Tuesday, April 20, 2010

महानता के मानक

यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की अतिथि पोस्ट है। प्रवीण बेंगळुरू रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक हैं। प्रवीण इस विषय पर दो और पोस्टें प्रस्तुत करेंगे -एक एक दिन के अंतराल पर।
विषय यदि एब्स्ट्रैक्ट हो तो चिन्तन प्रक्रिया में दिमाग का फिचकुर निकल आता है। महानता भी उसी श्रेणी में आता है। सदियों से लोग इसमें जूझ रहे हैं। थोड़ी इन्ट्रॉपी हम भी बढ़ा दिये। बिना निष्कर्ष के ओपेन सर्किट छोड़ रहे हैं। सम्हालिये।
सादर, प्रवीण|
महानता एक ऐसा विषय है जिस पर जब भी कोई पुस्तक मिली, पढ़ डाली। अभी तक पर कोई सुनिश्चित अवधारणा नहीं बन पायी है। इण्टरनेट पर सर्च ठोंकिये तो सूचना का पहाड़ आप पर भरभरा कर गिर पड़ेगा और झाड़ते-फूँकते बाहर आने में दो-तीन दिन लग जायेंगे। निष्कर्ष कुछ नहीं।
तीन प्रश्न हैं। कौन महान हैं, क्यों महान हैं और कैसे महान बने? पूर्ण उत्तर तो मुझे भी नहीं मिले हैं पर विचारों की गुत्थियाँ आप के सम्मुख सरका रहा हूँ।


कैसे महान बने - लगन, परिश्रम, दृढ़शक्ति, ........ और अवसर। एक लंबी कतार है व्यक्तित्वों की जो महानता के मुहाने पर खड़े हैं इस प्रतीक्षा में कब वह अवसर प्रस्तुत होगा।

क्यों महान हैं - कुछ ऐसा कार्य किया जो अन्य नहीं कर सके और वह महत्वपूर्ण था। किसकी दृष्टि में महत्वपूर्ण और कितना? "लिम्का बुक" और "गिनीज़ बुक" में तो ऐसे कई व्यक्तित्वों की भरमार है।

कौन महान है - इस विषय पर सदैव ही लोकतन्त्र हावी रहा। सबके अपने महान पुरुषों की सूची है। सुविधानुसार उन्हें बाँट दिया गया है या भुला दिया गया है। यह पहले राजाओं का विशेषाधिकार था जो प्रजा ने हथिया लिया है।
पता करना चाहा कि इस समय महानता की पायदान में कौन कौन ऊपर चल रहा है बिनाका गीत माला की तरह। कुछ के नाम पाठ्यक्रमों में हैं, कुछ के आत्मकथाओं में, कुछ के नाम अवकाश घोषित हैं, कुछ की मूर्तियाँ सजी है बीथियों पर, अन्य के नाम आप को पार्कों, पुलों और रास्तों के नामों से पता लग जायेंगे। लीजिये एक सूची तैयार हो गयी महान लोगों की।

क्या यही महानता के मानक हैं?

विकिपेडिया पर उपलब्ध पाराशर ऋषि/मुनि का इन्दोनेशियाई चित्र। पाराशर वैषम्पायन व्यास के पिता थे।

Parasara-kl
पराशर मुनि के अनुसार 6 गुण ऐसे हैं जो औरों को अपनी ओर खीँचते हैं। यह हैं:
सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग


इन गुणों में एक आकर्षण क्षमता होती है। जब खिंचते हैं तो प्रभावित होते हैं। जब प्रभाव भावनात्मक हो जाता है तो महान बना कर पूजने लगते हैं। सबके अन्दर इन गुणों को अधिकाधिक समेटने की चाह रहती है अर्थात हम सबमें महान बनने के बीज विद्यमान हैं। इसी होड़ में संसार चक्र चल रहा है।

पराशर मुनि भगवान को परिभाषित भी इन 6 आकर्षणों की पूर्णता से करते हैं। कृष्ण नाम (कृष् धातु) में यही पूर्णता विद्यमान है। तो हम सब महान बनने की होड़ में किसकी ओर भाग रहे हैं?

महानता के विषय में मेरा करंट सदैव शार्ट सर्किट होकर कृष्ण पर अर्थिंग ले लेता है।

और आपका?

यह पोस्ट मेरी हलचल नामक ब्लॉग पर भी उपलब्ध है।

31 comments:

  1. आजकल तो महानता का पैमाना ही अलग हो गया | सरकारें उसी महापुरुष को महान मानती है जिनके नाम पर वोट मिल जाये | अब देखिये न आजकल गाँधी जी राजनेताओं के लिए अप्रासंगिक और आम्बेडकर प्रासंगिक हो गए |

    @ सबके अपने महान पुरुषों की सूची है। सुविधानुसार उन्हें बाँट दिया गया है या भुला दिया गया है

    आपकी इस बात से 100% सहमत

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  2. और तो नहीं पता लेकिन ऋषि पराशर के सौंदर्य बोध की जानकारी तो शास्त्रों में मिलती ही है.

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  3. महानता पर सुंदर निबंध।
    बचपन में जब कहानी पढ़ा करता था- सिकंदर दी ग्रेट, अशोका दी ग्रेट- तो लगता था कि‍ दी ग्रेट कुछ लोगों का सरनेम है।

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  4. पराशर मुनि की बात को तो खैर कौन काट सकता है मगर यह इण्डोनेशियाई चित्रकला भी क्या गज़ब की चीज़ है!

    अगली कड़ियों के इंतज़ार में बैठे हैं.

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  5. महानता के मापदंड बदल गए हैं आजकल ..मगर फिर भी ...याद करने की कोशिश करते हैं की किसको महान साबित किया जा सकता है ...!!

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  6. "सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग" आपने मजबूर कर दिया अपना आकलन करने के लिए ! कोशिश करता हूँ ..
    संपत्ति - १० में ३ नंबर
    शक्ति - १० में ५ नंबर
    यश - डरते डरते १० में ७ नंबर दे रहा हूँ ...भरोसा ही नहीं है कोई सामने तो बुराई नहीं करता
    सौंदर्य - कद छोटा है अतः ५ नंबर घटा दूं तो ५ मान सकते हैं
    ज्ञान - १० में से ६ से अधिक नहीं हो सकते काश मेरा नाम भी ज्ञान होता
    त्याग - यहाँ १० दिए जा सकते हैं अधिक देने को कुछ बचता ही नहीं

    सो कुल नंबर ३६ मिले ६० में से ! अब बताओ मास्साब आपका क्या आकलन है ! उत्सुकता है उम्मीद है ज्ञान भाई भी मदद करेंगे !

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  7. समझने का प्रयास कर रहे हैं

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  8. @ Ratan Singh Shekhawat
    न केवल बाँट दिया है वरन उनकी रेटिंग भी कर दी है ।
    @ Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
    कदाचित हमारे पास कोई चित्र ही न बचा हो पाराशर मुनि का । इण्डोनेशिया वाले बचाकर रखे तो हैं ।
    @ वाणी गीत
    मीडिया तो किसी को भी महान साबित कर सकता है । हम और आप जिससे अभी भी कुछ सीखने की प्रेरणा लेते हैं, वे महान बने रहेंगे ।
    @ सतीश सक्सेना
    जो अपना आकलन कर सकें, उन्हें मैं संस्तुति करूँगा ज्ञानदत्त जी से कि अतिरिक्त 20 अंक और दिये जायें ।
    @ डॉ महेश सिन्हा
    हम भी अभी तक समझने का ही प्रयास कर रहे हैं, महानता को ।

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  9. बहुत बढ़िया पोस्ट.

    कुछ कहना चाहूँगा. पहली बात यह कि अच्छा यही होगा कि लोग खुद को महान घोषित कर लें. दूसरों पर भरोसा करने का ज़माना नहीं रहा अब. दूसरी यह कि संपत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग में दो गुण और जोड़ दिए जाने चाहिए. सेकुलरता और मूर्खता. मुनि पराशर का इण्डोनेशियाई चित्र अद्भुत है.

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  10. आज कल के महान की बात हो रही है, तो महान वो जो दुसरे को टोपी पहना दे....
    जेसे आज के नेता, एक से एक महान.... माला अरबो की पहनते है माला पहनाने वाली बेचारी भूखी जनता.... कोई पुछने वाला नही जिस जनता के पास खाने को नही वो तुम्हे अरबो की माला कहां से पहना रही है, तो कोन महान पागल जनता या यह नेता???

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  11. महान लोगों मतलब ऐसे लोग जिनको महत्वपूर्ण समझा जाये। इसके बारे में कोई अंग्रेजी के कवि (शायद टी.एस.इलियट)कहिन हैं: Half of the harm in the world is done by the persons who think that they are important (मतलब दुनिया में आधी गड़बड़ी तो महत्वपूर्ण/महान लोगों के चलते हुयी है)

    बाकी आपको अगर हा हा ,ही ही वाले रूट से महान बनने का जुगाड़ सस्ता जुगाड़ चाहिये तो देखिये हम बहुत पहले बता चुके हैं महान बनने का सस्ता/सुलभ उपाय- काम छोड़ो-महान बनो

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  12. महानता चिंतन तो महनीय लोग करते हैं -वो कहते हैं न की बर्ड्स आफ सेम फेदर फ्लाक टूगेदर ....
    आपके कुछ लक्षण दिख ही रहे हैं !

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  13. 'मेरी हलचल' और 'मानसिक हलचल' - दोनों को साइड-बाई-साइड देख रहा हूँ.
    यहाँ आपने सिंगल कॉलम साइडबार लगाया है. 'मेरी हलचल' को एक बार मिस्टीलुक थीम में प्रीव्यू लेकर देखें, मुझे लगता है वह थीम उसपर खूब फबेगी.
    'मेरी हलचल' के मुकाबले 'मानसिक हलचल' में परस्पर संवादात्मक ब्लौगिंग का स्कोप नहीं दीखता. जब आपने लगाया था तब बहुतेरे (मैंने भी) उसका विरोध किया था, लेकिन वह वर्डप्रेस में स्वतः उपलब्ध है और डिस्कस से बेहतर प्रतीत होता है. अब तो उसी ब्लौग पर पहले जायेंगे.

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  14. @ Shiv
    स्वयं महानता के मानक बना कर जीना ही श्रेष्ठ । औरों की बनायें पिंजरे में तो छटपटा जायेंगे । पता नहीं मरने के बाद कौन सी पॉलिटिकल पार्टी आपको आईकॉन बनाकर पूजने लगे ।
    सेकुलरता और मूर्खता बहुत आवश्यक हैं अन्यथा महानता की दौड़ प्रारम्भ होने के पहले फाउल करार दिये जायेंगे ।
    @ राज भाटिय़ा
    आप महान और हमें भी करने दो अपना काम । मेज के अन्दर वाली खुल्लमखुल्ला हो गयी है । भविष्य या तो हमें भुला देगा या पेट भर कर गालियाँ देगा ।
    @ अनूप शुक्ल
    इन इम्पॉर्टेन्समना जीवों को लॉलीपॉप देकर आवश्यकता से पहले न बोलने को कहा जाये ।
    सच में, आगे आने वाली पीढ़ियों को महान बनने के अवसर देने में उपकार छिपा है जो सबसे श्रेष्ठ है ।

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  15. वही महान है जिसका पी.आर.[पब्लिक रिलेशन]स्टाफ़ अच्छा है ।
    पत्नी के कहने पर सोने के म्रग के पीछे दौडने वाला भी पी.आर.की वजह से मर्यादा पुरोषत्तम हो सकता है।
    कई बार छल से अपना कार्य निकलवाने वाला पी आर की वजह से ही योगेश्वर हो सकता है
    चौरा चौरी के बाद अपना आन्दोलन समाप्त करने वाला ,देशभक्तो की फ़ासी पर चुप रहने वाला पी आर की वजह से ही बापु हो सकता है

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  16. चलिए इस समझने के प्रयास में हम भी जुड़ जाते हैं

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  17. महानता के लिए सबके अपने-अपने पैमाने हैं किन्‍तु मान वही जो स्‍वयम् को महान न माने।

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  18. @ Arvind Mishra
    महानता यह जानने के लिये पढ़ी कि जब इतिहास की उलट पुलट चल रही थी तब ये महानमना व्यक्तित्व हाइबरनेशन में क्यों चले गये थे । पुस्तकों की रुचि में पढ़ डाली इतनी महानता । :)

    @ निशांत मिश्र - Nishant Mishra
    मेरा भी वोट । टिप्पणी पर टिप्पणी बनती है । इसलिये प्रयास कर सब पर प्रतिटिप्पणी दे रहा हूँ, यहाँ भी, वहाँ भी । निर्णय में आसानी रहेगी ।

    @ dhiru singh {धीरू सिंह}
    कई लोग आज पूरी कि पूरी कम्पनी के लगाये हुये हैं पी आर सुधारने में पर जनता ही घाघ हो गयी है । किसी को उठने ही नहीं देती । अब कोई कितना खर्च करे ।

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  19. @ P.N. Subramanian
    विचार मन्थन से कुछ अमृत निकले तो हमें भी चखाईयेगा ।

    @ विष्णु बैरागी
    स्वयं को महान माना और लुढ़क पड़े ऊपर से ।

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  20. आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है. आशा है हमारे चर्चा स्तम्भ से आपका हौसला बढेगा.

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  21. aapne to mahan shabd ka pura vishl eshhan hi kar diya hai.vastav me bah ut se aise prashn hai jiski gaharai me jate jate insaan thak jaata hai fir antatah jhunjhala kar chhod deta hai kyon ki sachchai ki tah tak vo nahi pahunch paata hai.aapitane dil chasp prashno ko uthate hai ki manbina pura padhe rahi nahi paata hai.
    poonam

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  22. अब कौन महान, क्योंकर महान यह सब क्यों सोचना? जिसे लोग कहें महान हम भी कह देते हैं। जिसके पीछे सब चल पड़ें हम भी चल पड़ते हैं। अब खुद महान बनने के लिए भी तो थोड़ा मस्तिष्क बचाकर रखना है ना!
    घुघूती बासूती

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  23. पराशर मुनि के अनुसार 6 गुण ऐसे हैं जो औरों को अपनी ओर खीँचते हैं। यह हैं:
    सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग

    आजकल तो बस संपत्ति और शक्ति वाले ही महान है। :)

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  24. कृष्ण महान हैं इस बात पर मेरी शत प्रतिशत मंजूरी है...हालाँकि आपने मांगी नहीं लेकिन फिर भी मैंने दी है...कृष्ण अकेले ऐसे महान अवतार हुए हैं जो ज़िन्दगी को भरपूर जीना सिखाते हैं...एक ही रास्ते पर नहीं ले जाते हमें कई रास्ते दिखाते हैं मंजिल तक पहुँचने के...एक ही रस में लिप्त होने को नहीं कहते बल्कि अनेक रसों का पण करने को कहते हैं..,वो ही एक ऐसे हैं जो अपने जिन हाथों से बांसुरी बजा कर सबको हर्षाते हैं उन्हीं हाथों
    चक्र चला कर वध भी करते हैं...

    ओशो को आपने पढ़ा है या नहीं पता नहीं लेकिन उनकी एक पुस्तक है " कृष्ण स्मृति" जिसमें उनके कृष्ण पर दिए प्रवचन हैं...ओशो की विचारधारा से आप सहमत हों ना हों लेकिन उनकी कृष्ण के बारे में कही बातों से जरूर प्रभावित होंगे..देखिये उन्होंने कृष्ण शब्द के कितने ही मायने बताये हैं, मैं उसी पुस्तक का एक पैर आपको पढवाता हूँ...

    "कृष्ण शब्द का अर्थ होता है, केंद्र। कृष्ण शब्द का अर्थ होता है, जो आकृष्ट करे, जो आकर्षित करे; सेंटर ऑफ ग्रेविटेशन, कशिश का केंद्र। कृष्ण शब्द का अर्थ होता है जिस पर सारी चीजें खिंचती हों। जो केंद्रीय चुंबक का काम करे। प्रत्येक व्यक्ति का जन्म एक अर्थ में कृष्ण का जन्म है, क्योंकि हमारे भीतर जो आत्मा है, वह कशिश का केंद्र है। वह सेंटर ऑफ ग्रेविटेशन है जिस पर सब चीजें खिँचती हैं और आकृष्ट होती हैं। "

    नीरज

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  25. अरे, आपने सुना नही मेरा भारत महान.....................

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  26. @ JHAROKHA
    सच्चाई का आनन्द जो जानता है उसे कष्टों पर भी प्रसन्न रहना आता है । ऐसे लोगों को हम सामाजिक दृष्टि से कभी कभी मूढ़ समझ लेते हैं ।

    @ Mired Mirage
    पर अपना मस्तिष्क बचा कर रख पाने में कितना प्रयत्न करना पड़ता है ? :)

    @ mamta
    अभी हैं पर संभवतः भविष्य उनके लिये दूसरा ठिकाना सोच के बैठा है ।

    @ नीरज गोस्वामी
    बात सुन्दर है । पुस्तक पढ़ने का प्रयास करता हूँ ।

    @ Mrs. Asha Joglekar
    जब आपका भारत महान हो जायेगा, अपने भारत को वहाँ कुछ सीखने भेजूँगा । :)

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  27. @ Shiv
    स्वयं महानता के मानक बना कर जीना ही श्रेष्ठ । औरों की बनायें पिंजरे में तो छटपटा जायेंगे । पता नहीं मरने के बाद कौन सी पॉलिटिकल पार्टी आपको आईकॉन बनाकर पूजने लगे ।
    सेकुलरता और मूर्खता बहुत आवश्यक हैं अन्यथा महानता की दौड़ प्रारम्भ होने के पहले फाउल करार दिये जायेंगे ।
    @ राज भाटिय़ा
    आप महान और हमें भी करने दो अपना काम । मेज के अन्दर वाली खुल्लमखुल्ला हो गयी है । भविष्य या तो हमें भुला देगा या पेट भर कर गालियाँ देगा ।
    @ अनूप शुक्ल
    इन इम्पॉर्टेन्समना जीवों को लॉलीपॉप देकर आवश्यकता से पहले न बोलने को कहा जाये ।
    सच में, आगे आने वाली पीढ़ियों को महान बनने के अवसर देने में उपकार छिपा है जो सबसे श्रेष्ठ है ।

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  28. महान लोगों मतलब ऐसे लोग जिनको महत्वपूर्ण समझा जाये। इसके बारे में कोई अंग्रेजी के कवि (शायद टी.एस.इलियट)कहिन हैं: Half of the harm in the world is done by the persons who think that they are important (मतलब दुनिया में आधी गड़बड़ी तो महत्वपूर्ण/महान लोगों के चलते हुयी है)

    बाकी आपको अगर हा हा ,ही ही वाले रूट से महान बनने का जुगाड़ सस्ता जुगाड़ चाहिये तो देखिये हम बहुत पहले बता चुके हैं महान बनने का सस्ता/सुलभ उपाय- काम छोड़ो-महान बनो

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  29. बहुत बढ़िया पोस्ट.

    कुछ कहना चाहूँगा. पहली बात यह कि अच्छा यही होगा कि लोग खुद को महान घोषित कर लें. दूसरों पर भरोसा करने का ज़माना नहीं रहा अब. दूसरी यह कि संपत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग में दो गुण और जोड़ दिए जाने चाहिए. सेकुलरता और मूर्खता. मुनि पराशर का इण्डोनेशियाई चित्र अद्भुत है.

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  30. आजकल तो महानता का पैमाना ही अलग हो गया | सरकारें उसी महापुरुष को महान मानती है जिनके नाम पर वोट मिल जाये | अब देखिये न आजकल गाँधी जी राजनेताओं के लिए अप्रासंगिक और आम्बेडकर प्रासंगिक हो गए |

    @ सबके अपने महान पुरुषों की सूची है। सुविधानुसार उन्हें बाँट दिया गया है या भुला दिया गया है

    आपकी इस बात से 100% सहमत

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आपको टिप्पणी करने के लिये अग्रिम धन्यवाद|

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय