विश्व बैंक क्रॉस-कण्ट्री गवर्नेंस मेज़रमेण्ट के 212 राष्ट्रों के सरकार के कामकाज पर 6 आयामों के आंकड़े जारी करता हैं. ये आंकड़े सन 1996 से 2006 तक के उपलब्ध है. इन आंकड़ों को विभिन्न प्रकार से - एक देश के लिये, विभिन्न देशों की तुलना करते हुये, विभिन्न क्षेत्रों के देशों की प्रत्येक आयाम पर तुलना करते हुये - देखा जा सकता है. सन 2006 का अपडेट अभी जुलाई 2007 में जारी हुआ है. अत: इन आंकड़ों पर अर्धारित अनेक लेख देखने को मिलेंगे. एक लेख तो बिजनेस स्टेण्डर्ड में मैने कल ही देखा.
आपके पास सर्फिंग के लिये कुछ समय हो तो विश्व बैंक की उक्त साइट पर जा कर 6 आयामों पर विभिन्न देशों के परसेण्टाइल स्कोर का अवलोकन करें. परसेण्टाइल स्कोर का अर्थ यह है कि उस आयाम पर उतने प्रतिशत देश उस देश से खराब/नीचे हैं. अत: ज्यादा परसेण्टाइल स्कोर यानी ज्यादा बेहतर स्थिति.
बिजनेस स्टेण्डर्ड के लेख में विभिन्न आयामों पर 1996 व 2006 के भारत और चीन के परसेण्टाइल स्कोर की तुलना है. दोनो देश विकास पथ पर अग्रसर हैं और दोनो बड़ी जनसंख्या के राष्ट्र हैं. यह तुलना निम्न सारणी से स्पष्ट होगी:
आयाम | भारत | चीन | ||
वर्ष | 1996 | 2006 | 1996 | 2006 |
बोलने की आजादी और जवाबदेही | 52.2 | 58.2 | 4.8 | 4.8 |
राजनैतिक स्थिरता | 14.9 | 22.1 | 34.6 | 33.2 |
कुशल शासन | 50.7 | 54 | 66.8 | 55.5 |
नियंत्रण की गुणवत्ता | 44.4 | 48.3 | 54.1 | 46.3 |
कानून का राज | 61 | 57.1 | 48.1 | 45.2 |
भ्रष्टाचार पर नियंत्रण | 40.3 | 52.9 | 56.3 | 37.9 |
साधारण योग | 43.9 | 48.8 | 44.1 | 37.2 |
भारत में अभिव्यक्ति की आजादी, सरकार चुनने की आजादी और सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही दुनियां के आधे से ज्यादा देशों से बेहतर है जबकि चीन में शासन आजादी और जवाबदेही को संज्ञान में नहीं लेता. इस आयाम में भारत की दशा पहले से बेहतर हुई है, जबकी चीन की जस की तस है.
राजनैतिक स्थिरता (अर्थात अवैधानिक और हिंसात्मक तरीकों से सरकार गिरने की आशंका का अभाव) के मामले में भारत का परसेप्शन अच्छा नहीं है. पर चीन भी बहुत बेहतर अवस्था में नहीं है. कुल मिला कर भारत में दशा सुधरी है पर चीन में लगभग पहले जैसी है. चीन की स्थिति भारत से बेहतर है.
सरकार की कुशलता (जन सेवाओं की गुणवत्ता/राजनैतिक दबाव का अभाव/सिविल सर्विसेज की गुणवत्ता आदि) में भारत की स्थिति में सुधार हुआ है. यह सुधार मुख्यत: सूचना तंत्र के क्षेत्र में प्रगति के चलते हुआ है. इस मद पर चूंकि चीन की स्थिति खराब हुई है, भारत उसके तुलनीय हो गया है.
सरकार का नियंत्रण (उपयुक्त नीतियों के बनाने और उनके कार्यांवयन जिनसे लोगों के निजी और समग्र प्राइवेट सेक्टर का व्यापक विकास हो) के आयाम में भारत का रिकार्ड अच्छा नहीं रहा है. पर भारत ने इस विषय में स्थिति सुधारी है और चीन की दशा में गिरावट है. कुल मिला कर दोनो देश बराबरी पर आ गये हैं.
पुलीस और कानून के राज के विषय मे भारत की दशा विश्व में अन्य देशों के सापेक्ष पहले से खराब हुई है. अपराध और आतंक के विषय मे हमारा रिकार्ड खराब हुआ है. ऐसा ही चीन के बारे में है. इस मद में भारत की साख चीन से बेहतर है.
भ्रष्टाचार पर नियंत्रण (इसमें छोटा भ्रष्टाचार और व्यापक स्तर पर बड़े निजी ग्रुपों द्वारा सरकार के काम में दखल - दोनो शामिल हैं) के विषय में भारत की दशा में अन्य देशों के मुकाबले व्यापक सकारात्मक परिवर्तन हुआ है. बहुत सम्भव है तकनीकी विकास का इसमें योगदान हो. चीन की दशा में इस आयाम में बहुत गिरावट है.
कुल मिला कर भारत की स्थिति बेहतर हुई लगती है विश्व बैंक के वर्डवाइड गवर्नेन्स इण्डिकेटर्स में.
चीन और कई अन्य देश विश्व बैंक के इस वर्डवाइड गवर्नेन्स इण्डिकेटर्स वार्षिक आकलन से प्रसन्न नहीं हैं और विश्व बैंक के 24 में से 9 कार्यकारी निदेशकों ने इन विवादास्पद इण्डिकेटर्स के खिलाफ अध्यक्ष को लिखा है. पर यह कार्य भविष्य में विश्व बैंक न भी कराये, करने वाले तो अपने स्तर पर कर ही सकते हैं.
यह लेखन उक्त विश्व बैंक के लिंक मे उपलब्ध आंकड़ों का मात्र एकांगी उपयोग है. अन्यथा अनेक देशों के बारे में अनेक प्रकार के निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं. उसके लिये उक्त साइट पर उपलब्ध सामग्री का व्यापक उपयोग करना होगा.
ये जो टेबल है आंकड़ों की, क्या ये एक्सेल में जाकर बनायी है, या आफिस 2007 में।
ReplyDeleteजरा बतायें।
रुकिये शाम तक आप पर विश्व बैंक के दलाल होने के आरोप लग लेगें,
ये वाले, वो वाले सब आ रहे होंगे।
जब सरकार की सारी कोशिश यही है कि विश्वबैंक के नजरिये से हम एक बेहतर देश हों तो विश्वबैंक की रैंकिंग में भारत का स्थान ऊंचा उठता है तो इसमें कोई आश्वर्य नहीं.
ReplyDeleteसारी कोशिश तो यही है न कि वल्डबैंक और आईएमएफ हमें शाबाशी दे तो वह दे रहा है. अब हमारे ऊपर है कि हमें वह शाबाशी किस कीमत पर मिल रही है. बड़ा सवाल है और जवाब तक पहुंचने के लिए लंबी बहस से गुजरना पड़ेगा.
विषय उठाने के लिए धन्यवाद.
दादा आज तो आपने पूरी विश्व बैंक की रपट ही छाप दी पर हम तो आज विश्व बैंक के विरोध मे अफ़लातून जी की पार्टी मे शामिल होकर जनता जनार्दन वाला झंडा उठाये खडे है :)
ReplyDelete@ संजय और अरुण - मेरी पोस्ट का आशय विश्व बैंक का गुण गान करना नहीं, केवल रिपोर्ट के आंकड़ों को दर्शाना है. और आंकड़ों को ध्यान से देखें तो भारत की दशा कोई शाबाशी लायक भी नहीं है. पूरी दुनियां के 212 देशों में हम कहीं बीच में खड़े देखते हैं. कई मुद्दों पर तो उससे भी नीचे. भारत और चीन का तुलनात्मक विवरण रिपोर्ट के आधार पर दिया है, वह भी बिजनेस स्टेण्डर्ड के लिख के हवाले.
ReplyDeleteअत: यह न मान कर चलें कि मैं विश्व बैंक वाला हूं. :)
Vishwa Bank humse kuchh galat karwaana chaahta hai, aur humein pahle se hi maloom hai, to hum use manaa kar sakte hain aur use do took jawaab de sakte hain ki bhaiya humein aapke bataaye raaste par nahin chalna.....
ReplyDeleteUske raaste par chalne kee hum kitni keemat dete hain, ye bhee bahas ka mudda hai..'Kisaanon' ke haath mein angrezi mein likhe naaron ki patti thamakar vishwa bank ke khilaaf naarebazi ka koi matlab nahin hai...Khaskar tab, jab humne kisaanon ko apni bhasha hindi mein bhee likhna padhna nahin sikhaaya...
Virodh ke naam par virodh karna hamara rashtreey charitra ban chuka hai.
इतने भ्रष्ट नेताओं के होते इतने घोटाले होनें के बाद भी भारत की स्थिति इतनी शोचनिय तो नही है । हमारे लिए तो यही सुखद आश्चार्य है।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी है। वैसे शिव कुमार मिश्र जी की बत भी विचारणीय है।
ReplyDeleteयह रिपोर्ट हम फिनाशियल वर्ल्ड पर देख चुके हैं. संतोषप्रद स्थितियां है. आपने भारत चीन का तुलनात्मक चार्ट बनाकर अच्छा किया. साधुवाद.
ReplyDelete@ संजय और अरुण - मेरी पोस्ट का आशय विश्व बैंक का गुण गान करना नहीं, केवल रिपोर्ट के आंकड़ों को दर्शाना है. और आंकड़ों को ध्यान से देखें तो भारत की दशा कोई शाबाशी लायक भी नहीं है. पूरी दुनियां के 212 देशों में हम कहीं बीच में खड़े देखते हैं. कई मुद्दों पर तो उससे भी नीचे. भारत और चीन का तुलनात्मक विवरण रिपोर्ट के आधार पर दिया है, वह भी बिजनेस स्टेण्डर्ड के लिख के हवाले.
ReplyDeleteअत: यह न मान कर चलें कि मैं विश्व बैंक वाला हूं. :)
दादा आज तो आपने पूरी विश्व बैंक की रपट ही छाप दी पर हम तो आज विश्व बैंक के विरोध मे अफ़लातून जी की पार्टी मे शामिल होकर जनता जनार्दन वाला झंडा उठाये खडे है :)
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