ब्लूमबर्ग ने खबर दी है कि ब्राजील में ऑफशोर ऑयल फील्ड केरिओका (Carioca) में 10 अरब बैरल क्रूड ऑयल का पता चला है। असल में आकलन 33 अरब बैरल का है, पर रिकवरी रेट 30% मान कर 10 अरब बैरल का आंकड़ा बनाया गया है। यह आकलन जोड़ने पर ब्राजील के ऑयल रिजर्व लीबिया से ज्यादा हो जायेंगे। तेल की यह खोज पिछले तीस सालों में सबसे बड़ी खोज है!
ब्राजील एथेनॉल ले मामले में विश्व में अग्रणी देशों में है। अगर पेट्रोलियम के बारे में ऐसा हो गया तो (अज़दकीय सुकून के लिये) अमरीकी सैनिक गल्फ से कट लेंगे। अमेरिकन और मित्र देशों की नेवी जब गल्फ में कम हो जायेगी तब वहां मारकाट के लिये मैदान और भी उर्वर हो जायेगा।
मैं अन्दाज लगाता हूं - भारत में इस्लामिक देशों की लप्पो-चप्पो और बढ़ जायेगी। ओसामा-बिन लादेन और उनके उत्तराधिकारी अमेरिकन टूरिज्म पर जाने की बजाय भारत को ज्यादा पसन्द करने लगेंगे।
स्ट्रेटेजिक फोरकास्टिंग के वाइस प्रेसिडेण्ट पीटर जीहान के अनुसार:
- चीन और भारत फारस की खाड़ी के तेल के सबसे बड़े खरीददार बन जायेंगे। अमेरिका अपनी खरीद के लिये ब्राजील की तरफ सरक लेगा।
- अब तक की ब्राजील की ऑफशोर तेल खोज तो आइसबर्ग का टिप ही लगती है। कहीं ज्यादा की सम्भावना है।
- ब्राजील तो अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार का बैलेंस ही बदल देगा।
- पेट्रोलियो ब्रासिलेरो (Petroleo Brasileiro) या पेट्रोब्रास (कम्पनी का लोगो सबसे ऊपर दायें देखें); जिसके शेयर में उछाल आया है, दुनियाँ की सूपरमेजर कम्पनी बन जायेगी।
मेरी ब्राजील के बारे में जानकारी में केवल दो चीजें हैं - एक है रिकॉर्डो सेमलर की पुस्तक "मेवरिक" और दूसरा है 5-10 मीटर लम्बा घात लगाने वाला सबसे बड़ा विषहीन अजगर - एनॉकोण्डा।
यह तेल वाली खबर जान कर मन होता है कि ब्राजील में वन रूम फ्लैट खरीद लिया जाये और पुर्तगाली भाषा सीख ली जाये! पर एक जिन्दगी में क्या-क्या कर सकता है मेरे जैसा चिरकुट!
आप तो रिकॉर्डो सेमलर की कम्पनी सेमको की अजीबोगरीब वेब साइट का नजारा लें। वैसे सेमलर जिन्दगी में प्रसन्न रहना और हास्य ढ़ूंढ़ना जानते हैं, और हम थोबड़ा लटका कर चलना जानते हैं!
अगर ऐसा हुआ तो यह दुनियाँ के बड़े बदलावों में से एक होगा। अतिरिक्त तेल उत्पादन का असर भी तो अर्थव्यवस्था पर आएगा।
ReplyDeleteआपके इस्लामिक देशों वाले अन्दाजे पर तो कुच नहीं कह सकता, लेकिन तेल वाली बात सही लगती है, जहां तेल वहीं अमरीकी खेल!
ReplyDeleteपूरी पोस्ट पर तेल फ़ैला दिया आपने! शिवकुमार जी के बहकावे में आ गये! खुश रहने का अभ्यास करिये।
ReplyDeleteब्राजील पर अमरीकी हमले का इन्तजार किजिये ....
ReplyDeleteतेल मिलना मतलब तेल निकलना होता है अमरीकी डिक्सनरी में. :)
ब्राजील पर दया सी आ रही है..
बड़ी टेक्निकल टाईप अर्थव्यवथाई ब्लूम बर्गाई पोस्ट है..कभी आम जन तक ब्लूम बर्ग की महत्ता का खुलासा भी पहुँचायें तो बेहतर होगा.
शुभकामनाऐं.
