फुरसतिया सुकुल ने आज फेमिली ब्लॉगिंग के बारे में हमारी ट्यूब लाइट भक्क से जला दी है. फेमिली ब्लॉगिंग का भविष्य, निकट भविष्य में दैदीप्यमान लग रहा है. सो आनन-फानन में यह तैयार किया इंक ब्लॉग पोस्ट पढ़ें.
यह पोस्ट आजसे 10 वर्ष बाद का परिदृष्य सामने ले कर चल रही है. तब कई बड़ी-बड़ी कुटुम्ब आर्धारित ब्लॉग कम्पनियां सामने आ जायेंगी. इनमें आपस में जबरदस्त व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा होगी और आलोक पुराणिक के कंसीडरेशनानुसार पईसा बहुत होगा. आज की कई कुटीर उद्योग के रूप में चल रही फेमिली इकाइयां समय के साथ नहीं चल पायेंगी और सिक यूनिट बन जायेंगी. आप सीधे हमारी हेण्डराइटिंग में पढ़ें (कपया नीचे अपडेट भी देखें):
अपडेट:
विमल वर्मा जी की नीचे टिप्पणी से लगता है कि लोगों को सन्दर्भ स्पष्ट नहीं हो पाया. मैं जरा उसपर स्पष्टीकरण दे दूं. अनूप शुक्ल ने एक सज्जन की पोस्ट पर चुटकी लेते हुये केवल 6 प्वाइण्ट पर स्पष्टीकरण मांगते हुये टिप्पणी की थी. उन सज्जन से बढ़िया उत्तर बन नहीं पाया. अत: उनकी ब्लॉगर पत्नी ने अपनी टिप्पणी में गाढ़े समय में पति प्रेम दर्शाया ( शब्द अनूप के). यह अनूप ने अपनी आज की चिठ्ठा चर्चा में कहा.
अनूप की पिछली पोस्ट में अज़दक का कमेण्ट है:
‘रागदरबारी’ वाला आइडिया मस्त है. इधर-उधर से बच्चों को लगाके निपटा ही डालिए. काम जितना बचा है उसे देखते हुए 31 दिसम्बर को फ़ैसले की रात बनाना वैसे आशनायी में किया ज़रा भावुकतापूर्ण फ़ैसला लग रहा है. पसैंजर गाड़ी की ही तरह ज़रूरी बात है कि वह काम चलता रहे..यह कमेण्ट मैने प्रयोग किया है अज़दक की बड़ी फैमिली की कल्पना में. अब फैमिली के स्तर पर पति बचाव मुझे इतना हिलेरियस लगा कि ताबड़तोड़ यह पोस्ट बना डाली.
फिर ‘पहला पड़ाव’ और ‘विश्रामपुर का संत’ की बारी आएगी. उसका भी रास्ता निकलेगा. और नहीं तो उसी के लिए मैं कुछ बच्चे पैदा करने को मजबूर हो जाऊंगा.
बस सन्दर्भ न मिलने के कारण बहुतों को पल्ले नहीं पड़ा होगा. अब पुन: देखें सन्दर्भ के साथ! :)
बाकी, विमल वर्मा जी को इंकब्लॉग ठीक से नजर नहीं आ रहा, उसमें दो बातें हैं - 1. मेरी कलमघसीट हेण्डराइटिंग और 2. तकनीकी समस्या - 800x600 की स्क्रीन के साथ दायीं ओर कटता है. अत: मैने साइज मीडियम कर दिया है.
वैसे हम ही अकेले नहीं है. जरा यह पोस्ट व उसपर बेनाम जी की टिप्पणी देखें - कुछ समझ में आता है?! :)
और फिर भी पोस्ट सिर खुजाने को विवश करे तो छोड़ दें - एक-आधी पटरी से उतरी पोस्ट भी सही! :)
ठीक बात है. बधाई.
ReplyDeleteकिस बात की जल्दी? देखिये जल्दी जल्दी मे दाईं तरफ़ का कट गया है इसलिये पढ़्ने मे भी परेशानी हो रही है, प्रस्तुती और बेहतर हो सकती थी..
ReplyDeleteबहुत अच्छा पाण्डेय जी, आपकी राईटिंग भी कमाल की है इसमें शरम वरम की बात कहां ? हमें तो आपकी हस्तलिपि में काफी संभावनायें नजर आती हैं हमारी हस्तलिपि भी आपके जैसी ही है, हम उसे सजाकर लिखते हैं तो थोडी सुन्दर हो जाती है एवं मार्केटिंग स्ट्रेटजी के लिए पेनो का इस्तेमाल भी छांट छांट कर करते हैं सो येतो रही कलम की बात अब शुकुल जी की कंपनी में हमारा हिस्सा भी डिफाईन कर देवें क्योंकि हमारे दादा परदादा भी सरयू से ही लोटा लेकर छत्तीसगढ आये थे, मैं ज्यादा झंझट नहीं करूंगा आप जितना बोलेगें दान की बछिया समझ के स्वीकार कर लूंगा, पर दावेदारी नहीं छोडुगा ।
ReplyDeleteधन्यवाद
धांसू च फ़ांसू!!
ReplyDeleteह्म्म, गज़ब का आईडिये दिए रहे संजीव भैय्या, पुरखौती तो हमरी भी सरयू तीरे ही है तो फ़िर अपन भी लपक लेते है हिस्सेदारी में।
सन 2047.
ReplyDeleteविश्व व्यापार संगठन मे भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए वाणिज्य मंत्री श्री विमल नाथ (कमल नाथ के पौत्र) ने अमेरिकी प्रतिनिधि के उस अनुरोध को ठुकरा दिया जिसके तहत ‘फेमिली ब्लागिंग उद्योग’ को दी जाने वाली सब्सिडी को हटाने की बात की गई थी. विमल नाथ ने संवाददाता सम्मेलन मे जानकारी देते हुए बताया कि उनके दादाजी और तत्कालीन उद्योग मंत्री ने सन 2017 मे ‘फेडेरेशन आफ इन्डियन फेमिली ब्लागिंग इन्डस्ट्री’ के तत्कालीन सचिव विनोद सिंह को वचन दिया था कि उद्योग को मिलने वाली सब्सिडी सन 2050 तक जारी रहेगी. सरकार तत्कालीन उद्योग मंत्री द्वारा किये गये वादे के प्रति कटिबद्ध है.विशेषज्ञो के मुताबिक भारत द्वारा लिए गए फैसले से अमेरिकी ब्लागिंग उद्योग को भारी नुक्सान होने की सम्भावना है.
सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए भारतीय जनता पार्टी के महासचिव वरुण जेटली ने उद्योग मंत्री द्वार लिए गए फैसले की निन्दा की. जेटली ने उद्योग मंत्री के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनके आय से अधिक सपत्ति की जाच करने की मांग की. उधर उद्योग मंत्री के इस बयान के कारण भारतीय फेमिली ब्लागिंग कम्पनियो के शेयर के भाव मे भारी उछाल देखने को मिला. भारत मे फेमिली ब्लागिंग उद्योग का कारोबार बढकर बीस हजार करोड रुपये का हो गया है. सन 2055 तक इस बाजार का कारोबार बढकर छत्तीस हजार करोड रुपये तक हो जाने का अनुमान है.......................
हा हा!! शुकुल जी की कम्पनी के भाव सबसे तेज और पंगेबाज की पंगेबाजी बंद होकर फ्रिज का धंधा..वाह!! बहुत अच्छी कल्पना रही. आपका तो आप २०% का जुगाड़ कर लिये और हमारा क्या होगा. यही सोच सोच कर पिये अरे नहीं नहीं जिये जा रहे हैं. :) बहुत बेहतरीन रहा.
ReplyDeletehttp://vadsamvad.blogspot.com/2007/08/blog-post_10.html
ReplyDeleteneelima ji
aap nae jo kuch likha woh bilkul sahii tha per aap us samey kyo chup thi jab maseejivi ji nae mujeh nishana banaya tha . kyo aap ki kalam ki dhar nae ek nari ek paksh mae likhnae sae inkar kiya ? kya nari patni bakar naari hona bhul jaati hae
shmaa kare dukh daene ki mansha nahin hae per such hae kii aap ko us samey bhi likna chaheeyae tha jab mae akeli virodh kar rahin thi . mujeh bhi us din yehi mehsoos hua that ki mujeh naari honae ki vajeh sae samjhaya ja rahaa hae aaur naa samajeh aanae ki sithtii mae blogging kae maadhyam sae maseejevi ji apani bhrras nikal rahen rhaen hae .
vase patni dharm nibhana kab sae galat hogyaa !! pataa nahin chalaa
मॉडरेशन में कुछ गड़बड़ हो गयी है. निम्न टिप्पणी पब्लिश बटन दबाने पर भी पब्लिश नहीं हुई -
ReplyDeleteबेनाम - टिप्पणियों में विपुल की तो कोई भी नहीं है, कोई नाम का धोका लगता है
गलती हमसे थी कि अपडेट में विमल वर्मा जी की जगह विपुल लिख गये. जब तक पढ़ कर ठीक करते तब तक बेनामजी की टिप्पणी आ चुकी थी! कभी-कभी सब अण्ट-शण्ट चलता है!
@ रचना सिंह - मैं तो मात्र यही चाहूं कि मेरी भाषा में अन्ग्रेजियत को ले कर कोई लैम्पूनिग न हो. हिन्दी के प्रति मेरी श्रद्धा का कोई मजाक न उड़ाये. सथ ही नारी के प्रति मेरे आदर भाव को भी ब्लॊग जगत में किसी का प्रमाणपत्र नहीं चाहिये. नरी ही क्यों, प्राणी मात्र का भी आदर होना चाहिये. किसी को कोई कष्ट पहुंचता हो - जाने अनजाने तो क्षमा याचना में भी मुझे कोई देर नहीं लगती. मेरी अफ़सरी कभी आड़े नहीं आयी उसमें.
ReplyDeleteबढ़िया है। फैमिली में सिर्फ आधिकारिक पत्नियों को शामिल किया जाना चाहिए, या कुछ लिबर्टी फैमिली ब्लागिंग वालों को दी जायेगी।
ReplyDeleteकृपया लौटती गाड़ी से स्पष्टीकरण दें।
@ आलोक पुराणिक - आपकी जिज्ञासा को अगली अनुगूंज का विषय रखा जाना चाहिये!
ReplyDeleteआपने जब हमारी कम्पनी खोल ही दी तो हमें चलाना ही पड़ेगा। लेकिन अब यह पता करना पड़ेगी कि क्या नौकरी के साथ इस तरह की कम्पनी चलाना जायज है?समीरलालजी को ऐसा करते हैं कि आर्थिक सलाहकार के पद पर रख लेते हैं। बाकी सभी ब्लागरों का भी कुछ न कुछ शेयर रहेगा जो कि इस बार पर निर्भर करेगा कि उनकी रुचि कैसी है। आलोक पुराणिक की बात का जवाब वे खुद बना लें। हम उस पर विचार करके अनोमोदित कर देंगे।
ReplyDelete@ अनूप - जब तक नौकरी है, तब तक कम्पनी का ढ़ांचा बना लें. उसके बाद चलेगा काम-धाम! :)
ReplyDeleteआपमें वाणिक बुद्धि तो है, पत्ता हिलते ही क्षमा याचना के मोड में आ जाना कुशल व्यवसाई की निशानी है! समीर लाल को आर्थिक सलाहकार जो रख रहे हैं, वह अति उत्तम है!
सारी शुभ कामनायें और बधाई. :) :) :)
समीर जी को आर्थिक सलाहकार बनने पर बधाई. (बधाई तो केवल दिखाने के लिए है. असल मे उन्हे ये ठेका मिलने से मै बहुत दुखी हू. आज पता नही खाना भी खा पऊंगा कि नही.) लेकिन मै उनसे भी कुछ कहना चाहता हू.
ReplyDeleteसन 2047 तक की रिपोर्ट के साथ-साथ मैने 2055 तक फैमिली ब्लागिंग उद्योग का प्रोजेक्सन भी कर दिया है. बडी मेहनत कर के बनाई गई रिपोर्ट की एक कापी मै आज ही उनको मेल कर दूंगा. इस आशा के साथ कि उन्हे मिलने वाले ठेके का एक भाग वे मुझे आउट्शोर्स करेगे.
अगर ऐसा नही हुआ तो मै दूसरे विकल्प के बारे मे सोचूंगा. और उस अफसर से बात करूंगा जिसने टेंडर निकाला था और उसके बाद समीर जी को ठेका दिया. ‘लेन-देन कार्यक्रम’ का आयोजन करके अगर कुछ हो सकता हो तो हर्ज ही क्या है.
@ज्ञानदत्त पाण्डेय
ReplyDeleteI fully agrre that people are unnecessarly targetting bloggers who like to write in english and hindi both . And your anger is justified because none has right to malign someones name. ANd if they do they have to bear the brunt or ire of other bloggers .
and sometimes a simple remark in jest takes a different meaning all together . i did not raise the issue of being targeted because of being a woman but it was the same case . whether i write in english or hindi does not mean that i dont have respect for hindi and let me share with you i am still receiving comments from annonymous asking me " mem you are joking because you have given title to your blog as my space my freedom but you write in english " i can tell the server from where its coming . i think its no ones perrogative to tell any one what should be done . this space is given to us by google . using pother peoples name to target traffic to your website is the ploy that was used in my cae and if the post is checked today my name is there showing that if my name is serched the traffic goes to his post . he himself is claming it in his latest post .
i think it would be best that the entire post should have been removed that becomes offensive to some one not just the portion .
and its good neelima stood up for her cause.
हुज़ूर! कम्पनी खोलें तो इस खाकसार को भी याद रखें . हम भी अंशधारक रहेंगे . पं० शिव के० मिश्र,वित्तीय सलाहकार से थोड़ी-बहुत टिप्स ले लेंगे .वे हमारी ब्योंत में हैं सिर्फ़ एक घंटे की मोहलत पर हम कभी भी रूबरू हो सकते हैं .
ReplyDeleteबाबा रे दो दिन मे ये सब क्या हो गया। हमारे तो कुछ पल्ले ही नही पड़ रहा है।
ReplyDeleteखबर आयी है कि उत्तर प्रदेश की सी एम छायावति ने अपनी सोशल एंजीनीयरिंग के चलते पंडित बन्धुओं( शुक्ल,पांडे,मिश्र,तिवारी,त्रिपाठी ...)की कम्पनी का अधिग्रहण संस्कार कर दिया है.
ReplyDeleteकम्पनी को एम आर टी पी के हवाले कर दिया गया है.
एक दलित नेता को कम्पनी का रिसीवर नियुक्त कर दिय गया है. सुना है कि अब पंडित बन्धु मुरादाबाद के वढेरा खानदान से सम्पर्क बना रहे हैं.
खबर आयी है कि उत्तर प्रदेश की सी एम छायावति ने अपनी सोशल एंजीनीयरिंग के चलते पंडित बन्धुओं( शुक्ल,पांडे,मिश्र,तिवारी,त्रिपाठी ...)की कम्पनी का अधिग्रहण संस्कार कर दिया है.
ReplyDeleteकम्पनी को एम आर टी पी के हवाले कर दिया गया है.
एक दलित नेता को कम्पनी का रिसीवर नियुक्त कर दिय गया है. सुना है कि अब पंडित बन्धु मुरादाबाद के वढेरा खानदान से सम्पर्क बना रहे हैं.
समीर जी को आर्थिक सलाहकार बनने पर बधाई. (बधाई तो केवल दिखाने के लिए है. असल मे उन्हे ये ठेका मिलने से मै बहुत दुखी हू. आज पता नही खाना भी खा पऊंगा कि नही.) लेकिन मै उनसे भी कुछ कहना चाहता हू.
ReplyDeleteसन 2047 तक की रिपोर्ट के साथ-साथ मैने 2055 तक फैमिली ब्लागिंग उद्योग का प्रोजेक्सन भी कर दिया है. बडी मेहनत कर के बनाई गई रिपोर्ट की एक कापी मै आज ही उनको मेल कर दूंगा. इस आशा के साथ कि उन्हे मिलने वाले ठेके का एक भाग वे मुझे आउट्शोर्स करेगे.
अगर ऐसा नही हुआ तो मै दूसरे विकल्प के बारे मे सोचूंगा. और उस अफसर से बात करूंगा जिसने टेंडर निकाला था और उसके बाद समीर जी को ठेका दिया. ‘लेन-देन कार्यक्रम’ का आयोजन करके अगर कुछ हो सकता हो तो हर्ज ही क्या है.
आपने जब हमारी कम्पनी खोल ही दी तो हमें चलाना ही पड़ेगा। लेकिन अब यह पता करना पड़ेगी कि क्या नौकरी के साथ इस तरह की कम्पनी चलाना जायज है?समीरलालजी को ऐसा करते हैं कि आर्थिक सलाहकार के पद पर रख लेते हैं। बाकी सभी ब्लागरों का भी कुछ न कुछ शेयर रहेगा जो कि इस बार पर निर्भर करेगा कि उनकी रुचि कैसी है। आलोक पुराणिक की बात का जवाब वे खुद बना लें। हम उस पर विचार करके अनोमोदित कर देंगे।
ReplyDelete@ अनूप - जब तक नौकरी है, तब तक कम्पनी का ढ़ांचा बना लें. उसके बाद चलेगा काम-धाम! :)
ReplyDeleteआपमें वाणिक बुद्धि तो है, पत्ता हिलते ही क्षमा याचना के मोड में आ जाना कुशल व्यवसाई की निशानी है! समीर लाल को आर्थिक सलाहकार जो रख रहे हैं, वह अति उत्तम है!
सारी शुभ कामनायें और बधाई. :) :) :)
मॉडरेशन में कुछ गड़बड़ हो गयी है. निम्न टिप्पणी पब्लिश बटन दबाने पर भी पब्लिश नहीं हुई -
ReplyDeleteबेनाम - टिप्पणियों में विपुल की तो कोई भी नहीं है, कोई नाम का धोका लगता है
गलती हमसे थी कि अपडेट में विमल वर्मा जी की जगह विपुल लिख गये. जब तक पढ़ कर ठीक करते तब तक बेनामजी की टिप्पणी आ चुकी थी! कभी-कभी सब अण्ट-शण्ट चलता है!
बहुत अच्छा पाण्डेय जी, आपकी राईटिंग भी कमाल की है इसमें शरम वरम की बात कहां ? हमें तो आपकी हस्तलिपि में काफी संभावनायें नजर आती हैं हमारी हस्तलिपि भी आपके जैसी ही है, हम उसे सजाकर लिखते हैं तो थोडी सुन्दर हो जाती है एवं मार्केटिंग स्ट्रेटजी के लिए पेनो का इस्तेमाल भी छांट छांट कर करते हैं सो येतो रही कलम की बात अब शुकुल जी की कंपनी में हमारा हिस्सा भी डिफाईन कर देवें क्योंकि हमारे दादा परदादा भी सरयू से ही लोटा लेकर छत्तीसगढ आये थे, मैं ज्यादा झंझट नहीं करूंगा आप जितना बोलेगें दान की बछिया समझ के स्वीकार कर लूंगा, पर दावेदारी नहीं छोडुगा ।
ReplyDeleteधन्यवाद
@ज्ञानदत्त पाण्डेय
ReplyDeleteI fully agrre that people are unnecessarly targetting bloggers who like to write in english and hindi both . And your anger is justified because none has right to malign someones name. ANd if they do they have to bear the brunt or ire of other bloggers .
and sometimes a simple remark in jest takes a different meaning all together . i did not raise the issue of being targeted because of being a woman but it was the same case . whether i write in english or hindi does not mean that i dont have respect for hindi and let me share with you i am still receiving comments from annonymous asking me " mem you are joking because you have given title to your blog as my space my freedom but you write in english " i can tell the server from where its coming . i think its no ones perrogative to tell any one what should be done . this space is given to us by google . using pother peoples name to target traffic to your website is the ploy that was used in my cae and if the post is checked today my name is there showing that if my name is serched the traffic goes to his post . he himself is claming it in his latest post .
i think it would be best that the entire post should have been removed that becomes offensive to some one not just the portion .
and its good neelima stood up for her cause.