Thursday, January 28, 2010

चिठ्ठाचर्चा

चिठ्ठाचर्चा

चिठ्ठीचर्चा

न्यू चिठ्ठाचर्चा

बेस्ट चिठ्ठाचर्चा

असली चिठ्ठाचर्चा

चिठ्ठाचर्चा डॉट फलाना : असली और मोस्ट हाइटेक! उत्कृष्टता की एक मात्र दावेदार दुकान!!

:-) :-(


 

54 comments:

  1. हम भी यही सोच रहे थे आज ।

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  2. ओम जय चिट्ठाचर्चा...
    स्वामी जय चिट्ठाचर्चा....

    तुम हो एक अखाड़ा
    दंगल खूब रचे...
    स्वामी दंगल खूब रचे..
    तुझसे जिक्र में अक्सर
    कितने नाम बचे...
    स्वामी कितने नाम बचे!!!

    तुझसे पंगा लेने
    ब्लॉगर है डरता..
    ओम जय चिट्ठाचर्चा...
    स्वामी जय चिट्ठाचर्चा....

    तुम पर सबकी नजरें
    तुम ही रास रचो..
    स्वामी तुम ही रास रचो
    मैं तो बचा हूँ स्वामी
    तुम भी आज बचो...


    तुझ पर कितने दावे
    हर कोई है करता...

    ओम जय चिट्ठाचर्चा...
    स्वामी जय चिट्ठाचर्चा....


    -आदेश होगा तो आगे बढ़ाया जाये और गाकर पॉडकास्ट करुँ. आवाज तो अच्छी है ही..आप तो जानते ही हैं..खैर, आप तो और भी बहुत कुछ जानते हैं. :)

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  3. वाह सर जी ,क्या खूब ज्वलंत मुद्दे पर लेखनी फिराई है .......काश आपका यह इशारा उन लोंगों की समझ में आ जाये???????

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  4. बोलो चिट्ठा चर्चा की जय बोलो चर्चा करने वालो की जय और साथ ही चिट्ठा लिखने वालो की जय

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  5. ज्ञानदत्‍त जी तेताला चर्चा को काहे भूल गये
    आपको भी निमंत्रण भिजवा देते हैं
    इसमें चर्चा करने का
    और बिल्‍कुल ऐसी भी कर सकते हैं
    जिसमें कर दी जाए
    ऐसी की तैसी
    न वैसी
    न जैसी
    सिर्फ ऐसी की तैसी
    तो अपना ई मेल
    मेरे ई मेल पर
    फौरन भजें
    avinashvachaspati@gmail.com
    आपके स्‍नेह सान्निध्‍य ई मेल का
    रहेगा इंतजार
    पर भेज दीजिएगा
    सदा इंतजार ही न बना रहे।

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  6. हा हा हा क्या तीर चलाया है निशाने पर बैठेगा?????????????

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  7. ताबूत में आखिरी कील?
    लगता है अब अपनी चर्चा को गाड़ना ही पड़ेगा :)

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  8. बढ़िया मजाक उड़ाया है झंडेवालों का ! और बेहतर होता कि थोडा और लिखते ..!

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  9. आदरणीय ज्ञान दत्त जी !
    आपके ब्लॉग पर मेरे जैसा अदना सा ब्लोगर शायद यह पहली टिपण्णी दे रहा है !

    नि:संदेह आप बहुत ही उत्कृष्ट लिखते है, इसलिए मैं तो आपके ब्लॉग पर टिपण्णी देने से भी डरता हूँ ! शायद आज भी नहीं देता, लेकिन चूँकि यह तमाम ब्लोगरो से जुडा मसला है, इसलिए दो शब्द कहना चाहता हूँ ! हर इंसान की अपनी-अपनी विशेषताए होती है, कोई बहुत ही उम्दा और साहित्यिक लिखना जानता है, कोई मार्मिक लिखना जानता है कोई रचनात्मक लिखना जानता है और इसलिए वह ब्लॉग का इस्तेमाल कर उसे लिखता है, लेकिन एक वर्ग ऐसा भी होता है जो खुद इन विशेषताओं को तो नहीं रखता, मगर उसे लिखने का शौक है ! और वह किसी तरह लेखन से जुड़े रहकर अपने इस शौक को पूरा करता है ! वह दूसरो के लिखे को पढता है, और उसे कहीं संगृहीत करता है चिट्ठा चर्चा अथवा किसी और नाम से !
    ज्यादा लंबा न खींचकर संक्षेप में कहूंगा कि मान लीजिये मेरे दस मित्र ब्लोगर है जो काफी उम्दा लिखते है और मुझे लिखना नहीं आता लेकिन मैं उनके लेखो को पढ़कर उन्हें एक चर्चा कह लीजिये या फिर मन की तस्सली कह लीजिये, मगर एक जगह कुछ ख़ास उसमे से संगृहीत करता हूँ चिठ्ठा चर्चा के माध्यम से !

    तो मैं यह समझ पाने में असमर्थ हूँ कि अगर मैं ऐसा कर रहा हूँ तो इसमें किसी को क्या दिक्कत ? कोई अगर अच्छा लेखक, कवि या रचनाकार होगा और उसके लेख या रचना को यदि उस चर्चा में जगह न मिल रही हो तो उसके लिए चिठाचर्चाकार वाध्य तो नहीं है ? हमारी जो विशेषताए है वो हमारे पास है उसे कोई छीन तो नहीं रहा ? मैंने यह सवाल अपनी अक्ल के हिसाब से सार्वजनिक तौर पर सभी से पूछे है , आप इसे कदापि व्यक्तिगत तौर पर न ले !
    धन्यवाद !
    गोदियाल

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  10. टिप्पणी चर्चा,
    तकनीक चर्चा
    भाई-भतीजा चर्चा
    सब भूल गए आप?

    चिट्ठों की फ़िक्र
    और उस
    फ़िक्र का ज़िक्र
    न हो
    तो रुक न जायेगी
    ब्लॉग-क्रान्ति!

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  11. अरे हाँ,
    नक्कालों से सावधान!

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  12. जब कोई उत्पाद चलता है तो उसकी नकल होती ही है. कई बार तो उत्पाद के नाम ही उसके प्रयाय हो जाते है. जैसे धुलाई का पाउडर "सर्फ".
    वैसा ही बढ़िया उत्पाद है चिट्ठाचर्चा. तो अलानी-फलानी चर्चाएं चलती रहेगी.

    छोटी मगर मारक पोस्ट.

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  13. तरह तरह के चिटठो की फौज इसीलिए बढ़ रही हैं क्योकि पुराने उत्पाद में मिलावट की बू लोगो को आने लगी है ..... हा हा हा

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  14. क्या खूब कही है...:)

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  15. @ उड़न तश्तरी >
    तुझसे पंगा लेने
    ब्लॉगर है डरता..
    ओम जय चिट्ठाचर्चा...
    स्वामी जय चिट्ठाचर्चा....

    ---------------

    क्या करें, हटा दें पोस्ट?! बड़ा डर लग रहा है!

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  16. चर्चे ही चर्चे.. एक बार पढ़ तो लें ।
    ब्लॉगपुरा के बेहतरीन गारँटीशुदा पोस्ट मिलने का एक मात्र जालस्थल,
    "..... .. डॉट कॉम !"

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  17. समीर भाई विरचित चर्चा-आरती पसँद आयी,

    इसे आगे बढ़ाने की इच्छा बलवती हो रही है..
    भाई जी आज्ञा दें तो यह चेला भी थोड़ा हाथ लगाये !

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  18. कभी लगता है की सारे ब्लोगर आदि और लवी जैसे है..

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  19. नहीं...ज्ञानदा,
    पोस्ट हटाने की ज़रूरत नहीं है। आपने सही तरीके से बात रखी है।

    तुम हो एक अखाड़ा
    दंगल खूब रचे...
    स्वामी दंगल खूब रचे..
    तुझसे जिक्र में अक्सर
    कितने नाम बचे...
    स्वामी कितने नाम बचे!!!

    जैजै अखाडेवालों की...

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  20. हा ..हा ...हा...
    इब्तदाये इश्क है रोता है क्या ,
    आगे आगे देखिये होता है क्या
    शुभकामनायें !

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  21. छोटी लेकिन झन्नाटेदार पोस्ट !!!! मिर्ची की तरह !!
    देंखें किस - किस को लगती है :D

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  22. ज्ञान भाई !
    आपके एक चेले (आदरणीय डॉ अमर कुमार ) की कमी खल रही है कृपया उन्हें इज़ाज़त प्रदान करें ....और इस पोस्ट का भरपूर मज़ा लेने का अवसर दें ...
    ;-)

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  23. @ डा. अमर कुमार, @ श्री सतीश सक्सेना - जरूर जरूर! आरती, चालिसा, सवैया, ड्योढ़ा, लोढ़ा - सब चलेगा। प्रस्तुत करें अमर कुमार जी!

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  24. @डॉ अमर कुमार ,

    मूछ वाले ..जूत वाले..
    बड़ी बड़ी जात वाले ,
    सबकी निगाह यही ,
    ज्ञान के अज्ञान पर !

    शुरू करें गुरु ......मगर जरा चाँद बचा कर ...
    :-)

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  25. आदरणीय
    गोदियाल
    जी,

    इस चिटठा चर्चा से दिक्कत तब होती है, जब आप दावा करते हैं सबको समेटने का और समेटते हैं सिर्फ अपने खास लोगों को। आपका मित्र अंट-शंट कुछ भी लिख दे, आप उसकी हर पोस्ट का बखान गाते फिरें, और अगला कलम तोड़ता फिरे, फिरभी आपके कान पे जूं न रेंगे और फिरभी आप दावा पारदर्शिता का करते फिरें, तो दिक्कत तो होगी ही।
    यदि आप अपने चिटठा चर्चा में यह लिखदें कि यह चर्चा, सिर्फ मेरे ईष्ट मित्रों पर केन्द्रित है, तो लोगों को कोई दिक्कत नहीं होगी।

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  26. इस पोस्ट से कितना सकून मिला है ... वर्णन नहीं कर सकता। वैसे आपने आरती आदि करने की इज़ाज़त तो दे ही दी है। पर मेरा क्या होगा ... मैं एक लं........बी ईईईईईईई कविता लिख रहा हूं।

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  27. देखन में छोटे लागे, घाव करे अति गंभीर……

    एकदम मारक पोस्ट।
    ;)
    हटाने की कौनौ जरुरत नई है जी।
    लगे रहने दीजिए एकदम ठाठ से

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  28. ha ha ha badhiya...mauke par chauka mara hai.

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  29. 'डोमेन ले, डोमेन दे' प्रकरण पर तंज देती पोस्ट।

    डोर को थोडा और ढील देकर पतंग को सर्रर से खींचना था, आपने तो उसे कन्नी बांधकर एक बार हवा में लहराया और छोड दिया.....ये तो पतंग उडाना न हुआ :-)

    अब आप पूछ रहे हैं कि पतंग उडाउं या न उडाउं, बडा डर लगता है :)

    तो मेरा सुझाव है कि चरखी पकडे रहने से अच्छा है कि पतंग उडाया जाय। उडेगी तो लोग देखेंगे, कटेगी तो लोग दौडेंगे और जो न दौडे कि हम क्या कोई गये गुजरे हैं जो एक पतंग के लिये दौडेंगे तो यकीं मानिये कि वो पोस्ट लिखेंगे :)

    इस 'डोमेन ले, डोमेन दे' मामले ने तो बेमतलब का विवाद सा खडा किया है। मेरी नजर में तो ब्लॉगजगत का एक और अप्रिय विवाद है ये।

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  30. आदरणीय जाकिर अली रजनीश जी ;
    आपकी बात से एक हद तक सहमत, मगर क्या यह भी एक तरफ़ा नहीं है ? जो कुछ वे चिठ्ठाचर्चाकार अपनी चर्चा में लिखते है या पकड़ते है, हमें कौन वाध्य करता है यह मानने के लिए कि वही श्रेष्ट रचनाये है ब्लॉग पर ? अभूत सी फालतू बाते यहाँ इस ब्लॉग जगत के ब्लोगों पर देखने को मिलती है जिन्हें हम नजरंदाज करते है, वहां भी तो हम ऐसा कर सकते है ?

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  31. अगर किसी को चिट्ठाचर्चा पक्षपाती लगती है तो उसमें शामिल हो कर चर्चा करने से किसने रोका है? बात यह है कि चर्चा में मेहनत करूँ तो सार्वजनिक मंच के लिए क्यों करूँ? अपना नया चोका बना कर न करूँ?

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  32. एक साथ छ्ह ठो डोमेन ले लिये। बधाई। कित्ते में पड़े? अब इनकी नीलामी कब करेंगे? सीधे नीलामी करेंगे या पहले विस्फ़ोट करेंगे! प्रायोजक खोजेंगे?

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  33. ha ha ha...
    bahut khub..

    ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
    श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता
    ★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
    प्रत्येक रविवार प्रातः 10 बजे C.M. Quiz
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    क्रियेटिव मंच

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  34. देव !
    नमस्ते ..
    कल गोविन्दपुरी में गंगा के मैदान पर
    बच्चों का क्रिकेट देख रहा था , गंगा के क्रोड में !
    बरबस आपकी याद आ रही थी और पोस्टें भी !
    .
    'चिट्ठाचर्चा' और 'दुकान' दोनों पर सोच रहा हूँ ,,, आभार ...

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  35. आदरणीय ज्ञानदत्त जी,

    एक छोटी सी पोस्ट(ब्लॉगिंग का सार समेटे हुये)पर मुझसे पहले की गई ३९ टिप्पणीयों को पढ़ना इतना आनंददायी था बस मस्त हो गये।

    करीब करीब सभी ने अपनी बात कही और स्वानंदानुभूति पायी।

    मुझे भी अपने उच्चरक्तचाप के बीच खिलखिलाने का मौका मिला।

    सादर,


    मुकेश कुमार तिवारी

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  36. चिठ्ठाचर्चाकार.....जय हो

    चिठ्ठीचर्चाकार.....जय हो

    न्यू चिठ्ठाचर्चाकार.....जय हो

    बेस्ट चिठ्ठाचर्चाकार.....जय हो

    असली चिठ्ठाचर्चाकार.....जय हो

    गुड है जी पर बेलिंक क्‍यों। ब्‍लॉग-शौर्य लिंकन में ही व्‍यक्त होता है। :)

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  37. मैं कह रहा था जी कि... किसी ने अब तक "चिठ्ठू चर्चा" तो पेटेंट नहीं करवाया है ना. अपनी दुकान के लिये यही नाम सोचा है.

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  38. परम आदरणीय ज्ञान जी,
    अब तक हम आपका सिर्फ़ आदर किया करते थे मगर इस पोस्ट के बाद आप तहेदिल से सम्मान के अधिकारी हो गए। जो न समझें न सही मगर जो समझते हैं वो यही कहेंगे कि इस पोस्ट में आपका ब्लॉगजगत के प्रति स्पष्ट अपनापन झलक रहा है। आप नहीं चाहते कि अदब की गरिमा गर्त में गिरे।
    काश लोग आपके कहे का मर्म समझ सकें।

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  39. तुम्ही ने दर्द दिया है तुम्ही दवा देना,
    ब्लागर जान के,
    ब्लागर जान के न हमको यूं भूला देना,
    चिट्ठा मे न सही चिट्ठी चर्चा मे जगह देना,
    गरीब सारी,ब्लागर जान के।

    सटीक।

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  40. वाह वाह,

    असली और खालिस दुकान,
    नोट: टूटे हुये कीबोर्ड का लोगो देखकर ही खरीदें

    सस्ता चर्चा बार बार, सच्चा चर्चा एक बार,

    नकल हमेशा होती है बराबरी कभी नहीं।

    नक्कालों से सावधान,

    हमारा चिट्ठाचर्चा पढने वालों की बात ही कुछ और है।

    दमदार चिट्ठाचर्चा की कसम आसमां को छुऐंगे हम।

    स्वदेशी चिट्ठाचर्चा: यहाँ खालिस हिन्दुस्तानी चिट्ठों की चर्चा होती है।

    सेकुलर चिट्ठाचर्चा:

    नोट: हमारे यहाँ विदेशी हिन्दी चिट्ठे किफ़ायती दाम पर उपलब्ध हैं।

    ग्राहक का समय व्यर्थ करना हमारा परम कर्तव्य है।

    बाटम लाईन:

    मैं चिट्ठाचर्चा डोमेन को किसी और के द्वारा रजिस्टर कराना गलत नहीं मानता। मैं किसी की नीयत पर भी शक नहीं करता। हिन्दी चिट्ठाकारिता को पवित्र गऊ नहीं बनाना चाहिये जिसकी बात सब करें और वो सडक पर प्लास्टिक खाती फ़िरे। उससे तो विशुद्ध दुधारू भैंस ही भली है।

    याद है आपको कुछ महीनो पहले कुछ ब्लाग प्रहरी आये थे कि हम ये करेंगे वो करेंगे। कहाँ हैं वो लोग? नाम से क्या होता है? अगर अच्छी चर्चा करेंगे तो लोग पढेंगे।

    हिन्दी ब्लागजगत में अगर किसी एक को चुनना हो तो आज वो हिन्द युग्म है। शुरूआती जरा से लफ़डों के बाद उन्होने अपने आप का सम्भाला और ऐसा संभाला कि मन खुश हो गया। अब देखिये, बिना किसी बवाल के कितना कुछ कर डाला है उन्होने।

    podcast.hindyugm.com पर जितनी मेहनत की गयी है उसे देखकर अच्छे अच्छों को चक्कर आ जाये।

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  41. आप व्यंग्य भी बढ़िया लिख लेते हैं ...पहली बार जाना ....!!

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  42. सर
    सेल्यूट करता हूँ
    इस आदर में ऐसा कोई अन्य भाव नहीं जिसे चाटुकारिता कहा जावे
    बार बार नतमस्तक
    आभार

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  43. What is this issue?
    I could not understand anything.

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  44. तब शंकर जी बोले, " पार्वती जी ! यह दुनिया है । यह ऐसी ही है । आप आगे चलिये ।"

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  45. आदरणीय ज्ञान जी,
    सबकी अपनी डफली अपना राग है , अलापने दीजिये ...क्या फर्क पड़ता है !

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  46. सादर ......
    आप हो एक अगोचर
    गोचर सबहिं करो
    नए नए ब्लागरन पे
    आपहिं कृपा करो
    स्वामी आपहिं कृपा करो
    चोखा रंग जमे मगर
    दाम न हो खर्चा
    ओम जय चिटठा चर्चा.....

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  47. आप हो एक अगोचर
    गोचर सबहिं करो
    नए नए ब्लागरन पे
    आपहिं कृपा करो
    स्वामी आपहिं कृपा करो
    चोखा रंग जमे मगर
    दाम न हो खर्चा
    ओम जय चिटठा चर्चा.....

    राम भरोसे बैठ के
    सब के मुजरा लेय
    उसकी ऎसी की तैसी
    जो आपसे पंगा लेय
    ब्लागरवुड में घमासान
    हाय चर्चे पे चर्चा...
    ओम जय चिटठा चर्चा

    ....... बोल कमेंटर बाबा की....जय

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय