Friday, September 26, 2008

पिछली बार टाई कब पहनी मैने?


एक मेरी बहुत पुरानी फोटो है, बिना टाई की|GyanYoungNoTie

tieमुझे याद नहीं कि मैने अन्तिम बार टाई कब पहनी। आजकल तो ग्रामीण स्कूल में भी बच्चे टाई पहने दीखते हैं। मैं तो म्यूनिसेपाल्टी/सरकारी/कस्बाई स्कूलों में पढ़ा जहां टाई नहीं होती थी। मास्टरों के पास भी नहीं होती थी।

मुझे यह याद है कि मैं सिविल सर्विसेज परीक्षा के इण्टरव्यू के लिये जरूर टाई पहन कर गया था। और वह टाई मैने स्वयं बांधी थी – अर्थात टाई बांधना भी मुझे आता था। अब तो शायद बांधना भी भूल गया होऊं। 

मेरी पत्नी जी ने कहा कि मैने एक फोटो रेलवे स्टाफ कॉलेज में टाई पहने खिंचवाई थी – लगभग ढ़ाई दशक पहले। मुझे इण्डक्शन कोर्स में गोल्ड मैडल मिला था। किसी बड़े आदमी ने प्रदान किया था। अब वह भी याद नहीं कि वह किसने दिया था। स्मृति धुंधला गयी है। और वह टाई वाली फोटो भी नहीं दीख रही कम्प्यूटर में।

बहुत ग्लेमर लेस जीवन है अपना। मैं यह इस लिये कह रहा हूं क्यों कि कल मैने अखबार में कल खबर पढ़ी थी। इलाहाबाद में एक गगन चुम्बी कमर्शियल इमारत में बम ब्लॉस्ट की अफवाह के बाद उसमें से बाहर निकलते ढ़ेरों टाई पहने नौजवान लड़के लड़कियों की तस्वीर छपी थी उस खबर के साथ – और वे सब ड्रेस और टाई पहने थे। कितने स्मार्ट लग रहे थे। हम तो कभी स्मार्ट रहे ही नहीं जी!

प्लेन-प्लेन सी सादी जिन्दगी। ग्लैमर रहित। बिट्स पिलानी में किसी लड़की ने भाव नहीं दिया। जिन्दगी भी चल रही है; और जो भी शो-पानी है, सो तो पत्नीजी की कृपा से ही है।

पर एक टाई खरीदने – पहनने का मन हो रहा है। कित्ते की आती है टाई; जी!

Rita in lawn 1 रीता पाण्डेय की प्री-पब्लिश त्वरित टिप्पणी – क्या कहना चाहते हैं आप? क्या स्मार्ट लगना, रहना गलत है। क्या आप बताना चाहते हैं कि लोगों से अलग आपको केवल मुड़े तुड़े कपड़े चाहियें? उन नौजवानों का काम है, प्रोफेशन है। उसके अनुसार उनकी ड्रेस है। सरलता – सादगी का मतलब दरिद्र दीखना थोड़े ही होता है? अपने पास टाई न होने का नारा क्या दूसरे तरह की स्नॉबरी नहीं है?


36 comments:

  1. LOL
    I like Ritaji's plain accusation of "reverse snobbery "
    that is spoken like a True Wife !1
    &
    in Hindi i can add,
    "नेहले पे दहला "

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  2. उपर लगे चित्रों के जरिये भी एक संदेश जा रहा है.....टाई का नुकीला सिरा सीधे रीताजी की तरफ इस तरह इंगित कर रहा है कि इन्हीं की वजह से यह पोस्ट लिखना पड रहा है वरना हम तो कबके टाई मान चुके थे कि अब कभी टाई से भेंट न होगी :)
    अच्छी पोस्ट, रोचक चर्चा।

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  3. आपकी पोस्ट के लिये भगवती चरण वर्मा की कहानी दो बांके से खास टिप्पणी- मुला स्वांग खुब भरयो! :)

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  4. हम पूरी तरह से रीता जी के साथ हैं। ड्रैस सेन्स कई तरह की होती है और कोई भी अच्छी लग सकती है। सोचिये वाजपेयी टाई में कैसे लगेंगे और मैं मनमोहन सिंह धोती में?

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  5. जिन्दगी में टाई पहनने के समय:

    १) तीसरा सेमेस्टर बी. टेक. : जब नये जूनियर्स (फ़च्चों) के लिये रेलवे स्टेशन पर एक काउंटर लगाया था ।
    २) छठा सेमेस्टर बी. टेक : जब अपने सीनियर लोगों के विदाई समारोह में हमने मंच का संचालन किया था ।
    ३) सातवां सेमेस्टर : जब कालेज में सेमिनार दिया था ।
    ४) फ़रवरी २००४: अपनी बडी बहन की शादी पर, रिश्तेदारों के कहने पर ।

    भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में पूरे दो साल बिना टाई पहनने का मौका मिले निकल गये । यहाँ अमेरिका में भी एक बार शौकिया इंटरव्यू में बैठे थे तो टाई लगायी थी ।

    वैसे आज मेरे रूममेट ने एक इंटरव्यू दिया था और कल रात को मैने अपने बक्से से टाई खोजकर, गांठ लगाकर दी थी । गांठ लगाना अभी भी याद है ।

    अभी कुछ वर्ष पहले बैंक आफ़ बडौदा ने अपने अधिकारियों को टाई पहनने के निर्देश दिये थे । तो शौक शौक में पिताजी ने हफ़्ते दस दिन टाई लगायी । उसके बाद टाइ उनके आफ़िस की दराज में बैठ गयी और किसी वरिष्ठ अधिकारी के बैक दौरे के समय ही बाहर आती थी :-)

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  6. मुझे भी टाई पहने कोई चार-छह माह हो गए हैं। वैसे एक काली टाई, काले कोट के साथ हमेशा मेरी कार में एक पोलीथीन थैली में उपस्थित रहती है। गर्मी इतनी होती है, और यहाँ अदालतों का अनुशासन इतना ढीला कि उसे कार से निकालने का अवसर नहीं आता। जज भी कोई कभी टोकता नही। तो सादा वस्त्रों से काम चलता रहता है। पर अब दीवाली से होली तक नियमित रूप से पहनेंगे जिस से आम लोग जानने लगें कि आखिर हम भी वकील हैं।
    टाई भारत में केवल प्रदर्शनी की वस्तु है। भारतीय वातावरण के लिए तो साधारण महीन वस्त्र ही उपयोगी हैं। टाई तो हमेशा कचोटती सी लगती है। वह चुस्ती के लिए कतई आवश्यक नहीं।

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  7. पहले आप ज्यादा स्मार्ट थे ....यह कहना ग़लत होगा कि लड़कियों ने भाव नही दिया बल्कि इस नौजवान तेज तर्रार स्वाभिमानी छोरे और अब के सरकारी मुलाजिम की व्यथा कथा को यूँ कहा जा सकता है -
    इक वो आलम था कि खुदा को खुदा न कह सका
    अब इक ये आलम है कि हर बुत को खुदा कहते हैं
    बहरहाल मेरी इस बात को आदरणीय रीता जी का समर्थन मिलेगा और वे आपकी इस आत्म प्रवंचना पर आपके निश्चित ही क्लास लेंगी !
    रही बात पढ़ने ओढ़ने की तो जिसे जैसा मन भाये -इक्सेन्ट्रिक कभी कपड़े लत्तों पर ध्यान नही देते -यह दोयम दर्जे लोगों का काम है .पहले तो नही अब मैं भी कोशिश करता हूँ कि स्मार्ट सा दिखूं -यह जीनो का चीत्कार सा लगता है कि भाई मैं अभी चुका नहीं और यह थुल थुल होता शरीर दरअसल अभी भी जीनो का लबादा और तन्वंगिओं को संभाल सकता है -कोई तो झांसे में आए और गुलशन का कारोबार चले ......चलिए कभी इसग्रंथि का विस्तार से विवेचन साईब्लाग पर ......

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  8. एक बात तो कहना ही भूल गये ।
    आपके "वी" गले के हाथ के बुने हुये स्वेटर ने बहुत पुरानी यादों को जाग्रत कर दिया है, साथ ही चश्मे का फ़्रेम और तेल लगे हुये सलीके से कढे हुये बाल बहुत अच्छे लग रहे हैं ।

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  9. कुछ वर्ष पहले ब्रिटेन के एक अतिप्रतिष्ठित पत्रकार ने जब टाई को 'एपेंडिक्स ऑफ़ द क्लोदिंग' क़रार दिया था तो वहाँ नेकटाई पर अच्छी बहस छिड़ी थी.

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  10. हमने तो कक्षा पांच तक रोज पहनी, स्कूल की ड्रेस मे थी। टाई स्मार्टनेस में बढ़ोत्तरी करती है। बंदा चुस्त चौकस टाइप लगता है। कुछ लोग चुस्त चौकस होते हैं, कुछ की टाई उन्हे ऐसा दिखाती है।
    समझदारी बढ़ी, तो टाई बहूत चिरकुट टाइप की चीज लगी। फिर कभी ना पहनी। अब कभी कभी लगता है कि पहन ही ली जाये, कुछ ऐसा बुरा आइटम भी नहीं है।
    वैसे एरोगेंस और टाई अफसरों को अधिक शोभा देती है। सीधा सादा मास्टर लेखक टाइप इस लपेटे में सच्ची का टाई वाला मान लिया जाये, तो प्राबलम हो जायेगी।

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  11. स्कूल की पढाई टाई पहन कर हुई।टाई कभी-कभी होम वर्क पूरा नही कर स्कूल जाने पर बचने का उपाय बन जाती थी। घर से यूनिफ़ार्म मे निकल कर स्कूल पहुंचते तक टाई जेब के हवाले और असेम्बली मे बिना टाई पहुंचने पर क्लासरूम के बाहर खडे रहने की सजा मार खाने से कम लगती थी।उसके बाद कभी कभार शादी ब्याह मे पहन ली। अब तो याद भी नही आता पिछली बार कब पहनी थी। एक बात ज़रूर है टाई पहनो तो स्मार्टनैस के अलावा फ़िट्नैस भी ठीक रह्ती है

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  12. आज तक टाई नहीं पहनी, न ही कोई इरादा है.

    ये स्मार्ट युवक मोटी पगार पाने वाले गुलामो से अधिक कुछ नहीं.

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  13. ये टाई कोई अच्छी चीज नहीं हो सकती जी. देखिये ना कैसी-कैसी गड़बड़ चीजों से राइम करती है: कुटाई, पिटाई, लुटाई, सुताई, ढिठाई.... एक भी ढंग की तुक नहीं बस एक मिठाई को छोड़ दें तो.

    आप दाम क्यों पूछ रहे हैं? अगर टाई वाला चित्र ब्लॉग पर लगाना है तो उसके लिए भी खरीदने की कोई जरूरत नहीं. फोटोशॉप की मदद से कहें तो आपके इसी हेंडसम से फोटो को टाई पहना दें, या फ़िर किसी टाई वाले के धड पर आपका सर जोड़ दें. चित्र ही चाहिए तो उसके लिए पैसे खोटे क्यों करने?

    और जिन टाई वाले नवजवानों और नवजवानियों का आपने जिक्र किया, उन्हें तो दूर से देख कर ही भय लगता है, कि अभी आकर कोई ऐसी वस्तु बेच जायेंगे जिसकी कोई आवश्यकता दूर-दूर तक नहीं है.

    नारायणमूर्ती और अजीम प्रेमजी हाशमी तो हमेशा ही आधी बाँहों की हलके रंग की (अक्सर सफ़ेद) शर्ट में नजर आते हैं, सिवाय तब के जब किसी बड़े सेमीनार में स्पीच दे रहे हों. हमारे आदर्श तो ये हैं.

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  14. सर जी , टाई कभी स्कूल में थी ही नही ! बाद में एक आध
    बार ट्राई की पर बात कुछ बनी नही ! फ़िर कभी समय ही
    नही मिला इसके बारे में सोचने का ! और ये जान कर आज
    बड़ी प्रशन्नता हुई की आपका बीट्स पिलानी से नाता रहा है !
    हमारा बीट्स से तो नही पर पिलानी से गहरा रिश्ता है !

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  15. हा,हा,हा,हा,...। ससुरी टाई भी हिट हो गयी इस पोस्ट में आकर। अब तो केवल दूसरों के लिए गाँठ बाँधते हैं हम। इन्टरव्यू और शादी में खुद भी बाँध लिया था।

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  16. टाई आप पर तब भी फबती.... ओर अब भी फबेगी .....कभी टाई वाली फोटो भी दिखाईये ....

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  17. हमें तो बिना टाई वाले लोग ही ज्यादा अच्छे लगते हैं....हमें भी अकेडमी में टाई बांधनी पड़ती थी ...सीखी भी थी लेकिन आलसी जीवों का क्या कीजिये!पहले दिन जो बंधवाई किसी से, साल भर तक उसी से काम चल गया!

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  18. पोशाक शरीर को ढंकने के साथ साथ मौसम के अनुकूल होने चाहिए.कडाके की ठण्ड में टाई भले सर्दी से बचाव के लिए उपयोगी होते हैं,पर अमूमन भारतीय आबोहवा में जहाँ मार्च से लगभग अक्टूबर तक गर्मी ही होती है, यह नितांत अनुपयोगी और कष्टकारी अनावश्यक परिधान है..
    बाकी चीजों जैसे अंग्रेजी बोलना या पश्चिम की नक़ल कर अपने को स्मार्ट सिद्ध करने के फेर जैसा ही यह टाई पहनना भी है.टाई पहनकर ही यदि स्मार्ट बना जा सकता है तो गांधीजी को तो निहायत ही अनस्मार्ट मन जाएगा न.

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  19. आपकी हेयर स्टाइल तब बड़ी अच्छी थी... पर चश्मा और आदर्श विद्यार्थी की इमेज लग रही है तो लडकियां कहाँ से भाव देंगी !

    टाई हमने पहली बार करीब डेढ़ साल पहले अपने पहले इंटरव्यू में ही बाँधी थी. और उसके बाद भी बहुत कम... हाँ बाहर गया तो लगाना पड़ा वो भी कोट के साथ :( मुझे तो मजबूरी लगती है.

    पुणे में तो नहीं पर बाकी जगह इनवेस्टमेंट बैंक के ऑफिस में कोट रूम होते हैं जहाँ आप लटका के रख सकते हैं. मैंने वहीँ लटका ही छोड़ा था, कभी-कभी जरुरत महसूस हुई तो पहन लिया.

    और बाकी चीजों की तरह टाई के दाम की भी रेंज बड़ी लम्बी चौडी है... एक ही टाई ली थी हमने वही डेढ़ साल पहले वाली करीब ५५० रुपयों की सेंचुरी की, लोग कहते हैं की मैं बड़ी दूकान में ठग लिया गया. एक दिन ऑफिस बांध के जाइए और फोटो लगाइए लोगों से मिलने वाली दृष्टि और कोम्प्लिमेंट्स के साथ.

    ऐसे प्रयोग करने चाहिए, बड़ा मजा आता है :-)

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  20. टाई की बातों में बड़ा रस आया। आपकी फोटो अच्‍छी है, ग्रेसफुल वि‍दाउट टाई।

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  21. टाई कथा पसंद आई। और आप दोनों की फोटो भी ।

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  22. जिन्दगी में एक ही बार बांधी थी, सजा आज तक भुगत रहे हैं।
    :(

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  23. टाई पहनने से मानव स्मार्ट हो जाए, ये ज़रूरी नहीं है.
    अपने पाटिल साहब तो बिना टाई के ही स्मार्ट लगते हैं.

    और घोस्ट बस्टर जी से जो बात कहनी है वो है "लटाई को काहे भूल गए जी?"

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  24. पंडित जी टाई पुराण के लिए आभार . जिंदगी में मैंने पहली बार टाई पहिनी थी फ़िर शादी हो जाने के बाद इसे फाँसी समझकर पहिनना छोड़ दिया . वैसे हमारे शहर जबलपुर में लोग टाई पहिनना पसंद नही करते है और वे सड़को पर शर्ट के दो उपरी बटन खोल कर चलना पसंद करते है .

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  25. मुझे अच्छी नही लगती यह टाई, लेकिन साल मे एक आध बार बांधनी पड जाती हे, ओर वह दिन उस साल का सब से खराब दिन होता हे, जेसे गले मे कुते का पटा डाल लिया हो,
    धन्यवाद

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  26. अपनी अपनी पसंद है। जिसे जो भाए वही पहनना चाहिए। रुचि के अलावा बहुत कुछ यह समय और परिवेश पर भी निर्भर करता है। भाभी जी की त्‍वरित टिप्‍पणी ठीक ही है। कहावत भी है कि जैसा देश, वैसा वेश।

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  27. जब हमें टिपियाने में परेशानी हो रही थी तब सपोर्ट देने के लिए धन्यवाद्। हम रीता जी से सहमत्। आप की पोस्ट काफ़ी प्रेरणादायक हैं, वो कैसे ? वो खुलासा फ़िर कभी।

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  28. आपकी सादगी से बहुत प्रभावित हुआ अतः घर आते ही टाई उतार दी है. बेटाई लेखन करुँगा और आपको भी इस बेटाई लेखन की बधाई!

    आजकल किसी भी तरह अपनी नई पुरानी फोटो सांटने का मानो फैशन ही आ गया है. जाने कौन ले आया इसे फैशन में. :)

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  29. देखो जी ऐसा है कि भाई के मुकाबले भौजी ज्यादा राईट लगती है अक्सर

    ;)

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  30. टाई का मूल नाम 'नेक टाई' है और मालवी में बेशर्मी को 'नकटाई' कहते हैं । जो भी हो, टाई के बिना जिन्‍दगी आसान और खुली होती है । मैं ने भी एक बार पहनी थी - 1967 में । कालेज की पत्रिका के सम्‍पादकीय पन्‍ने पर छापने के लिए फोटो खिंचवाने के वास्‍ते । वह दिन और आज का दिन ।

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  31. आजकल तो टाई मार्केटिंग के लोगों की पहचान बन गयी है। जैसे ही कोई टाई पहने व्यक्ति दिखता है, आदमी बचके निकलने के लिए रास्ता खोजने लगता है। ऐसे में तो मैं यही कहूंगा कि आप बिना टाई के ही स्मार्ट लग रहे हैं।

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  32. सबसे पहले संजय बेंगाणी जी से असहमती जताना चाहूंगा.. मुझे तो उनकी बातों से यही लग रहा है कि सभी अंतरराष्ट्रिय कंपनी में काम करने वाले नौकड़ी छोड़ कर बैठ जायें.. या फिर वहां के नियम-कायदों कि अपेक्षा करते रहें..

    अब घोस्ट बस्टर जी से मुखातिब होता हूं.. अरे सर जी मिठाई कैसे भूल गये?? उससे बड़ी और कोई चीज दुनिया में है क्या? हर खुशी के मौके पर हम सबसे पहले वही बांटते हैं.. और शिव जी भी लटाई कि याद दिला ही गये हैं.. :)

    पिछली बार मैंने पिछले साल मार्च में टाई बांधी थी.. ऑफिस में अप्रैल के बाद गर्मी के कारण से टाई कि अनिवार्यता खत्म कर दी गई.. उसके बाद अभी तक लागू नहीं हुई.. वैसे ज्ञान जी, मेरे पास 3 टाई है.. एक मैंने 150 मे ली थी.. दूसरा मित्रों ने गिफ्ट किया था सो दाम का पता नहीं.. तीसरा पिताजी ने अपनी टाई दी थी जिसकी किमत 700+ कुछ थी.. अब आप ही सोच लिजिये कौन वाळी लेनी है.. मगर फोटो जरूर दिखाईयेगा.. :)

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  33. वैसे फोटो में भी बिना के भी स्मार्ट लग रहें है । अब आप फोटो खिचवा ही लीजिए । इच्छा पूरी हो ही जाये

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  34. फोटो में आप बहुत ही स्‍मार्ट दिख रहे है, पुरानी यादे बहुत अच्‍छी लगी।

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय