Thursday, November 6, 2008

ओबामामानिया


obamania ओबामामानिया (Obamamania) शब्द मुझे रीडर्स डाइजेस्ट के नवम्बर अंक ने सुझाया था। इस अंक में लेख में है कि दुनियां भर के देशों में ओबामा को मेक्केन पर वरीयता हासिल है – लोगों की पसन्दगी में।

ओबामा का जो कथन बार बार आया है – वह आउट सोर्सिंग को ले कर है। उनका कहना है - “मैक्केन से उलट , मैं उन कंपनियों को कर में राहत देना बंद कर दूंगा जो ओवरसीज देशों में रोजगार की आउटसोर्सिन्ग करती हैं। मैं यह राहत उन कंपनियों को दूंगा जो अमेरिका में अच्छे रोजगार उत्पन्न करती हैं।”obama

मुझे नहीं मालुम कि इसका कितना असर भारत छाप देशों पर पड़ेगा। पर यह बढ़िया नहीं लगता। आगे देखें क्या होता है। दो-तीन महीनों में साफ हो जायेगा। वैसे अपना सेन्सेक्स तो आजकल हवा चलते लटकता है। कल भी लटका है। खुलने के बाद सलंग (मालवी शब्द - सतत, एक सीध में) लटका है। पता नहीं ओबामा सेण्टीमेण्ट के चलते है या नहीं? इसको तो जानकार लोग ही बता सकते हैं।

अब पता चलने लगेगा कि दुनियां का ओबामामानिया सही है या नहीं।  

और पुछल्ले की तलाश न करें। यह पोस्ट ही पुछल्ला है

37 comments:

  1. http://www.financialexpress.com/news/FM-shrugs-off-Obama-outsourcing-views/381884/

    लिंक देखें ..आपका FM समझदार है!
    १. कंपनियां श्याणी हैं. अगर आपने भारत मे भी अपना एक आफ़िस बना रखा है तो काहे की आऊट्सोर्सिंग - इन्सोर्सिग ही इन्सोसिंग हो गई ना! US से काम भेजो इन्डिया के आफ़िस और उधर से करवा दो सब कांट्रेक्टिंग!

    २. आऊट्सोर्सिंग के बिना काम चलेगा नहीं - एक ही कंपनी सपोर्ट भारत में भेज सकती है और r&d यू.एस. में बढा सकती है.. ये दोनो काम साथ साथ हो सकते हैं.

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  2. ईस्वामीजी और FM दोनो ही सही है, आऊट्सोर्सिंग इतनी जल्दी ना तो बंद हो सकती है और ना ही कम।
    थोडा बहुत यदि फर्क पडेगा भी तो निर्माण उद्योग में, सर्विस सेक्टर में नहीं।

    वैसे भी चुनाव जीतने के लिये वादे करना हर नेता को नेतागिरी की पहली कक्षा में सीखना पडता है।

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  3. स्वागत ओबामा !

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  4. आउटसोर्सिंग मुद्दे पर भारत पर असर पडेगा या नहीं, इस सवाल का जवाब समय की गर्त में है....थोडे समय बाद ही कुछ निश्चित रूप से कहा जा सकता है, लेकिन यहाँ भारत में जिस तरह से ओबामामानिया दिख रहा है...हर जगह वही चर्चा,हर जगह वही सब व्याख्यानमाला... तो लगता है कहीं ये ऐसी खबरों से उचाट होने में सहायक तत्व तो नहीं है :)

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  5. अभी युफोरीया छाया हुआ है -
    जरा धुँध छँटने दीजिये :)
    और जो काम भारतीय करते हैँ वह अमरीकी नहीँ करेँग़ेँ---
    और चीन मेँ बना माल भी आम अमरीकी खरीदेगा -
    अगर सस्ता रहा तो !
    और यहाँ की इकोनोमी सुधरी तो - बहुत निर्भर करेगा अगले ४ सालोँ मेँ
    दुनिया मेँ क्या घटता है
    अचानक या प्लान किया हुआ...

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  6. हमारा खाली यही कहना है कि वो कहीं अपनी व्यवस्था-उवस्था सुधारने के लिये हमसे कर्जा-वर्जा न मागे। बाकी सब ठीक है। आ गये तो स्वागत भी है!

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  7. मेरे हिसाब से इतनी ज़ल्दी ओबामा आउट सोर्सिंग के बारे में निर्णय नहीं ले पायेंगें |

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  8. खैर, आऊट सोर्सिंग ऑप्शन नहीं मजबूरी है..चाहे ऑफिस भारत में खोलें या नहीं. यह तो बंद होगी भारत की हरकतों से ही, न कि यू एस की पॉलिसिस से.

    बाकी, ओबामा के आने से मुझ में कबिलियाई भावना कुदान मार रही है (ईस्वामी ध्यान दें) आखिर अपना ब्लैक प्रेसिडेन्ट बना है. काहे न कबिलियाई फिलिंग आये. जब हिन्दी में लिखने से आ सकती है तो रंग से काहे नहीं. :)

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  9. हमको तो फुरसतिया जी की टिपणी ने चिंता में डाल दिया है ! ओबामा जी हनुमान जी की मूर्ति साथ रखते हैं और कहीं भंडारे के लिए मांग बैठे तो कहाँ से इंतजाम होगा ? :) क्योंकि अमरीकी भंडारा भी बड़ा होता है ! वियतनाम,अफगानिस्तान, इराक़ जैसे कई भंडारे उनके पूर्व वर्तियों ने किए हैं ! उम्मीद यही है की अब ओबामा साहब किसी भंडारे का आयोजन नही करेंगे !

    आपका मालवी शब्द "सलंग" इस्तेमाल करना बड़ा शुकून दायक लगा ! इसके लिए आपको अलग से एक स्पेशियल धन्यवाद !

    इसी सलंग के सन्दर्भ में ओबामा साहब का स्टेंड साफ़ है की वो "वाल स्ट्रीट" पर कम और "मेन स्ट्रीट" पर ज्यादा ध्यान देंगे ! और कल ही हम ( भारतीय बाजार ) भी सलंग लटक गए , उसके बाद योरोपीय बाजार औंधे हुए , फ़िर अमरीकी बाजार भी रात में अच्छे औंधे हो गए और अभी सुबह सुबह एशियाई बाजार भी सलंग लटकते हुए खुल रहे हैं ! असल में अभी थोड़े समय बुनियादी कमजोरी है जो किसी ओबामा से दूर नही होगी बल्कि समय से दूर होगी ! हाँ अगर राजनीतिज्ञो के प्रयास इमानदार रहे तो कुछ जल्दी दूर हो सकते हैं ! फ़िर भी हम अच्छे की उम्मीद करे !

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  10. हमें उम्मीद ही नहीं पूरा विशवास है कि ओबामा साहब दम तोड़ती हुई अर्थ-व्यवस्था को और ज़्यादा लट्ठ नहीं चखाएंगे. अगर अमरीकी कंपनियों पर एक भी बेवकूफी (जैसे की आउटसोर्सिंग की मनादी) और लादी गई तो यह देश कभी अपना गौरव वापस नहीं ले पायेगा. इस सब के बजाय उनकी प्राथमिकताएं निम्न में से कुछ या सभी हो सकती हैं:
    १. वैकल्पिक ऊर्जा पर ज़ोर
    २. सरकारी खर्च में कमी
    ३. विदेशी धरती पर युद्ध से वापसी
    ४. आम रोज़गार में वृद्धि (इसके लिए कंपनियों का बचना बहुत ज़रूरी है मगर कंपनी प्रमुख की लूट कम होगी)

    मुझे यकीन है कि वे आज के समय के अनुसार एक बेहतर राष्ट्रपति साबित होंगे. बुश की करनी की मरम्मत में थोडा समय लगेगा, मगर कुल मिलाकर सब अच्छा ही होगा.

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  11. आउटसोर्सिंग रोकने के लिए ओबामा यदि उन पर लोगों पर टैक्स लगाते हैं जो अमरीका से बाहर काम भेजते हैं तो इस में कुछ नहीं? भारत को भी इस से सीखना चाहिए। अपने यहाँ रोजगार बढ़ाने वाले कदम उठाने चाहिए।

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  12. अजी अब अमरीका पर पैसे कहां है, कुछ खऱीदने के। बाकी इंडिया को किसी देश पर इतना निर्भर नहीं रहना चाहिए, अमेरिका पर इतनी निर्भरता ठीक नहीं है। अमेरिका की टोकरी में भारत के अंडे बहुत ज्यादा हो गये हैं। ये अंडे कुछ कम होने चाहिए। ओबामा भारत के हित में नहीं, सिर्फ अपने हित में काम करेंगे, अगर इन हितों में भारतीय हित सध जायें, तो उन्हे समस्या नहीं होनी चाहिए। पर अभी इंतजार करना होगा।

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  13. सर पुछल्ला तो आप ई-स्वामी के कमेंट को लगा सकते हैं..
    और समीर जी, आप तो ओबामा से भी ज्यादे काले दिखते हैं.. फिर काहे का कबीला? अजी आप तो अलग ही कबीले के नजर आते हैं.. :) :P

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  14. ओ बाबा...ओ माँ...ओ बाबा माँ...ओबामा

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  15. सोच समझ कर ही अमेरिकियों ने इन्हे दुनिया की सबसे ताकतवर गद्दी पर बैठाया है.

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  16. भारतीयों में ओबामा के रंग को लेकर समर्थन था, नीतियाँ तो हम अपने चुनावों में भी नजर अंदाज कर देते है.

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  17. हमारा तो काम ही अमरीकियो के भरोसे चलता है.. आऊट्सोर्सिंग फिलहाल तो बंद होती दिखती नही है.. फिर देखते है.. आयेज क्या होता है..

    पर हमारे देशवासीयो को आऊट्सोर्सिंग बंद होने से डरने के बजे इस देश में ही अवसर तलाश करने चाहिए...

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  18. ओ बाबा...ओ माँ...ओ बाबा माँ...ओबामा


    टिप्पणी श्री मिश्रा से साभार

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  19. एक ब्लॉग पर ही पढ़ा था की ओबामा भारत में होते तो पोस्टर इस तरह बनते:

    Barack O., BA, MA.

    (अनुरागजी से प्रेरित)

    और आउटसोर्सिंग तो मजबूरी है. वैसे ही हालत ख़राब है अमेरिका कभी नहीं चाहेगा की बाकी देशों की तुलना में उसे पीछे होना पड़े. फ्री ट्रेड पर भी कुछ ऐसे ही विचार हैं ओबामा के. देखते हैं...

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  20. सही कहा आपने समय ही वह कसौटी है, जो ओबामामानिया की परख कर पाएगी।

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  21. obama effect
    democratic respect
    bow down
    sensex

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  22. यहाँ तो बड़ी गम्भीर चर्चा हो रही है गुरूजी! पूरा पढ़ने के बाद मैं तो शिव जी के स्वर में स्वर मिलाकर इतना ही कह पाऊंगा-

    ओ बाबा...ओ माँ...ओ बाबा माँ...ओबामा :)

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  23. क्‍या आउटसोर्सिंग न होने से भारत का टैंलेंट भारत के लि‍ए उपयोगी नहीं रहेगा। यह हैं कि‍ पैकेज बड़ी नहीं मि‍लेगी, पर मेरे कई दोस्‍त बाहर से कमाकर लौंटे हैं मगर अब भारत से बाहर जाने का अवसर ठुकरा देते हैं।

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  24. ओबामा का स्वागत करता हूँ, यह जानते हुए भी कि वे Outsourcing के खिलाफ हैं और मैं Outsourcing व्यवसाय से जुडा हुआ हूँ।

    इस संदर्भ में क़रीब एक साल पहले नुक्कड फोरम पर मैंने Outsourcing पर अपने विचार प्रकट किए थे।

    रुचि हो तो यहाँ पधारिए

    http://tarakash.com/forum/index.php?option=com_content&task=view&id=26&Itemid=39

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  25. ओबामा से पहले वाले भी न तो हमारे रिश्तेदार थे न ही मूर्ख थे . जिसमें उनको अपना फायदा दिखेगा वही करेंगे वो .

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  26. ओबामामानिया...ठीक ही तो है.....स्वयंभू अगुआ अमेरिका का राष्ट्रपति एक ध्रुवीय विश्व में सामान्य स्थिति में ही बड़ी अहम् भूमिका निभाता है...फ़िर तो अभी दशकों बाद अमेरिका मंदी की चपेट में है...तो उसकी आतंरिक और बाह्य नीति में जो कुछ उनके फायदे के अनुसार परिवर्तन होगा, उसका असर तो सभी विकासशील....और उसके सोपान में खड़े देश भोगेंगे. तब जिसके भाग्य में जो आएगा....उसे लेकर तो चीखेगा ही....सो अभी से चिल्लाकर चीखने के अभ्यास में क्या बुराई. ओबामा जो करेंगे.... सबसे पहले अपने देश अमेरिका के लिए करेंगे फ़िर...शेष कुशल...... की बात सोचेंगे.....वैसे अतिरेक में सोचना भी जायज नहीं है. फ़िर ओबामा कोई भारत के लिए देवदूत नहीं....?? यह तो सभी को दो टूक समझना होगा.

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  27. एक आदमी नाई के पास बाल कटवाने गया, ओर नाई से बोला भाई मेरे बाल कितने लम्बे है??? नाई बोला बाबुजी अभी आप के सामने पडे होगे खुदी नाप लेना.....
    अमेरिकन अपने बाप का नही तो हमारा कहा से होगा.... चाहे काला हो या गोरा. प्यार तो अपने देश को ही करेगां, हम् क्यो ज्यादा खुश हो रहै है????

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  28. चिन्‍ता मत कीजिए । ओबामा बहुत जल्‍दी अपने बयान से पल्‍टी मार लेंगे और कहेंगे - मीडिया ने मेरे बयान को तोड-मरोड कर पेश किया है ।
    'सलंग' के लिए धन्‍यवाद । आपने अपने ब्‍लाग पर मालवा बसा दिया ।

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  29. सब भले ही ओबमेनिया में दुबे हुए है पर मुझे लगता है की ओबामा भी कुछ खास बदलाव नहीं ला पाएंगे. खासकर भारत के प्रति तो वो थोड़े कठोर नजर आते है. मेरा मतलब आउटसोर्सिंग से जिसके वे खिलाफ है.

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  30. भाई ज्ञानदत्त जी,
    धन्दा, धन्दे वाले के हिसाब से चलता है, उन्हें नही फर्क पड़ता कि नेता लोग क्या बकते हैं, सब जानते हैं कि नेता चुनाव के पहले वोट प्राप्त करने के लिए बक-बक करता है और सत्ता में आने के बाद धन्दे वालों के हिसाब से पॉलिसी बनाता है.
    अब इसे ओबामामानिया कहे या गंधिज्म , सभे के अर्थ तंत्र में एक ही हस्र होता है, चिंता न करें , सब कुछ वैसे ही होता रहेगा.

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  31. आउटसोर्सिंग रोकने के लिए ओबामा यदि उन पर लोगों पर टैक्स लगाते हैं जो अमरीका से बाहर काम भेजते हैं तो इस में कुछ नहीं? भारत को भी इस से सीखना चाहिए। अपने यहाँ रोजगार बढ़ाने वाले कदम उठाने चाहिए।

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  32. हमें उम्मीद ही नहीं पूरा विशवास है कि ओबामा साहब दम तोड़ती हुई अर्थ-व्यवस्था को और ज़्यादा लट्ठ नहीं चखाएंगे. अगर अमरीकी कंपनियों पर एक भी बेवकूफी (जैसे की आउटसोर्सिंग की मनादी) और लादी गई तो यह देश कभी अपना गौरव वापस नहीं ले पायेगा. इस सब के बजाय उनकी प्राथमिकताएं निम्न में से कुछ या सभी हो सकती हैं:
    १. वैकल्पिक ऊर्जा पर ज़ोर
    २. सरकारी खर्च में कमी
    ३. विदेशी धरती पर युद्ध से वापसी
    ४. आम रोज़गार में वृद्धि (इसके लिए कंपनियों का बचना बहुत ज़रूरी है मगर कंपनी प्रमुख की लूट कम होगी)

    मुझे यकीन है कि वे आज के समय के अनुसार एक बेहतर राष्ट्रपति साबित होंगे. बुश की करनी की मरम्मत में थोडा समय लगेगा, मगर कुल मिलाकर सब अच्छा ही होगा.

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  33. खैर, आऊट सोर्सिंग ऑप्शन नहीं मजबूरी है..चाहे ऑफिस भारत में खोलें या नहीं. यह तो बंद होगी भारत की हरकतों से ही, न कि यू एस की पॉलिसिस से.

    बाकी, ओबामा के आने से मुझ में कबिलियाई भावना कुदान मार रही है (ईस्वामी ध्यान दें) आखिर अपना ब्लैक प्रेसिडेन्ट बना है. काहे न कबिलियाई फिलिंग आये. जब हिन्दी में लिखने से आ सकती है तो रंग से काहे नहीं. :)

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  34. आउटसोर्सिंग मुद्दे पर भारत पर असर पडेगा या नहीं, इस सवाल का जवाब समय की गर्त में है....थोडे समय बाद ही कुछ निश्चित रूप से कहा जा सकता है, लेकिन यहाँ भारत में जिस तरह से ओबामामानिया दिख रहा है...हर जगह वही चर्चा,हर जगह वही सब व्याख्यानमाला... तो लगता है कहीं ये ऐसी खबरों से उचाट होने में सहायक तत्व तो नहीं है :)

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  35. अजी अब अमरीका पर पैसे कहां है, कुछ खऱीदने के। बाकी इंडिया को किसी देश पर इतना निर्भर नहीं रहना चाहिए, अमेरिका पर इतनी निर्भरता ठीक नहीं है। अमेरिका की टोकरी में भारत के अंडे बहुत ज्यादा हो गये हैं। ये अंडे कुछ कम होने चाहिए। ओबामा भारत के हित में नहीं, सिर्फ अपने हित में काम करेंगे, अगर इन हितों में भारतीय हित सध जायें, तो उन्हे समस्या नहीं होनी चाहिए। पर अभी इंतजार करना होगा।

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय