खैर, मेरी पत्नी और मैने, बावजूद इस बीमारी के, हरी सब्जियां खाना बन्द न करने का फैसला किया है!
चौबीस मई को शाम नौ बजे मुझे बायें हाथ में अनियंत्रित दौरे जैसा कुछ हुआ। तेजी से बिना नियंत्रण के हिलते हाथ को दायां हाथ पूरे प्रयास से भी नहीं रोक पा रहा था। लगभग चार मिनट तक यह चला। उसके बाद कलाई के आगे का हाथ मानसिक नियंत्रण में नहीं रहा।
मैने दो फोन किये। एक अपने बॉस को आपात अवस्था बताते हुये और दूसरा अपने रिश्ते में आनेवाले आजमगढ़ के सी.एम.ओ. ड़ा. एस.के. उपाध्याय को। बॉस श्री उपेन्द्र कुमार सिंह ने अस्पताल ले जाने की तुरन्त व्यवस्था की। ड़ा. उपाध्याय ने यह स्पष्ट किया कि मामला किसी अंग विशेष/तंत्रिकातन्त्र में स्पॉडिलाइटिस का भी नहीं, वरन मस्तिष्क से सम्बन्धित है। मस्तिष्क की समस्या जानकर मैं और व्यग्र हो गया।
अस्पताल जाने के बाद की बात आप सत्यार्थमित्र की पोस्टों के माध्यम से जान चुके हैं। वहां और अन्य प्रकार से जिन-जिन मित्र गणों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से मेरे लिये प्रार्थना की और मेरा सम्बल बढ़ाया, उनका मैं समग्र रूप से कृतज्ञ हूं।
इस विषय में पच्चीस मई को सवेरे आई.सी.यू. में लेटे लेटे एक पोस्ट (Hand bringing to I.C.U.) दायें हाथ का प्रयोग कर उपलब्ध संसाधन (मोबाइल फोन) से लिखी, बनाई (बायें हाथ का मोबाइल से लिया चित्र संलग्न करते) और पोस्ट की (ई-मेल से); उसे ब्लॉगिंग की विशेष उपलब्धि मानता हूं। ऐसी दशा में कितने लोगों ने ब्लॉग-पोस्ट लिखी होगी? कह नहीं सकता।
अभी लगभग पच्चासी प्रतिशत उबर गया हूं मैं। अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। अब घर पर हूं – २४ जून तक।
मुझे न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस (NEUROCYSTICERCOSIS) का मरीज मान कर उपचारित किया जा रहा है। मस्तिष्क के दायें सामने के हिस्से में हल्की सूजन से ग्रस्त पाया गया। यह सूजन पोर्क (सूअर के मांस)/प्रदूषित जल/जल युक्त खाद्य (पत्ता गोभी, पालक आदि) से सम्भव है। मेरे मामले में मांस तो नहीं है, दूसरे कारण ही लगते हैं।
न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस की दवायें तो लगभग एक-दो महीना चलेंगी पर एपिलेप्सी-रोधी दवायें मुझे कुछ साल तक लेनी होंगी। अर्थात लगभग दो-तीन साल की ब्लॉगिंग इस घटना की छाया में होगी!
धन्यवाद, मेरे वैर्चुअल और क्वासी-वर्चुअल जगत के मित्रों!
ReplyDeleteस्वागत है ।
ब्लॉगर पर आपके द्विरागमन की बधाईयाँ ।
Hmm.. Neurocysticercosis !
कच्ची और हरी सब्जियाँ यदि पोटेशियम परमैंग्नेट से धोकर या तेज धार बहते पानी से धो कर खायी जायें, तो बचत रहती है,, यह खुले में शौच करने से प्रदूषित मृदा का खमियाजा है । अक्सर लोग मूली या गाजर को जड़ की ओर से खाना पसँद करते हैं । अधिकतर बेनाइन होती हैं, यदि ऍलाइज़ा टेस्ट पॉजिटिव नहीं है, तो केवल एन्टी ऍपिलेप्टिक दवाओं से ही काम चल जाता है । बाई दॅ वे ज़ूलियस सीज़र इस रोग का पहला ज्ञात रोगी है ।
अब एक.. नहीं एक-दो नन्हा सा मज़ाक कर लूँ ?
एक- इस रोग का नाम ही बड़ा इम्प्रेसिव है , जो लहीम शहीम ओहदेदारों पर ही सोहता है ।
दो- बलिहारी उन टीनिया सोलियम का जो आपकी मानसिक मथानी में भी जीवित रह पायीं !
टेन्शन नहीं लेने का, जल्दी सोने का, और भी बहुत बहुत बहुत कुछ
वह बाद में बतायेंगा ।
न्यूरोसिस्टिसिरोसिस के बारे में कुछ कहने की क्षमता नहीं है परन्तु आप स्वस्थ हैं (अभी ८५% ही सही - जल्दी ही पूर्णरुपेन) इसकी बड़ी प्रसन्नता है. अपना ध्यान रखिये और प्रशिक्षित चिकित्सकों की सलाह का पूर्णतया पालन करने का भरसक प्रयत्न कीजिए.
ReplyDeleteआपको स्वस्थचित्त देखकर प्रसन्नता हुई ...शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण स्वास्थय लाभ होने की शुभकामनायें स्वीकार करें ...!
ReplyDeleteआपके पूर्ण स्वस्थ होने की शुभकामना
ReplyDeleteसावधानी बरतें, डाक्टर के दिशा निर्देशों का पालन करे.
आप आये बहार आयी ...! शुभागमन !
ReplyDeleteशुभकामनाएँ
ReplyDeleteइतने दिनों बाद फिर से आपकी पोस्ट देख एक तरह का सुखद अनुभव हो रहा है।
ReplyDeleteआपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ। उम्मीद है आप फिर से जल्द से जल्द पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे।
सर जी, पिछले पन्द्रह-बीस दिन से मैं भी ब्लोगिंग से दूर थी. इसलिए आपकी बीमारी के बारे में पता नहीं चला. बाज़ पर खबर मिली थी कि आप आराम कर रहे हैं, पर तब भी ये नहीं मालूम था कि ये बात है. मुझे अच्छा नहीं लग रहा है, बिल्कुल भी नहीं. अपनी सेहत का ध्यान रखिये नहीं तो हमलोग आपसे बोलना बंद कर देंगे. समझे !
ReplyDeleteहाँ सब्जियां खाना बंद मत कीजिये पर उन्हें काटने से पहले लगभग पाँच मिनट तक नमक पानी में भिगो दीजिए. मैं यही करती हूँ. दिल्ली में तो सब्जियां बहुत ही ज्यादा प्रदूषित हैं.
मैं भी सिद्धार्थ जी की तरह कहूँगी कि बस कीजिये. थोड़ा कम कर दीजिए . प्लीज़ !!!!
आशा है आप शीघ्र स्वस्थ होंगे। एक डाक्टर कहते हैं कि जिस तरह से हमलोग सब्जियाँ खाते हैं, उनका कोई लाभ नहीं बचता। पकाने में सब नष्ट हो जाता है सिवाय फाइबर के। लिहाजा यदि आवश्यक फाइबर की पूर्ति होती रहे तो इन्हें खाने की कोई आवश्यकता नहीं है। भारतीय पाक पद्धति में सब्ज़ियाँ 'लक्ज़री का दिखावा' भर हैं। :(
ReplyDelete@ डा. अमर कुमार
खुले में शौच इस अभिशप्त सभ्यता की एक बड़ी व्याधि है।
आप को यहाँ वापस देख कर सुखद अनुभूति हुई। आप शीघ्र पूर्ण स्वस्थ हों!
ReplyDeleteआप की इस अस्वस्थता का मूल आप की कार्यपद्धति में नहीं था, यह जान कर अच्छा लगा।
न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस का पता तो स्कैनिंग से चल ही जाता है. यदि निदान पक्का हो तो इलाज अवश्य ही प्रभावी होगा.
ReplyDeleteएपिलेप्सी की दवाओं से आपका पीछा छूटना मुश्किल है. शरीर इनका आदी हो जाता है. ये सभी न्यूरोट्रान्स्मीटर्स को प्रभावित करते हैं इसलिए इनसे कई अनचाहे बदलावों को भी झेलना पड़ सकता है.
बाकी, मुझे नहीं पता यदि किसी और ने कभी इन हालातों में अपनी पोस्ट लिखी हो. अब आपको स्वयं को बहुत सी चीज़ों से या तो विरत रहना होगा या संतुलन बनाकर चलना होगा. आप नहीं चाहेंगे तो परिवार वाले कर ही देंगे. हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं.
पूर्ण स्वस्थ होने के लिए शुभकामनाएं
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब! अब फ़िर जमकर लिखिये-टिपियाइये।
ReplyDeleteहम यहां भी आपसे सीनियर हैं! करीब पन्द्रह साल एन्टीएपिलिप्सी दवा खाकर फ़ाइनली इससे तीन-चार साल पहले निजात पायें हैं। आपको कमनींद की परेशानी थी अब दवाओं से नींद आने लगेगी। दवा नियमित खाइये। मस्त रहिये।
पांडेय जी, आप के स्वास्थ्य के बारे में इस पोस्ट के माध्यम से जान कर चिंता हुई। लेकिन इत्मीनान इस बात का बहुत है कि कारण पता लग चुका है और सब कुछ नार्मेल्सी की तरफ़ तेज़ी से लौट रहा है।
ReplyDeleteपरमात्मा से आप के सदैव सकुशल रह कर हिंदी जगत की सेवा करने की प्रार्थना है।
अब देखिये आप जैसे लोग जो कभी मांस वांस को नहीं लेते, इस तकलीफ़ से बच नहीं पाए ---- पता नहीं, यह प्रदूषण हमें कहां ले जायेगा। बहरहाल, अपना ध्यान रखिये ----यह अच्छा है आप आजकल आराम कर रहे हैं ---ज़रूरी है।
ढेरों शुभकामनाएं।
जल्द स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteआपकी हिम्मत प्रेरणादायक है , हो सके तो किसी होमिओपैथ मित्र से भी सलाह करें !
ReplyDeleteसादर शुभकामनायें !
मन प्रसन्न हुआ आपकी वापसी पर. जल्द पूर्ण स्वस्थ हो जाईये. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteस्वागत है । जल्द स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteस्वागतम,स्वास्थ्य लाभ हेतु शुभकामनाऎं।
ReplyDeletejaldi se aap poori tarah se swasth ho jaen. is awastha men bhi blog lekhan to shayd hi kisi ne kiya hoga. mujhe lagta hai poorna swasth hone tak aap vishram karen blog lekhan to chalta hi rahega.
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपको फिर से देख प्रसन्नता हो रही है.
ReplyDeleteWelcome Gyan Ji! Its nice to see you back... Take loads and loads of care of yourself.
ReplyDeleteसब अच्छा हो जायेगा... सब कुछ...
अच्छा लगा जी अब आप ठीक हैं
ReplyDeleteजल्द से जल्द पूरी तरह स्वस्थ हो जायें
यही शुभकामना
प्रणाम
शिवजी से नंबर लेकर आपसे बात करने का प्रयास किया था पर मुझे बताया गया कि आप किसी विशेष जांच के लिए गए हुए हैं| पहले घर में फोन लगाया तो संभवत: आपके निज सेवक ने फोन उठाया| मैंने उसे जडी-बूटी का नाम बता दिया है| आपके कहने की देर है वह आपके लिए ले आयेगा| उसने बताया कि गंगा के किनारे कुछ ख़ास स्थानों में यह मिलती है पर साहब बोलेंगे तो वह ले आयेगा| इसे खाइयेगा, बहुत जल्दी ही इस समस्या से उबार जायेंगे| यूं तो यह जंगल में मिलती है पर यहाँ छत्तीसगढ़ में हमारे किसान बाकायदाइसकी व्यावसायिक खेती कर रहे हैं|
ReplyDeleteआप लौट आये तो रौनक लौट आयी|
कहीं यह cysticercus ही तो नहीं था मानसिक हलचल का कारण :) अन्यथा न लें प्रसन्न रहें . बीमारी पूरी तरह से ठीक होने वाली है .
ReplyDeleteशुभकामनायें स्वास्थ्य लाभ के लिए .
आपकी पोस्ट पढना सुखद रहा.....पूर्ण स्वस्थ होने की शुभकामनाएं..
ReplyDeleteअपना ख़याल रखें....और डॉक्टर एवं (भाभी जी :)) के निर्देश का पालन करें
पुनरागमन पर हार्दिक स्वागत है…
ReplyDeleteबीमारी के बारे में तो अमर कुमार साहब अधिक बतायेंगे, हमें तो अस्पताल में मोबाइल से आपका ब्लॉगिंग का पराक्रम पसन्द आया… 3 चीयर्स…
गंगा किनारे घूमिये, खुश रहिये, मजे करिये… हफ़्ते में सिर्फ़ एक पोस्ट लिखें… (यह सलाह है) :)
अच्छा लगा यह जान कर कि आप ठीक हो रहे हैं।
ReplyDeleteपूर्णतः स्वस्थ हों, ईश्वर से कामना है।
आपके पूर्ण स्वस्थ होने की शुभकामना
ReplyDeleteplease get well soon and besides medicine if you have faith in other healings do get in touch
आपके स्वास्थ्य के लिए सभी ने कुछ न कुछ उपाय बताया है.. बस यही कामना है कि आप सेहत और लेखन दोनो मे तालमेल रख पाएँ...
ReplyDeleteपूर्ण स्वस्थ होने के लिए शुभकामनाएं
ReplyDeleteनमस्तें
ReplyDeleteइलाहाबाद मे श्री केएम मिश्र और वीनस जी से आपकी तबियत के बारे मे पता चला, इधर व्यस्तता के कारण सम्पर्क और कुशलता नही पूछ सका, आज कानपुर जाना हो रहा है, शीघ्र ही लौट कर केएम मिश्र और वीनस जी के साथ आपसे मिलने का कार्यक्रम बताने है।
अरे वाह! आपको फ़िर एक बार सक्रिय देखकर बहुत अच्छा लगा. ऐसी स्थिति में भी ब्लॉगिंग जारी रखना जीवट का काम है और आपकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. मानसिक हलचल तो नॉन-स्टॉप "दूरंतो एक्सप्रेस" साबित हुई. दीदी मस्ट बी प्राउड ऑव यू.
ReplyDeleteजल्द ही १००% स्वास्थय हासिल करें. हार्दिक शुभकामनाएँ.
जल्दी ही पूर्ण स्वस्थ हों।
ReplyDeletebhgwan aapko jaldi acha kare
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
"मुझे न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस (NEUROCYSTICERCOSIS) का मरीज मान कर उपचारित किया जा रहा है। मस्तिष्क के दायें सामने के हिस्से में हल्की सूजन से ग्रस्त पाया गया। यह सूजन पोर्क (सूअर के मांस)/प्रदूषित जल/जल युक्त खाद्य (पत्ता गोभी, पालक आदि) से सम्भव है।"
आदरणीय ज्ञानदत्त पान्डेय जी,
वापसी पर स्वागत है,NEUROCYSTICERCOSIS का Modern Evidence Based Medicine के पास पुख्ता इलाज है, आपको किसी भी अन्य पद्धति के सहारे की जरूरत नहीं।
अभी कुछेक साल पहले Leander Paes को भी यह बीमारी हुई थी और उन्होंने पूरी रिकवरी की ।
समय मिले तो देखियेगा...
Hydra In The Head
और
Leander alarm could be your wake-up call
आभार !
sir,
ReplyDeleteget well soon , missing our morning skirmishes.
शीघ्र ही पूर्णतह स्वस्थ हो जावे, यही कामना है. शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपकी वापसी का इन्तजार आखिर खत्म हुआ... मुझे नहीं लगता कि आपकी मानसिक हलचल के रास्ते में इतने उम्दा(?) नाम की बीमारी खड़ी रह सकेगी...
ReplyDeleteस्वागत है...
पुनः आगमन सुखद है .....निश्चित रहिये ...निदान है .....
ReplyDeleteदिमाग मे कीडा है आम शब्दो मे कहा जाता है हमारे यहा . यह आम सी बीमारी अब खास लोगो मे भी हो रही है . बधाई बीमारी को .
ReplyDeleteस्वास्थ्य लाभ करने के लिये शुभकामनायें । मानसिक हलचल को मानसिक दृढ़ता की झलक मिल चुकी है, अनुपस्थिति से नहीं वरन दृढ़ वापसी से ।
ReplyDeleteबीमारियाँ होती ही हैं ठीक होने के लिये ।
कल परसो ही आप को बहुत याद कर रहा था, ओर आज आप की पोस्ट देख कर दिल खुश हो गया, आप ने स्वस्थय के बारे पता चला था लेकिन बताया गया था कि आप को पी सि से दुर रखा जा रहा है, इस लिये आप को मेल नही किया, चलिये मालिस वगेरा जरुर करे हाथो की , ओर जो जो दवा डा० ने बताई वे ले, ब्लागिंग कम ही करे ... मुझे बहुत खुशी हो रही है लिख नही सकता, क्योकि कल ही मैने भगवान से आप के लिये प्राथना कि थी.... वाह
ReplyDeleteशीघ्र स्वास्थ्य की कामना करती हूँ...
ReplyDeleteआप ठीक ठाक घर लौट आये जान कर अच्छा लगा। दवा समय पर लेते रहें और खूब ब्लोगिंग करें।
ReplyDeleteब्लोगजगत में लौटने की बधाई
ख़याल रखें.शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण स्वास्थय लाभ होने की शुभकामनायें
ReplyDeleteMohtaram Pandey Ji - Adaab
ReplyDeleteAaap pareshan na hon ! Ye zindagi ka ek naya mod , naya tadka aur ek naya experience hai. Dekhna ye hai ki is se aap kya haasil karte hain aur kya share karte hain ?
Rahi Beemari - to wo Aaahar aur Wihar mein kahin na kahin kisi lapse ki nishani hai.
Khuda aapko sehat de !
Khalid Bin Umar
aapko blog par fir se sakriya dekh kar sukhad lagaa.
ReplyDeleteन्यूरोसिस्टिसर्कोसिस is bimari ka to ham ne naam hi nai suna tha, lekin jaisa aap bata rahe hain us se to shakahari, hari sabjiyan khane walo ko bhi saavdhan hona hi hoga....
jald hi pure taur par swasth hon, yahi kamna hai
अति शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त करें.नियमित दवा लेते रहें.शुभकामनाएं.
ReplyDeleteआप जल्द पूर्ण स्वस्थ हों। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteGlad to see you back. Wish you good health.
ReplyDeleteIt's wise to avoid lettuce, cabbage and other leafy vegetables which are eaten raw.
"Prevention is better than cure"
शिव से जब आपके बीमारी के संभावित कारण का सुना था तो शरीर में एक झुरझुरी सी दौड़ गयी थी...
ReplyDeleteकितना निश्चिन्त रह हम भोज्य सामग्री ग्रहण करते हैं...उफ़...
खैर ईश्वर आपको शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण स्वस्थ्य लाभ कराएँ...कृपया डॉक्टर और भाभीजी की हिदायतों का पूरा पालन करें...
वैसे इस अवस्था में भी आपने लेखन और पठान पाठन जारी रखा....इससे बड़ी प्रेरणा मिली...
इस बीमारी का नाम पहली बार सुना.आपके शीघ्र पूर्ण स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूँ.
ReplyDeleteपहली बार इस बीमारी का नाम सुनने के कारण इसके बारे में जानने की जिज्ञासा के तहत इन्टरनेट से इसके देशी उपचार की विधि जानी. मैं समझता हूँ किसी भी व्यक्ति को इस उपचार से हानि तो नहीं पहुंचेगी, लाभ हो या न हो.उपचार है - खाली पेट एक चम्मच तिल का तेल पीना और दिन में दो बार अन्नानास के रस का सेवन.
ReplyDeleteस्वागत आपका, प्रार्थना ईश्वर से, शुभकामनाएं स्वस्थ और प्रसन्न जीवन की।
ReplyDeleteजल्द पूर्ण स्वस्थ हों। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबीमारियाँ होती ही हैं ठीक होने के लिये ।
ReplyDeleteटेन्शन नहीं लेने का, जल्दी सोने का, और भी बहुत बहुत बहुत कुछ
ReplyDeleteवह बाद में बतायेंगा ।
आपकी कई पोस्टें मेरे सिर के ऊपर से निकल जाती हैं फिर भी आपको पढना अच्छा लगता है।
ReplyDeleteजल्दी स्वस्थ हो जाइए।
शुभ-कामनाऍं।
बहुत दिनों के अंतराल पर ऑनलाइन हुआ हूँ आपका पोस्ट देखा - ब्लोगिंग वगैरह तो ठीक है..मगर आप अपना ख्याल रखिये. शीघ्र ही स्वस्थ हों ऐसे कामना है. सादर प्रणाम
ReplyDeleteदवाओं की अवधि भी बीत जायेगी जैसे छाता
ReplyDeleteलगाकर चलता हुआ व्यक्ति धूप और बरसात का
समय काट देता है !
बाकी आपकी सक्रियता बनी रहेगी , क्योंकि अनवरत
क्रियाशीलता आपका स्थाई भाव है !
आपसे मिलने के बाद मेरा यह विश्वास और दृढ़ हुआ है !
'' बड़ रखुवार रमापति जासू '' !
ज्ञान जी स्वागत है आपका . आज ही इधर आना हुआ . शिव भाई से स्वास्थ्य-लाभ के सभी समाचार मिलते रहते थे. जब पच्चासी प्रतिशत रिकवरी हो गई है तो बाकी पन्द्रह प्रतिशत भी जल्द होगी. बहुत जल्द . ज्यादा बोझ न लें और नियमित दवा-व्यायाम जारी रहे. आस्तिक आदमी को तो एक अतिरिक्त सहारा भी होता है.ईश्वर सब ठीक करेंगे.बस बीच-बीच में छोटी-छोटी पोस्ट लिखते रहें . सादर, प्रियंकर
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