अगर दक्षिण अमरीका मेँ खनिज तेल मिल जाये तब शायद अमरीका की मँदी
ReplyDeleteतेजी का रुप ले ले ..आगे देखना है क्या होगा
- लावण्या
अच्छी ख़बर है. और लिंक्स भी बढ़िया दिए हैं आपने. कुल मिलाकर शानदार पोस्ट.
ReplyDeleteबाकी तेल और तेल की धार देखते रहेंगे. भारत के लिए इसका क्या असर होगा, भविष्य ही बताएगा.
चलिए आपने अनाकोंदा से आगे की हमारी जानकारी बढ़ा दी.....
ReplyDeleteब्राजील का संगीत दुनिया भर मे लोकप्रिय है। यदि इस पोस्ट को पढते समय वह पीछे से सुनायी दे तो क्या बात है।
ReplyDeleteब्राजील की तेल खोज के बारे में सभी को और जानकारी का इन्तजार है । लेकिन इससे कुछ खास फ़र्क नहीं पडेगा । पेट्रोब्रास के पास संसाधनों की कमी है, कहीं ले दे कर उसे बडी तेल कम्पनियों को ही उस तेल को निकालने के लिये न बुलाना पडे, लेकिन पूरी दुनिया की नजर इस पर पड रही है ।
ReplyDeleteBio-Fuels का भविष्य Doomed है । पहले ही बडा बचकाना सा आईडिया था, रही सही कसर खाद्यान्नों के बढे हुये दामो ने पूरी कर दी है । अब विभिन्न देशों की सरकारी नीतियों का इन्तजार है, जिससे Bio-Fuel के पागलपन पर रोक लग सके ।
Bio-Fuel ही देखना है तो दूसरे नजरिये से देखें । मक्का का फ़ल खाने में प्रयोग होना चाहिये और बचा हुआ पौधा (तना, पत्तियाँ और बाकी सब) बायो-फ़्यूल के बनाने में । तकनीक उपलब्ध है, केवल फ़ाईन-ट्यूनिंग की जरूरत है । ऐसा ही अन्य फ़सलों के साथ होने की सम्भावना है ।
५०० पाउण्डस मक्का से १ बच्चे का साल भर का खाना निकलता है और इसी ५०० पाउण्ड मक्का से २६ गैलन ( एक बडी कार की एक टंकी = हफ़्ते भर की कार की दौड) तेल निकलता है । अगर मक्के का इस्तेमाल तेल में किया जाये तो बेवकूफ़ी है । खुशी की बात है कि लोग इसे अब समझ रहे हैं ।
इस विषय पर आपसे प्रभावित होकर लेखों की एक सीरीज शुरू की है, आप जरूर देखें और अपने प्रशन भी पूछें, इसी सीरीज के अन्त में गैस हाईड्रेट पर भी लिखने का विचार है ।
http://antardhwani.blogspot.com/2008/05/blog-post.html
क्या बात है ...............इस महंगाई में आटा, दाल, गेहूं, तेल सब की समस्या अपने घर में मौजूद होने के बावजूद आप एक्स्ट्रा टेंशन लेने ब्राजील पहुँच गए. :)
ReplyDeleteब्राजील की राजधानी रियो दी जेनेरो मे हर साल एक कार्निवाल होता है ,विश्व भर के सौन्दर्य प्रेमी वहाँ पहुचते है टैब वहाँ भी हो आईयेगा .....कुछ झलकियाँ तो गूगलिंग के जरिये अपनी मिजोरिटी अभी भी ले सकती है .......
ReplyDeleteकहते हे कमजोर ओर गरीब की बहु सुन्दर ना हो तो अच्छा हे?? मतलब गरीब की जोरु सब की भाभी.वेसे अमेरिका से बडा एनॉकोण्डा विश्व मे ओर कोन सा होगा, मुझे भी ब्राजील पर तरस आ रहा हे अब तेरा कया होगा !ब्राजील. वेसे यह खबर आज सुबह मेने यहां टी बी पर भी देखी थी, हिन्दी मे ज्यादा समझ आयी धन्यवाद
ReplyDeleteMujhe to lagta tha ki ye Bloomberg aur Reuters ki khabarein ham Investment bank waalon tak hi simit hoti hai, par aapne to poori news analysis kar daali...
ReplyDeletewaise oil jaise resources milne par countries mein faayde se jyaada nuksaan hi ho jaata hai... is par bhi ek economic theory hai... resource curse/resource crisis.
aur haan Mere blog par ki gayi tipanniyon ke liye bahut-bahut dhanyavaad.