Wednesday, May 16, 2007

नयी सुपर उच्छिष्ट कुल्फी

हमारे घर में और कोई बीमार हो, चल सकता है. भरतलाल (मेरा भृत्य) बीमार हो जाये तो तहलका मच जाता है.

भरतलाल का नाम अगर चण्डीप्रसाद होता और मेरी पत्नी भरत-भरत की जगह चण्डी-चण्डी टेरती होती तो हर सप्ताह मेरी पत्नी को लक्ष चण्डी जाप का पुण्य मिलता. इतना महत्वपूर्ण है भरतलाल.

भरतलाल का पेट अक्सर खराब हो जाता है. जब भी वह मार्केट जाता है तो एक रुपये वाले 5-6 समोसे दनादन भकोस आता है. पेट तो खराब होगा ही. पर इस बार पेट नहीं, गला खराब हुआ. गर्मी के मौसम में आवाज बैठी हुयी और हल्की हरारत. गरारे करने और पेरासेटामॉल का इलाज चला. दबिश दी तो बताया कि वह 5 रुपये वाली कुल्फी खा कर आया था.

शाम को मैं और पत्नी कुल्फी वाले को ढूढ़ने निकले. तिराहे पर मिले कुल्फी वाले राम आसरे पटेल. हम हड़काने के मूड में चालू होने वाले थे कि ठेले के बोर्ड पर नजर गयी और हंसी निकल गयी. बेचारे पटेल ने बोर्ड तो सही लगाया था. (चित्र देखें)जब राम आसरे खुद ही बता रहे हैं कि उनकी कुल्फी न्यू सुपर वेस्ट (रद्दी/कूड़ा/उच्छिष्ट/अपशिष्ट) है तो दोष कैसे दिया जाये!
हम राम आसरे की पीठ थपथपा कर, अपने मोबाइल से फोटो खींच कर वापस चले आये.राम आसरे आशंकित भी थे - "कौनो जांच त न होई?"

7 comments:

  1. जांच करके आप केस रफ़ा-दफ़ा कर दिये! :)

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  2. देखिये उसने अपने ठेले पर अपना प्रतिदावा(डिस्क्लेमर) लगाया हुआ है अब आपने खुद देख लिया है तो कोई कानूनी कार्यवाही नही हो सकती

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  3. हमारे देश में अंग्रेजी में लिखा मान्य होता है, अतः कुल्फी वाले का पक्ष भारी है. अच्छा हुआ आपने पंगा नहीं लिया :)

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  4. मै संजय बैंगाणी जी से सहमत हूँ ।अंग्रेजी की महिमा ही निराली है।

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  5. बड़ा ईमानदार प्राणी निकला राम आसरे ! यदि सब इतने ईमानदार हो जाएँ तो सोचिये कैसे कैसे बोर्ड लगे होंगे सब जगह ।
    घुघूती बासूती

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  6. मुझे इसमें 'व्यर्थ से अर्थ' के पुरस्कर्ता और प्रचारक श्रद्धेय रामआसरे पटेल जी की देशज व्यापार-कुशलता और क्षमता के साथ-साथ हिंदुस्तान में अंग्रेज़ी की दुलची हुई दयनीय उपस्थिति के भी मनोरम दर्शन होते हैं .

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  7. हा हा, मजेदार:

    मेरी पत्नी भरत-भरत की जगह चण्डी-चण्डी टेरती होती तो हर सप्ताह मेरी पत्नी को लक्ष चण्डी जाप का पुण्य मिलता.


    --यह घर में पुलिसिया वातावरण काहे भाई जो दबिश दी गई. अब जब पुलिस थाना बना ही लिया है तो वैसा ही व्यवहार होना चाहिये-ले देकर मामला रफा दफा करिये. :)

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय