श्री अरविंद की "माता" पुस्तक से प्रेरित श्रीमती रीता पाण्डेय का आज के अवसर के लिये लेखन।
किसी महत और दुरुह कार्य को सम्पन्न करने के लिये दो शक्तियां कार्य करती हैं। एक है दृढ़ और अटूट अभीप्सा और दूसरी है भाग्वतप्रसादरूपा मातृशक्ति। पहली मानव के प्रयत्न के रूप में नीचे से कार्य करती है और दूसरी ईश्वर की कृपा से सत्य और प्रकाश की दशा में ऊपर से सहायता करती मातृ शक्ति है। इस दूसरी शक्ति को ईश्वर ने समय समय पर विभिन्न कार्यों के प्रतिपादन के लिये प्रकट किया है। जहां प्रेम नहीं, सौन्दर्य नहीं, वहां मां महालक्ष्मी के होने की गुंजाइश नहीं। सन्यासियों की सी रिक्तता और रुक्षता उन्हें पसन्द नहीं। --- प्रेम और सौन्दर्य के द्वारा ही वे मनुष्यों को भग्वत्पाश में बांधती हैं। |
माता के इन चार रूपों को श्री अरविन्द ने नाम दिये हैं – माहेश्वरी, महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती। वे लिखते हैं कि, भगवती शक्ति का कोई और रूप देहधारियों के हृदय के लिये इनसे (महालक्ष्मी से) अधिक आकर्षक नहीं है। --- माहेश्वरी इतनी स्थिर, गम्भीर महीयसी और दूरवर्ती हैं; --- महाकाली इतनी द्रुतगामिनी और अट्टालवासिनी हो सकती हैं --- पर महालक्षी की ओर सभी हर्ष और उल्लास से दौड़ पड़ते हैं। कारण, वे हमारे ऊपर भगवान के उन्मादन माधुर्य का जादू डालती हैं।
परन्तु श्री अरविन्द हमें सावधान भी करते हैं – इस मोहनी शक्ति को प्रसन्न करना इतना सहज नहीं है। --- अन्त:करण का सामंजस्य और सौन्दर्य, चिन्ता और अनुभूति का सामंजस्य और सौन्दर्य, प्रत्येक बाह्यकर्म और गतिविधियों में सामंजस्य और सौन्दर्य, जीवन और जीवन के चतु:पार्श्व का सामंजस्य और सौन्दर्य – यह है महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का अनुष्ठान। जहां प्रेम नहीं, सौन्दर्य नहीं, वहां मां महालक्ष्मी के होने की गुंजाइश नहीं। सन्यासियों की सी रिक्तता और रुक्षता उन्हें पसन्द नहीं। --- प्रेम और सौन्दर्य के द्वारा ही वे मनुष्यों को भग्वत्पाश में बांधती हैं।
महालक्ष्मी की आराधना ज्ञान को समुन्नत शिखर पर पंहुच देती है। भक्ति को भगवान की शक्ति से मिला देती है। शक्तिमत्ता को छन्द सिखा देती है।
आज मां महालक्ष्मी के आवाहन और पूजन का दिन है। आइये हम मातृशक्ति को उनके सही रूप में याद कर ध्यान करें।
ऊँ महालक्ष्मी जय जय, देवी महालक्ष्मी जय जय।
पल पल सुन्दर सुमधुर, समरस आनंद की लय॥
ऊँ महालक्ष्मी जय जय!
आपको एंव आपके परिवार पर माँ के समस्त रुपों का आशीर्वाद बना रहे, यही मंगलकामना!!
ReplyDeleteशुभ दीपावली
वाह रीता भाभीजी ने कितना सुँदर लिखा है और माता महालक्ष्मी जी का स्मरण किया है -
ReplyDeleteहम भी शामिल हैँ पूजन मेँ - महलक्ष्मी नमोस्तुते !!
अवसरानुकुल भाभी जी की पोस्ट जबरदस्त है. आप अपनी पोस्ट भी भाभी से जंचवा लिया करें..बस सलाह मात्र है..हा हा!
ReplyDeleteमेरी तरफ से पूरे परिवार को दीपावली की सादर शुभकामनाऐं.
@ उड़न तश्तरी - (आप अपनी पोस्ट भी भाभी से जंचवा लिया करें..बस सलाह मात्र है..हा हा!)
ReplyDeleteआपको कैसे लगता है कि निरंकुश लिखता हूँ। जंचवाता नहीँ?
सामयिक और अच्छी ज्ञानवर्धक पोस्ट। पूरे परिवार को मेरी ओर से दीपावली की सादर शुभकामनाऐं।
ReplyDeleteक्या केने क्या केने स्वामी ज्ञानानंदजी की जय हो।
ReplyDeleteलक्ष्मी हर रुप में मोहनीय हैं। सारा खेला उन्ही का है। सारा मेला उन्ही का है। सारा ठेलमठेला उन्ही का है। आजकल सेनसेक्स से रुठी चल रही हैं, पर कब तक रुठी रहेंगी। कभी ना कभी तो सुध लेंगी। कबहु तो भनक पड़ेगी कान। जमाये रहिये।
परिवार में सबको शुभकामनाएं।
bahut khub jee
ReplyDeletenarayan narayan
बहुत अच्छा लगा पढ़ कर. इतनी अच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद भाभी जी को. श्री अरविन्द की कई बातें मेरे घर और दफ्तर में छोटे छोटे पोस्टर के रूप में लगी हैं .... अभी मेरे कंप्यूटर स्क्रीन के ठीक ऊपर ये है :
ReplyDeleteThe One whom we adore as the Mother is the divine Conscious Force that dominates all existence, one and yet so many-sided that to follow her movement is impossible even for the quickest mind and for the freest and most vast intelligence.
आप को और आप के समस्त परिवार को दीवाली की मंगलकामनाएं.
एक है दृढ़ और अटूट अभीप्सा और दूसरी है भाग्वतप्रसादरूपा मातृशक्ति। शायद इसी भाव को गीता में निम्न श्लोक में कहा गया है:
ReplyDeleteयत्र योगेश्वरो कृष्णो यत्र पार्थो धनंजयः।
तत्र श्रीविजयोर्भूतिर्ध्रुवानीतिर्मतिर्मम।।
समस्त पाण्डेय परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं! आज के दिन तो मैं भी कहूंगा: महलक्ष्मी नमोस्तुते!
आप को और रीता भाभी को दीवाली का प्रणाम!
ReplyDeleteदीपावली आप और परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि और खुशियाँ लाए!
अवसर के सर्वथा अनुकूल, एक श्रेष्ठ ओजवान पोस्ट. महर्षि अरविन्द की ज्ञानवाणी के सागर में डूबना आलौकिक अनुभव है. मां महालक्ष्मी सभी पर अपनी कृपा और स्नेह दृष्टि बनाये रखें.
ReplyDeleteलक्ष्मीजी की कृपा आपके परिवार पर बनी रहे...शुभ दीपावली.
ReplyDeleteअच्छी ज्ञानवर्धक पोस्ट
ReplyDeleteदीपावली पर्व की आपको और आपके परिजनों को हार्दिक शुभकामना . ..
sundar post!! aapko v reeta di ko saparivaar deep parv ki badhaayii v shubhkaamnayen
ReplyDelete"प्रेम और सौन्दर्य के द्वारा ही वे मनुष्यों को भग्वत्पाश में बांधती हैं। "
ReplyDeleteएकदम सही निरीक्षण्!
अवसरोचित आलेख !!
शुभ दीपावली। गुरुदेव व महालक्ष्मी सदृश आदरणीया रीता जी को सादर प्रणाम्...।
ReplyDeleteदीपावली के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteQuote
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उड़न तश्तरी - (आप अपनी पोस्ट भी भाभी से जंचवा लिया करें..बस सलाह मात्र है..हा हा!)
आपको कैसे लगता है कि निरंकुश लिखता हूँ। जंचवाता नहीँ?
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Unquote
यह टिप्पणी भी अपनी धर्मपत्नि से जँचवाकर ही भेज रहा हूँ।
बहुत अच्छा लिखा है आपने, सादर नमन !
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट! दीपावली मुबारक हो।
ReplyDeleteप्रेम और सौन्दर्य के द्वारा ही वे मनुष्यों को भग्वत्पाश में बांधती हैं। ------ यही सत्य है...ज्योति पर्व पर जगमग सी सुन्दर पोस्ट...रीताजी का लेखन हमेशा मन को मोह लेता है... दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ..
ReplyDeleteशुभ दीपावली.
ReplyDeleteरीता जी को नमस्कार । अनुरोध है कि भविष्य में भी लिखती रहें ।
ReplyDeleteआपको सपरिवार दीपावली की शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती
बन्धु,तीन व्यक्ति आप का मोबाइल नम्बर पूँछ रहे थे।मैनें उन्हें आप का नम्बर तो नहीं दिया किन्तु आप के घर का पता अवश्य दे दिया है।वे आज रात्रि आप के घर अवश्य पहुँचेंगे।उनके नाम हैं सुख,शान्ति और समृद्धि।कृपया उनका स्वागत और सम्मान करें।मैने उनसे कह दिया है कि वे आप के घर में स्थायी रुप से रहें और आप उनकी यथेष्ट देखभाल करेंगे और वे भी आपके लिए सदैव उपलब्ध रहेंगे।प्रकाश पर्व दीपावली आपको यशस्वी और परिवार को प्रसन्न रखे।
ReplyDeleteनारी देवी स्वरूपा है ही । 'देवी' की ऐसी कृपा आप पर बनी ही हुई है । सदैव बनी रहे ।
ReplyDeleteआदरणीय पाण्डेय जी /मै अपने ब्लॉग में तीन जगह लिखता था एक का नाम "कुछ कुछ नहीं बहुत कुछ होता है " दूसरे का नाम ""हाय में शर्म से लाल हुआ "" और तीसरे का "" शारदा "" मैं ये चाहता हूँ कि जो कुछ लिखना है एक ही जगह लिखूं तो एक साधारण सी बात शारदा [अब इसे ब्लॉग कहें या ब्लॉग का हिस्सा } पर लिखदी और वाकी दो जगह नोट लगा दिया कि मैंने वहां लिखा है /लिंक करना आता नहीं /सोचता था कि नोट के पास ही "" शारदा ""शब्द नीले या अन्य रंग में लिख दिया जाए ताकि नोट पढ़के व्यक्ति वहाँ क्लिक करके ""शारदा पर जो लिखा है उस पर नजर डाल सके / प्लीज़ ऐसी कोई तरकीब बता दीजिये
ReplyDelete@ बृजमोहन श्रीवास्तव जी - अधिक संख्या में ब्लॉग रखने का बहुत लाभ नहीं है। वह तभी ठीक है, जब आपके पाठक सभी को अलग अलग प्रकार से आइडेण्टीफाई करते हों। रही बात लिंक करने की तो आप पोस्ट का लिंक सीधे कट पेस्ट कर दे सकें तो भी चलेगा। जैसे आपके शारदा ब्लॉग पर पोस्ट है:
ReplyDeletehttp://brijmohanshrivastava-sharda.blogspot.com/2008/10/blog-post_28.html
भगवती शक्ति के विविध रूपों के बारे में जानकर अच्छा लगा। शुक्रिया।
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