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Saturday, November 29, 2008
देश के लिये दौड़
कल रविवार को मुम्बई में देश के लिये दौड़ का आयोजन किया गया है। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से नारीमन हाउस तक फिल्मी सितारे और ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट्स इस दौड़ में भाग लेंगे। उसके बाद ताज होटल – ओबेराय होटल - नारीमन हाउस और गेटवे के चारों ओर मानव चेन बना कर “हम होंगे कामयाब” का सामुहिक गायन होगा। हर आदमी-औरत-बच्चा अपने हाथ में भारत का झण्डा लिये होगा। सभी साम्प्रदायिक सद्भाव की शपथ लेंगे।
उसके बाद अगले रविवार को वागा सीमा पर भारत और पाकिस्तान के मशहूर बुद्धिजीवी, कलाकार और सिने हस्तियां इकठ्ठा होंगे और अमन चैन के लिये मोमबत्तियां जलायेंगे।
बहुत सम्भव है इन दोनो कार्यक्रमों को कमर्शियल चैनलों द्वारा लाइव टेलीकास्ट किया जाये। उसके लिये विज्ञापनदाता लाइन लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि क्रिकेट नहीं टेलीकास्ट हो रहा तो विज्ञापनदाता इन ईवेण्ट्स पर नजर लगाये हैं।
भारत में जो हताशा और मायूसी का माहौल मुम्बई की दुखद घटनाओं के कारण चल रहा है; उसे सुधारने की यह ईमानदार और सार्थक पहल कही जायेगी। लोगों का ध्यान आतंक, खून, विस्फोट, परस्पर दोषारोपण और देश की साझा विरासत पर संदेह से हटा कर रचनात्मक कार्यों की ओर मोड़ने के लिये एक महत्वपूर्ण धर्मनिरपेक्ष कोर ग्रुप (इफभैफ्ट - IFBHAFT - Intellectuals for Bringing Harmony and Fighting Terror) ने यह निर्णय किये। यह ग्रुप आज दोपहर तक टीवी प्रसारण में अपनी रणनीति स्पष्ट करेगा। इस कोर ग्रुप के अनुसार उसे व्यापक जन समर्थन के ई-मेल मिल रहे हैं।
मैं तो यह स्कूप दे रहा हूं। बाकी; ऑफीशियल अनॉउन्समेण्ट्स की आप प्रतीक्षा करें। एक कार्यक्रम बापू की समाधि राजघाट पर भी आयोजित होने की सम्भावना है; जिससे दिल्ली की जनता भी अपनी देश भक्ति को अभिव्यक्ति दे सके।
(नोट – यह विशुद्ध सटायर है। इस पर विश्वास आप अपनी शर्तों पर करें।)
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म फिर नपुंसक कारनामों पर उतर रहे है ज्ञान जी यह समय है कश्मीरी आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों पर बिना समय गवाए पूरी शक्ति के साथ सैन्य कार्यवाही का ! एक मुक्तिवाहनी सेना के हस्तक्षेप की !
ReplyDeleteहम और क्या करें अमन चैन के लिए - मोमबत्तियां तो जला ही सकते हैं .
ReplyDeleteअब हमें भी इन सारी बातों पर लिखना बंद कर देना चाहिए. हमारा लेखन भी अब ऐसे कृत्यों के लिए विज्ञापन जैसा ही हो चला है . क्या हमारी निवृत्ति नहीं हो जा रही बस लिख-लिख कर ?
मुक्तिवाहिनी की जरूरत तो है ही - तन से मन तक, घर से सरहद तक , वचन से कर्म तक.
इन प्रयासों की बहुत जरूरत है, समूचे देश भर में। आतंकवाद के दंशों को विस्मृत करने के लिए नहीं अपितु उन्हें लगातार स्मरण करते रहने, उस के विरुद्ध युद्ध में जनता को सतत रत रहने के लिए। जब जनता किसी के विरुद्ध सतत युद्ध में होगी तो सरकार, सेना और पुलिस और मुस्तैदी से काम करेगी। हमें सरकार को भी सदैव मोर्चे पर रखना होगा। उस का यही एक तरीका है।
ReplyDeleteअब लोगों को सकते से उबारने(?) [या उनका ध्यान दूसरी ओर बँटाने] के लिये कुछ न कुछ तो करना ही होगा। छीछालेदर से बचने के लिये लीपापोती करना ही होता है।
ReplyDeleteज्ञान जी, मैं अरविन्द जी की बातों से बिलकुल सहमत हूँ. अब समय है कि पूरी शक्ति से भारतीय सेना को पाकिस्तान के ऊपर आक्रमण कर देना चाहिए.
ReplyDeleteक्या हम वही भारत हैं ? जिसने बंगलादेश को मुक्त कराया था ! आज अपनी आजादी बचाने के लिए मोमबत्तीया जला रहे हैं ? कोई ये ना समझे की हम आजाद हैं ! हमारी आजादी दो कौडी की है ! चाहे जब कोई आंतकवादी आकर हमारी आजादी छीन सकता है , चाहे जब कोई राज ठाकरे एक भारतीय को मुम्बई छोड़ने का फतवा दे सकता है ! हम कौन सी गली में आजाद हैं ? हम अपने देश में और खासकर मुम्बई में ठाकरे साहब की कृपा से रहते हैं !
ReplyDeleteमुझे लगता है की आतंकवादियों ने भी ठाकरे से परमिशन ली होगी वरना बिना उनकी परमिशन के वो मुम्बई में ठहरा कैसे ? जांच कमीशन के लिए एक अहम् बिन्दु होना चाहिए !
अगर अब भी कुछ ठोस ना किया गया तो आने वाली पीढी हमें माफ़ नही करेगी ! हम बात अमेरिका की करते हैं ! ९/११ की मिसाल देते हैं ! क्या आपके पास जज्बा है की आप ताऊ बुश की तरह सैन्य कार्यवाही कर सके ?
आपके घर से सट कर आजादी के दुश्मन बैठे है जब की अमेरिका ने अपने वतन से दूर दुश्मनों को उनके घर में जाकर मारा ! ताऊ बुश भी जानते थे की इस कार्यवाही के रानीतिक अंजाम अच्छे नही होंगे ! पर उन्होंने अपने वतन की आजादी के आगे राजनैतिक स्वार्थ त्याग दिए ! अभी तो उनकी टर्म ही चल रही है , उनकी पार्टी चुनाव हार गई है ! अमेरीकी जनता उनसे नाराज है ! लेकिन उनकी प्रसंशा की आवाजे आना शुरू भी हो गई हैं !
हमारे यहाँ तो पी.एम. ही महारानी एलिजाबेथ की तरह प्रतीकात्मक है ! गृहमंत्री पता नही, है भी या नही ?
केन्द्रीय सरकार को शर्म भी नही है ? सिर्फ़ जोड़ तोड़ .. जा..लाल निशाँ .. आजा अमरसिंह ... के अलावा क्या काम है उनको ? धिक्कार है ऐसा सता सुख भोगने के लिए !
और बात कर रहे हैं अमेरीका की और हम पर हमला हुआ है का अनर्गल प्रलाप करने की ! अनगल प्रलापो से देश नही चला करते ! शासन कठोर हुए बिना नही चलते ! कुछ ग़लत भी होता है जो गेंहू में घुन सरीखा काम होता है ! पोटा हटा दिया
सिर्फ़ छिद्र होने की वजह से ! कहाँ नही है छिद्र ? आपकी पूरी छाती में छिद्र ही छिद्र हैं ! इसलिए आपके सीने के हर छिद्र में रोज ये कमीने आकर गोलीयां भोंकते हैं और आप अनर्गल प्रलाप करते हैं ! जरुर पोटा हटाईये ! क्या जरुरत है ? आपको तो चुनाव जीतना है ! जीतीये ! देश की आपको क्या ? यहाँ से लूट का माल स्विस बैंको में भेजते रहिये !
लोग युद्ध और ना जाने क्या क्या अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं ! क्या यही आपका युद्ध है ? क्या मोमबती युद्ध ही लडेंगे आप ? लड़िये ! आपकी आजादी भी मोमबती जितनी ही होगी !
मैं शहीद मेजर संदीप एवं अन्य सभी शहीदों को उनकी शहादत को प्रणाम करते हुए श्रद्धांजली स्वरुप कहना चाहूँगा की " ऐ शहीद वीरो मैं आपको नमन करता हूँ ! आप जैसे वीरो ने मुझ नपुंसक के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए ! पर मैं आपके द्वारा दी गई आजादी को मोमबती मार्च करके सुरक्षित रखूंगा ! और इस कार्यवाही को " भारत पर हमला मान कर शान्ति मार्च निकालने का वचन देता हूँ ! क्योंकि मैं शोक व्यक्त करने के अलावा गाल बजा सकता हूँ ! भले आपने दुश्मन की खोपडी बजाते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए हों !
समस्त शहीदों को सादर नमन !
अभी अभी टी.वी. पर न्यूज देखी की शहीद हेमंत करकरे की शवयात्रा में राज ठाकरे शामिल हुए ! अभी तो पहला ही दिन नही हुआ है और बिल से बाहर !
आप सटायर नही भी लिखते तो भी मैं यही समझता की ये मज़ाक ही है... ओर मज़ाक ही तो हो रहा है अब हमारे साथ
ReplyDeleteसमय आ गया है कि आतंक के गढ पर हमला करते हुए इस रोज रोज की आतंकवादी गतिविधियों से छुटकारा पाया जाय, वरना ये इंटेलेक्चुअल्स सिर्फ मोमबत्ती जलाने के लिये फेर में पडे होंगे और उधर जनता मशालों की आग में झुलस रही होगी।
ReplyDeleteआप इसे काल्पनिक सटायर कह रहे होंगे लेकिन हकीकत में यह सब शुरू भी हो चुका है, कल एक एफ एम चैनल पर कोई RJ कह रही थी कि आज आप लोग अपने घर की खिडकियों पर मोमबत्ती जलायें....सुनकर लगा कि हमारी इन्हीं तरह की हरकतों से तो आतंकवादी खुश होते हैं, ऐसे समय जब कि आपसी एकता की मशाल जलाने की जरूरत है, ये मौहतरमा कह रही है कि मोमबत्ती जलाओ ....उफ्फ..जानें कब तक चलेगा यह सब।
हमे तो सपने में भी यकीन नहीं आएगा, आप फिक्र न करें। ;)
ReplyDeleteवैसे आप एकाध आवश्यक बातें डालना भूल गए हैं जैसे कि पाकिस्तानी सरकार और हुक्मरानों ने शपथ ली है कि मानवता के दुश्मन व्यापारिक रूप से ऊभर आए आतंकवादी संगठनों को अपनी ज़मीन से तड़ीपार कर वे लोग आतंक विरोधी अभियान के हाथ मज़बूत करेंगे!! ;) :D
हम कर भी क्या सकते हैं मोमबत्ती जलाने के सिवाय्।उनसे पूछिये क्या गुज़र रही उनपर जो अपने परिजनो के शव का दाह-संस्कार कर रहे हैं।
ReplyDeleteइस संबंध में कुछ जानकारी मेरे पास भी है।
ReplyDeleteइफ-बट यानी कि इफभैफ्ट ग्रुप अमन चैन को बढ़ावा देने के लिए एक फिल्म भी तैयार करनेवाला है, जिसमें हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के सारे मान्यताप्राप्त सेकुलर बुद्धिजीवी व कलाकार अभिनय करेंगे। सुना है कि कोई डी कंपनी फिल्म में पैसे लगाने पर भी तैयार हो गयी है।
बाकी जो बातें मैं कहना चाहता था, सब ताउ ने कह दिया है।
इन प्रयासों की बहुत जरूरत है, समूचे देश भर में।
ReplyDeleteदिनेशराय द्विवेदीजी ने ऐसा क्यों लिखा? क्या मोमबत्तियां जलाकर, और आतंकियों के प्रति सद्भाव की अपील करके युद्ध लड़ा जा सकता है? अब भी क्यों दोस्ती की बाते करे हैं हम, जब पाकिस्तान की हर नई सरकार पिछले सरकार के समझौतों और बयानों को खारिज कर देती हैं?
भारत में अनिवार्य सैन्य शिक्षा की कोई ज़रूरत नहीं, पर क्या अनिवार्य यौन शिक्षा उतनी ही ज़रूरी है आज?
इसे भुलाने की कोशिश तो की ही जायेगी... पर याद रहे तो ज्यादा अच्छा है.
ReplyDeleteसचमुच एक अच्छा प्रयास है. मोमबत्तियों से युद्ध नहीं लड़ा जाता है मगर देश के दुश्मनों तक यह संदेश जाता है की हम एक साथ हैं, निडर हैं और हमें अपने देश पर पूरा विशवास है.
ReplyDeleteसब इम्पोर्टेड नेतृत्व का कमाल है . विदेशी व्यक्ति हमारे देश की भलाई के लिए उतना प्रयास स्वयं चाहे तो भी नहीं कर सकता, जितना कि कोई देशी व्यक्ति करेगा .
ReplyDeleteरही बात रोने और मोमबत्तियाँ जलाने की उसकी आजादी तो है ही .
मोमबत्तियां इन के पीछे...... अभी जख्म भरे भी नही ओर उन्हे याद रखो कि कोई दो टके का लुच्चा हमारी मां बहन को .... चला गया, अजी छोडो इन चोचलो को, मर्द बनो,टेसुये बहाना बच्चो ओर ओरतो का काम है,
ReplyDeleteनही यह सब कमजोर लोगो का काम है, जीयो तो शान से मरो तो शान से.
सुबह-सुबह आपकी पोस्ट पढ़ा और बिना टिपियाये मुंबई रवाना हो लिया. अब टिपियाने का समय मिला है, सो टिपिया रहा हूँ.
ReplyDeleteबड़ा दिव्य वातावरण है. कल सुबह दौड़ने की तैयारी कर रहा हूँ. दो सॉफ्ट ड्रिंक्स की कम्पनियाँ और एक एयरलाइन्स कंपनी दौड़ते समय पहनने के लिए कैप दे गईं हैं. एक बैंक वाला रिस्टबैंड दे गया है. एक मिनरल वाटर कंपनी एक बोतल पानी दे गई है.
आज दोपहर इंतजाम का जायजा लेने राहुल बोस आए थे. अलीक पदमशी, तीस्ता सेतलवाड, अरुंधती रॉय आ चुकी हैं. राहुल डा कुन्हा, और राहुल सिंह आयेंगे. रानी मुख़र्जी से अभी-अभी मुलाकात हुई. मैं उनसे मिलकर खुश होने ही वाला था कि मुझसे पहले वे खुश हो गईं. सभी तैयारी से संतुष्ट हैं.
सभी को आशा है कि इस बार दौड़ने से न केवल आतंकवाद की समस्या ख़त्म हो जायेगी बल्कि देश में साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ेगा. किसी ने अमिताभ बच्चन को बुलाने के लिए निमंत्रण दिया तो वे इस शर्त के साथ आने को तैयार थे कि वे अपनी रिवाल्वर लेकर दौडेंगे. उनके इस शर्त की वजह से मामला जमा नहीं. फिर भी उन्होंने आश्वाशन दिया है कि अगर अमर सिंह जी भी दौड़ने आयेंगे तो अमित जी भी दौडेंगे.
कुल मिलाकर माहौल बड़ा धाँसू बन रहा है. मैं तो कहता हूँ कि आप लोग भी आ ही जाइये. ताऊ जी अपनी भैंस और लट्ठ लेकर आ जायें तो दौड़ का मज़ा ही आ जायेगा.
शबानाजी इसकी चीफ गेस्ट होंगी। डिंपल कपाड़िया द्वारा निर्मित मोमबत्तियां इसमें जलायी जायेंगी। बस यही रह गया है, वहां से एक 47 आयेंगी, यहां वाले मोमबत्ती से उसका मुकाबला करेंगे।
ReplyDeleteबहुत जरूरी हैं ये प्रयास. जनता का ध्यान अगर बंटाया नहीं गया, तो कहीं सत्ता ही न उखाड़ फेंके. रही बात भाईचारे की, तो वे कोई आतंकी थोड़े ही थे, "पथभ्रष्ट मासूम" थे.
ReplyDeleteभाड़ में जाए देश, हम तो अहिंसा के सिद्धांत में विशवास रखते हैं.
हम कुछ कर नही सकते है सिर्फ़ मोमबत्तियां जलाये और रघुपति राघव राजाराम का गीत गाये . अब समय आ गया है कि आतंकवादियो के ख़िलाफ़ सख्त कार्यवाही की जावे अब अहिंसावादी होने का चोला उतारना जरुरी हो गया है अन्यथा देश में अमन शान्ति की कल्पना करना दूर की गोटी साबित होगी ..
ReplyDeleteकुछ विचार:
ReplyDelete१)जो सरकार अफ़ज़ल गुरु को सजा नहीं दे पा रही है, वह इन आतंकवादियों का क्या बिगाड़ सकती है?
२)कहाँ थे राज ठाकरे और उसके एम एन एस साथी? क्या अब यू पी और बिहार के कमैंडो मुम्बई में प्रवेश कर सकते है?
३)यदि पाकिस्तान की सरकार यह कहती है कि हम पाकिस्तानी भी इन आतंकवादियों से परेशान है और हमें मिलकर इनका मुकाबला करना होगा तो क्या पाकिस्तान सरकार हमारे कमैंडो सेना को कराची में प्रवेश करने देगी? जो काम वे इतने साल नहीं कर सके (दावूद इब्राहिम को पकड़ना) हमारे कमैंडो आसानी से कर लेंगे। हमारी सेना को उनके पहाडी इलाकों में प्रवेश करने दीजिए। सभी प्रशिक्षण केंद्रो को हम खत्म कर सकते हैं यदि उनसे यह काम नहीं हो पा रहा है।
दौड़ लगानी है तो इसराइल तक की लगे और वहां से कुछ सीख कर आये कि कैसे दुश्मन के घर में घुस कर मारा जाता है और अगर मोमबत्ती जलानी है तो आग पाकिस्तान में फ़ैले।
ReplyDeleteयह सब ढकोसला है--लिपा पोती है..समाज सेवा करनी है तो जायें उन बदनसीबों के घर जिनके घर के चराग २६-११ के काले दिन बुझ गए--सरकार से तो बहुत बाद में मुआवजा मिलेगा-न जाने कितने ऐसे भी होंगे जिनके दम से घर चलता था--उन की सहायता करें-यूं दौड़ लगा कर क्या हासिल होगा??इवेंट को स्पोंसर ??
ReplyDelete@G-Vishwanaath ji aap ki baaten bilkul sahi hain.
