभव कभी नहीं किया था। कभी कशमीर या सिमला गए ही नहीं।

यह मेरा पहला मौका था बर्फ़ को देखने, छूने और उसका अनुभव करने का। हम Squaw  Valley  गये थे, जो Lake Tahoe  टैहो के पास है। आप बर्फ़ की तसवीरें देखिए। उसपर चलने में थोडी कठिनाई हुई| चलने में पैर फ़िसलने का डर रहता था। पर कुछ देर बाद आसानी से चल सके।
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पहली बार स्नोमैन (snowman) बनाने की कोशिश की। फ़्लॉप हुआ मेरा प्रोजेक्ट।
गणेशजी की मूर्ति बनाने निकला था और देखिए क्या बना पाया।
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फ़िर भी गर्व से उस की एक तसवीर लेने में मुझे झिझक नहीं हुई।
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Lake Tahoe भी गया था। अति सुन्दर झील है यह। एक किनारे पर रेत और दूसरे किनारे पर चिकने और गोल गोल कंकड।
पानी इतना ठंडा और शुद्ध कि हम तो बिना किसी हिचक उसे अपने हथिलियों में लेकर पीने लगे। भारत में हिम्मत नहीं होती ऐसी झीलों से पीने की, सिवाय हरिद्वार / हृषिकेश में गंगा के पानी के।
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सैन फ़्रैन्सिस्को
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दो बार सैन फ़्रैन्सिस्को गया था। पत्नी के लाख मना करने के बावजूद, हम Apple I Store के अन्दर झांकने से अपने आप को रोक नहीं सके| उसे चिढ है इन गैड्जेटों से। कहती है "तुम्हारा इन चीज़ों से लगाव अस्थायी होता है। बाद में मुझे ही इन चीज़ों पर जमे धूल को साफ़ करना पडता है।"

करीब बीस मिनट Apple का  नया Ipad को आजमाया। कमाल की चीज़ है यह। काश यहाँ भारत में उपलब्ध होता।

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छोटी मोटी दुकानें तो कई सारे देखीं| दो नमूने पेश हैं:

  1. इस दुकान में केवल चॉकलेट बिकते हैं और कोई चीज़ नहीं।
    बच्चे  तो यहाँ से बाहर निकलना ही नहीं चाहेंगे। वैसे हम भी किसी बच्चे से कम नहीं, इस विषय में।
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  2. इस बेकरी को देखिए| डबल रोटी नाना प्रकार की अकृतियों में बना रहे हैं। बच्चों को यह बहुत भाता है
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सैन फ़्रैन्सिस्को चिडियाघर भी गया था| कुछ खास नहीं पर एक मोर को देखने पर भारत (जयपुर और पिलानी) की याद आ गई| मोर पिंजरे में बन्द नहीं था और इधर उधर घूमता रहता था|
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और देखिए इस गोलमटोल और रोयेंदार भेड़ को। वह भी स्वतंत्रता से घूम रहा था और हमे इसे छूने ओर सहलाने कि अनुमति थी। केवल कुछ खिलाना भर वर्जित था।
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जिन्दगी में पहली बार एक ध्रुवीय भालू( polar bear) देखा।
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आगे अगली किस्त में ।
शुभकामनाएं
जी विश्वनाथ


34 comments:

  1. चित्रो की नज़र से हम भी घूम आये

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  2. अच्छा लेख और अच्छे चित्र। चित्र थोडे बडे होते तो और बढिया रहता।

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  3. सुबह -सुबह अच्छा भ्रमण हो गया तस्वीरों के माध्यम से ...!

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  4. अच्छा लगा।
    पानी भले साफ दिखता हो, होगा नहीं पीने लायक ही।

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  5. अच्छा है जी, अब हम कभी जायेंगे तो बहुत सी बातों का ध्यान रखेंगे.

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  6. बहुत ही खूबसूरत पोस्ट है ...अभी बच्चे सो रहे हैं उठते ही दिखाउंगा ..भांति भांति की आनंददायक चीज़ें देख कर किलक उठने के लिए । आभार

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  7. चित्रों में बसी कहानी। अन्तर भी चित्रों से साफ दिखायी पड़ते हैं। नदी में, बर्फ में, चिड़ियाघर में और मॉल में, कहीं पर कुछ भी कूड़ा नहीं दिखायी पड़ा। कम दाम तो भारत में भी मिल जायेगा, उच्च अनुशासन कहाँ से आयेगा।।

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  8. "..कुछ चीज़ों को छोडकर, हम भारतीयों के लिए वहाँ से कुछ खरीदना मूर्खता ही लगता है। सब कुछ यहाँ भारत में उपलब्ध है और बहुत ही कम दामों में। कई सारी चीज़ें तो भारत, चीन, बंगला देश से वहाँ भेजी जाती हैं जहाँ तीन या चार गुना दामों पर बिकती हैं..."

    एकदम दुरूस्त कहा. मुझे भी समझ नहीं आता कि क्या लेकर वापिस लौटा जाए. कुछ ले ही आए तो बच्चे बस मुस्कुरा भर देते हैं, कहते कुछ नहीं.

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  9. बड़ी अच्छी सैर कराई है आपने। धन्यवाद

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  10. @M VERMA, वाणी गीत, Nishant Mishra, सुधीर

    पढने और टिप्प्णी करने के लिए धन्यवाद।
    अभी और किस्ते बाकी हैं। आशा करता हूँ कि आप पढते रहेंगे।


    @Blogger Smart Indian

    मोबाइल फ़ोन की एक एक तसवीर करीब ५०० किलोबाइट की है
    और जो बेटी/दामाद ने अपने १२ MP कैमेरा से लिए था वे ४ MB के है।
    उन्हें मैने पहले ही resize करके ज्ञानजी को भेजा था और उनको और आगे भी resize करने को कहा था।
    अवश्य clarity कम है पर यदि resize नहीं किया होता तो पन्ना लोड होने में बहुत देर हो जाता था।
    यह compromise जरूरी था।
    यदि मित्रों ने चाहा तो कुछ और तसवीरें बाद में photo web site पर upload करके कडी भेजूंगा।
    पर बिना caption इन्हें देखने में लोगों को रुची नहीं रहेगी।

    @Blogger गिरिजेश राव
    हमने जोश में आकर थोडा risk लिया था।
    भगवान का शुक्र है कि हमें कुछ नहीं हुआ
    हृषिकेश और हर्दवार में और यहाँ कावेरी का पानी भी पिया हूँ
    अभी तक कुछ नहीं हुआ।
    पर आप भी ठीक कह रहे हैं
    I should not push my luck too far.

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  11. @Nishant Mishra said...
    अवश्य। बहुत ही बातों का ध्यान रखना होगा।
    खासकर travel cum medical इन्सुरेंस पक्का कर लेना बहुत जरूरी है
    एक भारतीइ सज्जन को वहाँ पर दिल का दौरा पडा था। ट्रीटमेंट वहीं पर हुई थी।
    खर्च? चालीस लाख!! इन्सुरेंस कंपनी ने खर्च उठाई थी।
    अमरीका जाने से एक महीने पहले मुझे अस्पताल में भर्ती होना पडा था और angioplasty कराई थी।
    उसी ट्रीटमेंट के लिए भारत में खर्च केवल ३.५० लाख जिसमें से ३.१५ लाख तो इन्स्योरेंस कम्पनी ने दे दी।

    आपकी दवाइओं को साथ ले जाना अत्यन्त आवश्यक है। वहाँ बिना prescription कोई भी दवा मिलता (सिवाय सर्दी/जुकाम या सरदर्द के) और डॉकटर का appointment देरी से मिलता है और बहुत महंगा भी है।
    यदि आप चश्मा पहनते हैं तो एक spare set अवश्य ले जाना। वहाँ खरीदने से जेब खाली हो जाएगा।
    और दांतो का checkup भी जाने से पहले करना। नहीं तो वहाँ dentist का appointment मिलना भी मुश्किल होता है और खर्चा भी बहुत भारी होता है।

    ९/११ हादसे के बाद माहौल बदल गया है। सफ़र करते समय सामान में क्या क्या नहीं ले जाना चाहिए इसकी तो अलग सूची उपलब्ध है। security clearance में कोई परेशानी न हो, इस के लिए कुछ सीधी सादी बातों का खयाल रखना पढता है।

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  12. @Blogger अजय कुमार झा
    बच्चों को अवश्य दिखाएगा
    मरे पास कई सारे तसवीरें हैं जो उन्हें रुचिकर लगेगी
    सब को यहाँ पेश करने में असमर्थ हूँ

    @Blogger प्रवीण पाण्डेय said...
    आप ठीक कह रहे हैं
    अनुशासन हमारे सबसे बडी कमी है


    @Blogger काजल कुमार
    आपने ठीक फ़रमाया
    एक किस्सा सुनाता हूँ
    यहाँ बेंगळूरु में ही एक मॉल में कुछ रिश्तेदारों को imported chocolate खरीदते देखा था।
    पूछने पर उन्होंने बताया कि अभी अभी अमरीका से वापस आए हैं और अपने कुछ निकट के रिश्तेदारों/दोस्तों के बच्चों की अपेक्षाएं पूरी करने के लिए यह खरीद रहे हैं। उन्हें पूरी आशा थी कि बच्चों को पता नहीं चलेगा कि ये चीज़ें यहीं खरीदी हुई हैं। क्या जमाना आ गया है!


    अन्य मित्रों की टिप्प्णियों का भी उत्तर देता रहूँगा।
    शुभकामनाए
    जी विश्वनाथ

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  13. सर थोड़े बड़े बड़े चित्र लगाईए। चित्रो मे कैसी कंजूसी ? कम से कम link तो बड़े चित्रो का दीजिये।

    धन्यवाद

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  14. तस्वीरें बहुत सुन्दर लगीं...आपके बनाए स्नोमैन की भी (या वो गणेश जी ही हों :))
    विदेशों से एक ही चीज़ की खरीदारी की जा सकती है...जो आपलोगों के काम की नहीं ...मेक अप का समान :)
    शहनाज़ हुसैन हैं, हमारे यहाँ फिर भी कुछ ब्रैंड्स वही मिलते हैं,जो काफी अच्छे हैं.

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  15. वाह... बहुत ही रोचक संस्मरण ....

    माल या बाज़ार घूमने का तो शौक नहीं पर दूर तक फैले बर्फ के चादर पर चलने की बड़ी चाह है..

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  16. ऐप्प्ल स्टोर में घुस के भी आई.पैड नहीं लिया। हमने तो बिना अमरीका गये वहाँ से मंगा लिया। है बड़े कमाल की चीज। हाँलाकि बहुत ज्यादा युटिलिटी नहीं है,मँहगा भी है... लेकिन यह वह कुछ कर सकता है जो और कोई गैजेट नहीं कर सकता।

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  17. @Blogger No Mist

    हमें इस बात का खेद है।
    कृपया Smart Indian की टिप्पणी पर मेरा उत्तर देखिए।
    आप हमारी मजबूरी समझ सकेंगे।

    @Blogger sanjay,

    धन्यवाद

    @Blogger rashmi ravija

    मेकप सामान के बारे में अपनी पत्नि/बेटी से पूछना पढेगा।
    जैसा आपने ठीक ही कहा, हम कुरूप लोग तो इसमे कोई रुची नहीं रखते।
    वहाँ के नहाने का साबुन और टूथपेस्ट आजमाया था।
    कोई विशेषता नहीं मिली इनमें।

    @Blogger रंजना

    हमारी भी यही चाह थी बचपन से। फ़िल्मों में नायक/नायिका को बर्फ़ में लुढकते देखे हैं।
    इस उम्र में तो यह सम्भव नहीं पर हमें पत्नि के हाथ में हाथ मिलाकर साथ चलने का अनुभव हुआ।

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  18. @विश्वनाथ जी,
    मेरा मतलब था, आप पुरुष हैं...तो लिपस्टिक, कॉम्पैक्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी.
    वरना यहाँ कुरूप कौन है और ख़ूबसूरत कौन...सब ईश्वर के बनाए हैं...अपनी अपनी खूबियों के साथ.

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  19. बढिया चित्र!!

    ‘वहाँ भेजी जाती हैं जहाँ तीन या चार गुना दामों पर बिकती हैं।’

    समस्या तब होती है जब हम मुद्रा कन्वर्ट करके दाम आंकते हैं। इसलिए जब हम जहां है उसी मुद्रा में सोंचे तो दाम अनुचित नहीं लगते :)

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  20. @rashmi ravija said...

    अरे, हम तो मजाक कर रहे थे।
    देखने में इतना बुरा तो नहीं हूँ?

    वैसे आजकल के मर्द भी cosmetics का प्रयोग करने लगे हैं
    after shave lotion, cream, powder, body spray, वगैरह की काफ़ी अच्छी बिक्री हो रही है।

    @काकेश

    Notion Ink Adam को google कीजिए।
    लगता है कि Apple I pad की छुट्टी होने वाली है।

    @Blogger cmpershad
    आपकी बात भी सही है।
    कोई भी चीज़ यदि यहाँ एक रुपये में बिकती है तो उसका वहाँ ३ या चार रुपया में बिकना सही है।
    पर इसके लिए कमाने वाले की आमदनी भी डॉलर में होनी चाहिए।
    पर हम तो रुपयों में कमाते हैं। हमारे लिए तो दाम बिल्कुल सही नहीं।
    हमें वहाँ कुछ खरीदनी नहीं चाहिए, उलटा हमें उनको बेचना चाहिए।
    यह केवल मेरा विचार है।

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  21. रोचक विवरण. यहां तो नदियों को प्रदूषित करने का अभियान ही चला रखा है. अब तो गंगोत्री से नीचे ही गंगा में मैल मिलाया जाने लगा है...

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  22. विश्वनाथ जी के साथ यह सफ़र आनंददायक रहा!

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  23. चित्रमय पोस्ट पर चित्र और बड़े होने ही चाहिए !

    विश्वनाथ जी !
    चित्रों को सामान्य रूप ४००*३०० के रूप में तो रखा ही जाना चाहिए ही था ! पोस्ट का मजा और बढ़ जाता ? रही बात ब्लॉग के लोड होने की तो पोस्ट करते समय उनको छोटे आकार में रखा जाता ...पर अपलोड तो पूरा चित्र करना चाहिए था ! बहरहाल आपकी यात्रा से बहुत कुछ जानने को मिल रहा है ........हम जैसों को ?

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  24. @Blogger भारतीय नागरिक - Indian Citizen,
    @Blogger मनोज कुमार

    टिप्पणी के लिए धन्यवाद।

    @Blogger प्रवीण त्रिवेदी

    अन्य मित्रों का भी यही शिकायत है कि तसवीरें बहुत छोटी हैं
    अगली बार ज्ञानजी से इसके बारे में चर्चा करेंगे।
    कोई उपाय शायद मिल जाएगा

    इसके अलावा अब सोच रहा हूँ के भविष्य में इन तसवीरों को किसी web site पर upload कर दूँगा।
    ब्लॉग में छोटी मीडियम आकारों के तसवीरों के साथ, पूरी तसवीर की कडी भी छाप देता हूँ ताकि जिनको रुचि हो, वे देख सकें।

    शुभकामनाएं
    ===========

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  25. चित्रों को बड़े आकार में अपलोड करने की डिमाण्ड है। विण्डोज़ लाइवराइटर के माध्यम से अपलोड़ करने पर वह पोस्ट पर जिस आकार की रखी जा रही है, उसी की अपलोड होती है।
    विकल्प पिकासा आदि पर अपलोड कर लिंक करने का है। पर वह मेहनत का काम है! और अभी मैं जिस चीज से बच रहा हूं वह है मेहनत! :)

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  26. एक, दो नहीं, पूरे बीस चित्र। नयाभिराम भी और ढेरों सूचनाऍं देनेवाले भी। लगा, हम न केवल सब देख रहे हैं बल्कि वहीं मौजूद भी हैं। कोटिश: धन्‍यवाद। उम्‍मीद है, चित्रों का यह क्रम अभी निरन्‍तर रहेगा।

    अब सौन्‍दर्य सामग्री लाने का भी कोई मतलब नहीं रहा। बाजार में 'कुरुपता मापी मीटर' आ गए हैं (ज्‍यादा जानकारी श्री रवि रतलामी से ली जा सकती है) और सब जानते हैं कि झूठ बोलने का एकाधिकार मनुष्‍य के पास है। मशीन तो सच बोलती है - पूरी निर्मममता से।

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  27. रहने दीजिए ज्ञानजी,
    आप वैसी भी हमारे लिए बहुत कुछ कर रहे हैं
    आपको ज्यादा कष्ट नहीं देना चाहता

    मेरा Photobucket.com पर account है।
    अगली बार मैं स्वयं कुछ समय निकालकर तसवीरें upload करूंगा।
    हरेक तसवीर की कडी का उल्लेख भी करूंगा अपनी पोस्ट में।
    यही सबसे आसान तरीका है। आपका ब्लॉग पर load हल्का ही रहेगा।
    फ़िलहाल आप को कुछ अलग या extra करने की कोई आवश्यकता नहीं।
    बस उसे resize करके छाप दीजिए, जैसा आप अभी कर रहे हैं

    सातवीं किस्त के बारे में सोच रहा हूँ। कुछ ही दिनों में आपको भेज दूंगा।
    जी विश्वनाथ

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  28. बहुत बढ़िया लगा यह सचित्र यात्रा वर्णन। कई नई जानकारियाँ मिलीं और हम घूम लिए कैलिफोर्निया।
    पहली फुर्सत में पिछली कड़ियों की सैर करने निकलता हूँ।

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  29. बहुत अच्छी जानकारी व चित्र भी ।

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  30. सरल भाषा में रोचक जानकारी। चित्रों के साथ कैलीफोर्निया घूमने में बडा मजा आया।

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  31. सचित्र वर्णन अच्छा लगा. अब कभी बर्फ में घुमने का मौका मिले चाहे विदेश या स्वदेश में तो 'शिवलिंग' बनाइएगा आसानी से बन जायेगा... :))

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  32. @ विष्णु बैरागी , अजित वडनेरकर, शरद कोकास, विनोद शुक्ल-अनामिका प्रकाशन
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद।

    @indra

    टिप्प्णी दमदार है आपकी!
    सच कह रहे हैं आप, शिवलिंग बनाना चाहिए था मुझे पर क्या करूं, कुछ ज्यादा ही घमण्ड था अपनी काबिलियत पर।
    इस अनुभव ने मुझे अपनी औकात दिखा दी।

    अब सबक सीख गया हूँ और वह है पहले a, b c d सीखो फ़िर जाकर निबन्ध लिखने का प्रयास करना।
    टिप्पणी के लिए धन्यवाद

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  33. बहुत ही सुन्दर चित्र और साथ दिया गया यात्रा का सीधा[ सच्चा] वर्णन.
    [सेम्पल चखने के बाद खरीदना भी पड़ा...:)..अफ़सोस..]
    डबलरोटी ,मोर,भेड़ों और पोलर बेयर के चित्र अनूठे लगे .
    झील के किनारे खड़े दंपत्ति वाला चित्र सब से सुन्दर है.पोस्टर सदृश!

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय