अभी अभी एक नये ब्लॉग की खबर चिठ्ठाजगत ने दी है अपनी ई मेल के माध्यम से। ब्लॉग है – मेरी कलम, मेरे जज्बात। मैं चला गया पोस्ट पर। तीन कमेण्ट थे। मैने सोचा एक उड़न तश्तरी (समीर लाल) का अवश्य होगा। पर नहीं। पहला कमेण्ट रोमनागरी में किसी सिम्मी जी का था। और क्या शानदार कमेण्ट -
Abe tu to ekdum dhinchak likhne laga hai...bole to jhakkas...Lagta hai jaise dil par chot khai hai. (अबे, तू तो एकदम ढ़िंचक लिखने लगा है। बोले तो झक्कास। लगता है जैसे दिल पर चोट खाई है!)
अब दो चीजें – समीर लाल जी से पहले हम कैसे पहुंच गये नये ब्लॉग पर! और दूसरे, इतना बढ़िया टिप्पणी मेरी किसी पोस्ट को क्यों न मिल सकी अब तक?
विज्ञापन की दुनियां से जुड़े अशोक बोरा जी ने ब्लॉग टेम्प्लेट वास्तव में बड़ा झिंचक बनाया है।
चलें भैया, मालगाड़ी गिनें। ये तो ऐसे ही एक पोस्ट ठेलने का मन हो गया था उक्त ब्लॉग के कमेण्ट से।
और आशीष खण्डेलवाल जी के जुगाड़ से पता चला कि हम ९०००+ टिप्पणियां बटोर चुके हैं अब तक!
आपका ब्लोग अक्सर सवेरे आता है अखबार के साथ.. हम चले आये.. आज ज्ञानजी शाम में कैसे.. जरुर कुछ खास होगा..और हम भी 'dhinchak' ब्लोग पर चले गये.. वाकई कमेन्ट ’dhinchak' है..:)
ReplyDeleteलीजिए साहब, रेलगाडी गिनने से पहले मिली फुर्सत में आपकी तो वक्त-कटी हुई और हम हैं कि इसे समझने में उलझ रहे हैं ।
ReplyDeleteठेलिए, ठेलिए । ठेलते रहिए ।
जय हो आपकी ।
हा हा ! पहाड़ के नीचे एक मचलती नदिया है, कभी कभी सोते के रुप में फ़ूट पड़ती है…।:)
ReplyDelete9000 टिप्पणियां -- बधाई हो बधाई. यह एक बहुत बडी उपलब्धि है कि आप ने इतने सारे लोगों को आप के साथ विचार विमर्श के लिये प्रेरित किया.
ReplyDeleteप्रेरित क्यों न हो! आप लिखते ही एक खास अंदाज में हैं. पाठक को ऐसा लगता है कि वह अपने किसी इष्ट चाचा या ताऊ के साथ चर्चा कर रहा हो!
लिखते रहें! हिन्दी जगत को आपकी बहुत जरूरत है.
ईश्वर करे कि 2010 दिसम्बर में आप कह सकें कि 50,000 टिप्पणियां हो गई हैं.
सस्नेह -- शास्त्री
आप क्या टिप्पणियां गिनने के लिए लिखते हैं???? आप लिखते रहिये...टिप्पणियां आती रहेंगी...धिंचक धिंचक...,
ReplyDeleteनीरज
अभी-अभी मालूम हुआ कि आप 9000+ टिप्पणियों के स्वामी हो गए हैं । अच्छा लगा । आपको आत्मीय अभिनन्दन और बधाइयां । ईश्वर आपको 'कीर्तिमान-पुरुष' बनाए ।
ReplyDeleteमेरे ब्लाग में प्रस्तुत, पीपाजी महाराज के दोहे को आपके ब्लाग पर उद्धृत देख कर रोमांच हो आया । मैं स्वयम् को सम्मानित अनुभव कर रहा हूं । यह मूलत: पीपाजी महाराज को आदरांजलि है ।
आप द्वारा प्रदत्त यह 'परसंसा' मेरे सर न चढ बैठे - ईश्वर से प्रार्थना कीजिएगा ।
इत्ती ढिंचक पोस्ट पढ़ ली, ९०००+ कमेंट मिल गये लेकिन आपका अंदाज वही रहा ( अब क्या कहें ..... बिलो टिप्पणी लाइन वालों की तरह) जो आपसे लिखवाता है- इतना बढ़िया टिप्पणी मेरी किसी पोस्ट को क्यों न मिल सकी अब तक? इसका तो इलाज शरीफ़ डाक्टर अमर कुमार के पास भी नहियें होगा।
ReplyDeleteहो आए जी आप की बदौलत इस हिंगलिश ब्लाग पर।
ReplyDeleteआपको किसी से ढिंचक होने के सर्टिफिकेट की क्या आवश्यकता है?!! ;)
ReplyDeleteऔर 9000 टिप्पणियाँ आपके ब्लॉग पर अब तक ठेली गई इस पर बहुत-२ बधाई!! :)
चलिए हिन्दी ब्लागरों को यह एक नया शब्द मिल गया ब्लॉगर अतुल बोरा और आपके सौजंन्य से ......पर इसका सही उच्चारण क्या ढीन्चक या धिन्चक -कहीं यह ढेंचू ढेंचू से तो उद्भूत नही है ..बोले तो इसकी कोई गर्दभ व्युत्पत्ति तो नही है ?और हाँ बड़ी संख्या में टिप्पणियों की आमद पर बधाई !
ReplyDeleteहम भी कहें ये ज्ञानजी रोज सुबहीये आते थे आज शमिया कैसे गये :)
ReplyDeleteआप तो 'एक पंथ दो काज' करते हैं। मतलब एक नये ब्लोग के विषय में लोगों को जानकारी भी दे दिया और अपनी पोस्ट ठेलने की इच्छा को भी पूरी कर लिया।
ReplyDeleteलो, अब एक और ब्लॉग में आपने हमें फ़ँसा दिया।
ReplyDeleteबस अभी अभी वहाँ होकर आया हूँ
"हिंग्लिश" में एक टिप्पणी भी छोड़ आया हूँ।
९००० टिप्पणीयों के लिए बधाई।
१०,००० और उसके बाद लाख लाख टिप्पणियों की कामना करते हुए,
आपका
विश्व्ननाथ
चलिए आपकी शिकायेत भी दूर किए देते हैं [शालीनता के लिए पहले से माफी मान लेते हैं.]:
ReplyDeleteअरे आप तो हमेशा से एकदम धिनचक लिखते हैं ... बोले तो झक्कास और बिंदास ... लगता है जैसे मिठास के लिए पान-पसंद खाई है.
अच्छा तो रेल दुर्घटनाओं एक कारण यह भी है :) 9000 का आँकडा पार करने पर बधाई !
ReplyDeleteहम उम्मीद करते है आप जल्दी ही ब्लॉग जगत के सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोडेंगे ( सचिन कौन यह तो बताने की बात नहीं ) वैसे उनकी कम से कम एक सेंचुरी से तो हम वाकिफ हैं . आप भी हिसाब कर लें सेंचुरियों का . आशा है आपकी एक पोस्ट का जुगाड हमने कर दिया आज :)
भई मुझे तो लगता है कि ज्ञान जी की ही सब खुराफात है ! इन्होनें ही ये सिम्मी नाम का ब्लॉग बनाया , टिप्पणी ठेली और पोस्ट का जुगाड होगया :)
ReplyDelete-'ढिंचक' शब्द पढ़ कर ही बड़ी हँसी आई .
ReplyDelete-आशीष जी ने बड़ा ही रोचक widget दिया है ब्लोग्गेर्स को
एक खिलौना सा ही है-नया टाइम पास!-
अपने तो कमेंट्स की संख्या देखते रहो दूसरो के ब्लोग्स पर भी जासूसी करते रहिये.
अब तो नए आंकडें भी बनाने लगे होंगे--नयी पोस्ट लिखने के लिए नया विषय मिल गया!
हिसाब भी लग रहा होगा..औसत निकाला जा रहा होगा.किस ने कितनी पोस्ट लिखीं तो किसको कितने कमेन्ट मिले.
यह नन्हा सा widget किसी के लिए गंभीर विषय है तो किसी के लिए उत्सुकता बढ़ाने का जरीया.किसी को किसी के कम कमेंट्स देख कर खुशी हो रही होगी तो ज्यादा संख्या वालों से ईर्ष्या!
आप भी ९००० कमेंट्स की संख्या पा कर उन ईर्ष्या करने वालों की हिट लिस्ट में आ गए हैं--ध्यान रखियेगा :)-
हमारी तरफ से तो बहुत बहुत बधाई.
सबसे पहले तो ९०००+ के लिये बधाई और अब हम जा रहे है ढिन्चक जी के ठिकाने पर ! आपने आज उनका ट्रेफ़िक तो बढवा ही दिया ! :)
ReplyDeleteराम राम !
सर, उस ढ़िंचक कमेंट के बारे में तो हम बस इतना ही कहेंगे कि वो उसका बहुत करीबी होगा.. मेरे ब्लौग पर भी वैसे कमेंट आते थे जब मैंने नया नया ब्लौग शुरू किया था.. बाद में जब ढ़ेर सारे कमेंट्स आने लगे तब मेरे करीबी दोस्तों ने संकोचवश कमेंट करना बंद कर दिया.. :)
ReplyDeleteपोस्ट बनाना कोई आपसे सीखे... :) बहुत खूब
ReplyDeleteleejiye, hum aapki khayish poori kar dete hain---
ReplyDeleteabbe O, 9000+ke, 10,000 kab poori karega, chal ...jaldi jaldi likh..
zabandarazi ke liye kshama mangte huwe-- hamne to bas aapki iccha poori ki :)
बधाई 9000 कमेण्ट्स की वैसे आप् का ब्लोग भी कम ढिँचक नही है.
ReplyDeleteक्या मस्त शब्द पकड़ा है!!!!, अपुन बोले तो एकदम झकास!!!!
ReplyDelete9000 टिप्पणियों के लिए बधाई!!!!
अब हम जा रहे है ढिन्चक जी के ठिकाने पर !
प्राइमरी का मास्टर का पीछा करें
1000 कमेंट्स के लिए बहुत बहुत बधाई। जमाये रहिये। हम चाहते हैं कि आप 12,000 के सचिन तेंदुलकरी रिकार्ड को यहां तोड़ें। ढिंचिक ढिंचिक।
ReplyDeleteढिंचक पोस्ट तो आप रोज ही लिखते हैं, लेकिन आपकी ऊँचाई को देखते हुए किसी ने यह चालू शब्द ठेलने का विचार नहीं किया होगा। अब आपका इशारा पाकर ऐसे विशेषणों की बाढ़ आने वाली है। तैयार हो जाइए। मेरी ओर से भी ९००० की बधाई।
ReplyDeleteढीन्चक, ढीन्चक करता हुआ धिन तक, धिन तक बजाने का मन करने लगा.
ReplyDeleteज्ञान जी, क्या सहजता से आपने कहा है... "चलें भैया, मालगाड़ी गिनें।" वाह!
ReplyDeleteऔर आपने बहुत ही खूबसूरती से एक नए ब्लॉगर का उत्साहवर्धन किया है. ये सब देख के और साथ ही तमाम लोगों के विचार पढ़ के लगता है, कि यहाँ एक अलग संसार है. और आप सब वरिष्ट लोग हैं जिनसे ये सब एक कड़ी में जुड़े हुए हैं..
इसी तरह रचनात्मक योगदान करते रहें..
एक टिप्पणी हमारी भी गिन लीजिए...
ReplyDeleteवैसे आपकी चर्चा ने इन नये ब्लॉगर महोदय की टीआरपी धड़ाके से बढ़ा दी है....लगता है अब ब्लॉगिंग में नये आने वाले जमने के लिए आपकी ही शरण पकड़ेंगे :)
अजी, आप नौ हजारी हो गए. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteहमने भी तो एक शतक मार दिया है एक महीने में ही.
ढिंचक टिपण्णी मिलना तो सच में बड़ी बात लगती है. गंभीर इंसान हो जाने का चस्पा लग जाने पर ढिंचक टिपण्णी मिलनी थोडी मुश्किल तो है ही!
ReplyDeleteफिलहाल ९००० हो गए अब ९९ का चक्कर शुरू होता है :-)