आगरा को मैने बाईस वर्ष पहले पैदल चल कर नापा था। तब मैं ईदगाह या आगरा फोर्ट स्टेशन के रेस्ट हाउस में रुका करता था। वहां से सवेरे ताजमहल तक की दूरी पैदल सवेरे की सैर के रूप में तय किया करता था। आगरा फोर्ट के मीटर गेज की ओर फैले संकरे मार्किट में काफी दूर तक पैदल चला करता था। समस्या बिजली जाने पर होती थी, जब लगभग हर दुकान वाला जेनरेटर चलाता था और किरोसीन का धुआं सिरदर्द कर दिया करता था। आगरा फोर्ट से ईदगाह और आगरा कैण्ट स्टेशन तक पैदल भ्रमण करता था और सभी ठेले वालों द्वारा लगाई गयी सामग्री का अवलोकन किया करता था। तब यह समस्या नहीं थी कि कौन हमें पहचानता है और आगे वह हमारे स्टाफ में हमारी आवारागर्दगी के गुण गाता फिरेगा! अब अंतर आ गया है।
(ऊपर का चित्र आगरा छावनी स्टेशन के बाहर स्टीम-इंजन और दायें का चित्र आगरा छावनी स्टेशन जगमगाहट के साथ।)
आज दशकों बाद आगरा आया हूं। जिस रास्ते पर वाहन से चला हूं, वे बड़े साफ-साफ थे। स्टेशनों पर रेल तंत्र/सुविधाओं का मुआयना करने के अलावा शहर का जो हिस्सा देखा वह निहायत साफ था। चौरस्तों पर दो मूर्तियां देखीं - तात्या टोपे और महारानी लक्ष्मीबाई की। दोनो अच्छी लगीं। आगरा कैण्ट स्टेशन का बाहर का दृष्य भी बहुत खुला-खुला, चमकदार और स्वच्छ था। मन प्रसन्न हो गया। यह अलग बात है कि मैं संकरे और कम साफ इलके में गया नहीं - वहां का कोई काम नहीं था मेरे पास। खरीददारी को मेरी पत्नी गयी थीं। पर वे भी बता रही थीं कि वे जिस भी क्षेत्र में गयीं - कोई बहुत गन्दगी नहीं नजर आयी उन्हे।
मैं आगरा रेल मण्डल के विषय में लिखना चाहूंगा। यह नया बना मण्डल है जिसमें पहले के 5 विभिन्न जोनल रेलों के 5 मण्डलों के क्षेत्र शामिल किये गये हैं। स्टाफ अलग-अलग मण्डलों से आया होने के कारण यहां कार्य करने की हेट्रोजीनस कल्चर है। अत: पूरे तालमेल की और सुदृढ़ परम्परायें बनने की स्थिति में अभी समय लगेगा। पर जीवंतता सभी में दिखी - मण्डल रेल प्रबन्धक से लेकर सामान्य कर्मचारी तक में। (बायीं बाजू में मण्डल रेल प्रबन्धक दफ्तर के नये उभर रहे ट्रेन नियंत्रण कार्यालय का चित्र)
आगरा और आगरा में स्थित रेल प्रणाली से मैं प्रभावित हुआ। यह कहूं कि आगरा में आग है - शायद अलंकारिक होगा। पर सही शब्द शायद हो - आगरा में आब है!
(यह पोस्ट आगरा में लिखी और वहां से वापसी में 2404 मथुरा-इलाहाबाद एक्स्प्रेस से यात्रा में पब्लिश की जा रही है।)
वापसी की यात्रा प्रारम्भ होने पर प्रतीक से बात हुई - फोन पर। अच्छा लगा। मैं अगर पहले अपनी ई-मेल चेक कर लेता तो शायद आगरा में मिल भी लेते!
आगरा के साथ मेरी भी बड़ी सुनहरी यादें जुड़ी हैं.
ReplyDeleteआज यह पोस्ट पढ़कर याद आ गई.
चलिये, अच्छा हुआ प्रतीक से बात तो हो गई. अब अगली बार मिल लिजियेगा.
सही इस्तेमाल कर रहे हैं रेल यात्रा का. बधाई.
आगरा में आब भी है और ताज भी...सफाई के पीछे शहर में एक अचरज यानी ताज का होना बी हो सकता है....शायद....
ReplyDeleteआगरा आए और किनारे'किनारे निकल लिए.
ReplyDeleteपहले पता होता तो एक ब्लॉगर मीट हो जाती.
प्रतीक जी से मिलने के सम्बन्ध में।
ReplyDeleteअब पछताए होत का जब चिडि़या चुग गई खेत, वैसे एक सलाह थी, ईमेल चेक करै के बाद पुन: ट्रेनवा आगरा की ओर घुमवाय दे के रहै। :)
अब प्रतीक अपनी जानकारी दें आगरे की आग के बारे में।
ReplyDeleteकुछ और पुरानी ट्रेनों की यादें हमारे साथ बाँटिये
ReplyDeleteनरेश (RailFan)
pryas.wordpress.com
आगरा में महान लेखक भी पैदा हुए हैं। मीर गालिब और अपने बारे में अपने मुंह से क्या कहूं।
ReplyDeleteआगरा फोर्ट पे जाकर तो विकट नास्टेलजिया घेर लेता है, मैं वहां जाता ही नहीं। गर्म हवा फिल्म की शूटिंग भी वहीं हुई थी। आगरा फोर्ट आगरा शहर की गंदगी, घिचपिच, लदर पदर को रिप्रजेंट करता है, आगरा कैंट एक हद तक फौजियों के साफ-सुथरेपन का प्रतिनिधि है।
पर जी सच्ची का आगरा तो राजामंडी, सेठगली और रावतपाड़े, किनारी बाजार फौवारे में बसता है। आगरा की गलियां और गालियां नहीं झेलीं, तो फिर क्या आगरा दौरा पूरा न माना जायेगा।
कभी आगरा गए तो महसूस करने की कोशिश करेंगे इस आब को!!
ReplyDeleteआगरा गये और पेठे की बात नही लिखी। यदि अच्छे से बना हो तो आज के परेशान आदमी के लिये सब मर्ज के दवा है ये।
ReplyDelete@ पंकज अवधिया - पेठे की बात आपने सही कही। इस विषय में आज वापस आने पर पता चला कि विभिन्न प्रकार के पेठे पत्नी जी खरीद लायी हैं। अब सेवन हो तो उस पर लिखा भी जाये! इस महत्वपूर्ण वस्तु को सामान्यत: हमसे बचाकार रखा जाता है! :-)
ReplyDeleteमैं आलोक जी की बात से पूरी तरह सहमत हूँ. आपने असल आगरा देखा ही नहीं इस बार.
ReplyDelete-अजय यादव
http://ajayyadavace.blogspot.com/
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लो जी आप मेरी ननिहाल भी हो आये। बहुत साल हो गये वहाँ गये, चलिए आप की इस यात्रा की बदौलत हम भी घूम आये वहाँ। अब कहाँ जायेगें आप? और ये प्रतीक जी कौन हैं हमें भी तो बताइये ना।
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