Friday, October 30, 2009

देव दीपावली @

DEvdeepaavali मेरी गली में कल रात लोगों ने दिये जला रखे थे। ध्यान गया कि एकादशी है - देव दीपावली। देवता जग गये हैं। अब शादी-शुभ कर्म प्रारम्भ  होंगे। आज वाराणसी में होता तो घाटों पर भव्य जगमहाहट देखता। यहां तो घाट पर गंगाजी अकेले चुप चाप बह रही थीं। मैं और मेरी पत्नीजी भर थे जो एकादशी के चांद और टॉर्च की रोशनी में रेत की चांदी की परत और जलराशि का झिलमिलाना निहार रहे थे।

मैने देखा – घाट पर पर्याप्त गन्दगी आ गयी है। सफाई जरूरी है। लगभग ८-१० मैन ऑवर्स के श्रम की दरकार है। श्रीमती रीता पाण्डेय और मैने मन बनाया है कि आने वाले रविवार को यह किया जाये। हम शुरू करेंगे तो शायद और लोग भी साथ दें। अन्यथा एकला चलोरे!

Filth यह पोस्ट लिख कर हम यह प्रतिबद्धता जता रहे हैं कि शिवकुटी के गंगाघाट पर कुछ सफाई करेंगे हम पति पत्नी। कुछ अफसरी का बैरियर टूटेगा और कुछ लोग कौतूहल जाहिर करेंगे। ब्लॉगरी के सम्मेलन में भी कुछ ऐसा ही था न?

इस उम्र में, जब भौंहें भी सफेद हो रही हैं, मैं अपना पर्सोना ओपन-अप करने का प्रयास कर रहा हूं। शायद बहुत देर से कर रहा हूं। शायद जब जागे तभी सवेरा।

हे जग गये देवतागण, हे सर्वदा जाग्रत देवाधिदेव कोटेश्वर महादेव; चेंज माई पर्सोना फॉर द बैटर।


चार साल पहले की देव दीपावली, वाराणसी में गंगा तट पर।

FotoSketcher - DevDeepavali 026 

@ देव दीपावली लिखने में गलती हो गयी है। कल देवोत्थानी एकादशी थी। आप नीचे प्रवीण शर्मा जी की टिप्पणी देखने का कष्ट करें।

अपडेट - प्रियंकर जी को विवाह की वर्षगांठ पर बहुत बधाई!

38 comments:

  1. नदी-तालाब के घाट पर गन्दगी देखकर कई बार मेरा मन भी होता है पाण्डे जी कि सफाई में भिड जाऊँ। यहाँ एक बार एक पुलिस विभाग मे एस पी रमेश शर्मा आये थे जिनकी यही सोच थी उस वक्त जवानो की मदद से तालाबों की सफाई की थी लेकिन जनता का क्या कहे । लोग खड़े- खड़े देखते है और साफ- सफाई मे मदद को कोई आगे नही आता ।
    समेलन का ज़िक्र तो अब बन्द कर दीजिये वैसे भी देव जागरण हो चुका है।

    ReplyDelete
  2. waah gyaan ji, sadar naman aapko...

    humare jaise kahil aur nalayak naujwaanon ko aapse kuch seekhna chahiye...aapka josh sach mein kaafi inspiration deta hai..

    May God gives you the strength and power to complete this sacred mission. Amen!!

    ReplyDelete
  3. देव दीपावली तो पूर्णिमा को मनाई जाती है. ये तो एकादशी थी.कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी देवोत्थान एकादशी के रूप में मनाई जाती है । कहा जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए क्षीर सागर में शयन करते है चार माह उपरान्त कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते है । विष्णु के शयन काल के चार मासो में विवाहादि मांगलिक कार्य वर्जित रहते है । विष्णुजी के जागने बाद ही सभी मांगलिक कार्य शुरू किये जाते है । भगवान् विष्णु के जागने के ख़ुशी में ही पूर्णिमा को देव दीपवाली मनाई जाती है.

    नए लक्ष्य के लिए शुभ कामनाये. एक आप की अफसरी है की बिना नाम दाम की चिंता के कुछ काम करने का हौशला है, और एक वो लोग है जिनकी कहानी निचे लिख रहा हूँ.

    इस घटना के पीछे स्वतंत्र भारत में साधारण जनता के माई बाप यानी जिलाधिकारी, D.I.G. और कमिश्नर है. इनके कर्मो से लगता नहीं है की इस बार देव दीपावली बनारस में मानेगी. बनारस के सभी देव दीपवाली समितियों ने देव दीपावली नहीं मानाने का फैसला किया है.
    http://www.ptinews.com/news/352381_-Dev-Dipawali--celebrations-in-Varanasi-cancelled

    ReplyDelete
  4. आपके द्वारा सफाई का निर्णय करना स्वागत योग्य कदम है , आशा है आपको सफाई करते देख कुछ और लोग भी इस पुनीत कार्य में सहयोग को आगे आकर श्रम दान करेंगे |

    ReplyDelete
  5. व्यंग्य रखो अंटी में अपनी, मंचों पर चुटकुले चलेंगे।


    -शुरु करिये अभियान...निश्चित लोग जुटेंगे...जरा प्रसारित भी करें..उसमें कोई बुराई नहीं.

    ReplyDelete
  6. वानप्रस्थ की तैयारी अभी से ? घाट की सफाई तो वहां के डीएम का भी प्रिय शगल है ,पता चलेगा तो वो भी पहुँच जायेगें -स्थानीय ब्लागरों को भी आपके इस वानप्रस्थ अभियान में हिस्सा लेना चाहिए !
    प्रवीण जी का कहना सही है ,देव दीपावली का आयोजन पूर्णिमा को है ! अभी तो यहाँ आयोजकों और स्थानीय प्रशासन में कुछ संवादहीनता बनी हुयी है मगर इस आयोजन को कोई रोक नहीं सकता -अब यह स्वयम स्फूर्त है -स्वसंचालित !

    ReplyDelete
  7. दीपावली में लक्ष्‍मी पूजा के बहाने घर द्वार की , उसके बाद की द्वितीया गायों की पूजा के बहाने को गोशाले की और छठ के बहाने सडकों से लेकर नदियों और तालाबों तक की .. इस तरह त्‍यौहारों को मनाने के बहाने बरसात के तुरंत बाद तेजी से सारे गांव की सफाई हो जाया करती थी .. देवोत्‍थान एकादशी के बाद के पूजा पाठ शादी विवाह जैसे कार्यक्रमों से पहले ही .. पर जिस तरह आज लोग धर्म को मानने के क्रम में अधर्म से जुडा काम कर रहे हैं .. उसी प्रकार त्‍यौहार मनाने के क्रम में उसके उद्देश्‍य से उल्‍टा काम कर रहे हैं .. तभी तो पूजा की सामग्री के विसर्जन करते हुए नदियों तालाबों में प्‍लास्टिक की थैलियां .. या फिर चीनी मिट्टी की मूर्तियों का विसर्जन करने में दिक्‍कत नहीं होती हमें !!

    ReplyDelete
  8. यह पुनीत जो कार्य है आप बढ़ायें हाथ।
    टाटा से मैं आ रहा देने आपका साथ।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

    ReplyDelete
  9. 'A cheap publicity stunt' some may say ! Even Preity Zinta has tried it many times . God has blessed u with the pen ,not a broom sir ! If u r really serious use your pen please . Write to State officials, netas and bloggers about garbage dumping which starts right from the origins of our pious rivers . I'll post some pics of yamunotri and dedicate 'em to ur spirit of 'swachhta'.

    ReplyDelete
  10. काशी में देव दीपावली न मने! हो ही नहीं सकता।

    संगोष्ठी की अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की रिपोर्ट की प्रतीक्षा है ताकि लोगों को पता चले कि वहाँ सिर्फ मौज नहीं हुई थी।

    ये बताइए एकादशी के दिन गन्ना, सुथनी, शकरकन्द वगैरह खाए कि नहीं ? यह किसानी त्यौहार है। नागर जन को भी मनाने से रोक नहीं है।

    ReplyDelete
  11. यह चीप पब्लिसिटी नहीं है . यह आपके भीतर बैठे मनुष्य की पुकार है . उसकी ज़रूर सुनिएगा . शिवकुटी के गंगाघाट पर सफाई का आपका और रीता जी का यह संकल्प शुभ संकल्प है . कुछ और मित्रों/पड़ोसियों/ब्लॉगरों को सूचित कर दें अगर उनकी इच्छा हो तो वे भी आ जाएं,वरना ऐकला चालो तो है ही .

    आपने देवउठानी एकादशी का ज़िक्र किया तो याद आया कि बीस साल पहले इसी दिन मेरा विवाह हुआ था .

    ReplyDelete
  12. देवउठनी एकादशी से पूर्णिमा तक का समय देव दिवाली माने जाने में कोई हर्ज़ नहीं है ...!!

    ReplyDelete
  13. कल हमारे घर भी दीपक रोशन हो रहे थे। पर सफाई के प्रति तो सामाजिक नजरिया जब तक विकसित नहीं होता यह समस्या बनी रहेगी। जब जब चंबल के घाट पर जाना होता है। हर बार घाट खुद ही साफ करना होता है। हालांकि कुछ घाटों पर अब सामाजिक संगठन नियमित रूप से यह काम करने लगे हैं। और वहाँ सफाई बनी रहती है। मेरा बाथरूम अक्सर चकाचक रहता है तो इस लिए कि मैं जरा भी गंदगी हो तो स्नान नहीं कर सकता। नतीजा यह है कि स्नान के पूर्व उसे साफ करने में पाँच-दस मिनट लगाने होते हैं। घाट पर भी यह करना ही होता है।

    ReplyDelete
  14. बहुत अच्छा लगा बाँच कर
    धन्यवाद !

    ReplyDelete
  15. आप शुरु करें.. लोग जरुर जुडे़गें.. शुभकामनाऐं..

    ReplyDelete
  16. हमारे छत्तीसगढ़ में "देव दीपावली" को "जेठौनी एकादशी" तथा "देव उठनी एकादशी" कहा जाता है। मान्यता है कि आज के दिन ही तुलसी-विवाह हुआ था।

    ReplyDelete
  17. आप का विचार स्वागत योग्य है...कोई तो है जो अपने दम पर कुछ करना चाहता है वरना...ये काम सरकार का है कह कर हम समस्याओं से मुंह मोड़ लेते हैं...एकला चालो रे...कहने वालों के पीछे ही दुनिया चलती है...सलाम आपको और ढेर सारी शुभकामनाएं... इतनी दूर से अभी तो इसी से काम चलाईये...कभी आपसे मिलना हुआ तो ऐसे काम मिल कर करेंगे...पक्का...
    नीरज

    ReplyDelete
  18. अभिवादन ...
    विफल हो रहे संस्थागत-प्रयास
    व्यक्तिगत-प्रयास को आमंत्रित
    करते हैं | आपका सोचना और
    कर्म-भावना लोकहित का
    प्रमाण है |
    सराहना ...
    दूर हूं,नहीं तो आपके साथ
    लगने को अपना गौरव
    समझता |
    आपके द्वारा मेरे ब्लॉग पर
    दी गई उत्साहवर्द्धक टिप्पणी
    से आशा और शक्ति का संचार
    हुआ |
    आपसे इमेल पर बात करना है ,
    यदि आपको आपत्ति न हो तो ...

    धन्यवाद ...

    ReplyDelete
  19. ब्लॉगर पत्रकार ज्ञान जी

    ReplyDelete
  20. आपका अभियान सफल हो.

    ReplyDelete
  21. आमीन,जागे हुये देवता आपके पुण्य कार्य मे मदद करेंगे।कोई जुड़े न जुड़े,आप तो शुरू किजिये।

    ReplyDelete
  22. एक पूनित कार्य होगा. गंगा में डूबकी लगाने से ज्यादा पूण्य का काम है. बधाई स्वीकारें. बहुत से काम मात्र झिझक वश नहीं हो पाते. यह टूटनी चाहिए.

    ReplyDelete
  23. बहुत सुन्दर कार्य को अंजाम देने की सोच रहे हैं अगर हम आस पास होते तो इस शुभ कार्य में हम भी योगदान देते और आप के इस कार्य को देखकर और भी लोग आगे आयेंगे !!! देव जाग गए अब इंसानों की बारी है जागने की !!!

    ReplyDelete
  24. आपके पवित्र अभियान के लिए शुभकामनाएँ परन्तु अब कितनी बार ऐसा कर पाएंगे लोग फिर किया कराया बराबर कर देंगे.

    ReplyDelete
  25. "। हम शुरू करेंगे तो शायद और लोग भी साथ दें। अन्यथा एकला चलोरे!"
    देव दीवाली पर अच्छा व्रत लिया आपने। स्तुतीय, वंदनीय.....दीपक से दीपक जलता रहे॥ लोग जुट ही जाएंगे, आपके श्रम को सार्थक करने के लिए।

    ReplyDelete
  26. Logon ne devtaon ko to jaga diya..ab iishwar se prarthna hai we manushyon ko jagayen.....


    Aapka paavan puneet kartaby bodh sahashtron sahastra hriday tak pahunche aur log bhi isi prakaar nadi naalon sadak chourahe ki safai me jut jayen...aur jo safai na karna chahen ,wo kam se kam sarvjanik sthanon par kooda na bikheren ,yahi iishwar se prarthna hai..

    ReplyDelete
  27. ज्ञानदत्त पाण्डेय जी सफ़ाई के संग संग लोगो को जागरु भी करे कि ऎसा ना करे हर तरफ़ गंदगीना फ़ेलाये, नदी नालो मे कुडा करकट ना फ़ेके, पुजा पाठ के नाम से भी नदियो कि पबित्रा खराब ना करे, तभी बात बनेगी....
    ्बहुत सुंदर विचार लोग जरुर साथ निभायेगे

    ReplyDelete
  28. कई वर्ष पहले जब बनारस में रहता था तो देखी थी देव दीपावली । दीये से भरे घाटों को देखना अद्भुत लगा था । साफ़-सफ़ाई और गंदगी से पता चलता है आदमी कितना कल्चरल, संस्कारिक और सामाजिक है । अभी भी हम लोग पिछड़े हुये है । पर अगर एक एक हाथ उठने लगे तो हजारो हाथ उठते चले जायेंगे । आपके द्वारा किया गया यह पुनित कार्य हमारे लिये प्रेरणा का श्रोत होगा । हमारे यहाँ इसे "देव उठौन एकादशी" कहते है । आभार

    ReplyDelete
  29. मैंने केवल सुना भर है देव दीपावली के बारे में कभी देखा नहीं। सो अपन तो कुछ न बोलेंगे इस पर। रही बात सफाई की...तो सराहनीय कदम तो है ही। मेरी शुभकामनाएं।

    देखा देखी और लोग इस पावन कर्म में जुट ही जाएंगे।

    ReplyDelete
  30. आपका अकेले सफाई शुरू करने करना का विचार प्रशंसनीय है.

    ReplyDelete
  31. शुभ विचार है।जरूर करें , सफाई का कार्य। संजय जी ठीक कह रहे हैं कई बार हिचकिचाहट होती है ऐसे काम करने में।ऐसा हमने भी महसूस किया है।आपके लेख से कईयों को प्रेरणा मिलेगी।धन्यवाद।

    ReplyDelete
  32. मैं अपना पर्सोना ओपन-अप करने का प्रयास कर रहा हूं। शायद बहुत देर से कर रहा हूं।
    शायद जब जागे तभी सवेरा।

    :-)

    Good luck for your efforts & determination Gyan bhai sahab
    & for Rita bhabhi ji too

    ReplyDelete
  33. प्रशंसनीय विचार, सराहनीय कदम। शुभकामनाएं..

    ReplyDelete
  34. Asal mein yahi sachhi Aaradhana hai. Bahut sarahniye vichar hai, meri agrim badhai aur subhkamanaye.

    ReplyDelete
  35. ब्लॉग पढ़कर बहुत बढ़िया लगा देव एकादशी आने के साथ साथ गंगा के घाट हमेशा जगमगाते रहे हो हमारी दिल से अभिलाषा है

    ReplyDelete
  36. मुझे तो अब दिवाली से डर लगता है. धुआं ही धुआं..दम घुटता है.

    ReplyDelete
  37. हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले .....

    ReplyDelete

आपको टिप्पणी करने के लिये अग्रिम धन्यवाद|

हिन्दी या अंग्रेजी में टिप्पणियों का स्वागत है|
--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय