|| MERI MAANSIK HALCHAL ||
|| मेरी (ज्ञानदत्त पाण्डेय की) मानसिक हलचल ||
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|| मेरे होने का दस्तावेजी प्रमाण बन रहा है यह ब्लॉग ||
Monday, March 5, 2007
चिठेरी (हिन्दी ब्लॉगरी) और विवादास्पद होने का पचड़ा.
ब्लॉगिन्ग की दुनिया की ताकत मुझे तब पता चली थी, जब हजरत मुहम्मद पर कार्टून बनाने के कारण मौत का फतवा दिया जा चुका था. मै वह कार्टून देखना चाहता था. प्रिन्ट और टीवी तो ऐसे पचडे़ में पड़ते नहीं. इन्टर्नेट पर मसाला मिला. भरपूर मिला. ज्यादातर ब्लॉगरों के माध्यम से मिला. ब्लॉगरों के प्रति मेरी इज्जत बढ़ गई.
हिन्दी के चिठेरों में वह जज्बा देखने को नही मिलता. अभी तो सब भूख, गांव की मड़ई, कवितायें, हिन्दुस्तान की बदहाली जैसे नान-कन्ट्रोवर्शियल मुद्दों पर की-बोर्ड चला रहे हैं. कैसे वो तकनीकें जानें जिससे उनका चिठ्ठा चमक सके और उसपर ढेरों क्लिक हों - यही मुख्य जद्दोजहद है. भारत में भी कन्ट्रोवर्शियल मुद्दों पर बहुत कमेंट होते है. रिडिफ पर Francois Gautier के लेख पर जम कर प्रतिक्रियायें थीं.
सो ऐसा नही है कि यह सब हिन्दी में नही लिखा जा सकता. वह भी देर-सवेर होगा. असल में बकौल थॉमस फ्रेडमेन ("The World is Flat") फ्लेट होती दुनिया पहले चकाचौंध करती ही है. हम हिन्दी चिठेरों को अभी तो हिन्दी में फ्लैट दुनियां का नजारा मिला है. जब कुलाचें भरने से जी थक जायेगा, तब Francois Gautier जैसे लेखक भी हिन्दी में आयेंगे. तब हिन्दी चिठेरी हिन्दीवाद-समाजवाद-रूमानियत से उबर कर विश्ववाद में प्रवेश कर जायेगी. वह दिन दूर नहीं है. (कृपया ये लिंक ट्राई करें - Francois Gautier on Rediff व Francois Gautier पर मेरा ब्लॉग.)
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आपकी बात सही है. अभी विहान है दोपहरी का सूर्य तो आना बाकी है.
ReplyDeleteस्वागत है, आज ही आपके लिखे सारे लेख पढे।
ReplyDeleteआपसे जरुर कुछ सीखने को मिलेगा, लिखते रहियेगा।
बहुत सही विचार !!!
ReplyDeleteरिपुदमन पचौरी
अरे आप इस समय इलाहाबाद मे है! तो आईये न गुझिया खाने आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ।
ReplyDeleteहिन्दी चिठ्ठाकारी मे आपका हार्दिक स्वगत है। निरंतर लिखते रहिये
ज्ञान भाई! हिंदी चिठेरों की दुनिया में स्वागत है. लिखते रहें.
ReplyDeleteलिखत-पढ़त जारी रखें। स्वागत है। जो अभी तक न हुआ वह आप करिये!आगे बढ़िये!
ReplyDeleteनये युग के सूत्रपात का आव्हान लिये आपके आगमन पर आपका स्वागत है!!
ReplyDelete-शुभकामनायें.
सबसे पहले आपका स्वागत है, लेकिन ऐसा नही है कि सारे हिंदी चिट्ठे ऐसा लिख रहे हैं जैसा आपने कहा बस अंतर यही है कि शायद हिंदी मे ऐसा पढने वाले कम हैं तभी लोग ऐसा नही लिखते।
ReplyDeleteआशा है आप से ऐसा ही कुछ पढने को मिलेगा, और अनुभव से बहुत कुछ सिखने को