मोमबत्ती जलानें का काम एन डी टी वी एण्ड कम्पनी कर चुकी है,रात ८ बजे के समाचार बाँचते पंकज पचौरी बता रहे थे कि ८५००० हजार से अधिक मोमबत्ती सन्देश आ चुके हैं और रात ११.३० पर १२५००० मोमब्त्तियों का व्यापर हो चुका था हमारे महान सेक्युलर चैनल का।हिन्दुस्तान के सबसे नाट्कीय प्र०मंत्री रहे वी०पी०सिंह बहुत खामोशी से आज सिपुर्दे खाक कर दिये गये?राजमाता द्वारा आहूत कांग्रेस वर्किंग कमेटी की आपात बैठक में तीन प्रस्ताव पारित हुए १-शहीद जवानों को श्रद्धांजलि २-आतंकवाद के सामनें नहीं झुकेंगे ३-जनता धैर्य और संयम बनाए रखे-प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी।बैठक में शामिल होंने अर्जुन सिंह व्हील चेयर पर बैठ के गये-जयपाल रेड्डी कुछ दूर व्हील चेयर और कुछ दूर बैशाखी पर।एक समाचार पट्टी भी साथ साथ चलायी जा रही थी कि ज्यादातर लोग राहुलगांधी के पक्ष में थे और यह भी कि बैठ्क में गॄहमंत्री शिवराज पाटिल नहीं बुलाए गये।
ReplyDeleteजिन जवानों नें देश के गौरव की रक्षा में जीवनोत्सर्ग किया उन्हें हृदय से श्रद्धाँजलि।उनके परिजन इस दुख को वहन कर सकें यही उस करुणानिधान से प्रार्थना है।जो आतंकी इस कार्यवाही में मारे गए हैं उनकी आत्मा को शांति मिले और उनके प्रेरकों को दोजख नशीब हो।
दौड़्ना/भागना सेकूलर भाँडो़ं को शोभा देता है इसलिए वही भागें। मुझे तो लगता है कि जिन्हें देश की वास्तविक चिन्ता है वह सिर जोड़ आगे का रास्ता ढूढे़ तो ज्यादा उचित होगा।जो लोग बात बात पर हिन्दू मुस्लिम एकता की दुहाई देनें लगते हैं उन्हें एक बात ध्यान में रखनीं चाहिये कि हिन्दू स्वभावतः देशतोड़्क नहीं है।यह शिक्षाएं उन्हें दी जानी चाहिये जिनकी प्रतिबद्धताएँ अन्तरष्ट्रीय हैं।साथ ही यह भी कि हिन्दू कायर नही है यह भी समझ लेना चाहिये।
मै यह मानता हूँ कि इस देश का अधिकांश मुसलमान अमन और भाईचारे से रहना चाहता है किन्तु साथ ही यह भी जानता हुँ कि कुछ ऎसे जरूर हैं जो ऎसा नहीं चाहते। उनको समझानें की जिम्मेवारी भी उन्हीं की है जो हिन्दुऒं को बिना माँगे उपदेश देनें लगते हैं और ऎसा करते हुए वास्तव में वे हिन्दुओं को बदनाम कर रहे होते है।क्या बिना स्थानीय सहायता के वैसा कुछ सम्भव हो सकता था जैसा कि मुम्बई में हुआ?महाराष्ट्र और केन्द्र की सरकार बिना पूरी जाँच हुए यह क्यों कह रही है कि होटल के किसी कर्मचारी या लोकल की मिलीभगत नहीं है और यह भी कि १० ही आतंकी आये थे?मुझे लगता है मुम्बई और देश की जनता को सावधान रहना चाहिये!
भारत सरकार कहती है कि पाकिस्तान की ISI के प्रमुख को "समन" भेजा गया है और वे भारत आ रहे हैं।
ReplyDeleteआज पाकिस्तानी अखबार Dawn पढ़ा।
यही समाचार Dawn में इस प्रकार छपा है:
Govt accepts India’s plea for ISI help in Mumbai probe
सच क्या है?
@vishwnaath ji this is wrong news.last night it was announced on Zee news--it was a misunderstanding --Mr.Zardari says he never promised to send his ISI chief.they heard it wrong]
ReplyDelete--by the way do u think they ever be sending him?
ISI has lashkare toyeba as its branch [as per Zee news source].
latest news is more army line is building on PAK seema from PAk[ source-Aaj Tak news channel]--Now what shall we understand??
Alpanaji,
ReplyDeleteThanks for responding.
I only wished to draw attention to how the media on both sides reports the same fact.
Our side stated that we have "summoned" the ISI chief (as if we had the right to do so!)
Their side appeared to say that they were magnanimously responding to our appeal for help!
I was amused by this and wished to share it with all of you.
The latest I heard is that the ISI chief is not being sent but they are sending some lower level official.
.
राजनीतिज्ञ को सजा दी जानी चाहिए
ReplyDeleteJai Sai Ram
नये टिप्पणीकार "मदुरई के नगरिक" का हार्दिक स्वागत है।
ReplyDeleteयह बताइए किस राजनीतिज्ञ को सज़ा दें?
किससे शुरू करें?
क्या सज़ा दें?
कौन देगा यह सजा?
एक पक्के आतंकवादि जो हमारे कब्ज़े में है, जिसने हमारे देश के आम आदमी नहीं बल्कि देश की नेताओं और सांसदों को अपना निशाना बनाया था, और जिसकी अपील उच्चतम न्यायालय ने अस्वीकार किया है, उसे अब तक सज़ा नहीं दी जा रही है। एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन रष्ट्रपति उसकी क्षमा याचना पर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। हमारी सरकार डर से काँप रही है। यदि उसे फ़ाँसी होती है तो कशमीर में क्या होगा?
जब उसको हम सज़ा नहीं दे सकते तो हम देश के राजनीतिज्ञों का क्या बिगाड़ सकते हैं। केवल उनका त्याग-पत्र माँग सकते हैं। इन त्याग पत्रों की स्प्पलाई में कोई कमी नहीं है।
सज़ा हम आम आदमी को ही मिलती है।
इन विस्फ़ोटों के कारण भारत के बेकसूर हिन्दू मरंगे और बाद में यदि प्रतिक्रिया हुई तो दंगो में भारत के बेकसूर मुसलमान मरेंगे।
राजनीतिज्ञ अपने अपने घरों में और कार्यालयों में अपने अंग रक्षक के सहारे सुरक्षित रहेंगे।
जो बोट से आए वो तो एन एस जी के कमांडो ने मार दिए, जो वोट से आते हैं, उनको तो हमें संभालना पड़ेगा न!
ReplyDeletehttp://shabdaarth.blogspot.com/2008/12/blog-post.html
इस आन्दोलन मे साथ दीजिये!
अपन तो आज बहौत खुश हैं। आप भी खुश हो जाइए। हम सुरक्षित हैं, आप सुरक्षित हैं। अगले 3-4 महीनों के लिए हम सब को जीवनदान मिल गया है। क्योंकि आम तौर एक धमाके के बाद 3-4 महीने तो शांति रहती ही है। क्या हुआ जो 3-4 महीने बाद फिर हम करोड़ों लोगों में से 50, 100 या 200 के परिवारों पर कहर टूटेगा। बाकी तो बचे रहेंगे। दरअसल सरकार का गणित यही है। हमारे पास मरने के लिए बहुत लोग हैं। चिंता क्या है। नपुंसक सरकार की प्रजा होने का यह सही दंड है।
ReplyDeleteपूरी दुनिया में आतंकवादियों को इससे सुरक्षित ज़मीन कहां मिलेगी। सच मानिए, ये हमले अभी बंद नहीं होंगे और कभी बंद नहीं होंगे।
कयूं कि यहां आतंकवाद से निपटने की रणनीति भी अपने चुनावी समीकरण के हिसाब से तय की जाती है।
आप कल्पना कर सकते हैं110 करोड़ लोगों का भाग्यनियंता, देश का सबसे शक्तिशाली (कम से कम पद के मुताबिक,दम के मुताबिक नहीं) व्यक्ति कायरों की तरह ये कहता है कि आतंकवाद पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए एक स्थायी कोष बना देना चाहिए।
हर आतंकवादी हमले के बाद टेलीविजन चैनलों पर दिखने वाला गृहमंत्री का निरीह, बेचारा चेहरा फिर प्रकट हुआ। शिवराज पाटिल ने कहा कि उन्हे इस आतंकवादी हमले की जानकारीपहले से थी। धन्य हो महाराज!आपकी तो चरणवंदना होनी चाहिए.
लेकिन इन सब बातों का मतलब ये भी नहीं कि आतंकवाद की सभी घटनाओं के लिए केवल मनमोहन सिंह की सरकार ही दोषी है। मेरा तो मानना है कि सच्चा दोषी समाज है, हम खुद हैं। क्योंकि हम खुद ही इन हमलों और मौतों के प्रति इतनी असंवेदनशील हो गए हैं कि हमें ये ज़्यादा समय तक विचलित नहीं करतीं। सरकारें सच पूछिए तो जनता का ही अक्श होती हैं जो सत्ता के आइने में जनता का असली चेहरा दिखाती हैं। भारत की जनता ही इतनी स्वकेन्द्रित हो गई है कि सरकार कोई भी आए, ऐसी ही होगी। हम भारतीय इतिहास का वो सबसे शर्मनाक हादसा नहीं भूल सकते ,जब स्वयं को राष्ट्रवाद का प्रतिनिधि बताने वाली बी.जे.पी. सरकार का विदेश मंत्री तीन आतंकवादियों को लेकर कंधार गया था। इस निर्लज्ज तर्क के साथ कि सरकार का दायित्व अपहरण कर लिए गए एक हवाईजहाज में बैठे लोगों को बचाना था। तो क्या उसी सरकार के विदेश मंत्री, प्रधानमंत्री और स्वयं को लौहपुरुष कहलवाने के शौकीन माननीय (?)लाल कृष्ण आडवाणी उन हर हत्याओं की ज़िम्मेदारी लेंगे, जो उन तीन छोड़े गए आतंकवादियों के संगठनों द्वारा की जा रही है।
वाह री राष्ट्रवादी पार्टी, धिक्कार है।
अब क्या कहें, सरकार चाहे अटल बिहारी वाजपेयी की हो या मनमोहन सिंह की, आतंकवाद हमारी नियति है। ये तो केवल भूमिका बन रही है, हम पर और बड़ी विपत्तियां आने वाली हैं।क्यूं कि 2020 तक महाशक्ति बनने का सपना देख रहे इस देश की हुकूमत चंद कायर और सत्तालोलुप नपुंसक कर रहे हैं।
पं ड़ी०के० शर्मा वत्स जी मुद्दे से भटक रहे हैं और काँग्रेस के प्रवक्ता की तरह प्रतिक्रिया कर रहे हैं।क्या एन०डी०ए० के पहले की आतंकी घटनाओं,कश्मीर में २५ साल से जारी आतंक्वाद जिसके चलते कश्मीरी पण्डित दरबदर हो गये और ५० साल के काँग्रेसी शासन में हुए दंगों के लिए कांग्रेस जिम्मेवार नहीं है?क्या सिक्खों का कत्ले आम आड़वानी एण्ड कम्पनीं नें किया था? मुस्लिमलीग और पहले नक्स्लवाद और अब माओवादी आतंक के हिमायती कम्युनिस्टों के साथ बी जे पी नें सरकार बनायी है/थी? आज इण्डियन नेशनल काँग्रेस-इण्डियन नेशनल क्रिश्चियन काँग्रेस हुयी नहीं दिख रही है?
ReplyDeleteमुद्दा आतंकवाद से निपटनें और राजनैतिक दलों की इच्छा शक्ति के अभाव का है,सरकार इस दल की हो या उस दल की। महत्वपूर्ण है जनजाग्रति की,वह भी जोश में होश गँवाय बिना।