Monday, June 16, 2008

गंगा किनारे एक शाम



Ganga 3सूर्यास्त के समय गंगा का दांया तट, इलाहाबाद
मां गंगा मेरे घर से ५००-७०० कदम पर हैं। आज गंगा किनारे गया शाम को। गंगा में पानी बहुत बढ़ा नहीं है, पर शुरुआत की बारिश से बहाव तेज हो गया है। कोटेश्वर महादेव (वह स्थान जहां राम जी ने वन जाते समय गंगा पार कर शिव पूजा की थी) के पास कटान दांयी ओर ले रही हैं गंगा मैया।

शाम के समय तट पर बीस-पच्चीस लोग गंगा आरती कर रहे थे - दीपक, घण्ट, फूल-माला आदि से लैस। बच्चे, महिलायें और पुरुष; सब थे। बहुत अच्छा लग रहा था श्रद्धा का वह प्रवाह। मैने कुछ चित्र लिये अपने मोबाइल से। इसी बीच गंगाजी के तेज बहाव को क्षिप्र गति से चीरता एक सर्प तट पर आ लगा, पर इतने लोग और आरती की ध्वनि सुन कर कहीं दुबक गया।

Ganga 1
श्री गंगा जी
हरनि पाप त्रिबिध ताप, सुमिरत सुरसरित,
बिलसति महि कल्प-बेलि, मुद मनोरथ फरित।।१॥
सोहत ससि-धवल धार, सुधा-सलित-भरित,
बिमलतर तरंग लसत, रघुबर के चरित॥२॥
तो बिनु जगदम्ब गंग, कलियुग का करति?
घोर भव अपार सिन्धु, तुलसी किमि तरित॥३॥
दूर कुछ कुत्ते तट पर चहरक-महरक करते घूम रहे थे। कुछ नौजवान जवान लड़कियों को घूरने के ध्येय से वहां बैठे थे और बीच बीच में गंगा में दूर तक कंकर फैंकने की स्पर्धा कर ले रहे थे।
कोटेशर महादेव के पास ढ़ेरों शिवजी की पिण्डियां हैं। उनमें से एक के सामने चबूतरे पर एक काले रंग का सांड़ विराजमान था - मानो आदिकाल से नन्दी वहीं बैठे हों।
आप मेरे मोबाइलीय चित्र देखें गंगा तट के -
Ganga 6
Ganga 4
Ganga 7
Ganga 5

26 comments:

  1. इलाहाबाद आकर संगम देखना अपने में एक बडा अनुभव था । आपके घर से गंगातट बडा करीब है ये जानकर अच्छा लगा ।

    आपके मोबाईल के कैमरे से चित्र बडे अच्छे आते हैं । मैं भी अपने मोबाईल से कभी प्रयास करके देखूँगा कि कैसे चित्र आते हैं ।

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  2. आपका मोबाईल कैमरा बड़ा धांसू है. कौन सा मोबाईल धरे हैं. गंगा जी का पूण्य स्मरण ही मन प्रफुल्लित कर जाता है और आप तो उसके बाजू में ही है. अब समझा कि आपका फोटू देख मन सकुनिया कैसे जाता है. :)

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  3. गंगा को मैं केवल हृषिकेष और हरिद्वार में देखा था।

    क्या नदी है! गंगा स्नान तो एक अनोखा अनुभव है हम दक्षिण भारेतियों के लिए।
    काश ऐसी नदियाँ दक्षिण भारत में भी होतीं।
    आप तो भाग्यशाली हैं।
    आप गँगा तट से केवल ७०० मीटर की दूरी पर रहते हैं।
    कावेरी नदी मेरे घर से ७० किलोमीटर दूर है।
    यदा कदा ही वहाँ हो पाता हूं।
    बेंगलूरु में पानी कावेरी नदी से ही प्राप्त किया जाता है।
    नल में पानी कावेरी नदी का है और वही पाने हम पीते हैं और उसी में नहाते भी हैं।
    लेकिन किसी नदी के तट पर जाकर उसी पानी का अनुभव करने में बात कुछ और ही है।

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  4. 13 जून को गंगावतरण का दिन था। हमारे यहाँ तीन दिन देरी से आईं गंगा, आप के प्रताप से। इलाहाबाद से यहाँ तक आने में इतना समय तो लगना ही था। मेरे घर से चम्बल भी इतनी ही दूर है,600-700 कदम। उस में बहता हुआ पानी आप के नजदीक ही, बजरिए यमुना, गंगा की शरण पाता है। बताइए, कितने दूर हैं हम?

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  5. जय हो गंगा मैया की!

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  6. @ जी. विश्वनाथ और दिनेशराय द्विवेदी -
    रतलाम में एक बोरवेल किया गया था श्री अरविन्द आश्रम में। एक मिस्टिक कहते थे कि उसमें कावेरी का जल है। जाने कैसे कावेरी का जल अण्डरग्राउण्ड वाटर के रूप में इतनी दूर आया!
    और चम्बल तो विलक्षण नदी है - मालवा के पठार से निकली, दक्षिण से उत्तर बहती है।
    नदियां भारत का भौतिक और सांस्कृतिक इण्टीग्रेशन करती हैं।

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  7. श्रध्धा से नमन गँगा माई को
    ...कभी पास आने का सौभाग्य मिला ही नहीँ ....जिसका बहुत दुख है :-(
    फिर भी, यही गाते हैँ कि,
    "गँगा मैया मेँ जब तक ये पानी रहे, मेरे सजना तेरी ज़िँदगानी रहे
    हैय्या हो गँगा मैय़ा "
    - लावण्या

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  8. मतलब ये कि आपको छोरा गंगा किनारे वाला कहा जाये। वैसे तो शायद आप रेल वाले हो। और रेल भी किसी गंगा से कम नहीं होती।
    आपको गंगा का सानिध्‍य मुबारक हो।

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  9. जय हो गंगा मैया गंगा इतने करीब हो जिसके वह सच में सौभाग्यशाली है नदियां तो यूं बहुत हैं, कोई एक नदी भारतीय इतिहास परंपरा के साथ जितना एकाकार नहीं है, जितनी गंगा नदी है। मैं तो सिर्फ हरिद्वार में ही किनारे किनारे नहाया हूं। आजकल स्विमिंग सीख रहा हूं। कायदे से तैरना आ जाये, तो आपके घर के पीछे आकर तैरेंगेजी।

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  10. कभी मैं भी गंगा तट को अनुभव करने की कोशिश करूँगा...तस्वीरें अच्छी है. एक केमरा ले लें ताकि हमें बड़ी तस्वीरे लेखने को मिले :)

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  11. जब भी इलाहाबाद जाते है गंगा मैया का दर्शन जरुर करते है।
    वाकई आपने बहुत ही सुंदर फोटो खींचे है।
    शुक्रिया इस बानगी गंगा दर्शन कराने के लिए।

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  12. गँगा को बचपन से हर रूप में देखता आया हूँ ,
    अभी भी गाहे बगाहे इलाहाबाद तक केवल गँगा किनारे बैठने के लिये कार दौड़ा लेता हूँ , 30 किलोमीटर पर डलमऊ में भी गँगा हैं, किंतु इतनी सुरम्य नहीं !



    अपने भूपेन हज़ारिका क्यों पूछ रहे हैं, ' विस्तार है अपार...तू निर्लज़्ज़ बहती है क्यूँ ?'

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  13. बहुत खूब.. पटना में गंगा मेरे घर से 20 किलोमीटर दूर है.. अब और् क्या कहूं आगे.. समझ ही गये होंगे कि शायद ही कभी जा पाता हूं.. जब कालेज में था तो दोस्तों के साथ ना जाने कितनी शामें गुजारी है उन घाटों पर..

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  14. अलग अलग जगह पर अलग-अलग स्वरुप है गंगा मैया का... कानपुर में देखा था तो मन विचलित हो गया था प्रदुषण से... यमुना का भी कुछ यही हाल दिखा दिल्ली में... इलाहबाद में ये बातें दिखती नहीं. आप खुशकिस्मत हैं जो गंगा किनारे रह रहे हैं.

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  15. गंगा तरंग रमणीय जटाकलापम--चित्र बड़े सुन्दर लगे---

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  16. भईया
    आप गंगा के इतने नजदीक हैं और कभी ना बताये ना बुलाये एक हमें देखिये बाण गंगा जो हमारे घर से मात्र २०० मीटर पर "टाटा पावर" की मेहरबानी से बहती है को दिखाने के लिए आप को किती बार बता और बुला चुके हैं. आप का मोबाईल भी गज़ब का है और उसका उपयोग भी आप खूब करते हैं. हमारी खोपोली वाली पोस्ट के फोटो भी सारे मोबाईल से ही लिए हुए हैं. अब आप बुलाएँ ना बुलाएँ गंगा मईया की खातिर ही इलाहबाद आप के यहाँ आना ही पड़ेगा...क्या करें और कोई चारा नहीं है.
    नीरज

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  17. gyandutt pandey ji,
    ganga kinare ek shham ke sath achchhi photo ki prastuti ke liye dhanyawad.
    prof. ashwini kesharwani

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  18. jay ho ganga mayiya ki
    jay ho allahabad ki
    jay ho gyan ji ki

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  19. कुम्भ मेले के समय मे बहुत याद आती है माई यहाँ प्रणाम करती हूँ जै गंगा माई.....

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  20. मेरे मोबाइल मे २ मेगापिक्साल है ...आपका शायद ३.५ वाला है...काफ़ी साफ है...आज आप कुछ अलग से मूड मे नजर आ रहे है...इसलिए इतना ज्ञान दे दिया.....

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  21. बहुत खूब चित्र बड़े सुन्दर लगे जै गंगा माई.

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  22. अहा! सुंदर दृश्य. बढ़िया पोस्ट. अफ़सोस कि कभी इलाहाबाद जाना नहीं हो पाया. गंगा मैया के दर्शन बनारस में किए थे जब एयर फोर्स एस एस बी से रिजेक्ट होने गए थे दस साल पहले.

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  23. चित्र अच्छे हैं। गंगा किनारे बालू है वो भी इत्ती सारी, जब हम हरिद्वार गये थे तो वहां तो न दिखी थी बालू, हमने सोचा सिर्फ़ समुद्र किनारे ही होती है। हम पांचवी पास से तेज नहीं न

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  24. ज्ञान जी, अपने देश की इस तस्वीर को दिखा कर आपने हमे मन्त्र मुग्ध कर दिया..दूर विदेश में रह कर इस झलक की कीमत हम ही जान सकते हैं.... मन ही मन सोचते हैं कि अब तो अपने देश के हर कोने में अपने मित्र हैं... जल्दी ही सब ज़िमेदारियों से मुक्त होकर भारत भ्रमण को निकल जायेंगे...

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  25. हरिद्वार की याद हो आई....शुक्रिया

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  26. jay ho ganga mayiya ki
    jay ho allahabad ki
    jay ho varanasi ji ki

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय