|| MERI MAANSIK HALCHAL ||
|| मेरी (ज्ञानदत्त पाण्डेय की) मानसिक हलचल ||
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Monday, March 12, 2007
पत्थर पर प्रोफाइल
प्रोफाइल तराशने का काम केवल चिठेरे ही करते हों, ऐसा नहीं है. आज सवेरे की सैर के समय एक सवा बिस्से की जमीन पर बने घर के गेट पर लगे पत्थर पर जो लिखा देखा, वह किसी प्रोफाइल से कम नहीं है. अठारह साल में बने अपने ताज महल पर कितनी हसरत से पत्थर लगाया है इस सज्जन ने!
जरा चित्र देखें!
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मकान भी बहुत हसरत से बनवाया होगा ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
सही है अपनी मेहनत से बसाया नीड़ किसको प्यारा नहीं होता।
ReplyDelete१९८१ से १९९९ तक बुना १८ सालीय सपना साक्षात हुआ तो क्यूँ नहीं ऐसा पत्थर...बहुत खूब!! बनती है, भाई!!
ReplyDeleteAakhir patthar se hi to shuruaat hui thi.....Lekin yah kya, abhi tak wahin atke huye hain.
ReplyDeleteMunna