|| MERI MAANSIK HALCHAL ||
|| मेरी (ज्ञानदत्त पाण्डेय की) मानसिक हलचल ||
|| मन में बहुत कुछ चलता है ||
|| मन है तो मैं हूं ||
|| मेरे होने का दस्तावेजी प्रमाण बन रहा है यह ब्लॉग ||
Monday, March 19, 2007
क्या आप मस्तिष्क की चोटों पर वेब साइट बनाने में भागीदारी करेंगे?
मैं ब्रेन-इन्जरी के एक भीषण मामले का सीधा गवाह रहा हूं. मेरा परिवार उस दुर्घटना की त्रासदी सन २००० से झेलता आ रहा है.
मैं जिस दुर्घटना की बात कर रहा हूं, उसमें मेरा बेटा दुर्घटना ग्रस्त था. फरवरी १९’२००० में पंजाब मेल के ६ कोच भुसावल के पास भस्म हो गये थे. एस-८ कोच, जो सबसे पहले जला, और जिसमें मर्चेन्ट नेवी का कोर्स कर रहा मेरा लड़का यात्रा कर रहा था; में १८ यात्री जल मरे. घायलों में सबसे गम्भीर मेरा लड़का था. सौ किलोमीटर प्र.घ. की रफ्तार से दौड़ रही गाडी़ में वह घुटन और जलने से बचने के लिये कोच के दरवाजे तक आया होगा. फिर या तो पीछे की भीड़ के धक्के से, या जान बचाने को वह नीचे गिरा. जब उसे ढूंढा़ गया तब उसके सिर में गम्भीर चोटें थीं और बदन कई जगह से जला हुआ था. वह कोमा में था. कोमा में वह बेहोशी ३ महीना चली. उसके बाद भी ब्रेन इंजरी के लम्बे फिजियोथेरेपिकल/न्यूरो-साइकोलॉजिकल/ सर्जिकल इलाज चले. जो अनुभव हुए वे तो एक पुस्तक बना सकते हैं.
मेरा लड़का अभी भी सामान्य नहीं है. इस दुर्घटना ने हमारी जीवन धारा ही बदल दी है...
दुर्घटना के करीब साल भर बाद मैने उसे कंप्यूटर पर चित्र बनाने को लगाया - जिससे दिमाग में कुछ सुधार हो सके. बहुत फर्क तो नहीं पडा़, पर उसके कुछ चित्र आपके सामने हैं.
बहुत समय से मस्तिष्क की चोटों के मामलों पर इन्टर्नेट पर सामग्री उपलब्ध कराने का विचार मेरे मन में है. सिर में चोट लगने को भारत में वह गंभीरता नहीं दी जाती जो दी जानी चाहिये. कई मामलों में तो इसे पागलपन और ओझाई का मामला भी मान लिया जाता है. चिकित्सा क्षेत्र में भी सही सलाह नहीं मिलती. निमहन्स (National Institute of Mental Health and Neurosciences, Bangalore) में एक केस में तो मैने पाया था कि बिहार के एक सज्जन बहुत समय तक तो आंख का इलाज करा रहे थे और नेत्र-चिकित्सक ने यह सलाह ही नहीं दी कि मामला ब्रेन इन्जरी का हो सकता है. जब वे निमहन्स पंहुचे थे तो केस काफी बिगड़ चुका था...
मैं ब्रेन-इन्जरी के विषय में जानकारी और लोगों के अनुभवों को हिन्दी में इन्टर्नेट पर लाना चाहता हूं. वेब साइट बनाने की मेरी जानकारी शून्य है. जो मैं दे सकता हूं - वह है अपने दैनिक जीवन में से निकाल कर कुछ समय और वेब साइट के लिये सीड-मनी.
क्या आप भागीदारी करेंगे?
वर्ग:
Brain Injury,
Techniques,
Varied,
तकनीकी,
ब्रेन इंजरी,
विविध
ब्लॉग लेखन -
Gyan Dutt Pandey
समय (भारत)
5:23 AM
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पाण्डेय जी,
ReplyDeleteआपके पुत्र के साथ हुए हादसे को जानकर दुख हुआ, वेबसाइट बनाने में मेरा सहयोग आपके साथ है, आप मुझे इमेल पर संपर्क कर सकते है।
पाण्डेय जी,
ReplyDeleteपढ़कर दुःख हुआ। आप ब्रेन इंजरी के लिए जिस सजाल की अभिकल्पना कर रहे हैं शायद उस के लिए विकी बनाना ज्यादा उपयोगी होगा ताकि लोग स्वयं इसमें योगदान कर सकें। आप
http://socialtext.net
पर जाकर एक विकी बना सकते हैं।
पंकज
मैं मिर्ची सेठ से सहमत हूँ, इस विषय पर विकी ही उपयुक्त रहेगा, आप अकेले आखिर इस विषय पर कितना लिख पाएंगे।
ReplyDeleteपाण्डेयजी, अफसोस कि आपके बच्चे के साथ यह हुआ। साइट बनाने के लिये जो सहयोग हमसे हो सकेगा, हम अवश्य करेंगे!
ReplyDeleteपाण्डेयजी,
ReplyDeleteआपके वेबसाइट सम्बन्धी कार्य में जितना भी सहयोग हो सकेगा मैं करने के लिये इच्छुक हूँ । आपके पुत्र के साथ हुयी दुर्घटना के विषय में जानकर बडा दुख हुआ, मेरे शब्द आपकी भावनाओं के साथ न्याय नहीं कर सकते फ़िर भी मैं अपनी संवेदना प्रकट करता हूँ ।
मैं राइस यूनिवर्सिटी में शोध कर रहा हूँ, अगर आपको अपनी वेबसाइट के लिये किसी पुस्तक अथवा जरनल आर्टिकल की आवश्यकता महसूस हो तो नि:संकोच संपर्क करें ।
ज्ञानदत्त जी,
ReplyDeleteइस हादसे और उसके शिकार लोगो के बारे मे जानकर बहुत दु:ख हुआ। घर का बच्चा जब इस तरह की परिस्थितियों से गुजरता है तो मै समझ सकता हूँ माँ बाप की पर क्या गुजरती होगी।
आपकी वैबसाइट बनाने वाली परिकल्पना पर मै आपके साथ हूँ, किसी भी तरह की सहायता के लिए मै आपसे सिर्फ़ एक इमेल की दूरी पर हूँ। मेरे विचार से आपको सिर्फ़ कन्टेन्ट देना होगा, बाकी हम कर लेंगे। मिर्ची सेठ का विकी का विचार अति उत्तम है, उसमे ज्यादा से ज्यादा लोग सहभागी हो सकते है। मेरे विचार से आप इस बारे मे इमेल से चर्चा करें, अथवा परिचर्चा पर एक अलग से थ्रेड बनाकर चर्चा करें।
पाण्डेय जी,
ReplyDeleteपढ़कर दूःख हुआ। किसी भी तकनिकी सहायता के लिये हम लोग हाजिर है। जैसा की जीतु भाई ने कहा इस विषय पर परिचर्चा मे चर्चा की जा सकती है।
आशीष
आप इसे शुरू कीजिए। हमलोग हर संभव जानकारी और तकनीकी सहायता आपको देने का प्रयास करेंगे।
ReplyDeleteवैसे, स्वास्थ्य और विशेषकर मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में हिन्दी में एक साइट बनाने का विचार मेरी योजना में भी है। लेकिन समयाभाव और आलस्य की वजह से यह अभी तक संभव नहीं हो सका है।
आपका ध्यान मानसिक स्वास्थ्य के एक विशेष पक्ष पर फोकस रहेगा, यह और भी अच्छी बात होगी। वैसे, दुर्घटनाओं के बाद तुरंत उपचार मिल जाने पर समस्याओं के जटिल होने का जोखिम कम हो जाता है। इसलिए देश भर में ट्रॉमा सेंटर का जाल बनाए जाने की जरूरत है। भारत सरकार ने कुछ वर्षों से इस संबंध में ध्यान देना शुरू किया है, लेकिन दिल्ली के एम्स और सफदरजंग अस्पताल के ट्रामा सेंटर की हालत को देखकर यह अंदाज लगाना मुश्किल नहीं है कि सरकार इस मामले में पर्याप्त संवेदनशील और सचेत नहीं है।
हमारा सहयोग रहेगा..
ReplyDeleteपाण्डेय जी,
ReplyDeleteएक अभिवावक के रूप में इस प्रकार की दुर्घटना से उत्पन्न पीड़ा अवश्य ही अति-दुखदायी है
। यह जानकर हर्ष भी हुआ कि इस पीड़ा को आत्मसात करते हुए भी आप एक कल्याणकारी प्रयोजन के लिये कृत-संकल्प हैं।
इस परियोजना में तकनीकी सहयोग व सुझाव के लिये आप नि:संकोच सम्पर्क कर सकते हैं।
धन्यवाद प्रिय भाइयों, मैने अपेक्षा नहीं की थी कि इतनी सहानुभूति युक्त और सहयोगात्मक प्रतिक्रियायें मिलेंगी. मैने http://socialtext.net पर विकी बनाने का प्रथम कदम उठा लिया है. मुझे कुछ समय अपनी सोच मार्शल करने और "विकी क्या है?" समझने में लगेगा. फिर मैं ईमेल और/या इस चिठ्ठे के माध्यम से आपसे संपर्क करूगा.
ReplyDeleteमैं आप सब को पुन: हृदय से धन्यवाद देता हूं.
मेरी तरफ से भी हर सम्भव सहयोग रहेगा।
ReplyDeleteजब आपने ये पोस्ट लिखी थी तब इसे नहीं पढ़ पाया था ..आज पढ़ा .. केवल संवेदनाऎं किसी दुख को कम नहीं कर सकती...मेरा पूरा सहयोग आपके साथ रहेगा...आप मुझे इस विषय़ पर मेल करें या बताऎं क्या करना है...मैं तैयार हूँ...
ReplyDeleteआज पहली बार जाना. न जाने जब आपने पोस्ट किया होगा तो कैसे चूका.
ReplyDeleteमै दुख या संवेदना प्रकट नहीं करना चाहता. मुझे मालूम है यह आप जैसे व्यक्ति पसंद भी नहीं करेंगे इस मोड़ पर. बस आपको और आपके जज्बे को सलाम करने का मन है.
आपसे बहुत कुछ सीखना है. मेरा सलाम स्विकारें.
जिन्दगी जियो तो ऐसे जियो...
चुनौती शर्मसार हो जाये.
बहुत खूब, भाई साहब.
मैं कुछ कहने की हालत में नहीं हूँ....पर आपके साथ हूँ....बेटा ठीक हो यह प्रार्थना कर रहा हूँ। आप हिम्मत रखें और क्या कह सकता हूँ।
ReplyDeleteबेटे के साथ दुर्घटना की बात से मन विचलित हो पड़ा। आपले बेटे के लिए अब तक कुछ भी उठा न रखा होगा। पर मेरे भाई के दोस्त लखनऊ केजीएमसी में ब्रेन के डॉक्टर हैं । मैं उनसे बात करूँगी। आप भी उनसे बात करें। उनका नाम है डॉ. रघुवीर श्रीवास्तव। और नंबर है- 09839014108।बेटा अच्छा हो जाएगा । आप धीरज रखें..।
ReplyDeleteज्ञानजी, आज ये पोस्ट पढ़ी और आपके बेटे के बारे में पता चला, सुनकर बहुत दुःख हुआ। आज संवेदना व्यक्त कर रहा हूँ, हालांकि मैं जानता हूँ कि ये आपके लिये मायने नही रखती। आपका जैसा जज्बा काश सभी को मिले, वेबसाईट बनाने में जैसी भी मदद हो कहियेगा, वैसे आपने बता तो दिया ही है कि विकि बनाया है।
ReplyDeleteउस दिन आपके लिन्क देने पर
ReplyDeleteकाम मेँ व्यस्त रहते
ये आलेख अभी तक न देखा न पढा था :-(
- आज और इसी समय पढा और सौ. रीटा भाभीजी और आपके प्रति
अपार श्रध्धा व आदर उमड आया है -
अब कैसा है बेटा ?
उसे मेरा बहुत सारा आशीर्वाद और प्यार देना और अगर यहाँसे कोई काम या शोध मैँ कर पाऊँ तो निसँकोच आदेश दीजियेगा.
अभी इतना ही ..-
लावण्या
........................
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