|| MERI MAANSIK HALCHAL ||
|| मेरी (ज्ञानदत्त पाण्डेय की) मानसिक हलचल ||
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|| मेरे होने का दस्तावेजी प्रमाण बन रहा है यह ब्लॉग ||
Friday, March 9, 2007
हताशा के पांच महीने बाद
समय सबसे बड़ी दवा है. साथ के चित्र में जो बुजुर्ग दिख रहे हैं वे पिछ्ली मई में हैजे से मरणासन्न थे. अस्पताल में इलाज हुआ तो पता चला कि समय पर चिकित्सा न होने से किडनियों ने काम करना बंद कर दिया है. इन्टेंसिव केयर में हफ़्ते भर और तीन महीने गहन चिकित्सा से किडनियां सामान्य हो पाईं. इधर किडनी ठीक हुयी तो इन बुजुर्ग ने बरसात से गीली जमीन पर पैर रखकर अपनी कूल्हे की हड्डी तोड ली. हड्डी का आपरेशन हुआ. डेढ महीने फ़िर बिस्तर पर रहे. अवसाद के गर्त में जा कर जीने की इच्छा शक्ति खो बैठे. फिर फिजियोथेरेपी ने कमाल किया. वाकर ले कर धीरे धीरे चलने लगे. कुछ मनोबल लौटा. महीने भर वाकर पर रहे. कुछ ताकत बढी तो छडी़ ले चलने लगे. दो महीने बाद छ्डी़ के बिना भी चलने लगे.
लेकिन इलाज की कहानी खत्म नही हुई. एक दिन घर के कुत्ते पर पैर रख दिया. कुत्ते ने काट खाया. डाक्टर की सलाह पर दो एन्टी रेबीज इन्जेक्शन लगे. कुत्ते पर पैर क्यों रखा; इसपर सोचा गया तो लगा कि आंख से शायद कम दिखता है. आंखों के चेक अप में निकला कि दोनो आंखों मे मोतियाबिन्द है. दो हफ़्ते पहले एक आंख का ऑपरेशन कराया गया. अब जब ठीक से दिखने लगा तो बुजुर्ग ने खुद कपडे़ के जूते खरीदे. उन्हे पहन कर सडक पर सवेरे की सैर को दो दिन से निकल रहे हैं. एहतियाद के लिये साथ में मेरा लड़का जाता है. जी हां; ये सज्जन मेरे पिताजी हैं.
अवसाद, हताशा और खुश जिन्दगी में कितने महीनों का अंतर होता है?
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आप के साथ रहकर कौन हताश हो सकता है? जब आप अपने साथ अधीनस्थ कर्मचारियों, सामान्य काम पर आने वालों के बारे में सोच कर लिख सकते हैं, तो अपने पिताजी का कितना ध्यान रकते होंगे?
ReplyDeleteआपके बाबूजी सदैव खुश सानन्द रहें, इन्ही मनोकामना के साथ
आपको और आपके बाबूजी को बधाई !
ReplyDeleteआपके पिताजी हमारे लिये हमारे दादाजी स्वरूप हुए ।
ReplyDeleteदादाजी को सबसे पहले चरणस्पर्श, और फ़िर ईश्वर से उनके अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना ।
आप एक अच्छे इंसान हैं।
ReplyDeleteआपके पिताजी के स्वास्थ्य के लिये शुभकामनायें!
ReplyDeleteजीवित रहने के लिए जिजीविषा ही सबसे पहली जरुरत है। इस बारे में इंग्लिश कहानी The Last Leaf ध्यान आती है।
ReplyDeleteईश्वर करे आपके पिताजी शीघ्र स्वस्थ हों।
:) मस्त है !
ReplyDeleteआप और आपका परिवार सुखी रहे :)
रिपुदमन पचौरी
My Pranam to Pitaji
ReplyDelete&
God bless for you Son Gyan bhai sahab ......seeing him for the first time. What is his name ?
My Pranam to Pitaji
ReplyDelete&
God bless for you Son Gyan bhai sahab ......seeing him for the first time. What is his name ?
आपकी पिछली सारी पोस्टें पढ़ने का बीड़ा उठाया है. सबसे पहली (या सबसे आखिरी?) पोस्ट से शुरू करते-करते पढ़ना तय किया है क्योंकि बेतरतीब पढने में दोहराव और छूटने का चांस है. आपके पिता और पुत्र का ज़िक्र यहाँ पहली बार देखा है.
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