Sunday, March 25, 2007

मैं बैटरी वाली साइकल लूंगा!

टाटा की लखटकिया कार आयेगी तो मोटर साइकल वाले अपग्रेड हो कर सड़कें पाट देंगे. सडकें जब गलियों में तब्दील हो जायेंगी (जैसे कि अब नहीं हैं क्या?) तब पतली गली से निकलने को साइकल ही उपयुक्त होगी. अत: मेरा लेटेस्ट चिंतन है कि मैं बैटरी वाली साइकल लूंगा.

इस बारे में मैने फाइनांस मिनिस्टरी (पढ़ें मेरी पत्नी) से चर्चा कर अप्रूवल भी ले लिया है. वहां से अप्रूवल बड़ी मुश्किल से मिलता है. किसी जमाने में उनका नजरिया था कि मापेड पर चलने की बजाय गधे पर सवारी करना ज्यादा बेहतर विकल्प है. पर अब सवेरे की सैर के समय भीड और चांद की सतह वाली सडकें देख कर उन्होंने अपना मत बदल लिया है.

बैटरी वाली साइकल के मार्केट में कई प्लेयर कूदने वाले हैं. एवोन साइकल्स, के ई वी इण्डिया, कैसर आटो मोटो, एटलस साइकल्स, ऐस मोटर्स, इलेक्ट्रोथर्म, हीरो साइकल्स आदि अगले साल भर में डेढ लाख बैटरी वाली साइकलें बाजार में उतार देंगे.

दस पैसे में एक किलोमीटर चलना, कम प्रदूषण, कम स्पीड से कम दुर्घटना का जोखिम, रजिस्ट्रेशन से मुक्ति, पतली गली से मेन्यूवर कर निकल लेने की सुविधा बड़े फायदे हैं इस साइकल के. बस दो बातों की समस्या है. एक तो इन साइकलों का पे-लोड केवल 75 किलो है. अत: अपना वजन कम करना होगा. दूसरे, पत्नी की यह चिंता कि वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड का सरकारी अफसर साइकल पर चलता कैसा लगेगा कब सिर उठा कर फुंकारने लगेगी और अप्रूवल विड्रा हो जायेगी कहा नहीं जा सकता. कई बार अपनी सहूलियत, सोच और निश्चय पर लोग क्या कहेंगे भारी पड़ जाता है.

बैटरी वाली साइकलें यातायात में गम्भीर योगदान देंगी. इंटरनेशनल हेरल्ड ट्रिब्यून का यह पन्ना देखें.

4 comments:

  1. मेरे विचार मे आने वाले समय मे साईकिले (भले बैटरी वाली) ही यातायात के लिए बैस्ट होंगी। जापान मे आज भी लोग साइकिलों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते है, वहाँ पर बाकायदा साइकिलों के लिए अलग ट्रेक्स है और तो और, साइकिलों के लिए अलग से इलेक्ट्रानिक/कम्प्यूटराइज्ड पार्किंग सर्विस है।

    अपने देश मे सड़कें ही बरबाद है, ऊपर से ट्रैफिक का आलम ये है कि बन्दा तो निकल नही पाता, कार से जाने की सोचों तो शायद समय पर ना पहुँच सको, फिर पार्किंग, अगर एक किलोमीटर दूर गाड़ी खड़ी करनी पड़े तो क्या फायदा, इसलिए अपनी कार मे एक छोटी साइकिल अवश्य रखिए।

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  2. बैटरी की साइकिल यूँ तो लुभावनी है, परंतु मेरे राज्य में जहाँ अकसर बिजली गुल रहती है, इसकी बैटरी कैसे चार्ज होगी?

    फिर, यदि अचानक कहीं जाना हो, और इसकी बैटरी डाउन हो, गाड़ी चार्जिंग में लगी हो तो?

    वैसे, सीमित, नियमित चालन के लिए ये बाइकें बढ़िया हैं. परंतु इनकी कीमत अभी अनावश्यक रूप से ज्यादा है - 20-30 हजार रुपए!

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  3. आज हम भी अखबार में बैटरी वाली साइकिल की एड देख रहे थे विचार बना ले लें पर आस पास की सडकें बेहद असुरक्षित हैं साइकिलसवारी के लिहाज से सो आइडिया ड्रॉप हो गया..

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  4. इस देश में सायकिल और सायकिल पर चलने वालों को इज्जत कैसे मिलेगी जब यहाँ आये दिन देखने को मिलता है कि कोई चोर-उचक्का जब सड़क पर चलता है तो उसके आगे-पीछे सैकड़ों गाड़ियों की लाइन लग जाती है।

    खैर आप शुरू करें, मैं भी आपके पीछे-पीछे चलूंगा।

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय