एक सुकुल जी हैं. फुर्सत से चिठ्ठा लिखते हैं. इतना तो तय है कि:
- वे हिमालय की कन्दराओं मे नही रहते हैं.
- वे जवान हैं; वृद्ध नहीं है.
- गली/मुहल्ला/ईन्दारा/तालाब झांकते हैं – यानी सांसारिक जीव हैं. हंसी से विरक्त नहीं हैं.
- गज भर लम्बा लिख लेते हैं, पर लो आई क्यू वाले को भी कुछ तो पल्ले पड़ जाता है.
बस एक ही अजूबे वाली बात है – इनकी उम्र है 250 वर्ष!
भैया, ये ब्लॉगरी की तकनीकें क्या नहीं करा देतीं. आप गूगल प्रोफाईल में अपना डी.ओ.बी. भर दें 12/05/1707 और बन जायें 300 साल के जवान! ऐसा ही किया है अनूप शुक्ला जी ने.
उन्होनें कई बार टिपेरा है हमारे गरीबखाने में. मैने भी टिपेर-ऋण चुकाने के लिये उनका प्रोफाईल देखा तो 250 साल के चिठेरे से वास्ता हुआ. प्रोफाइल में जितने भी ब्लॉग छपे थे सब बण्डल – कंटेण्ट में नहीं, काल में. कोई पोस्ट 2007 की नहीं थी. पहले लगा कि कहीं दीर्घ समाधि में न हों सुकुल जी और योगिक पावर से टिप्पणी कर देते हों. फिर मन नहीं माना तो गूगल सर्च से उनकी इण्डिपेण्डेण्ट डोमेन वाली साइट ढूंढी.
यह कहा जा सकता है कि लिख्खाड़ ब्लॉगर को ढ़ूढने के लिये, जो जबरी लिखता हो इस तरह की एक्सरसाइज करने की क्या जरूरत है. पर भाई कभी-कभी ऐसी मूर्खता न करें तो इस तरह की अगड़म-बगड़म पोस्ट लिखने का मसाला कैसे मिले?
बस वे चिर युवा रहने का राज बतादें.
यह चिट्ठाजगत है पाण्डेजी, आप कहाँ के जमा घटाव,ऋण आदि में पड़ गए । मन करे तो टिपियाइए न करे तो कोई बात नहीं,फिर कभी टिपिया लीजिएगा ।
ReplyDeleteवैसे मैं अपनी टिप्पणियों की गिनती रख रही हूँ ।:)
घुघूती बासूती
पर भाई कभी-कभी ऐसी मूर्खता न करें तो इस तरह की अगड़म-बगड़म पोस्ट लिखने का मसाला कैसे मिले?
ReplyDelete---तो आज आपने मसाला ढ़ूंढ़ ही लिया, सफल रहे. यह २५० वर्ष आयु की खोज हमने की थी और कॉपी राईट के तौर पर हमारी इस पोस्ट में दर्ज है. http://udantashtari.blogspot.com/2007/03/blog-post_05.html अब पेटेंट का जुर्माना-१० टिप्पणियां बिना सोचे समझे करते जाईयेगा हमारी पोस्टों पर. :)
धन्यवाद हमारे ब्लाग पर आने का
ReplyDeleteपोस्ट बिना पढें टिपीयाने का
सकुल जी से यहां मिलवाने का
उनकी असली उमर बताने का
पाण्डेयजी, ये चिर युवापन हमारी शुरुआती अज्ञानता की और बाद में स्वाभाविक आलस्य की देन है। शुरू में पता ही नहीं था कैसे हो गया! :)
ReplyDeleteबाद में बदलने का मन ही नहीं किया। लेकिन आज
कोशिश करता हूं उमर ठीक करने की!
कतई कोई गलती नहीं हुई है.
ReplyDeleteबात ये है कि फुरसतिया जी का सृजन अम ब्लागर के मुकाबले छह गुना है, इसलिये उम्र छह गुनी लिखी है.
दद्दा! उमर बीतने आ रही जोड़-घटाना करते फ़िर भी उलझे ही हुए हो, वानप्रस्थ जाने की तैयारी कर रहे हो फ़िर भी कहां लगे हो इसी जोड़-घटाने में।
ReplyDeleteजय चिट्ठा और जय टिपेरा भजो , मस्त रहो!
जय चिट्ठा और जय टिपेरा भजो , मस्त रहो!
ReplyDeleteसंजीत जी की इस बात से हम पूरी तरह सहमत है।