कल मैं नारायणी आश्रम में लौकी का जूस बेचने की बिजनेस अपॉर्चुनिटी की बात कर रहा था। पर रीडर्स डाइजेस्ट के एक फिलर में तो एक बढ़िया बिजनेस विवरण मिला।
एक दिल्ली के व्यवसायी, केप्टन बहादुर चन्द गुप्ता, लोगों को हवाई यात्रा का अनुभव कराने का काम कर रहे है – केवल 150 रुपये में। एक ऐसे हवाई जहाज में यात्रा अनुभव कराते हैं जिसमें एक पंख है, पूंछ का बड़ा हिस्सा गायब है, इसके शौचालय काम नहीं करते और एयरकण्डीशनिंग एक जेनरेटर से होती है। और यह हवाई जहाज कभी टेक-ऑफ नहीं करता।
भारत में 99 फीसदी से ज्यादा लोग हवाई जहाज पर नहीं चढ़े हैं। (मैं भी नहीं चढ़ा हूं!)। ऐसी जनता में हवाई जहाज का वातावरण जानने की बहुत उत्सुकता होती है। उस जनता को केप्टन बहादुर चन्द गुप्ता एयरबस 300 में चढ़ाते हैं – एक ऐसी ट्रिप पर जो कहीं नहीं जाती! उसमें परिचारक/परिचारिकायें ड्रिंक्स सर्व करते हैं और सुरक्षा के सभी डिमॉंस्ट्रेसंस करते हैं। उस टीम में गुप्ता जी की पत्नी भी हैं।
केप्टन गुप्ता रेगुलर अनाउंसमेण्ट करते हैं --- “हम शीघ्र ही जोन-ऑफ टर्बुलेंस से पास होने जा रहे हैं”, “हम शीघ्र ही दिल्ली में लैण्ड करने वाले हैं” --- आदि! और इस पूरी यात्रा के दौरान खिड़की के बाहर का दृष्य यथावत रहता है।
इसपर यात्रा करने वालों को बहुत मजा आता है!
देखा जी; बिजनेस अपॉर्चुनिटीज की कोई कमी है?! नौकरी न कर रहे होते तो कितने तरीके थे बिजनेस के!!!
(यह फिलर रीडर्स डाइजेस्ट के अप्रेल 2008 के पेज 164 पर है।)
आप टाइम्स ऑनलाइन पर Book now for the flight to nowhere में भी यह देख सकते हैं। यह खबर सितम्बर २००७ की है। शायद पहले आपने देख रखी हो।
और यह है खड़े विमान के सफर का वीडियो:
खैर, कल दिनेशराय द्विवेदी, उडन तश्तरी और अरविन्द मिश्र जी ने बड़े पते की बात कही। मेरी यह बिजनेस विषयक सोच तब आ रही है जब नौकरी कायम है। अन्यथा एक छोटा कारोबार करने में भी इतनी मेहनत है कि हमारा असफल होना शर्तिया लगता है।
कमाल के बिजनेस आइडिया हैं।
ReplyDeleteसही है। आपको तो बिजनेस बहादुर की उपाधि मिल जानी चाहिये। दिल्ली हो आइये और इस जहाज में बैठ के ब्लाग लिखिये।
ReplyDeleteवाह, क्या आईडिया दिये हैं. मैं तो तलाश में ही था. १० % की पत्ती आप की भी डाल दूँ क्या??
ReplyDeleteअगली बार दिल्ली की ट्रिप पर मैं भी इस हवाई जहाज पर उड़ना चाहूंगा।
ReplyDeleteसैर, हवाई जहाज की, वह भी बिना उड़े। आप की इस बिजनेस श्रंखला के लिए अच्छा शीर्षक है?
ReplyDeleteअब भला आप रेल सलून के कम्फर्ट जोन से निकल कर कहाँ हवाई यात्रियों की भीड़ मे फसेंगे ,आप रेल मे ही कुछ व्यवसाय-व्यापार के नुस्खे क्षद्म नाम से या किसी और ब्लॉग के जरिये बताएं तो कृपा होगी -यह चिराग तले अँधेरा ठीक नही ,आप अपने फर्स्ट हैण्ड अनुभव के बजाय हम लोगों को इधर उधर भटका रहे हैं -कस्तूरी कुंडल बसे ......
ReplyDeleteबिजनेस और राखी सावंत, दूर से ही रोचक लगते हैं।
ReplyDeleteपास जाकर हाथ आजमायेंगे, तो पिटेंगेजी।
बिजनेस की मेंटेलिटी अलग होती है। लंबे समय तक नौकरी में रहने के बाद वह एक निश्चित सुरक्षा और तय जीवन की आदत बिजनेस के लिए एकदम घातक हो जाती है। असुरक्षा, अनिश्चितता, जोखिम जो ले सकते हैं, बिजनेस उन्ही के लिए है। वरना तो रेल ठेलिये और ब्लाग ठेलिये। गंगा नहाईये, लौकी का जूस पीजिये। मजे की छन ही रही है। काहे टेंशन लेते हैं।
जब तक आप रिटायर होगे तब तक हम अमेरिका से पुरानी स्पेस शटल को फ़रीदा बाद मे लगा चुके होंगे जी,आप चाहे तो इसमे पत्ती डाल ले ,आप हमे सीधे पैसा ट्रान्सफ़र भी कर सकते है. हमारॊ सारी लाईने चौबीस घंटे खुली है.:)
ReplyDeleteसही है।
ReplyDeleteदिमाग होना चाहिए,पैसा तो अच्छा कमाया जा सकता है।
यह लेख मैंने भी रीडर्स डाइजेस्ट में पढ़ा था, तब सोचा नहीं था कि इस पर इतनी ख़ूबसूरत, सफल ब्लॉग पोस्ट भी लिखी जा सकती है.
ReplyDeleteजाहिर है, आप चाहे कोई भी धंधा नौकरी के बाद करें, छोटी या बड़ी - सफल होगी ही. मनोयोग से व कुछ अलग तरह से करने की ही दरकार होती है शायद... :)
अच्छा आईडिया है, उसी प्लेन में एक रेस्तौरेंट भी खोल लेना चाहिए... फिर तो बहुत लोग आयेंगे.
ReplyDeleteक्या कहा अपने अभी तक हवाई यात्रा नही की है? पर हमे तो आपने कई बार कल्पना लोक की सैर करायी है अपने ब्लाग और लेखन के माध्यम से। और हमने सदा आपको साथ पाया है।
ReplyDeleteभईया
ReplyDeleteनौकरी करते हुए कारोबार के विचार खूब आते हैं क्यों की दूसरी तरफ़ की घास बहुत हरी नज़र आती है.कारोबार कहाँ हम जैसे लोगों की बस की बात है? हाँ सपने की खिचडी में चाहे जितना घी डालो कौन रोकता है?
नीरज
आपकी प्रस्तुति कमाल करती है.
ReplyDeleteआइडिया तो आपका बढ़िया है, लेकिन ध्यान रखिएगा आलोक पुराणिक ने अपना अनुभव बता दिया है.
ReplyDeleteज्ञान जी इस बार दिल्ली जाकर इस हवाई यात्रा का मजा जरुर उठाएंगे।
ReplyDeleteशानदार, जे हुआ न धांसू आईडिया, क्या दिमाग पाया है साहब ने!!
ReplyDeleteऔर आपको शुक्रिया कि आपने यह खबर हमें दी!!!
आप ऐसे ही पढ़ते रहें और हमें भी पढ़वाते रहें!!
मुन्गेरीलाल के हसीन सपने देखने में कोई हर्ज़ नहीं है। वैसे सरकारी महकमे में ३०-३५ साल नौकरी कर लेने के बाद आदमी नकारा हो जाता है, अलबत्ता दूसरों को रास्ता दिखाने का अनुभव जरूर पा लेता है। जमाये रहिये…कोई न कोई फ़्रेन्चाइजी लेने पंहुच ही जायेगा।
ReplyDeleteसही दिमाग है लोगो का साहब .....
ReplyDeleteअब भला आप रेल सलून के कम्फर्ट जोन से निकल कर कहाँ हवाई यात्रियों की भीड़ मे फसेंगे ,आप रेल मे ही कुछ व्यवसाय-व्यापार के नुस्खे क्षद्म नाम से या किसी और ब्लॉग के जरिये बताएं तो कृपा होगी -यह चिराग तले अँधेरा ठीक नही ,आप अपने फर्स्ट हैण्ड अनुभव के बजाय हम लोगों को इधर उधर भटका रहे हैं -कस्तूरी कुंडल बसे ......
ReplyDeleteबिजनेस और राखी सावंत, दूर से ही रोचक लगते हैं।
ReplyDeleteपास जाकर हाथ आजमायेंगे, तो पिटेंगेजी।
बिजनेस की मेंटेलिटी अलग होती है। लंबे समय तक नौकरी में रहने के बाद वह एक निश्चित सुरक्षा और तय जीवन की आदत बिजनेस के लिए एकदम घातक हो जाती है। असुरक्षा, अनिश्चितता, जोखिम जो ले सकते हैं, बिजनेस उन्ही के लिए है। वरना तो रेल ठेलिये और ब्लाग ठेलिये। गंगा नहाईये, लौकी का जूस पीजिये। मजे की छन ही रही है। काहे टेंशन लेते हैं।