Monday, May 7, 2007

वंजारा कहते हैं – रणभेरी बज चुकी है

गुजरात में पुलीस के अधिकारी एक व्यक्ति और उसकी पत्नी के छ्द्म-एनकाउंटर के मामले में पकड़ लिये गये हैं. उनमें से प्रमुख, डीजी वंजारा ने कहा है बैटल लाइंस आर ड्रान. बैटल लाइन वास्तव में खिंच गयी है.

पुलीस, राजनेता, अपराधी, मीडिया और आम जनता इस रणभेरी में सभी गड्ड-मड्ड हैं. यह केवल सादी सी निरीह नागरिक और निर्दय पुलीस की कथा नहीं है. आखिर सोहराबुद्दीन कई मामलों में लिप्त अपराधी था, जिसकी तलाश की जा रही थी. और इसपर चर्चा भी ब्लैक एण्ड ह्वाइट चरित्रों को लेकर नहीं होगी. यह एक जटिल विषय का हिस्सा है और इसपर परिदृष्य भी जटिल ही बनेगा भविष्य में.

मुझे तो पूर्वांचल दिखता है. सिवान, गाजीपुर, मऊ, बनारस, इलाहाबाद, गोरखपुर, आजमगढ़ ... सब जगह माफियागिरी और दबंगई का आलम है. इन तत्वों के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीतना सम्भव प्रतीत नहीं होता. कानून में जो गवाही और अंतिम सीमा तक अकाट्य प्रमाण के तत्व मौजूद हैं, उनका पूरे संज्ञान में पैसे व लाठी की ताकत वाले अपने पक्ष में दुरुपयोग करते हैं. न्याय या तो मिल नहीं पाता या फिर उसमें अत्यंत देरी होती है. कानून को कानून के नियमों का (दुरु)प्रयोग कर ये तत्व अंगूठा दिखाते रहते हैं. यही कारण है कि एनकाउण्टर (या फेक-एनकाउण्टर) इस प्रकार के तत्वों से निपटने का सरल और वैकल्पिक माध्यम बन जाते हैं. फिर एनकाउण्टर का दुरुपयोग भी चल निकलता है.

आतंकवादी/नक्सली/रंगदारी/अपहरणकर्ताओं और माफिया से इण्डियन पीनल कोड या क्रिमिनल प्रोसिडियर कोड के बल पर निपटा जा सकना सन्दिग्ध है. क्या आप मानते हैं कि पंजाब में शांति इन कानूनों के बल पर आई थी? इन कानूनों को सुधारने का महत्वपूर्ण काम होना चाहिये. एनकाउण्टर पर, धर्म और राजनीति के निरपेक्ष, एक सुस्पष्ट सोच विकसित होनी चाहिये.

पर वह अपनी जगह है. अभी तो बैटल लाइन खिंच गयी है. खुदाई की जा रही है. उसमें और बहुत कुछ निकलेगा जो हमारी सोच में भी बदलाव लायेगा.

5 comments:

  1. भैया जी आपकी बत सही है पर यहा तो मरे दोनो ( एक हा हल्ला और एक गायब)और रंग दे दिया चैनल वालो से लेकर नेताओ ने धर्म निरपेक्षता का ( हिन्दू /मुसलिम) इस धर्म निरपेक्षता के अन्धो को कौन रास्ता /रौशनी दिखायेगा

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  2. आतंकवाद देश के विरुद्ध एक परोक्ष युद्ध है; उससे निपटने के लिये हथियार भी अलग होने चाहिये। दिक्कत ये है कि बांग्लादेश, सउदी अरबिया, पाकिस्तान सहित ब्रिटेन और अमेरिका में तो आतंकवादियों को आतंकवादी समझकर उनके साथ समुचित व्यवहार किया जाता है, किन्तु भारत में आतंकवादियों को पाल-पोषकर रखा जाता है ताकि किसी दिन कोई जेहादी उन्हे जेल से छुड़ाकर उसे भारत के विरुद्ध लड़ने के लिये फिर से लगा सके।

    भगवान छद्म-सेक्युलरिस्टों से हमारे देश को बचाये!

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  3. Police or Terrorist mein kuchh to antar rahne do mere yaaron. Ye Banjara-Vanjara to us patli see rekha ko bilkul hee mita hee dena chahte hain jo pahle se hee lagbhag mit chuki hai.

    Ek Masoom Aurat ( Kausarbee) kee aankhon mein yah Aatankwadi Banjara apna chehra dekh kar dar gaya tha...isliye usne apnee kartoot chhipane ke liye uska bhee Murder kar diya...

    Aise aatankwadi ke liye RanBheriya Bajane se kya milega. Inke liye to Hindu POTA hee Chahiye...mere Bhai.

    Viduur

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  4. कौसर बी/सोहराबुद्दीन/वंजारा/पुलीस के चरित्र पर अंतिम टिप्पणी समय करेगा. समय की प्रतीक्षा ज्यादा बुरी चीज नहीं है. केवल धैर्य का सद्गुण ही चाहिये उसके लिये.

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  5. Ab Aur kya Karega Banjara...

    Har Aatankvadi apne aap ko HERO hee Samajhata hai... Banjara ke Mamle mein yah kah sakte hain ki "Rassi jal gai par eithan nahin gayee".

    Iss eithan kee badaulat ...Ho sakta hai ki Banjara MP ban bhee jaye RSS-BJP ke Ticket par.

    Tab yah aadmi ChideeMaar se KabutarBaaj ( like Katara ) ban jayega....Par rahega to RSS ka Gulam hee na... jaise BJP ke baki sare MPs hain....

    Hum to POTA ke Samarthak hain mere Bhai.. Par Iss Mahan Desh mein Muslim POTA ke saath-saath HINDU POTA bhee chahiye...Taki RSS ke Ayodhya 1992 Kand evam Gujarat Prayog 2002 mein samplit KhatarNaak Hindu Aaatanwadiyon ko bhee SanSad ke Sthan par Phansi Yaa Jail Naseeb Ho.

    Jay Siya Raam jee Kee...

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय