मित्रों, यह अलवा-पलवा लेखन मेरे काम आ गया ब्रेन इंजरी रिसोर्स सेंटर से कंटेण्ट प्रयोग की इजाजत लेने में.
मैने मार्च के अंत में ‘अच्छा मित्रों राम-राम’ कर ली थी. फिर लगा कि उसमें कंट्राडिक्शन है. मैं अगर हिन्दी में ब्रेन इंजरी पर वेब साइट की बात करता हूं; और हिन्दी में लिखने से मना करता हूं तो उसमें ईमानदारी नहीं है. इसलिये मैं टॉम एण्ड जैरी के टॉम की तरह अपनी पूंछ टुर्र से नीचे करते हुये फिर लिखने लगा था – रोज 200-250 शब्द का अलवा-पलवा लेखन!
जब ब्रेन इंजरी वाले मिलर जी ने मेरे हिन्दी वेब स्पेस के क्रिडेंशियल पूछे, तो अपने अलवा-पलवा लेखन से मैं अपने आप को हिंदी ब्लॉगर सबित कर पाया. अगर ‘अच्छा मित्रों राम-राम’ पर अड़ा रहता तो मिलर जी को क्या दिखाता?
इस लिये जब सुकुल जी लिखते हैं - जेहि पर जाकर सत्य सनेहू, मिलहि सो तेहि नहिं कछु सन्देहू। तब लगता है कि मां सरस्वती अपने प्रकार से शृजन कराती हैं – शांत, एक ध्येय के साथ और जो लगता ही नहीं कि होने जा रहा है. सब अपने विधान से कराती हैं. आगे भी शायद ऐसे ही होगा – उन्हीं के प्रकार से. मां काली के पदाघात सा नहीं होगा. पदाघात तो लग चुका है.
समीर जी कहते हैं - पुकारा तो नहीं गया मगर इतने सुंदर प्रयास में कुछ योगदान कर पाऊँ तो मेरा सौभाग्य....
यह जरूरी है स्पष्ट करना कि मैने पिछ्ली पोस्ट में नाम वह लिये थे जिनसे इस विषय में पहले किसी प्रकार की बात चीत हो चुकी थी.
यज्ञ में सभी का सहयोग मांगना और लेना अनिवार्य है.... और लगभग सभी यज्ञार्थी आ चुके हैं. जो नहीं ,वे भी रास्ते में ही होंगे.
और अरुण जी। वे तो मेरी तरह भुक्त भोगी निकले।
यज्ञ के अध्वर्यु जीतेंद्र जी के निर्देशन की प्रतीक्षा हैं अब। उन्हें कल मैंने ईमेल किया हैं। आज देखते हैं अध्वर्यु क्या टीम बनाते हैं और क्या टास्क तय करते हैं। रेलवे में अपने तरीके से काम करते कभी इन्फर्मल टीम का सदस्य बन कर काम नहीं किया। यहाँ तो निर्देश देने और कम्प्लायेंस लेने का प्रशासनिक माहौल होता हैं। उससे हट कर काम का आनंद मुझे मिलाने जा रहा हैं - भले ही जिंदगी में देर से ही सही!
हम भी हाजीर है तकनिकी काम से लेकर अनुवाद करने के लिये तैयार् है! बस आप आज्ञा दीजीये !
ReplyDeleteहमें भी आप आशीष की तरह ही आदेश कर सकते हैं.
ReplyDeleteमार्गदर्शन करे हमे करना क्या है बस हम तो यह जानते है कि हम आपकी सहायता करने के लिये तैयार है लेकिन कैसे.? उसके लिये भी आपकी सहयता तो चाहिये ना,हमें भी आप आशीष की तरह ही आदेश कर सकते हैं.
ReplyDeleteMain bhi is team ka sadasya bankar kuchh karna chaahta huun.....
ReplyDeleteपाण्डेय जी नमस्कार, गाड़ी कहाँ तक पहुंची, ब्रेन इन्जरी की साइट वाली ?
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