Tuesday, August 14, 2007

बुद्ध को पैदा होने से रोक लेंगे?


प्रतीक का ब्लॉग मेरे व्यक्तिगत गूगल रीडर संग्रह में नहीं था. इसलिये यह पोस्ट एग्रीगेटर पर यदा-कदा की ब्राउज़िंग में दिखी. पुनर्जन्म के लिये लेनी होगी चीन की इजाजत नाम से यह पोस्ट एक रोचक फरमान की बात करती है कि चीन सरकार दलाई लामा को पुनर्जन्म के लिये संकेत नहीं देने देगी. यह फरमान 1 सितम्बर से प्रभावी होगा.

मुझे दोनो बातें विचित्र लगती हैं. मुख्य लामा द्वारा यह संकेत बताना कि वे कहां और किस प्रकार से अगला जन्म लेंगे अपने आप में कुछ अलौकिक बात लगती है. पुनर्जन्म और कर्म के सिद्धांतों में मेरी आस्था है. पर कोई महान आदमी भविष्य का पर्चा आउट करे - यह जानकर लगता है कि हमारे साथ नाइंसाफी है कि हमारा पर्चा क्यों आउट नहीं होता! और दूसरे चीन सरकार का इस प्रकार का फरमान अभिव्यक्ति पर जबरन बन्धन लगता है. ऐसे फरमान की बजाय अगर चीन सरकार जनता को समझा सके पुनर्जन्म की बात निरर्थक है, तो वह शायद उपयुक्त कदम हो.

पर बुद्ध जन्म लेंगे? शाक्यमुनि के रूप में मदर के लेखों में जो उनका परिचय है वह बहुत अच्छा लगता है. उनके अनेक जन्मों की कथायें सुनने में आती हैं. शाक्यमुनि विष्णु के अवतार माने गये हैं - अत: वे मुझे वैसे ही लगते हैं जैसे राम और कृष्ण. यह कल्पना अपने आप में रोचक लगती है कि दलाई लामा अपनी परम्परा में उनके अगले जन्म के संकेत देंगे.

बुद्ध जन्म लेंगे तो कृष्ण क्यों नहीं? कृष्ण भी तो कह गये हैं कि मैं बार बार आता हूं. आजकल तो उनकी बहुत याद आती है. वैसे यह शुभ संकेत हैं. जब-जब इन कालपुरुषों को जन्म लेने से रोका जाता है तब तब ये अपनी पूर्णता के साथ आते हैं. कंस ने कृष्ण को रोकने के लिये कितने वसुओं का जन्मते ही संहार कर दिया. पर वे आये और जो कुछ दे गये उसका पूर्ण प्राकट्य तो विश्व में अभी होना शेष है.

अत: बुद्ध अगर आना चाहेंगे तो कोई फरमान उन्हे रोक नहीं सकेगा. हां, स्थितियों का उत्तरोत्तर बिगड़ना और कुछ लोगों में उनकी हृदय से पुकार - बस इसकी ही आवश्यकता है.

यदा यदाहि धर्मस्य....

चलते चलते:
1. कल समीर लाल जी ने "ज्ञानदत्त का स्टार पठन का चयन" के विषय में पूछा था. फिर संजीत त्रिपाठी ने भी वही प्रश्न किया. आप मेरी ब्लॉग सेग्रीगेटर पर लिखी पोस्ट देखें. इसमें यह निकल कर आया था कि हर एक ब्लॉगर जो पढ़ रहा है, उसमें से पठनीय छांट कर बताये. उस पोस्ट में मैने लिखा था:
अभी मैने जो किया है वह यह है - अपने गूगल रीडर पर जो कुछ उत्कृष्ट पढ़ रहा हूं, उसे स्टार-टैग कर ले रहा हूं और उसको बतौर पब्लिक पेज देने की सुविधा गूगल रीडर देता है तथा उसकी क्लिप मैं अपने ब्लॉग पर पोस्ट/पोस्टों के नीचे "ज्ञानदत्त का स्टार पठन का चयन" के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूं. इस क्लिप में ताजा 5 पोस्टें हैं और अधिक पढ़ने के लिये Read more पर क्लिक किया जा सकता है. यही अन्य सज्जन भी कर सकते हैं.... इससे आलोक जी का कहा, कि अगर आपको लेख पसन्द आया है तो उसे अपने ब्लॉग पर प्रचारित करें, की भी कुछ सीमा तक अनुपालना हो जाती है.
मैं उस अनुसार ही क्लिप प्रस्तुत कर रहा हूं. अब यह तो बात ही दूसरी है कि समीर लाल जी अधिकतर टिप्पणी में कहते हैं, जो पोस्ट चयन के रूप में प्रस्तुत नहीं हो सकता, अन्यथा वे हमारे स्टार तो हैं ही :)

2. मैने प्रतीक का ब्लॉग भी अपने गूगल रीडर में फीड कर लिया है और उनके मित्र भुवनेश का भी.

12 comments:

  1. बुद्ध के आने का इंतजार तो सबको है पर तथाकथित झंडाबरदारों के द्वारा उसे या अन्‍य भविष्‍य की घटनटओं को राजतंत्र के द्वारा प्रचारतंत्र का प्रयोग करते हुए जन जन तक पहुंचाना हमें अच्‍छा नहीं लगता इससे श्रद्धा में किंचित फर्क पडता है ।

    सर्वविदित है सभी धर्म वाले कहते हैं कि उनके आराध्‍य एक दिन आयेंगें और मैं उन सब का मेरे विष्‍णु की भांति ही स्‍वागत करूंगा . . .

    ReplyDelete
  2. हां, स्थितियों का उत्तरोत्तर बिगड़ना और कुछ लोगों में उनकी हृदय से पुकार - बस इसकी ही आवश्यकता है.

    ---यह बहुत सही कहा आपने.

    कौन रोक सकेगा..समय आयेगा,,,,समय बतायेगा.


    -आज स्टार पोस्ट में गाँव पुकारता है देखकर ध्रुवतारे को टिमटिमाने का मन कर रहा है. :) हा हा!!

    ReplyDelete
  3. जन्म तो लेंगे ही...उनके जन्म लेने के लिए जितना ‘क्रेडिट’ उन्हे मिलना चाहिये, उतना ही पाप को भी...

    भारत भूषण जी की एक कविता है, ‘पाप’. पाप बडे गर्व के साथ भगवान के जन्म को लेकर
    सारा ‘क्रेडिट’ खुद लेता है...

    “न जन्म लेता अगर कही मै
    धरा बनी ये मशान होती
    न मन्दिरो मे म्रिदंग बजते
    न मस्जिदो मे अजान होती”

    और सारे ‘प्लेयर’ साफ-साफ पहचाने जा सकते है....

    ReplyDelete
  4. DUE TO TECHNICAL REASONS, COMMENT IS IN ENGLISH, SORRY

    china ko habbit hai saste items banane ki, so uske official budhha kuch alag type ke honge
    india walon sawdhan chinese budha aa rahe hein
    chinese hanuman , chinese ganesha bhi bas follw karnega

    shin shai shun chin chin min min
    iska matlab samjhe-
    iska matlab hai, jai bajrangbali

    ReplyDelete
  5. @ शिवकुमार - श्रद्धालु ब्लॉगर चाहिये जो भारतभूषण जी की कविता पूरी दे दें अपने ब्लॉग पर!

    ReplyDelete
  6. मेरे चिट्ठे की फ़ीड जोड़ने के लिए धन्यवाद। आपने बिल्कुल सही कहा, 'पूर्ण' को आने से 'अपूर्ण' कैसे रोक सकता है। बस आवश्यकता है तो योग्य परिस्थितियों की।

    ReplyDelete
  7. अच्‍छा रहा. स्‍वतंत्रता दिवस की बधाई आपको.

    ReplyDelete
  8. ह्म्म, कहीं मैने भी पढ़ा था कि मुख्य लामा पहले ही अपने पुनर्जन्म के संकेत दे देते है फ़िर उस बच्चे की पहचान कर उसका विशेष ध्यान रखा जाता है!!

    आपका कथन सत्य है!!

    और हां स्टार पठन वाली जानकारी देने के लिए आभार!!

    ReplyDelete
  9. देखिये ज्ञानजी, आलोक पुराणिक जी की वन लाइनर पाठक हठ के चलते हम आपके यहां हाजिरी तक नहीं लगा पाते। बुद्ध से हमारी बात तो नहीं हो पायी लेकिन अगर वे सही में पैदा होना चाहते हैं चीन में तो शेर है उनके समर्थन में-

    तस्वीर में जड़े टंगे हैं ब्रह्मचर्य के नियम
    और उसी तस्वीर के पीछे चिड़िया बच्चा दे जाती है।

    ReplyDelete
  10. रोचक जानकारी। वैसे हिन्दू शास्त्रों के अनुसार श्रीविष्णु का अगला अवतार कल्कि होगा कलयुग के अंत में। तब तक हम तो इंतजार नहीं कर सकते। :)

    ReplyDelete
  11. देखिये ज्ञानजी, आलोक पुराणिक जी की वन लाइनर पाठक हठ के चलते हम आपके यहां हाजिरी तक नहीं लगा पाते। बुद्ध से हमारी बात तो नहीं हो पायी लेकिन अगर वे सही में पैदा होना चाहते हैं चीन में तो शेर है उनके समर्थन में-

    तस्वीर में जड़े टंगे हैं ब्रह्मचर्य के नियम
    और उसी तस्वीर के पीछे चिड़िया बच्चा दे जाती है।

    ReplyDelete
  12. जन्म तो लेंगे ही...उनके जन्म लेने के लिए जितना ‘क्रेडिट’ उन्हे मिलना चाहिये, उतना ही पाप को भी...

    भारत भूषण जी की एक कविता है, ‘पाप’. पाप बडे गर्व के साथ भगवान के जन्म को लेकर
    सारा ‘क्रेडिट’ खुद लेता है...

    “न जन्म लेता अगर कही मै
    धरा बनी ये मशान होती
    न मन्दिरो मे म्रिदंग बजते
    न मस्जिदो मे अजान होती”

    और सारे ‘प्लेयर’ साफ-साफ पहचाने जा सकते है....

    ReplyDelete

आपको टिप्पणी करने के लिये अग्रिम धन्यवाद|

हिन्दी या अंग्रेजी में टिप्पणियों का स्वागत है|
--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय