आगे टीशर्ट चढ़ी तोंद और पीछे डायपर युक्त तशरीफ लिये साल भर के नत्तू को जब उसकी मां घसीट कर कमरे में ले जाने का यत्न करती है तो बद्द-बद्द चलते वह दूसरे हाथ और दोनो पैर से जो भी चीज सीमा में आ जाती है, उसको गिराने-लुढ़काने या ठोकर मारने का पूरा प्रयास करता है। उसकी नानी का कथन है कि उसकी जीनेटिक संरचना में बनारसी गुण्डों वाले गुणसूत्रतत्व प्रमुखता से आ जुड़े हैं।
उसे हम भागीरथ, प्रधानमंत्री या नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक बनाने के चक्कर में थे; अभी फिलहाल उसका गुण्डत्व ही देख पाये हैं।
मुझे सुद्ध (यह शब्द सयास यूं लिखा गया है) बनारसी गुण्डा से मिलने का सौभाग्य तो नहीं मिला है, पर जब तक नत्तू की पीढ़ी देश का भविष्य संभालेगी, तब तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत पर्याप्त गुण्डई छांटने की दशा में आ जायेगा। शायद अमेरिका को कोहनियाकर।
तब हमारी लीडरशिप में बनारसी गुण्डा के तत्व जरूरी होंगे और हमारी कॉरपोरेट जिन्दगी में भी – जो लम्बी दूरी तक जाकर आश्रितों और स्त्रियों की इज्जत जैसे उन गुण्डों के गुण, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, दिखाते हुये गुण्डई कर सकें।
शायद बनारसी गुण्डा के कुछ तत्व प्रबन्धन की शिक्षा का अनिवार्य अंग बन सकें।
खैर हम तो फिलहाल नत्तू गुरू के ठुमुकि चलत के स्तर पर के गुण्डत्व का आनन्द ले चुके – तब, जब मेरी लडकी मेरे अस्वस्थ होने का समाचार पाकर इलाहाबाद आई थी। नत्तू पांड़े वापस जा चुके हैं बोकारो। अगली बार आयेंगे तो उनका न जाने कौन रूप सामने आये!
अगले कुछ दिनों/महीनों ब्लॉग पर अपनी आवृति कम करने का विचार है। मैं ब्लॉग पढ़ने का यत्न अवश्य करूंगा। पर लेखन कार्य कम ही होगा। कुछ पोस्टें ड्राफ्ट में उचक रही हैं – वे रुकी रहेंगी। शायद अपनी सामयिकता भी खो दें। प्रवीण पाण्डेय की एक पोस्ट ड्राफ्ट में है। वह अगले बुधवार को पब्लिश हो जायेगी। मेरी पत्नीजी ने एक पोस्ट लिख रखी है – शायद वह टाइप किये जाने का इन्तजार करेगी! :-(
दवाओं की अधिकता से अपना संतुलन खोये शरीर को शायद यह पॉज चाहिये। मन को तो मैं पाता हूं, टनाटन है!
नत्तू पाण्डेय जी से मुलाक़ात लुभावनी लगी है ...अब नानी झूठ थोड़े न कहेंगी....नाना को देख जो लिया है इतने साल.....
ReplyDeleteआपको देख कर हर्ष हुआ है....आराम कीजिये ये सब तो होता ही रहेगा....बाकी जो पोस्ट उचक रहीं है...उनको काहे ज़बरदस्ती बैठा रहे हैं....पोस्टिया दीजिये..लोगबाग समझ जायेंगे...
आपके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हैं...
नत्तू गुरू का गुण्डा तत्व कायम रहे और आप सब हलकान रहें.
ReplyDeleteसेहत से बड़ी कोई चीज नहीं है, पहले स्वास्थ्य लाभ करें लेखन की आवृत्ति बेशक कम हो जाये.
नत्तूगिरी ऎसे ही हमेशा चालू रहे... :) नत्तू गुरू को ढेर सारा प्यार..
ReplyDelete"दवाओं की अधिकता से अपना संतुलन खोये शरीर को शायद यह पॉज चाहिये। मन को तो मैं पाता हूं, टनाटन है!"
शरीर भी एकदम टनाटन हो जायेगा। इस पॉज के खत्म होने का इन्तजार रहेगा॥
गेट वेल सून...
आप का नेट पर आना ही आल्हादित कर देता है। इधर उधर एक दो टिप्पणियाँ देखने को मिली हैं। अदा जी की बात से सहमत हूँ कि ड्राफ्ट में जो कुछ है उसे क्यों रोका जाए?
ReplyDeleteGet Well Soon..."नानु"
ReplyDeleteआईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!
ReplyDeleteबनारसी गुण्डों वाले गुणसूत्रतत्व प्रमुखता से आ जुड़े हैं।
ReplyDeleteनानी के लाड़ का क्या कहना. आप अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखिये. शरीर माध्यम खलु धर्म साधनं
नत्तू गुरू की गुंडई के जलवे बने रहें। आपौ टनाटन रहें।
ReplyDeleteनत्तु पांडे अपनी गुंडई के साथ दूर तक सफ़र करेंगे ...
ReplyDeleteस्वास्थय का पूरा खयाल रखें ...
और मन टनाटन हो तो सब ठीक है ...!!
शायद ये भी निज-जीवन में विशेष प्रकार के नेतृत्व के गुण हों :) लंबे समयोपरांत पोस्ट वापसी पर स्वागत है.
ReplyDeleteनत्तू पांडे की बनारसी स्टाईल की गुंडई पर आपके वर्णन ने जयशंकर प्रसाद की कहानी गुंडा की याद दिला दी ....
ReplyDeleteब्लॉग पर तो आप आते ही रहेगें -मैं आश्वस्त हूँ !
नत्तू पाण्डे की गुंडई बरकरार रहे...नाना के कान काटे..यही आशीष...बकिया..तो संपूर्ण आराम करें और इत्मिनान धरें..हिन्दी ब्लॉगजगत आपका इन्तजार करने में सक्षम है.
ReplyDelete@6536613343428202901.0
ReplyDelete* @आचार्य जी - आपके पास तो एटीएम से निकली नई नकोर टिप्पणियाँ हैं! बाकी वह किनको कितनी चाहियें, कह नही सकते! :)
नत्तू पाण्डे की यह मनोहर छवि अच्छी लगी, आप अगर होमिओपैथी में रूचि लेना चाहते हों तो मैं कुछ मदद करूँ, इससे समय के साथ ढेर सारी दवाओं से निजात मिलेगी ...आराम तो मिलेगा ही !
ReplyDeleteसादर
शुक्र है कल राज भाटिया जी की पोस्ट पढ कर चिन्ता हुयी मगर ये शायद नत्तो की करामात है आप जल्दी से स्वास्थ्य लाभ ले कर फिर से उसी फार्म मे आयें शुभकामनायें
ReplyDeleteलेखनी मेरे तन को छू गई , चलो स्नान करना पड़ेगा ।
ReplyDeleteबाललिलाओं का आनन्द ही कुछ और है.
ReplyDeleteआप विराम दें और स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें. ब्लॉगिंग तो होती रहेगी....
आज तो हमने नत्तू पाण्डेय का स्टिंग ऑपरेशन भी देख लिया, कविता भी पढ़ ली और उनका वासंती परिधान भी देख लिया... बड़े गोल-मटोल हैं नत्तू पाण्डेय... गुंडई करके छका न दे तो भला कैसा पाण्डेय ? मेरी दीदी का बेटा भी ऐसा ही गुंडा है... साल भर की उम्र से दीदी को हलकान कर रख है, अब तो चार साल का हो गया है. अब भी गुंडई कम नहीं हुई. उसका तो नाम ही हमने गुंडा रख दिया है... वो तो बनारस का है भी नहीं, पर गुंडई कूट-कूटकर भरी है...
ReplyDeleteआपने लिखा है कि मन टनाटन है, और जब मन टनाटन हो, तो शरीर को खुद ही रास्ते पर ले आता है. आप पोस्ट लिखना भले ही कम कर दीजिए, पर एकदम से बंद मत कीजियेगा... आपका रहना आश्वस्त करता है... जाने क्यों?
आप शीघ्र स्वस्थ हों... नत्तू जी की गुंडई का मजा उठा लीजिये क्योंकि जहां बच्चे ने स्कूल जाना शुरू किया कि बाकी सारी चीजें एक ओर और रह जाता है सिर्फ बस्ता...
ReplyDeleteवा नत्तू हमने भी देख ली तुम्हरी गुंडई, नाना नानी के नैनन से :)
ReplyDeleteजल्दी स्वस्थ्य होकर लौटें।
@2846261925509831872.0
ReplyDelete"आप पोस्ट लिखना भले ही कम कर दीजिए, पर एकदम से बंद मत कीजियेगा... आपका रहना आश्वस्त करता है... जाने क्यों?"
इसे मेरे भी मन की बात माने...
नत्तु पांडे की तस्वीरें और कारगुजारियां तो बड़ी मनोहारी हैं...
ReplyDeleteआप पूर्ण स्वस्थ होकर पूरी तरह सक्रिय हों...शुभकामनाएं
Nattu is really cute. Love and hugs galore to him.
ReplyDeleteनत्तू जी से मिलकर खुशी हुई। खूब आराम कर जल्दी स्वस्थ हो जाएँ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
भारत जब गुण्डई करने की स्थिति में होगा तब नत्तू पाण्डे जी की यह ट्रेनिंग काम आयेगी । हमारा तो पूरा बचपन जिस गुण्डत्व की परिभाषायें सीखने में निकला, हमारे ही ऊपर उसका प्रयोग परिवार के स्तर पर बच्चे, देश के स्तर पर नेता और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका करता रहता है । अब तो नत्तू पाड़े को ही हमारा भी बदला लेने का ठेका लेना पड़ेगा ।
ReplyDeleteलेखन में सृजनात्मक औषधि है । सृजन से आत्मा बल पाती है, आत्मा से मन और मन से शरीर । हम तो कहेंगे कि इस औषधि का ओवरडोज़ लिया जाये ।
सप्ताह भर के लिये,
मैं और मेरी दवाईयाँ(तनहाईयाँ)
और
प्रकृति यहाँ एकान्त बैठ निज रूप सँवारति
के भावों में सन्निहित कुछ भाव निकालिये ।
नटखट पांडे से मिलकर बहुत अच्छा लगा और पहले की पोस्टें भी खंगाली उनसे मिलने को ....
ReplyDeleteयही तो उम्र है जब बच्चे ऐसा न करें तो अच्छे नहीं लगते ...
नत्तू पाण्डे जमे रहिये जी ... आभार आभार
ReplyDeleteNattu is cute, very adorable...:)
ReplyDeleteMan Tanaatan hai toh chinta ki koi baat nahi, shareer apne aap tanaatan ho jaayegaa
अरे क्या बोलते हो बॉस, एक तो आपकी पहली गलती ये है कि इत्त्ते दिनों बाद नत्तू
ReplyDeleteपांड़े जी से मिलवा रहे हो। दूसरी बात ये कि हेडिंग पढ़कर न जाने क्यों मुझे वह बात याद
आ गई जिसके कारण बलिया बागी बलिया कहलाने लगा।
खैर, बाकी देखें तो नत्तू जी थोड़े और स्वस्थ हुए हैं पहले से। बाकी उनकी नानी से असहमत होने की हिम्मत तो दूर
ख्याल भी नहीं है। ;)
चूंकि आपने हेडिंग में गुण्डा लिखा है तो जो पढ़ चुके हैं उन्हें प्रसाद जी की कहानी गुण्डा याद आनी ही है। जैसा कि अरविंद जी ने लिखा।
बाकी आप तो चौकस रहें एक्दम्। बस ड्राफ्ट में सहेजे पोस्ट को पब्लिश करने भर का कष्ट उठाएं, टाइप करने का नहीं।
वैसे सच कहूं तो आज नत्तू पांडे जी वाली ये पोस्ट पढ़कर मुझे बहुत सी बातें याद आई।
मेरा सबसे दुलारा भतीजा, चौथे नंबर का। कल ही कोलकाता रवाना हुआ अपने पहले जॉब के लिए।, छोड़िए, लिखता हूं ब्लॉग पर ये सब।
आपको स्वस्थ देख कर मन हर्षित है. बाबा विश्वनाथ से कामना करता हूँ कि आप पूर्ण स्वस्थ हो जांय.
ReplyDeleteनत्तु गुरु को भी शुभ आशीष.
...जहाँ तक बनारसी गुंडा की बात है...बुजुर्गों से सुनी गुंडई याद है.... बनारसी गुंडे बड़े चरित्रवान भी होते थे...! आजकल के बदमाशो की तरह नहीं कि जिनका कोई ईमान नहीं होता. सेठ महाजन से उनका प्रतिशत तय रहता था..इसके बदले में वे पूरी सुरक्षा भी प्रदान करते थे. उनके महल्ले में क्या मजाल कि कोई किसी महिला के साथ अभद्र व्यवहार कर दे...!
भगवान जाने सच क्या है ..मगर सुना है कि आजादी के संघर्ष में भी उनका योगदान था.
जो पुरनियाँ हैं वे शायद इन बिंदुओं पर कुछ प्रकाश डाल सकें..
आत्मीयता से भरा पोस्ट।
ReplyDeleteशीघ्र स्वस्थ हों ईश्वर से कामना है।
नत्तू पांडे जी को आशीष।
कभी मौका लगा और इलाहाबाद में रही तो नत्तू जी से जरूर मिलूंगी। हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteआज का जो समय है,इसमें बच्चे चाहे जिस क्षेत्र में हों,उन्हें उसमे ९८% से अधिक ही लाने पड़ते हैं,तभी जाकर जगह मिलती है उन्हें....गुंडागर्दी भी ९८% से अधिक के मेरिट में रहने पर ही सफलता मिलेगी...मिडियोकर के लिए कहाँ है कहीं भी जगह...
ReplyDeleteनन्हे मुन्ने गुंडे न हों तो भोंदू कहलाते हैं,इसलिए मन भर आनद लेना चाहिए इस गुंडागर्दी का...
यह शरीर ही तो किसी भी कर्म को निष्पादित करने का आधार बनता है...यदि यह आराम मांग रहा है, तो बस दे दीजिये....
शीघ्र स्वस्थ लाभ करें आप,यही कामना है...
आपका लिखा देख/पढ कर अच्छा लगा। दवाइयॉं तो अपना काम करेंगी ही किन्तु लिख्ाना भी आपको जल्दी स्वस्थ करने में सहायक होगा।
ReplyDeleteअपना पूरा ध्यान रखिएगा और खुद को सुरक्षित रखते हुए जितना लिख सकें, अवश्य लिखिएगा।
हार्दिक शुभ-कामनाऍं।
इस उम्र की गुंडई की तो शोभा बरनी न जाई टाइप्स बात होती है.
ReplyDeleteनत्तू से भेंट हर स्तर पर संजीवनी है। संजीवनी भी - 'उपसर्ग' की भाँति ही 'कहीं और' ले जाती है - मन को, तन को, विचारों को - और दूर करती है - सायास - विकारों को।
ReplyDeleteयह गुण्डई भी राह की हर बाधा को हटा देने का संकल्प है, जो किसी भी स्तर पर अपने अनुकूल न हो।
स्तरीय गुण्डई है यानी स्तरीय संजीवनी है।
आप के लेखन से स्वैच्छिक विमुखता अपनाई थी - कि आप का कम से कम उतना ही श्रम बचा रहे जो संजीवनी को और कारगर बनाए। अब ये लगने लगा है कि भले ही दवा चलती रहे - पर आप शीघ्र ही स्वस्थ हो कर भेंटाएँगे। इस जैसी बीमारियों में ढाई से तीन साल तक नियमित औषधि-नियम से पूर्ण लाभ होते देखा है अमूमन। पहले चार से छ्ह माह अधिक सावधानी रखनी होती है यह भी सुना है।
यानी बाक़ी सब ख़ैरियत है।
आप के कार्यालय में स्वागत को उत्सुक जनों की पाँत में शामिल हैं हम भी।
hamare taraf ek kahavat hai, "jaisa baap vaisa beta". mera ishara samajh gaye honge aap. bachche ko ashish.
ReplyDeleteनत्तू गुरु बनारसी गुंडई कहाँ से सिखने लगे !
ReplyDeleteखैर गंगा तो दोनों जगह बहती है !
मन टनाटन है , यह जीवन की संजीवनी शक्ति है !
nattuji se milkar bahut achha lga .
ReplyDeleteइस गुण्डई पर बलिहारी जाएं...
ReplyDeleteआपका लिखा देख/पढ कर अच्छा लगा। दवाइयॉं तो अपना काम करेंगी ही किन्तु लिख्ाना भी आपको जल्दी स्वस्थ करने में सहायक होगा।
ReplyDeleteअपना पूरा ध्यान रखिएगा और खुद को सुरक्षित रखते हुए जितना लिख सकें, अवश्य लिखिएगा।
हार्दिक शुभ-कामनाऍं।
आज का जो समय है,इसमें बच्चे चाहे जिस क्षेत्र में हों,उन्हें उसमे ९८% से अधिक ही लाने पड़ते हैं,तभी जाकर जगह मिलती है उन्हें....गुंडागर्दी भी ९८% से अधिक के मेरिट में रहने पर ही सफलता मिलेगी...मिडियोकर के लिए कहाँ है कहीं भी जगह...
ReplyDeleteनन्हे मुन्ने गुंडे न हों तो भोंदू कहलाते हैं,इसलिए मन भर आनद लेना चाहिए इस गुंडागर्दी का...
यह शरीर ही तो किसी भी कर्म को निष्पादित करने का आधार बनता है...यदि यह आराम मांग रहा है, तो बस दे दीजिये....
शीघ्र स्वस्थ लाभ करें आप,यही कामना है...
आत्मीयता से भरा पोस्ट।
ReplyDeleteशीघ्र स्वस्थ हों ईश्वर से कामना है।
नत्तू पांडे जी को आशीष।
अरे क्या बोलते हो बॉस, एक तो आपकी पहली गलती ये है कि इत्त्ते दिनों बाद नत्तू
ReplyDeleteपांड़े जी से मिलवा रहे हो। दूसरी बात ये कि हेडिंग पढ़कर न जाने क्यों मुझे वह बात याद
आ गई जिसके कारण बलिया बागी बलिया कहलाने लगा।
खैर, बाकी देखें तो नत्तू जी थोड़े और स्वस्थ हुए हैं पहले से। बाकी उनकी नानी से असहमत होने की हिम्मत तो दूर
ख्याल भी नहीं है। ;)
चूंकि आपने हेडिंग में गुण्डा लिखा है तो जो पढ़ चुके हैं उन्हें प्रसाद जी की कहानी गुण्डा याद आनी ही है। जैसा कि अरविंद जी ने लिखा।
बाकी आप तो चौकस रहें एक्दम्। बस ड्राफ्ट में सहेजे पोस्ट को पब्लिश करने भर का कष्ट उठाएं, टाइप करने का नहीं।
वैसे सच कहूं तो आज नत्तू पांडे जी वाली ये पोस्ट पढ़कर मुझे बहुत सी बातें याद आई।
मेरा सबसे दुलारा भतीजा, चौथे नंबर का। कल ही कोलकाता रवाना हुआ अपने पहले जॉब के लिए।, छोड़िए, लिखता हूं ब्लॉग पर ये सब।
भारत जब गुण्डई करने की स्थिति में होगा तब नत्तू पाण्डे जी की यह ट्रेनिंग काम आयेगी । हमारा तो पूरा बचपन जिस गुण्डत्व की परिभाषायें सीखने में निकला, हमारे ही ऊपर उसका प्रयोग परिवार के स्तर पर बच्चे, देश के स्तर पर नेता और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका करता रहता है । अब तो नत्तू पाड़े को ही हमारा भी बदला लेने का ठेका लेना पड़ेगा ।
ReplyDeleteलेखन में सृजनात्मक औषधि है । सृजन से आत्मा बल पाती है, आत्मा से मन और मन से शरीर । हम तो कहेंगे कि इस औषधि का ओवरडोज़ लिया जाये ।
सप्ताह भर के लिये,
मैं और मेरी दवाईयाँ(तनहाईयाँ)
और
प्रकृति यहाँ एकान्त बैठ निज रूप सँवारति
के भावों में सन्निहित कुछ भाव निकालिये ।
आज तो हमने नत्तू पाण्डेय का स्टिंग ऑपरेशन भी देख लिया, कविता भी पढ़ ली और उनका वासंती परिधान भी देख लिया... बड़े गोल-मटोल हैं नत्तू पाण्डेय... गुंडई करके छका न दे तो भला कैसा पाण्डेय ? मेरी दीदी का बेटा भी ऐसा ही गुंडा है... साल भर की उम्र से दीदी को हलकान कर रख है, अब तो चार साल का हो गया है. अब भी गुंडई कम नहीं हुई. उसका तो नाम ही हमने गुंडा रख दिया है... वो तो बनारस का है भी नहीं, पर गुंडई कूट-कूटकर भरी है...
ReplyDeleteआपने लिखा है कि मन टनाटन है, और जब मन टनाटन हो, तो शरीर को खुद ही रास्ते पर ले आता है. आप पोस्ट लिखना भले ही कम कर दीजिए, पर एकदम से बंद मत कीजियेगा... आपका रहना आश्वस्त करता है... जाने क्यों?
लेखनी मेरे तन को छू गई , चलो स्नान करना पड़ेगा ।
ReplyDeleteनत्तू पाण्डे की यह मनोहर छवि अच्छी लगी, आप अगर होमिओपैथी में रूचि लेना चाहते हों तो मैं कुछ मदद करूँ, इससे समय के साथ ढेर सारी दवाओं से निजात मिलेगी ...आराम तो मिलेगा ही !
ReplyDeleteसादर
नत्तु पांडे अपनी गुंडई के साथ दूर तक सफ़र करेंगे ...
ReplyDeleteस्वास्थय का पूरा खयाल रखें ...
और मन टनाटन हो तो सब ठीक है ...!!
नत्तूगिरी ऎसे ही हमेशा चालू रहे... :) नत्तू गुरू को ढेर सारा प्यार..
ReplyDelete"दवाओं की अधिकता से अपना संतुलन खोये शरीर को शायद यह पॉज चाहिये। मन को तो मैं पाता हूं, टनाटन है!"
शरीर भी एकदम टनाटन हो जायेगा। इस पॉज के खत्म होने का इन्तजार रहेगा॥
गेट वेल सून...