Monday, October 27, 2008

जोनाथन लिविंगस्टन बकरी


Johnathan_Livingston_Seagull आपने रिचर्ड बाख की जोनाथन लिविंगस्टन सीगल पढ़ी होगी। अगर नहीं पढ़ी तो पढ़ लीजिये! आप इस छोटे नॉवेल्ला को पढ़ने में पछतायेंगे नहीं। यह आत्मोत्कर्ष के विषय में है। इस पुस्तक की मेरी प्रति कोई ले गया था, और दूसरी बार मुझे श्री समीर लाल से यह मिली।

यहां मैं जोनाथन लिविंगस्टन सीगल के यूपोरियन संस्करण की बात कर रहा हूं। सवेरे की सैर के दौरान मुझे एक बकरी दीखती है। वह खण्डहर की संकरी और ऊबड़ खाबड़ ऊंचाई पर चढ़ती उतरती है। संहजन की पत्तियों को ऐसी दशा में पकड़ती-चबाती है, जैसा कोई सामान्य बकरी न कर सके।Goat on slope

आस-पास अनेक बकरियां हैं। लेकिन वे धरातल की अपनी दशा से संतुष्ट हैं। कभी मैने उन्हें इस खण्डहर की दीवार को चढ़ते उतरते नहीं देखा। वह काम सिर्फ इसी जोनाथन लिविंगस्टन के द्वारा किया जाता देखता हूं।

परफेक्शन और प्रीसिसन (perfection and precision) मैं इस बकरी में पाता हूं।

Goat on Slope 2 यह मालुम है कि बकरियां बहुत संकरी और सीधी ऊंचाई पर चढ़ती हैं। पर मैं अपने परिवेश की बकरियों में एक जोनाथन को चिन्हित कर रहा हूं। कुछ पाठक यह कह सकते हैं कि यह भी कोई पोस्ट हुई! अब्बूखां के पास (सन्दर्भ डा. जाकिर हुसैन की १९६३ में छपी बाल-कथा) तो इससे बेहतर बकरी थी।

पर बन्धुवर, एक बकरी इस तरह एक्प्लोर कर सकती है तो हम लोग तो कहीं बेहतर कर सकते हैं। मैं यही कहना चाहता हूं।

हमलोग तो जोनाथन लिविंगस्टन बटा सौ (0.01xजोनाथन) बनना भी ट्राई करें तो गदर (पढ़ें अद्भुत) हो जाये।

इति जोनाथनस्य अध्याय:।     

इतनी नार्मल-नार्मल सी पोस्ट पर भी अगर फुरसतिया टीजियाने वाली टिप्पणी कर जायें, तो मैं शरीफ कर क्या सकता हूं!

और आजकल आलोक पुराणिक की टिप्पणियों में वह विस्तार नहीं रहा जिसमें पाठक एक पोस्ट में दो का मजा लिया करते थे। घणे बिजी हो लिये हैं शायद!

33 comments:

  1. अब्बू खाँ की बकरी, लीवीँग्स्टन सारे कथानक मेरे पसँदीदा हैँ -अनूप भाई का टीज़ीयाने का अण्दाज आप पर उनके स्नेह का नज़राना है :)
    और आलोक भाई की लिखाई भी हमेशा "ए -वन" रहती है ...
    ...
    " फिर महान बन मनुष्य फिर महान बन ".
    याद आ गया ..

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  2. पुस्तक तो नहीं पढी, बतलाने का शुक्रिया!

    किसी भी बकरी को लगन, आत्मविश्वास और खंडहर की दीवाल ही चाहिये कुछ कर दिखाने को :)

    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनायें

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  3. जोनाथन लिविंगस्टन बटा सौ की ही कोशिश हमेशा रहती है मगर लगता है असफल ही रहते होंगे वरना कुछ तो हो ही लेते.

    समय का टंटा, पता नहीं क्यूँ, मेरे पास कभी नहीं रहता. ऑफिस भी जाना होता है जो लगभग दिन के १२ घंटॆ ले लेता है-याने सुबह ६ से शाम ६-घर से ६०-७० किमी की दूरी. फिर घर पर भी यहाँ नौकर तो होते नहीं तो गृहकार्यों में हाथ बटाना होता है (यह मैं पत्नी की तरफ से मॉडरेट होकर कह रहा हूँ वरना हाथ बटाना कि जगह करना लिखता) :))

    फिर कुछ पढ़ना, कुछ हल्का फुल्का लिखना, टेक्नोलॉजी पर लेखन- बाकी सामाजिक दायित्व,,और इन सबके टॉप पर टिपियाना भी तो होता है. :)सबके बावजूद पाता हूँ कि जोनाथन लिविंगस्टन बटा सौ कैसे प्राप्त हो...

    देखिये, लगे हैं -आप तो शुभकामनाऐं ठेले रहिये पूरी ताकात से.

    आपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  4. यह बकरी तो कहीं से भी कृष्ण चंदर के गधे जैसी नहीं दिखती - कभी मौका लगे तो उनके गधे की आत्मकथा ज़रूर पढ़ें.

    आपको और समस्त परिवार को दीवाली का पर्व मंगलमय हो!

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  5. बकरी और ब्लॉगिंग, दोनो मे बहुत ज्यादा समानताएं हैं, बकरी कहीं कुछ न मिले तब भी कंटीली झाडियों तक को नोच-ओच कर अपना पेट भर लेती है, ब्लॉगिंग मे भी अक्सर ऐसा होता है, कुछ नहीं मिला तो छूट चूके/ पुराने पडे मुद्दे भी सडी गली पोस्ट ठेल-ठालकर लोग अपनी दिमागी खुराक पूरी कर लेते हैं :) बकरी जो दुध देती है वह बेहद छोटे-छोटे सुपाच्य मॉलिक्यूल्स से बनी होती है, चर्बी कम होती या कहे कि न के बराबर होती है, ब्लॉगिंग मे अगर किसी ब्लॉगर को चर्बी चढ जाय तो झट अन्य ब्लॉगर चर्बी उतारने आ जाते है( अनाम टिप्पणीयाँ देकर :) बकरी संकरे रास्तों पर आराम से चली जाती है, बाकी गाय भैंस उसे टापते/देखते रह जाते हैं, ब्लॉगर संकरे की कौन कहे, जहाँ रास्ता नहीं होता वहाँ भी चले जाते हैं और बकरी टापती रह जाती है :) :)

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  6. क्या कोई बताएगा कि अगर गाँधीजी रिचर्ड बाख की इस बकरी/बकरा को देखते तो क्या प्रतिक्रिया होती?अगर यह बकरी उनके पास होती तो क्या वह नेहरु को प्रधानमंत्री बननें देते?या पार्टीशन कुछ और दिन टालते???? ‘अप्प दीपो भव’प्रकाश पर्व दीपावली में!

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  7. हमको भैंसों से फुर्सत नही है ! हमारे गणित से एक भैंस बराबर १० बकरी होती है ! तो हम सोचते थे बकरी को पढने की क्या जरुरत है ? पर दादागुरु ( आप ). गुरुदेव (समीर जी ) की सलाह पर इस बकरी को कहीं से बुलवाना पडेगा ! गधा हम पढ़ चुके हैं ! और हमारा पसंदीदा दोस्त है वो ! :)

    आपको एवं भाभी जी को दीपावली पर्व की सादर प्रणाम और आपके परिवार इष्ट मित्रो को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  8. अनेक काम हैं जो बकरियाँ कर लेती हैं इंन्सान नहीं कर सकता। समझदारी उसे करने से रोकती है। फिर भी बकरियों में वह बकरी श्रेष्ठ है जो अपने लिए अतिरिक्त और अच्छा खाद्य जुटाने को यह करतब कर रही है।

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  9. दीपावली पर हार्दिक शुभ कामनाएँ।
    यह दीपावली आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि लाए।

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  10. पुस्तक की जानकारी के लिए धन्यवाद. ढूंढते हैं.

    ये बकरी किसी सुपरमॉडल का अवतार लगती है. क्या शानदार पोज बनाकर तस्वीरें खिंचवा रही है. :-)

    लेकिन ये एक गंभीर और शानदार पोस्ट है, धनात्मक ऊर्जा से भरपूर और प्रेरक संदेश के साथ. आपसे ऐसी ही आशा रहती है.

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  11. .
    बकरी के नक्श-ए-कदम पर पोस्टें लिखी तो पहले से ही जा रही हैं, जो भी चरने योग्य दिखा.. बस उसी में मुँह मार लिया, और एक पोस्ट तैय्यार !
    भेंड़ों के झुंड में बकरियाँ दूर से ही दिख जाती हैं,जी !
    So, follow the Bakris,
    they are indispensible for variety Blogging.
    रही बात फ़ुरसतिया की, तो फ़र्ज़ी बौद्धिक बने टिपियाते रहते हैं, का करियेगा ? जस्ट इग्नोर सच इनसिग्निफ़िकेन्ट पीपुल !
    दीपावली का प्रणाम स्वीकारें एवं दुःखी दरिद्रों में हरसंभव त्यौहार की खुशियाँ बाँटें । सादर -अमर

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  12. पहली आपत्ति तो मेरी यह है [[टिप्पणी नहीं ]]कि आपने इसे नार्मल पोस्ट कैसे कह दिया -क्या वो पोस्ट नार्मल नहीं होती जो दो हावर्स [[इसके हिन्दी शब्द का तो सिनेमा ने नाश कर किया ]]में पढी जाए और निचोडो तो कुछ भी न मिले / दूसरी बात प्रेरणाप्रद बात मामूली नहीं होती -बकरी से शिक्षा =अरे पंचतंत्र तो ऐसे ही शिक्षाप्रद द्रष्टांतों से भरा पड़ा है /हाँ वो लोग तह तक पहुँचते थी आप नहीं पहुंचे उसके मालिक के घर जाकर तलाश करना चाहिए था कि साधारण भोजन देता है ,पौष्टिक आहार देता है या फिर नगद पैसे होटल में खाने के लिए दे देता है /बकरी बात करती है मैंने किसे कामेडी फ़िल्म में देखा है -उससे भीपूछा जा सकता था /किसी ज्योतिषी से पूछते हो सकता है पिछले जन्म का कोई चक्कर हो ये बकरी बन गई हो और वो सांप बन गया हो और मिलने जाने बगैरा का कोई चक्कर हो -यह भी सम्भव है कि वहां कोई देव स्थान हो और ये वहां दूध पिलाने जाती होपूर्व जन्म की कोई धनाढ्य हो और वहाँ इसकी दौलत गडी हो थोड़ा खुदवाकर देखते = अब भैया मैं तो जादा नई टिपिया रओ का पतों कब कौन बुरो मान जाय /

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  13. तो अब आप बकरियों और गधों के बारे मैं भी पढवायेंगे ...कभी गांधी जी के बकरी के वारे मैं भी बतायें

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  14. पुस्तक पढ़ी नहीं, मिली तो पढ़ेंगे जी.


    दीपावली की शुभकामनाएं

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  15. प्रेरक पोस्‍ट। आपको दीपावली की हार्दिक बधाई।

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  16. अरे ये तो बड़ी छोटी पुस्तक है... पोस्ट पढने और टिपण्णी करने के बीच में ही ढूढ ली. आज शाम को पढ़ा जायेगा... किसी सज्जन को चाहिए तो मिल जायेगी २२ पन्नों का पीडीऍफ़ है.

    धन्यवाद ! पढ़ के देखता हूँ कैसी पुस्तक है.

    --
    और ये बकरी भी तो कुल बकरियों की संख्या के हिसाब से १/१००वें से भी कम में होगी? वही अनुपात क्या मनुष्यों में भी नहीं पाया जाता? हाँ हम सभी को उस एक जैसा बनने का ही प्रयास करना है... प्रेरणा तो कहीं से भी मिलती है. ये बकरी ही सही.

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  17. गांधी जी की बकरी से इस बकरी को प्रेरणा लेनी चाहिए. आख़िर गांधी जी की बकरी कैपिटलिस्ट बकरी थी. (आशा है कोई भड़केगा नहीं. आख़िर जिस बकरी को गांधी जी चारा खिलाते हुए फोटो खिचवा लें, उसे और क्या कहेंगे?)

    अगर इसने गाँधी जी की बकरी को देख लिया होता तो फिर वन-वन क्यों घूमती? ये भी नेहरू जी की शरण में चली जाती और कैपिटलिस्ट हो लेती. फिर तो मज़ा ही मज़ा. एक बकरी गाँधी जी की और एक नेहरू जी की. दोनों में खूब कम्पीटीशन होता.

    आप गधों को फालो नहीं करते? मैं तो करता हूँ.

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  18. अब्बू खाँ की बकरी की तरह इस बकरी का भी जवाब नहीं।

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  19. अभिषेक ओझा इण्टरनेट से डाउनलोड कर ले रहे हैं जोनाथन लिविंगस्टन सीगल को। आपका मन करे तो आप भी यहां से डाउनलोड कर लें।

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  20. खंडहर में बकरी
    बकरी की तलाश
    उस रात अंधेरे में बकरी थी। जी हां बकरी थी। हां हां बकरी ही थी। जरा गौर से देखिये। और करीब से देखिये। जी उधर से देखिये। इधर से भी देखिये, हां हां वह बकरी ही थी।
    इस बकरी की रहस्य क्या है, यह बतायेंगे ब्रेक के बाद। इस बकरी को एलियन उठाकर ले जायेंगे, वह भी हम दिखायेंगे। सिर्फ हम दिखायेंगे. ब्रेक के बाद।
    सरजी बकरी को खंडहर में देखकर मेरे दिमाग में टीवी कार्यक्रम सा घूम रहा है।
    कभी लगता है कि टिप्पणी और मल्लिकाजी के वस्त्र संक्षिप्त हों, तो ही पब्लिक पसंद करती है। वरना खारिज कर देती है। वरना तो जी टिप्पणी की लंबाई निरुपा रायजी की साड़ियों जितना लंबा हो सकता है। व्यंग्यकार और मास्टर को कम बोलने और लिखने के लिए कहना पड़ता है। आप तो उलटा ही कर रहे हैं जी। वईसे चुनाव आने वाले हैं, टैंट वालों, दरी वालों, कुरसी वालों, पोस्टर वालों, झंड़े वालों, हलवाइयों, ट्रक वालों के साथ साथ व्यंग्यकार की डिमांड भी कुछ गरम टाइप सी होने लगती है।
    जमाये रहिये, बकरी को।
    शिव जी कौह रहे हैं कि वह गधों को फालो करते है।
    हम नहीं ना करते, हम तो खुदै ही हैं।

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  21. बहुत शानदार ज्ञान जी, अच्छा लगा पढ़ कर. बहुत आभार आपका. लाल साहेब मेरे को एक भी कहानी नहीं देते. हाँ नहीं तो. अब लडूंगा उनसे. आपको दीपावली की बहुत बहुत मुबारकबादी जी.

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  22. आपको तथा आपके परिवार को दीपोत्सव की ढ़ेरों शुभकामनाएं। सब जने सुखी, स्वस्थ, प्रसन्न रहें। यही मंगलकामना है।

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  23. अति जोनाथीय पोस्ट !
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

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  24. कहानी तो अभी मेने पढी नही लेकिन सुना है बकरी का बहुत लाभ है जो दो ख लेती है, ओर जब चाहो टांग उठाओ ओर दुध निकाल लो, बेचारी गरीब बकरी, वेसे गांधी जी के पास भी तो एक बकरी थी ? कही उसी बकरी के खानदान से तो नही यह ....
    दीपावली पर आप को और आप के परिवार के लिए
    हार्दिक शुभकामनाएँ!
    धन्यवाद

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  25. यह 'घणा' आप कहां से बटोर लाए । शायद रतलाम का असर है ।

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  26. जबर्दस्त बकरी है । सीगल तो पढ़ी थी । इस बकरी सी ही एक गाय बहुत साल पहले मैं अकसर देखती थी । वह अगली टाँगों को पेड़ के तने पर टिकाती हुई पेड़ के पत्ते खाती थी । वैसी गाय फिर कभी नहीं देखी ।
    घुघूती बासूती

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  27. बहुत अच्छा है...... बधाई,
    आपको, परिवार सहित दीपावली की शुभकामनायें......
    पुस्तक तो नहीं पढी, बतलाने का शुक्रिया!

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  28. बड़ी आफ़त है। जिससे मौज लो वो शराफ़त का रोना रोने लगता है।

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  29. सुन्दर! पढ़ के देखता हूँ कैसी पुस्तक है | दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  30. खोदा पहाड़ औऱ निकला दिलचस्प किस्सा। अच्छी लगी ये बकरी

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  31. यह एक बेहतरीन पुस्तक है। मैंने इसे न केवल कई बार पढ़ा पर बहुत से लोगों को भेंट में भी दिया।

    मैंने इस पुस्तक का जिक्र अपनी चिट्ठी एक अनमोल तोहफ़ा में दो में से एक बेहतरीन पुस्तक कह कर किया। उसके बाद हिन्दी चिट्ठजगत में कई चिट्ठाकारों को उपहार में भी भेजी।

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  32. बड़ी करामाती बकरी है , अबकी गाँव जाउंगा तो कुछ ऐसे भी
    दृश्य कैमरे में कैद करूंगा !
    इन सबसे भी पोस्ट बढियां 'एक्सप्लोर' होती है ! हमारी दशा तो यह है
    कि ठेलाये नहीं ठेल पा रहे हैं ! आपसे काफी सीख रहा हूँ !
    आपने लिंक दिया , आभारी हूँ , ऐसे अन्य प्रासंगिक लिंक भी आप यथावसर
    दे कर कृतार्थ करेंगे , ऐसी कामना करता हूँ !

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय