Friday, September 4, 2009

टिटिहरी


टिटिहरी या कुररी नित्य की मिलने वाली पक्षी है। मुझे मालुम है कि गंगा तट पर वह मेरा आना पसन्द नहीं करती। रेत में अण्डे देती है। जब औरों के बनाये रास्ते से इतर चलने का प्रयास करता हूं - और कोई भी खब्ती मनुष्य करता है - तब टिटिहरी को लगता है कि उसके अण्डे ही चुराने आ रहा हूं।
Pewit11 जिस तरह से एक ब्लॉगर अपनी पोस्टों के माध्यम से चमत्कारी परिणाम की आशा करता है, उसी तरह टिटिहरी विलक्षण करने की शेखचिल्लियत से परिपूर्ण होती है।
(चित्र हिन्दी विकीपेडिया से)

वह तेज आवाज में बोलते हुये मुझे पथ-भ्रमित करने का प्रयास करती है। फिर उड़ कर कहीं और बैठती है।

बहुत से कथानक हैं टिटिहरी के। एक है कि वह पैर ऊपर कर सोती है। यह सोच कर कि आसमान गिरेगा तो पैरों पर थाम लेगी। समुद्र के किनारे लहरें उसका अण्डा बहा ले गयीं तो टिटिहरा पूरे क्रोध में बोलता था कि वह चोंच में समुद्र का पानी भर कर समुद्र सुखा देगा। जिस तरह से एक ब्लॉगर अपनी पोस्टों के माध्यम से चमत्कारी परिणाम की आशा करता है, उसी तरह टिटिहरी विलक्षण करने की शेखचिल्लियत से परिपूर्ण होती है। टिटिहरी हमारी पर्यावरणीय बन्धु है और आत्मीय भी।

जब भदईं (भाद्रपद मास वाली) गंगाजी  बढ़ी नहीं थीं अपनी जल राशि में, तब टिटिहरी बहुत दिखती थी तट की रेत पर। हम लोग अनुमान लगाते थे कि उसके अंण्डे कहां कहां हो सकते हैं। एक बार तो गोल-गोल कुछ ढूंढे भी रेती पर। लेकिन वे कुकुरमुत्ता जैसे पदार्थ निकले। उसके बाद जब गंगाजी ने अचानक कछार के बड़े भूभाग को जलमग्न कर दिया तब मुझे यही लगा कि बेचारी टिटिहरी के अण्डे जरूर बह गये होंगे। एक रात तो टिटिहरी के अंडों की चिन्ता में नींद भी खुल गई!

अब, जब पानी कुछ उतर गया है, टिटिहरी देवी पुन: दिखती हैं। बेचारी के अण्डे बह गये होंगे। या यह भी हो सकता है कि मैं यूंही परेशान हो रहा होऊं! पर अब वह ज्यादा टुट्ट-टुट्ट करती नहीं लगती। यह रहा टिटिहरी का छोटा सा वीडियो, गंगा तट का। 


मैं श्री जसवन्त सिंह की जिन्ना वाली पुस्तक देख रहा था। पाया कि वे दादाभाई नौरोजी के शिष्य थे। दादाभाई नौरोजी चार सितंबर (आज के दिन) १८२५ को जन्मे। बम्बई में लगी, यह रही उनकी प्रतिमा और यह उसपर लगा इन्स्क्रिप्शन।

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मुझसे अभी यह मत पूछियेगा कि जिन्ना प्रकरण में कौन साइड ले रहा हूं। जरा किताब तो देख/पढ़ लूं! :-)

यह जरूर है कि पुस्तक पर बैन पर सहमत नहीं हूं। अन्यथा किताब लेता क्यूं?  


38 comments:

  1. टिटहरी एक आत्मविश्वास का संदेश देती है..कई बार टांग उठा कर सोने को जी मचलता है, तो कभी समुन्दर पी जाने का. एक बल मिलता है इस सोच से..कई बार ऐसा ही ऐसा शॆष नाग होने का होता है कि सारी दुनिया मेरे सर पर मेरे भरोसे चल रही है....

    ब्लॉगर भी ऐसा ही सोचते होंगे...तब न कहते हैं कि अब पाँच दिन लिख न पाऊँगा, माफी चाहता हूँ. :)

    अच्छा चिन्तन..प्रकृति दर्द और दवा, सब साथ देती है. उससे बेहतर सृष्टि की बैलेंस शीटा आवश्यक्तानुरुप अण्डे सुरक्षित बच रहे होंगे, इत्मिनान से सोया करिये.

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  2. वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने और अच्छी जानकारी भी प्राप्त हुई!

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  3. टिटहरी से मुलाकात अच्छी रही।

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  4. विचार कर रहा हूँ, टिटिहरी के अण्डे बह जाने की दुश्चिंता में आप सो न सके - यह गहरी संवेदना ही न आपसे इस तरह की प्रविष्टियाँ लिखवाती है ।

    टिटिहरी के कथानकों का सत्य अपने भीतर महसूसना चाहता हूँ । वह आत्मविश्वास जिससे आपके लेखन के सूत्र और उसके भीतर छिपी हुई संवेदना की पहचान कर सकूँ ।

    वीडियो नहीं देख पा रहा हूँ। पता नहीं क्यों चल ही नहीं रहा । दूसरे ब्राउजर में देखता हूँ ।

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  5. एक उपेक्षित और 'शापित' पक्षी को मान देने के लिए आभार।

    मेरी माँ जब भी इस पक्षी की आवाज सुनती हैं तो आँगन में पानी गिराने को कहती हैं। क्यों? पूछने पर डपट मिलती है ," हरदम टोका टोकारी कउनो जरूरी हे का ss?"

    किसी और ने बताया कि यह पक्षी दिन में बोले तो सूखा पड़ता है। !@#$

    यहाँ लखनऊ में मेरे घर के आगे पार्क में बगुले और टिटहरी दिखते हैं। कृपा है LDA की, ऐसा गड्ढेदार बनाया कि बॉयोडायवर्सिटी पनाह पा रही है :
    (

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  6. टिटिहरी प्रयास से ब्लागर को जोड़कर आप टिटिहरी की तो बेइज्जती खराब कर ही रहे हैं। इधर बेइज्जती उधर फ़ोटो! वैसे वीडियो धांसू है! जय हो। आज ही दिनेशराय द्विवेदीजी का भी जन्मदिन है! उनको भी बधाई।

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  7. टिटहरी के प्रति आपकी संवेदना सम्मान करने योग्य है ...बहुत आभार ..!!

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  8. इन्सान भी क्या क्या सोचता है। टिटहरी क्या सोचती है यह भी सोच लेता है। शायद किसी पक्षी विशेषज्ञ को कभी टिटहरी ने बताया हो।

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  9. गंगा के कछार और खुद गंगा माँ ने अपना आँचल आपके सर पर रखा है -विरले ही इतने खुश नसीब हो सकते हैं -जे हो गंगा मैया जिसने एक बलागर को एक स्थाई ठौर ठिकाना दे दिया है !
    मगर टिटहरी (Lapwing ) कुररी नहीं है ! तुलसी ने 'ज्यो विलपति कुररी की नाईं " जब लिखा होगा तो भले ही उनके मन में आपकी ही तरह यही टिटहरी ही रही हो (?) क्योंकि यह सचमुच शोर बहुत करती है मगर कुररी दरअसल Tern है जिनकी चार प्रजातियों का सबसे प्रामाणिक उल्लेख सुरेश सिंह ने भारतीय पक्षी में किया है -व्हिस्कार्ड टर्न ,कामन टर्न ,ब्लैक bellied टर्न ,लिटिल टर्न !
    गूगलिंग से इनका फर्क देख लें !

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  10. Titihari word mujhe bachpan main bahut pasand tha ek adbhoot geyeta thi is word main//titihari, titihari,titihari...

    par is panchi ki sekhchilliness ke bare main nahi pata tha....

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  11. वीडियो बहुत बढ़िया है. "अण्डे जो थे नहीं" पर लग बिल्कुल अण्डे ही रहे हैं.

    ब्लॉगर तो विचित्र जीव होता है, अनेक योनियों का सम्मिश्रण. केवल टिटहरी ही नहीं.

    इस पर ही नहीं, मैं किसी भी पुस्तक पर बैन के खिला़फ़ हूं.

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  12. वाह क्या बात है? टिटिहरी भी धन्य हो गयी हम लोगों के साथ। यहाँ आकर रोज-रोज का गंगादर्शन हमें भी पुण्यलाभ करा रहा है।

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  13. वावज़ूद इन अच्छाईयों के.. टिटहरी को बैरन की उपाधि मिलने का कोई माकूल वज़ह मैं आज तक न तलाश सका !

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  14. टिटहरी की रात में चीख सुनकर डर सा लगता था क्योकि समझा दिया था की अपशगुन होता है . हमारे खेत में अंडा देने के बाद टिटहरी दूसरी तरफ घुमती है और भरमाती है जैसे अंडा उधर ही रखा हो

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  15. अपनी रक्षा और विश्व की रक्षा करने का जितना उपाय टिटहरी से हो सकता है करती है | कम से कम टाँगे तो ऊपर रखती है | उसे पता तो रहता है की उसकी टांगे ऊपर है | हमारी तो टाँगे कब ऊपर हों जाये कुछ पता नहीं |

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  16. टिटहरी, अजी इस एक नाम ने हमे अपना बचपन याद दिला दी, बहुत सुंदर लेख लिखा आप ने.

    धन्यवाद

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  17. टिटिहरी से लेकर दादा भाई नौरोजी तक, एक ही पोस्ट में। क्या बात है जी।

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  18. टिटहरी की टी टी तो हमने भी खूब सुनी है...अच्छी खासी नींद ख़राब कर देती है! वो अंडे जो नहीं थे...वास्तव में अंडे जैसे ही लग रहे हैं!

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  19. टिटहरी और ब्लोगर की तुलना अच्छी रही!

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  20. छोटी - छोटी चीजो को भी कितनी आत्मियता से लिखते है आप और उसे विशद रुप प्रदान कर देते है. आभार.

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  21. गाडी पंछी-परिंदों की पटरी पर सही दौड़ रही है:)

    >क्या संयोग है! दादाभाई और दिनेशराय....दोनों का जन्म दिन एक ही है---- दोनों को जन्मदिन की बधाई।

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  22. जसवंत सिंह की किताब पर बैन से मैं भी सहमत नहीं.

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  23. माना यह भी जाता है कि यह पक्षी जितनी ऊँची जगह पर अण्डे देता है, वर्षा उतनी ही अधिक होती है. यानी पक्षी पूर्वानुमान लगा लेता है.

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  24. औरों के बनाये हुये रास्ते पर नहीं चलेंगे तो टिटहरियाँ चीखेंगी ही क्योंकि उनको लगता है कि इतने बड़े गंगा तट पर आपके पैर उनके ही अण्डों पर ही पड़ने वाले हैं । इस टिटहरिया बीमारी से ग्रसित लोग ही आपका टहलना सीमित करने का प्रयास करते हैं । संभावनायें खोजने के लिये इतर चलना ही पड़ेगा ।

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  25. आदरणीय ज्ञानदत्त जी,

    सुबह जब हम लोग कंधों पर लॅपटॉप टांगे और परेशानियों के समेटे भागते हैं तो यह टिटिहरी तो दूर अच्छे भले इंसान को भी नही देख पाते हैं। कुलमिला कर भैंस से हो गये हैं, अपनी सीध में ही बढे पगुराते हुये।

    यह पोस्ट सिखाती है कि हमारे आस-पास अभी भी बहुत कुछ नही बदला है, हमें जरूर देखना चाहिये प्रकृति के रोचक, अद्भुत संसार को और सीखना चाहिये कुछ ना कुछ ।

    बहुत ही रोचक और सुन्दर वीडियो से सज्जित पोस्ट पसंद आयी।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  26. आदरणीय पाण्डे जी ,मन इसलिये प्रसन्न है कि मैने अभी कुछ समय पहले ही स्व . मुकुटधर पाण्डेय जी की कविता " कुररी " जो जुलाई 1920 की "सरस्वती" पत्रिका मे छपी थी , पढ़ी है और अब कुररी यानि टिटहरी पर आप का यह लेख पढ़ा । यह बिंब मुझे बहुत आकर्षित करता है और एक कविता मे मैने इसका प्रयोग किया है । -शरद कोकास ,दुर्ग छ.ग.

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  27. टिटिहरी की आवाज आपके किसी पिछले विडियो में भी एक बार सुने दी थी. बहुत दिनों के बाद सुनी है ये आवाज.
    वैसे अंडो की चिंता व्यर्थ ही है उन्हें बचाना डुबाना प्रकृति का काम है. मनुष्य का ज्यादा हस्तक्षेप दीखता नहीं आपके चित्रों और विडियो से. और जब तक मनुष्य का हस्तक्षेप सीमित है तब तक चिंता की कोई बात नहीं :)

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  28. मजेदार लेखन + रोचक विडियो + नॉस्टॉल्जिक टिप्पणीयां = लकदक पोस्ट

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  29. हमारे गाँव मैं टिटहरी को बोलना अशुभ माना जाता रहा है | वैसे आपने टिटहरी पर अच्छा लेख लिखा है |

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  30. उम्मीद है जसवंत सिंह की किताब के बारे में और बताएँगे आप.

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  31. टिटिहरी aur blogger dono ko ek jaisa bata kar
    aap टिटिहरी ke saath anyay kar rahe hein. Hum logon टिटिहरी se bhi tez nariyate hein.

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  32. टिटिहरी aur blogger dono ko ek jaisa bata kar
    aap टिटिहरी ke saath anyay kar rahe hein. Hum logon टिटिहरी se bhi tez nariyate hein.

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  33. हौसले बुलंद होने चाहिये यही सिखाती है टिटहरी । समुद्र को निगलने का जज्बा हो तो और क्या चाहिये । आपका विडियो अच्छा है ।

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  34. गंगा जी के घाट पे
    हुई ब्लोग्गरों की भीड़
    टिटहरी टिट टिट रटे,
    भले मानुस को न आये नींद !!

    - लावण्या

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  35. टिटिहरी की आवाज आपके किसी पिछले विडियो में भी एक बार सुने दी थी. बहुत दिनों के बाद सुनी है ये आवाज.
    वैसे अंडो की चिंता व्यर्थ ही है उन्हें बचाना डुबाना प्रकृति का काम है. मनुष्य का ज्यादा हस्तक्षेप दीखता नहीं आपके चित्रों और विडियो से. और जब तक मनुष्य का हस्तक्षेप सीमित है तब तक चिंता की कोई बात नहीं :)

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  36. आदरणीय ज्ञानदत्त जी,

    सुबह जब हम लोग कंधों पर लॅपटॉप टांगे और परेशानियों के समेटे भागते हैं तो यह टिटिहरी तो दूर अच्छे भले इंसान को भी नही देख पाते हैं। कुलमिला कर भैंस से हो गये हैं, अपनी सीध में ही बढे पगुराते हुये।

    यह पोस्ट सिखाती है कि हमारे आस-पास अभी भी बहुत कुछ नही बदला है, हमें जरूर देखना चाहिये प्रकृति के रोचक, अद्भुत संसार को और सीखना चाहिये कुछ ना कुछ ।

    बहुत ही रोचक और सुन्दर वीडियो से सज्जित पोस्ट पसंद आयी।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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आपको टिप्पणी करने के लिये अग्रिम धन्यवाद|

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय