Friday, February 20, 2009

समीरलाल का आंकड़ा


samirlal श्री समीर लाल की २८३ वी पोस्ट “किसी ने देखा तो नहीं” पर जब मैने टिप्पणी की तो वह ६५वीं थी। इसे ले कर उनके ब्लॉग पर ९९९८ टिप्पणियां हो चुकी हैं। जब तक मैं सो कर उठूं, दस हजार पार तो हो ही जायेंगी। अब मैं सोने जा रहा हूं।  

आप दन्न से बजायें ताली। Clapping 2


19 comments:

  1. ये हिन्दी ब्लोग जगत का
    यशस्वी कीर्तिमान और
    भविष्य के हिन्दी ब्लोगर साथी की लेखनी के लिये एक प्रेरणा स्त्रोत बना रहेगा
    बधाई हो समीर भाई !!
    ज्ञान भाई साहब का शुक्रिया
    जो इस बात को हमेँ बतलाया -
    अब तो यही कहेँगे,
    " ज़य हो !! " :)
    - लावण्या

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  2. बहुत आभार आदरणीय ज्ञान जी, इस सुन्दर जानकारी के लिए। अब सबके साथ हम भी इंतज़ार में हैं उस सुखद पल के।

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  3. आप तो सोने चले गए। हमें लगा गए काम से।
    सचमुच में ज्ञानी हैं।

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  4. अरे बाप रे, अभी बजाता हूँ महराज!

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  5. रिकार्ड बनने दीजिए। फिर तोड़ने का टारगेट फिक्स होगा। नंबर आप का ही है।

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  6. मैं तो जा रहा हूँ १०,००० वी टिप्पणी करने....

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  7. आपको जानकारी देने का शुक्रिया .

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  8. ताली दे ताली बल्कि ताली ही ताली और ये तालियाँ -और ये स्टैंडिंग ओवेशन भी !

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  9. बधाई समीर जी को और आपको भी मानना पड़ेगा,क्या नज़र रखते हैं आप्।इसे कहते है पढ्ना है तो पूरा पढो और दिल से पढो।वर्ना हम भी पढ कर मगर इस बारे मे सोच भी नही पाये थे,और अगर सोचते भी तो अपने बारे मे सोचते।दूसरो के रिकार्ड की कदर और तारीफ़ करना,अच्छा लगा।

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  10. बहुत आभार इस जानकारी के लिए। और ढेरो बधाई आदरणीय समीर जी को इस उपलब्धि पर....

    regards

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  11. ऐसे आप के भी चिट्ठे पर कम टिप्पणीं नहीं होनी चाहिये।

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  12. बहुत आभार इस जानकारी के लिये.

    रामराम.

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  13. समीरजी को बधाई!

    वैसे आप भी शायद टिप्पणी के मामले में समीर जी के आस-पास ही होंगे।

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  14. बजा दिये जी.. अब और क्या हुकुम है, और किसे बजायें.. :D

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  15. आपका हुक्म सर आंखों पर...बजा रहे हैं ताली :)

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  16. समीर भाई को बहुत बहुत बधाई..........
    अभी तो शुरुआत है उनकी, आगे आगे देखिये होता है क्या

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  17. ध्यानाकर्षण के लिये आभार!! जल्दी ही आप के लिये भी हम ताली बजाने वाले हैं!!

    सस्नेह -- शास्त्री

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  18. बहुत आभार ज्ञान जी. क्या कातिल नजर पाई है. हमें तो खुद आपसे मालूम पड़ा. :)

    सभी का शुभकामनाओं के लिए बहुत आभार. सफर में आप सबका स्नेहमयी साथ है, तो आनन्द आ रहा है. बस, ऐसे ही स्नेह बनाये रखिये. लिखने का हौसला मिलता रहेगा.

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय