Monday, August 24, 2009

चौबीस घण्टे में चढ़ीं गंगाजी


चौबीस घण्टे में जलराशि बहुत बढ़ी गंगाजी में। आज हरतालिका तीज के बाद गौरी विसर्जन को बहुत सी स्त्रियां जा-आ रही थीं घाट पर। कल के दिन निर्जला व्रत करने वाली महिलाओं पर आज गंगामाई का वात्सल्य स्पष्ट दिखा। वे और समीप आ गयीं। रेत में कम चलना पड़ा महिलाओं को।

कल गंगा जी का पानी शांत मन्थर था। आज वेग ज्यादा है। कल बहती जलकुम्भी नहीं थी। आज पूरा विस्तार जलकुम्भी से भरा है। कहीं से बड़ी मात्रा में जलकुम्भी तोड़ बहाये लिये जा रही हैं गंगा माई। और इस पार से उसपार जलकुम्भी ही दिख रही है।

आप कल (बायें) और आज के चित्र देखें – तुलना करने को।

Ganges 23 aug Ganges 24 aug1

और यह है जल कुम्भी का बहाव (वीडियो छ सेकेण्ड का है) -

Ganges 24aug2

(स्थान - शिवकुटी घाट, इलाहाबाद)

32 comments:

  1. चलिये, इस समय जल स्तर बढ़ना तो सुखद समाचार है.

    जाने कहाँ से जल कुम्भी बहा लाई होंगी.

    आप तो गंगा माई तट से लाईव रिपोर्टर हो लिये हैं.

    ’मानसिक हलचल ब्लॉग के लिए मैं ज्ञानदत्त, खुद ही कैमरा लिए गंगा तट से’...ये आखिर में जोड़ दिया करिये. :)

    ReplyDelete
  2. दिनाँक 21 को जोधपुर से आये एक मित्र को गंगा स्‍नान करवाने गया था। गंगा मइया में पानी बहुत नही था संगम नोज पर भी लोग पैदल चलते दिख रहे थे, संगम पर दो धाराएं दिख रही थी छोटी धारा ही संगम की रचना कर रही थी।

    ReplyDelete
  3. बड़ा ही तेज काम हुआ. आज ही सुबह का चित्र, दो घण्टे पहले का. गंगा जी के ताजे दर्शन करके धन्य हुए. जय गंगा मैया.

    ReplyDelete
  4. लग रहा है गंगातीर से लाइव चल रहा है। ग्यारह दिन त्योहारों के हैं और उस के बाद पूरा पखवाड़ा श्राद्ध। गंगा से लाइव जारी रहे।

    ReplyDelete
  5. शायद बाढ़ प्राक्रतिक रूप से नदियों की सफाई करने के लिए भी आती होगी . हमारे यहाँ तो रामगंगा है आजकल हजारो बीघा खेत डूबे हुए है ,लेकिन बाढ़ के बाद उनसे ज्यादा उपजाऊ कोई खेत नहीं होगा , गेहू के लिए तो वरदान है इस समय की बाढ़

    ReplyDelete
  6. आदरणीय ज्ञानदत्त जी,

    हरितालिका व्रत और गणेश चतुर्थी के पश्चात सुबह सुबह ही गंगा मईया का दर्शन लाभ, बहुत पुण्य का कार्य किया हैं।

    वाकई आपको काफी मेहनत करनी पड़ी होगी जो बिना प्रतिबद्धिता के संभव नही है।

    आभार और आपके स्नेह का कृतज्ञ,

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

    ReplyDelete
  7. सुन्दर चित्रों के लिए आभार।आप के साथ साथ हम भी सैर कर रहे हैं।

    ReplyDelete
  8. गंगा मैया के सुंदर और सुखद दर्शनों के लिए आभार...

    regards

    ReplyDelete
  9. बढ़िया चित्रों से सजी सुन्दर पोस्ट के लिए बधाई!

    ReplyDelete
  10. अभी बढ़ना जरूरी है, वरना कई "घट" जाएंगे...

    ReplyDelete
  11. गंगाजी का बहाव बढना सुखद है और आपकी रिपोर्टिंग की वजह से गंगा माई के दर्शन हो रहे हैं इसके पुण्य के आप भी भागीदार हैं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  12. गंगा मैया को विसर्जन के प्रदूषण से बचाने का समय आ गया है। गौरी विसर्जन के बाद गणेशजी जो बाट जो रहे हैं:)

    ReplyDelete
  13. गंगा मैया धर्म का ख्याल रख कर ही तो श्रद्धालुओं के हित में बढ़ रही हैं, वर्ना उन्हों ने व्यवसाइयों के कुकर्मों से त्रस्त होकर सिकुड़ने का मन तो बना ही लिया था.

    सुन्दर और मनमोहक चित्रों ने गंगा मैया का साक्षात् दर्शन करा ही दिया.

    आपको हार्दिक धन्यवाद, इस पुण्य कर्म के लिए.

    ReplyDelete
  14. आपके इस पोस्ट और जलखुंभी के बारे में पढ़कर बचपन का लखनदेई नदी याद हो आया.. जो बिहार के सीतामढ़ी जिले से होकर गुजरती है.. बचपन में(लगभग 9 साल की उम्र तक) उस नदी में अक्सर जलखुंभी देखता रहा था मैं.. :)

    ReplyDelete
  15. गंगा मईया की कृपा यूँ ही सब पर बनी रहे..तस्वीरें अच्छी लगीं.घर बैठे दर्शन हो गए..

    ReplyDelete
  16. "विडियोयात्मक पोस्ट "है जी

    ReplyDelete
  17. इलाहाबाद में तो गंगा मैया के दर्शन केवल एक बार हुआ है किन्तु हरिद्वार कई बार जाना हुआ है। वहाँ गंगा मैया का प्रवाह देखते ही बनता है!

    ReplyDelete
  18. धन्य है आपका केमरा जैसा भी है जो भी है उसकी बदौलत हम भी इत्ती दूर बैठे गंगा मईया के दर्शन कर लेते हैं...
    नीरज

    ReplyDelete
  19. जय् हो। अरे ज्ञानजी आप समीरलालजी की सलाह कत्तई न मानियेगा। कैमरा-फ़ैमरा वाली बात मती लिखियेगा। ये आपसे बहाने से मौज ले रहे हैं। हम बता दिये। फ़िर न कहियेगा कोई बताइस नहीं!

    ReplyDelete
  20. ज्ञानजी
    प्रणाम!
    आज आपने गगाजी के बारे मे बताया। बडा ही सुखद अनुभव होता है जब गगाजी के दर्शन करते है। आपके इस ब्लोग सहयोग के बिना दर्शन ना हो पाते।
    आभार।


    “Khamemi Savve Jiva,
    Savve Jiva Khamantu Mi
    Mitti Me Savva bhuesu,
    Veram majjham na Kenai”


    Mahaveer semlani & family


    खमत खामणा का महत्व

    ReplyDelete
  21. ज्ञान जी,
    ऐसी है इलाहाबाद में गंगाजी???? एकदम शांत.
    हमने तो जी हरिद्वार-ऋषिकेश में ही देखा है गंगा को, बड़ा ही भयानक वेग है.

    ReplyDelete
  22. इलाहाबाद की गंगा का रुप तो बहुतै ही विराट है जी।

    ReplyDelete
  23. जलकुंभी नाम से ही स्पष्ट है की कुंभ के समान जल में एकत्रित होने वाली चीज ।,


    लेकिन मैं वहां की सोच रहा हूँ कि उस अगोरवार का क्या हुआ होगा जिसने गंगा जी में जमा जलकुंभीयों को समय पर बेचने का मन बनाया होगा और पता चला उसके अगोरते इंतजार करते गंगा जी बहा ले गईं।

    क्या माँ एक बेटे को भूखा रखेगी और दूसरे को भोजन से लकदक ?

    आपकी लाईव रिपोर्टिंग खूब जँच रही है।

    ReplyDelete
  24. गंगा माई के स्वास्थ्य के बारे में अच्छा समाचार है..
    आप माई के पास है उनके हाल देते रहें.

    ReplyDelete
  25. गंगा माँ के और जलखुंभी के बारे में जानकर अच्छा लगा. माता गंगाजी के बारे में आपके ब्लॉग से बढ़िया जानकारी मिल जाती है . बहुत बहुत आभार

    ReplyDelete
  26. गंगा मैया के बारे में तस्बीरो के माध्यम से जानकारी देने के लिये धन्यवाद

    ReplyDelete
  27. आखिरकार जल बढ़ा तो। नहीं तो इस वर्ष मामला बहुत बुरा रहा है! पानी बरसा नहीं और सूखा पड़ रिया है, खाद्य पदार्थों के दामों पर भी इससे फर्क पड़ा है!!

    ReplyDelete
  28. गंगा मैया की जय ..!!

    ReplyDelete
  29. main bhi aapko live reporter hi bolna chah raha tha..Sameer jee pahle hi bol chuke hain :)

    Hope ki ab search engine 'Ganga' search karne par aapka blog dikhate honge :) Aap search engines ko gumraah karne ki koshish kar rahe hain.. :)

    ReplyDelete
  30. गंगा मैया के बारे में तस्बीरो के माध्यम से जानकारी देने के लिये धन्यवाद

    ReplyDelete
  31. ज्ञानजी
    प्रणाम!
    आज आपने गगाजी के बारे मे बताया। बडा ही सुखद अनुभव होता है जब गगाजी के दर्शन करते है। आपके इस ब्लोग सहयोग के बिना दर्शन ना हो पाते।
    आभार।


    “Khamemi Savve Jiva,
    Savve Jiva Khamantu Mi
    Mitti Me Savva bhuesu,
    Veram majjham na Kenai”


    Mahaveer semlani & family


    खमत खामणा का महत्व

    ReplyDelete

आपको टिप्पणी करने के लिये अग्रिम धन्यवाद|

हिन्दी या अंग्रेजी में टिप्पणियों का स्वागत है|
--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय