Saturday, August 8, 2009

मछेरों का प्रभात


Kevat2 सवेरे छ बजे का समय। घाट पर एक नाव दिख रही थी। मैने पैर थोड़ी तेजी से बढ़ाये। वे छ मछेरे थे। अपने जाल सुलझा रहे थे। काम प्रारम्भ करने के उपक्रम में थे।

उनकी नाव किनारे पर एक खूंटे से बंधी थी। किनारे पर जल का बहाव मंथर होता है। अत: स्थिर लग रही थी। नाव पर जाल थे और एक लाल कपड़े से ढ़ंका बड़ा सा चौकोर संदूक सा था। शायद मछलियां रखने का पात्र होगा। आपस में वे अपनी डायलेक्ट में बात कर रहे थे कि दूसरे किनारे पर धार में आगे की ओर जाल डालेंगे।

Kevat4 मेरे कैमरे को देख उनमें से एक दो ने तो कौतूहल दिखाया, पर उनका नेता – जो पौराणिक निषादराज सा लग रहा था; जाल सुलझाने के अपने काम में ही लगा रहा। बिल्कुल शृंगवेरपुर [1] का निषादराज!

उसने शीध्र ही रवानगी को कहा। एक मछेरे ने रेत से खूंटा खींच लिया। तट पर खड़े दो मछेरे नाव पर चढ़ गये।  पहले से बैठे एक ने पतवार संभाल ली। Kevat3उसने पहले बायें हाथ की पतवार चला कर नाव को नब्बे अंश मोड़ा। फिर दोनो पतवार चलाते हुये नाव को बीच धारा में खेने लगा। नाव आगे दूसरे तट की ओर क्षिप्र गति से बढ़ चली।

यह पढ़ने में बड़ा सरल सा लगता है। पर इसे गंगा तट के वीडियो में देखा जाये तो बड़ी अलग सी अनुभूति होती है। कितनी सरलता से तट से विलग होती है नाव  और कितनी सरलता से खेने वाला उसे आगे बढ़ाता है। मेरा प्रात: भ्रमण सार्थक हो गया।

आप यह वीडियो देखें। इसे जल्दी खुलने के लिये कम रिजॉल्यूशन का रखा गया है। केवल 68KB/Sec की डाउनलोड स्पीड पर चल सकता है। और मैने अपनी कमेण्ट्री देने का यत्न नहीं किया है – लिख जो दिया है पोस्ट में!   


[1]. भगवान राम के केवट यहीं के राजा थे और यह स्थान बीस-बाइस कोस की दूरी पर है|

36 comments:

  1. saf sutharee gagajee ko dekh kar bada anand aya. Ek bar to laga ki kanhee aapne apne camere men atankwadi gatividiyan to nahee kaid kar leen par video dekh kar laga nahee ye to apne kewt raja hee hain.

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  2. क्या कहूँ-इतनी सार्थक ब्लॉगिंग देख ईर्ष्या हो रही है. सोचता हूँ कि क्या ये वो ही बंदा है, जो कभी ट्यूब खाली होने को ले चिन्ता प्रदर्शीत कर रहा था.

    बहाये रहिये!! स्नान कर रहे हैं.

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  3. लोहे के उपर गाड़ी दौड़ाते दौड़ाते अब पानी पर दौड़ने वाली गाड़ियों के उपर कमेंट्री !

    लोहा और पानी । लोहार और मल्लाह। कवि जनों सुन रहे हो? कुछ रचो भाई।

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  4. कमाल है .. इतने दिन से कर रहे प्रात: भ्रमण के बावजूद यह दृश्‍य आपको अब देखने को मिला .. वैसे बहुत अच्‍छा है !!

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  5. क्या क्या देख आते हैं आप गंगा तट पर ...ज्ञान- चक्षु जो हैं ..!!
    सर्वथा मौलिक है आपका लेखन ..!! बधाई ...!!

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  6. अब तो पक्का है की वानप्रस्थ प्रबल हो रहा है

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  7. कहाँ कहाँ आपकी नजर जाती है - यह बहुत महतवपूर्ण है। सुन्दर।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  8. एक बात बतायें:

    ये संताई के लछ्छ्ण हैं..ठीक नहीं कहलाते घर द्वार के भीतर रहने वालों के लिए...या तो फिर हमरे साथ हरिद्वार चलने तैयार रहिये,,वन्हिये आश्रम खोल रहे है..ध्यान, पठन, बकयाई और ब्लॉगिंगाश्रम!!

    करिहो का ज्बाईन!!

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  9. जीवन के आरंभ का सुंदर गीत!

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  10. एक अलग ही संस्कृति के वाहक हैं ये मल्लाह, जो इनके विशिष्ट संगीत में झलकती है.
    अनूठा है आपका ब्लॉग-लेखन.

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  11. अच्छा है। पिछवाड़े की तस्वीरों को सामने लाते रहिए। मानसिक हलचल मचनी चाहिए। ये अच्छा प्रयोग है। वीडियो क्लिप के ज़रिये गली मोहल्ले के दीदार हुए जा रहे हैं।

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  12. वैसे मुझे लग रहा कि आपको "ब्लोगर गंगा किनारे ३२व्वाह्लाय.." कहें तो कैसा रहेगा? :्र५व्ह्युब४ह्य्र५च्व्ब्य ६तज़्द़्अद्र४१२द्५्ह ३च़्य६वच्व़्य)अ६र्त३

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  13. वैसे मुझे लग रहा कि आपको "ब्लोगर गंगा किनारे वाला ." कहें तो कैसा रहेगा? :)..

    बाकी कलाकारी नत्तु पांडे सीनियर की है.. आपसे विशेष प्रेम है उसे..

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  14. लछ्छन वैराग्य की ओर के हैं। अब नया नाम अपने लिये चुन ही लें।

    'बाबा रेलानंद' कैसा रहेगा :)

    'ट्रेनर्षि' नाम का आश्रम भी गंगा तट पर खोला जा सकता है।

    समीरजी को भंडारी का काम सौंपा जा सकता है । सुना है मिठाईयां आदि भंडारगृह में कुछ ज्यादा ही रखे रहते हैं :)

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  15. इतने दिन से कर रहे प्रात: भ्रमण के बावजूद यह दृश्‍य आपको अब देखने को मिला .. (संगीता पुरी)

    दृश्य देखना तो बहुत समय से हो रहा था, बस उसे ब्लॉग पर ठेलने की कला इस लम्बे अनुभव के बाद आ पायी है। शायद सड़क, भीड़-भाड़, दफ़्तर और राजनीति की बातों से मन भर गया है, इसलिए अब ऐसी कूल पोस्ट मनभावन हो गयी है।

    हम भी यह सब सीखने की कोशिश कर रहे हैं गुरूजी-प्रणाम।

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  16. "कितनी सरलता से तट से विलग होती है नाव और कितनी सरलता से खेने वाला उसे आगे बढ़ाता है"...

    काश! जीवन नौका भी इसी तरह खेवनहार के हवाले कर सकें......................!!!!!!

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  17. sir ji namaskar

    aap kahan kahan chale jaate hai , dhany hai aapki paarkhi nazar aur aapka daastan bayan karne ki style mujhe bahut bhaayi sir .. photo aur saath me shaandar warnan.. badhai hi badhai...

    aabhar

    vijay

    pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.com

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  18. गंगा तट का अच्छा लेखजोखा तैयार हो रहा है.

    सार्थक ब्लॉगिंग.

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  19. गंगा मैया बड़ा कंटेंट दे रही हैं आजकल. बड़े बड़े चिन्तक ऐसे ही बनाए हैं गंगा मैया ने .

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  20. गंगा तट देखकर मन आनंदित होगया जी. किसी आश्रम की स्थापना का विचार पक्का हो जाये तो हमारा भी खयाल रखा जाये.:)

    रामराम.

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  21. मल्लाहों का यह टीम वर्क देख के आनंद आ गया.अनुकरणीय है- व्यक्तिगत जीवन के लिए भी और देश की नाव चलाने वालों के लिए भी.

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  22. आप की इन पोस्टो के कारण हम भी गंगा घूमने का मजा ले रहे हैं आभार।

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  23. शिकार पुर से बण्टी, सोनू, कालिया और उनके परिवार के सभी सदस्य लिखते हैं : आपका बिलाग हमें बहुत अच्छा लगता है .आपकी पोस्ट का हमें बेसब्री से इन्तज़ार रहता है . आपके जैसा ब्लॉगर हमने आज तक नहीं देखा जो ट्यूब खाली होने के उपरान्त भी ठेले ही जा रहा है !

    हमें वो वाला गाना सुनवायें जिसमें सलमान खान मीना कुमारी को बाँहों में उठा लेते हैं !

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  24. सावन मे गंगा दर्शन. धन्यवाद


    http://hellomithilaa.blogspot.com

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  25. आदरणीय पांडेय जी,
    बड़ा अच्छा लगता है आपके ब्लॉग पर आकर गंगा मैया का दर्शन करना ...और वहां की पुरांनी सुखद स्मृतियों को संजोना ...और उसमें भी आपका इतने आकर्षक ढंग से किया गया वर्णन ....बहुत अच्छा ..
    हेमंत कुमार

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  26. वाह, सार्थक खांटी ब्लॉगिंग कर रहे हैं, प्रातः गंगा किनारे की सैर सेहत के लिए भी बढ़िया और आपके ऑब्ज़रवेशन्स ब्लॉग के लिए बढ़िया। :)

    जिनको अनुभव नहीं है उनको देखने में नाव खेना बहुत आसान लग सकता है, मुझे भी लगता था कि आसान काम है, लेकिन अनुभव कर जाना कि आसान काम नहीं है, स्टैमिना काफ़ी चाहिए, थोड़ी ही देर में कमर की ऐसी कि तैसी हो जाती है! और मैंने तो अभी एक ही पतवार से खे कर देखी है, एक साथ दो पतवारों से अकेले पूरी नाव खेना उससे अधिक कठिन कार्य जान पड़ता है, कभी मौका लगने पर आज़मा के देखा जाएगा। :)

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  27. आपने तो घर बैठे ही गंगाभ्रमण करवा दिया.धन्यवाद.

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  28. और सर्र ...से नाव सरकने लगी ..
    .दुसरे लिंक भी देखूंगी ,
    गंगा मैया की जय हो --
    दूर से ही दरसन कर लेते हैं ...
    यहां की ओहायो नदी हो
    चाहे केन्टकी नदी ,
    गंगा जी वाली बात नहीं ..

    - लावण्या

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  29. शिकारपुर के विवेक भैया विवेक की फ़रमाइश पूरी करने के बाद हमको आप ऊ वाला गाना सुनाइये जो उस दिन आप बता रहे थे।

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  30. निराली पोस्ट, निराली बातें...
    शिवकुटी आना ही होगा ये सब नजारे देखने के लिए...

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  31. ओ माझी रे,
    तेरा किनारा,
    नदिया की धारा है ।

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  32. अध्यात्मिक आन्नद. बहुत सुन्दर पोस्ट. आभार.

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  33. दारागंज और संगम के पंडों में रोष है कि वही गंगा माई तो हमारे पास हैं भी हैं लेकिन पांडे जी हमरे बदे कुछ नहीं लिखतेन. शिवकुटी के घाट पर पांड़े जी की गाड़ी अटकी हुई है. वहीं खड़ी खड़ी दे सीटी पे सीटी. लगता है किसी ने होस पाइप काट दिया. केऊ कहत रहा कि पांड़े जी फाफामऊ के पुल के नीचे खड़े हो मालगाड़ी का डिब्बा गिन लेत हैं. बस होइ गवा संचालन. बाकी टाइम गंगा तीरे कभौं भईंस, कभौं घोड़ा, ऊंट, कभौं गदहा आउर कभौं बकरी निहारत हैं. एक जने कहत रहें कि अब रामायण पार्ट टू की बारी है और उसका नाम होगा 'साइबरायण' और रचयिता होंगे ज्ञानदत्त पांडे.

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  34. निषादराज जैसी कर्मलिप्तता...और..
    निषादराज जैसी ही कर्मरतता में परिवेशी निर्लिप्तता...

    हम सब को नसीब हो...
    आमीन

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  35. बहुत सुन्दर बस देखते ही बनता है.
    वाह क्या दृष्टि है !

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय