Saturday, August 4, 2007

ब्लॉग सेग्रीगेटर - बहुमूल्य सुझावों पर टिप्पणी-चर्चा


मेरी परसों की पोस्ट ब्लॉग सेग्रीगेटर - पेरेटो सिद्धांत लागू करने का जंतर चाहिये पर बड़ी काम की टिप्पणियां मिलीं. सभी को धन्यवाद. मै प्राप्त बहुमूल्य सुझावों को एक जगह पर रखता हूं:
  1. ब्लॉगवाणी में पसन्द की सुविधा का प्रयोग किया जाये.
  2. पाठकों का सहयोग पठन सामग्री के चयन में जरूरी है. सबसे ज्यादा पढ़े ब्लॉगों का चयन एक तरीका हो सकता है.
  3. 24 घण्टे के दिन में सब मैनेज किया जा सकता है, अत: वर्तमान स्थिति में कोई ज्यादा परेशानी नहीं है.
  4. यह सेग्रीगेशन दो आधार पर हो सकता है - प्रविष्टि के लेखक के आधार पर और प्रविष्टि की सामग्री में मौजूद कुछ खास शब्दों पर.
  5. यदि आपको किसी का लेख पसन्द आया, तो उसका सन्दर्भ अपने लेख में दें. इस प्रकार अनौपचारिक प्रकार से आदान-प्रदान करें.
  6. लोग अपने अपने पसंदीदा ब्लॉग पोस्ट की लिस्ट बनाए. आप http://del.icio.us/ का सहारा ले सकते है। सभी लोग अलग अलग विषय पर एक यूनिक टैग का इस्तेमाल करें.
  7. उसके बाद जिस लेख को सबसे ज्यादा लोगों ने पसन्द किया, उसको अपने ब्लॉग के साइड बार मे अथवा प्रमुखता देते हुये चिपकाएं.
कुल मिला कर बात आती है कि पाठक स्वयम तय करें कि क्या पठनीय है. उसे या तो हिन्दी एग्रेगेटरों पर दर्शाया जाये ( ब्लॉगवाणी की "पसन्द", या पोस्टों की क्लिक या नारद के लोकप्रिय लेखों की लिस्ट) या फिर इनफॉर्मल तरीके से सदर्भ दे कर, गप-शप के वर्ड-ऑफ माउथ से प्रोमोट किया जाये. यह हो तो रहा है. पर जैसा मैथिली जी ने कहा है, ब्लॉगवाणी पर "पसन्द" का प्रयोग लोग सीरियसली नहीं कर रहे हैं. इसी प्रकार नारद पर लोकप्रिय लेख पठनीयता के आधार पर नहीं, क्लिक के आधार पर तय होते हैं. क्लिक और पठनीयता में साम्य है भी और नहीं भी है! अत: पसन्द/लोकप्रिय लेख को "पिंच ऑफ सॉल्ट" के साथ ही लेना चाहिये! एक दूसरे के लेख को लिंक करने की प्रथा अभी हिन्दी में जोर नहीं पकड़ी है.

यूनीक टैग लगाने, डेल.ईसी.एस. (या उस प्रकार का अन्य यंत्र) का प्रयोग कर प्रेषित करने और उसके परिणाम बहु प्रचारित करने का तरीका शायद अल्टीमेट तकनीकी समाधान है. यूनीक टैग के विषय में हमारे सभी एग्रीगेटर पहल कर सकते हैं. डेल.ईसी.एस. पर तो मैने देख लिया है, हिन्दी के टैग ठीक से काम करते हैं. हिन्दी ब्लॉग पाठक और ब्लॉग लेखक को शायद इस विषय में सरल शब्दों में जानकारी दिये जाने की आवश्यकता है, जिसके लिये जीतेन्द्र (जिन्होने टिप्पणी की थी) से एक लेख लिखने का अनुरोध करता हूं.

अभी मैने जो किया है वह यह है - अपने गूगल रीडर पर जो कुछ उत्कृष्ट पढ़ रहा हूं, उसे स्टार-टैग कर ले रहा हूं और उसको बतौर पब्लिक पेज देने की सुविधा गूगल रीडर देता है तथा उसकी क्लिप मैं अपने ब्लॉग पर पोस्ट/पोस्टों के नीचे "ज्ञानदत्त का स्टार पठन का चयन" के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूं. इस क्लिप में ताजा 5 पोस्टें हैं और अधिक पढ़ने के लिये Read more पर क्लिक किया जा सकता है. यही अन्य सज्जन भी कर सकते हैं. पहले मैं इस स्थान पर चयनित ब्लॉग्स की ताजा फीड्स दिखाता था, अब चयनित पोस्ट या मेटीरियल की फीड दिखा रहा हूं. इस प्रकार जीतेन्द्र की सलाह पर अमल कर रहा हूं. इससे आलोक जी का कहा, कि अगर आपको लेख पसन्द आया है तो उसे अपने ब्लॉग पर प्रचारित करें, की भी कुछ सीमा तक अनुपालना हो जाती है.

कुल मिला कर ब्लॉग लेखक/पाठक अपने स्तर पर भी अपने पास उपलब्ध टूल्स से सेग्रीगेशन की पहल कर सकते हैं.

कल आलोक जी ने 9-2-11 में हिन्दी का डिग्ग हिन्दीजगत को बताया. पर लगता है इसपर और काम करना होगा. अभी तो यह हमें रजिस्टर भी नही करा रहा. दूसरे, पोस्ट सुझाने के लिये जो सरल उपाय डेल.ईसी.एस/डिग्ग पर हैं, वह इसपर तो प्रारम्भ में नहीं होंगे.

मैं
नुक्ताचीनी वाले देबाशीष को ब्लॉग पोस्ट पर टिप्पणी के लिये औपचारिक रूप से ढ़ूंढ़ना चाहूंगा. वैसे तो मैं उन्हें ई-मेल कर सकता हूं, पर बहुत प्रसन्नता होगी अगर वे अपने विचार ओपन फॉरम में रखें. वे "सप्ताह के 30 स्वादिष्ट पुस्तचिन्ह" अपने डेल.ईसी.एस. पुरालेखागार से प्रस्तुत करते हैं. अत: वे काम की बात बता सकते हैं.

9 comments:

  1. बढ़िया! गुड मार्निंग पोस्ट। पाठक ही सर्वेसर्वा है। वही सबसे सही तरह से बता सकता है क्या पठनीय है!

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  2. भईया ऐसा यदि हो जाये तो जिस दिन हम नेट पर उपलब्‍ध नहीं होते या हमें समय कम होता है उस दिन चुनिंदा पोस्‍टों को पढा जा सकेगा । धन्‍यवाद

    “आरंभ” संजीव का हिन्‍दी चिट्ठा

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  3. क्लासिफिकेशन लेखक के हिसाब से भी हो, विषय के हिसाब से भी हो, तो बेहतर। मैं बुद्धिजीवी हूं, सिर्फ सुझाव देना मेरा कार्य है, इस संबंध में मेरा सहयोग सिर्फ विचारों का रहेगा, ठोस कार्य करना मेरे कार्यक्षेत्र में नहीं ना आता।

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  4. अभी तो यह हमें रजिस्टर भी नही करा रहा

    समस्या का ब्यौरा भेज दें। लगता है उनका जालराज अभी सुषुप्त अवस्था में है, पर डाक का यही तो फ़ायदा है कि जब उठो तभी पढ़ लो।

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  5. "क्लिक और पठनीयता में साम्य है भी और नहीं भी है"

    अधिक क्लिक होने वाले लेखों में से 60% या अधिक का कोई स्थाई या शाश्वत मूल्य नहीं होता है.अत: ज्ञानदत्त जी जैसे ज्येष्ठ चिट्ठाकारों को नियमित रूप से स्थाई मूल्य के लेखों को "मेरी पसंद" जैसे किसी लिस्ट में अपने चिट्ठे पर देते रहना चाहिये. हम यह कार्य सारथी पर नियमित रूप से करते है -- शास्त्री जे सी फिलिप

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  6. पाण्डेय जी
    चिट्ठाजगत आप को अपना "वैयक्तीगत मुख्य पृष्ट" बनाने की सुवीधा देता है।
    कैसे इस्तमाल करें
    हर ब्लॉग के नाम के आगे लाल दिल है, उसे चटकाते ही वो आपके पसंदीदा चिट्ठों में शमिल हो जाता है।

    जब आप http://chitthajagat.in/?veeyaktigat=dekho
    देखते हैं तो आपको सिर्फ पसंदीदा चिट्ठों से ही लेख दिखते हैं, मतलब जो आपको बकवास लगती है वो नहीं दिखती।
    आप जितने मर्जी चिट्ठे जोड़ सकते हैं, गलती से जुडा चिट्ठा हटा भी सकते हैं।
    आपको सिर्फ एक बार लॉग्इन करना है, उसके बाद आप जब भी http://chitthajagat.in/?veeyaktigat=dekho खोलेंगे cookies से आपको अपने आप लॉगइन कर दिया जाएगा।
    यह थी सेग्रीगेटर वाली बात।


    http://del.icio.us/ क्यूँ
    यह सुवीधा भी चिट्ठाजगत देता है।
    आप जब लेख देखते हैं, उसके शीर्षक के सामने लाल दिल चटकाएँ।
    उसे चटकाते ही वो आपके पसंदीदा लेखों में शमिल हो जाता है। वहाँ यह भी बताता है और कितने लोगो ने इसे पसंद किया है।

    लोग इस्तमाल करना शुरू करें तो हम इसे और सुगम बाना सकते हैं।

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  7. यह बढ़िया रहा कि आपने सभी टिप्पणियों का सार संकलित कर छाप दिया.

    संपूर्ण रुप से हर बात पाठक विशेष की रुचि ही होगी और सभी की रुचियाँ अलग अलग ही होंगी, यह भी तय है.

    अच्छी लगी यह पोस्ट.

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  8. हमने तो अभी तक नारद के अलावा कहीं देखा ही नहीं, लेकिन आपकी पोस्ट पढकर लगा कि जहाँ और भी हैं । आप के विचारों को क्रियान्वित करने के लिये तकनीकी लोगों की टिप्पणियों का इन्तजार है ।

    वैसे हमने कल एक फ़ैसला लिया, चिट्ठे पढने का काम सप्ताह के दिनों में रात को ९ से १०:०० बजे तक और लिखने का काम केवल सप्ताहान्त में...पिछ्ले कई दिनों से चिट्ठाकारी के कारण लग रहा था कि पढाई और बाकी शोधकार्य अवरूद्ध हो रहे थे । आप सब कुछ कैसे मैनेज कर लेते हैं?

    साभार,

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  9. हमे तो इतनी सारी तकनीकी बातें समझने मे वक्त लगेगा। कोशिश कर रहे है समझने की।

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आपको टिप्पणी करने के लिये अग्रिम धन्यवाद|

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय