Monday, April 30, 2007

बाबूभाई कटारा की तरफदारी (?) में एक पोस्ट

मुझे भाजपा और कटारा पर तरस आ रहा है. जब मैं रतलाम में था तो झाबुआ-पंचमहल-दाहोद कांग्रेस के गढ़ हुआ करते थे. मैं आदिवासियों से पूछ्ता था कि देश का प्रधानमंत्री कौन है? तब या तो वे सवाल समझ नहीं पाते थे, या वेस्ता पटेल, कंतिलाल भूरिया अथवा सोमाजी डामोर जैसे स्थानीय कांग्रेसी का नाम लेते थे. उन गरीबों के लिये दुनियां में सबसे बड़े वही थे.

फिर आर.एस.एस.वालों ने वनवासी विकास संघ जैसे प्लेटफार्म से आदिवासियों में पैठ बनाई. मिशनरियों का वर्चस्व कुछ सिमटा. उस क्षेत्र से भाजपा जीतने लगी चाहे मध्यप्रदेश हो या गुजरात.

और अब कटारा ने लोढ़ दिया है! बेचारे आर.एस.एस. के कमिटेड वर्कर मुंह पिटा रहे होंगे. कटारा परमजीत कौर को ले जा रहे थे; सो तो ठीक; शिलाजीत(? - देसी वियाग्रा) काहे को ले जा रहे थे जब पत्नी साथ नहीं जा रही थी? पैसे के लिये भ्रष्ट आचरण तो खास बात नहीं है वह तो चलता है! पकड़े गये, वही गड़बड़ हो गया. पर खांटी दैहिक वासना का भ्रष्टाचार यह अति हो गयी.

मुझमें यह वक्र सोच क्यों है, यह मैं नहीं जानता. जनता कबूतरबाजी-कबूतरबाजी की रट लगाये है और मुझे खोट देसी वियाग्रा में नजर आ रहा है.

एक बाबू रिश्वत ले कर मकान बना लेता है, बच्चों को डाक्टरी/इंजीनियरी पढ़ा देता है. लड़की की ठीक से शादी कर देता है, सुबह शाम मन्दिर हो आता है, सुन्दर काण्ड का पाठ और भागवत श्रवण कर लेता है. यह मानक व्यवहार में फिट हो जाता है.

पर अगर वह पैसा पीटता है, दारू-मुर्गा उड़ाता है, रेड़ लाइट एरिया के चक्कर लगाता है, इधर-उधर मुंह मारता है; तब गड़बड़ है. कटारा देसी वियाग्रा के कारण दूसरे ब्रैकेट में लग रहे हैं. आगे क्या निकलेगा, भगवान जाने.

कैश और क्वैरी या कबूतरबाजी छोटा गुनाह है. उसपर तो सांसद निकाल बाहर किये गये. बड़ा गुनाह है माफियागिरी, औरत को मार कर जला देना, आई.एस.आई. से सांठ-गांठ, मधुमिता शुक्ला जैसे मर्डर, पोलिटिकल दबंगई के बल पर देह/असलाह/नशा आदि के व्यापार चलाना. ऐसे गुनाह करने वाले ज्यादातर छुट्टा घूम रहे हैं. उनकी नेतागिरी बरकरार है या चमक रही है.

ब्लॉगर भाई तलवारें तान सकते हैं. कह सकते हैं कि सरकारी नौकर है, रिश्वत को जस्टीफाई (?) कर रहा है. जरूर चक्कर है. पर ब्लॉगरी का मायने ही यह है कि (मर्यादा में रहते हुये) जो जंचे, लिखा जाये.

7 comments:

  1. बहुत सही ,हम तो आपके समर्थन मे है जिसे रिशवत नही मिलती वही इमानदार है मजबूरी है क्या करे

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  2. Pichhle kai saalon se apne desh mein do sambodhan khoob janchte hain.Ek hai 'Babu' aur doosra hai 'Bhai'.Lekin us 'insaan' ke rutbe ka andaaza lagaeeye jise Babu Bhai kaha jaata ho.

    Aadiwaasiyon ke 'neta' hain.Jadi bootiyon ki achchhi jaankari rakhte honge.Inhi jadi bootiyon se Shilajeet banta hai.Aur ye jadi bootiyaan unke ilaake mein bhaari maatra mein paaee jaate hongi.Kal ko agar ye sunane ko mile ki woh Shilajeet ko videsh mein promote karna chaahte the, to koi ashcharya ki baat nahin.

    Jahan CBI ek businessmen ko chhorkar uske naukar ko fansa deti hai, wahi CBI agar Katara ji ke PA ke ooper saara dosh daal de to koi ashcharya ki baat nahin hogi.....Lekin maamla thoda mushkil lagta hai.BJP ki sarkaar nahin hai.

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  3. भईया, मेरे हिसाब से तो साहेब.. अरे अपने कटारा साहेब.. को कोई धाँसु अवार्ड देना चाहिये.. कोई पद्म विभुषण वगैरह... अरे साहब ने वो कर दिखाया जो सरकार इतने सालों मे न कर सकी.. आप जनसंख्या बढने से तो रोक नहीं सकते.. कटारा जी ने आपको नया formula दिया है.. लोगो को बाहर भेज दो.. एक दर्जन तो वो खुद ही छोड आये...

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  4. आप भी अब लोक प्रिय हो रहे है। बधाई :)

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  5. Leejiye Bhaiya, 'aap bhi lokapriya ho rahe hain'.....

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  6. अरे आप तो कटारा की पीछे ही पड़ गए।
    वे तो बेचारे विदेशों मे शिलाजीत का पेटेन्ट करवाने जा रहे थे। परमजीत कौर तो सिर्फ़ एक माडल थी। आप भी ना बेकार मे इन जनसेवको(@#$%^) के पीछे हाथ धोकर पड़ गए है।

    अब लोग बेकार मे कबूतरबाजी कबूतरबाजी करने लगे है। काहे की कबूतरबाजी भाई, इत्ते एमपी और एमएलए जब साथ मे आइटम ले जाते है, तब नही होती कबूतर बाजी, एक बेचारा गरीब निरीह (आदिवासी) नेता, वाएग्रा के टक्कर में, देसी शिलाजीत का प्रचार करने और लाइव डिमोन्सट्रेशन करने जा रहा है लोग चिल्ला रहे है। बहुत गलत बात है भई...

    इनको तो भारत रत्न मिलना चाहिए.. निर्यात की नयी सम्भावनाए तलाशने के लिए।

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  7. बेचारे कटारा जी पर सब कटार चला रहे हैं ।
    घुघूती बासूती

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय