चौबीस घण्टे में जलराशि बहुत बढ़ी गंगाजी में। आज हरतालिका तीज के बाद गौरी विसर्जन को बहुत सी स्त्रियां जा-आ रही थीं घाट पर। कल के दिन निर्जला व्रत करने वाली महिलाओं पर आज गंगामाई का वात्सल्य स्पष्ट दिखा। वे और समीप आ गयीं। रेत में कम चलना पड़ा महिलाओं को।
कल गंगा जी का पानी शांत मन्थर था। आज वेग ज्यादा है। कल बहती जलकुम्भी नहीं थी। आज पूरा विस्तार जलकुम्भी से भरा है। कहीं से बड़ी मात्रा में जलकुम्भी तोड़ बहाये लिये जा रही हैं गंगा माई। और इस पार से उसपार जलकुम्भी ही दिख रही है।
आप कल (बायें) और आज के चित्र देखें – तुलना करने को।
और यह है जल कुम्भी का बहाव (वीडियो छ सेकेण्ड का है) -
(स्थान - शिवकुटी घाट, इलाहाबाद)
चलिये, इस समय जल स्तर बढ़ना तो सुखद समाचार है.
ReplyDeleteजाने कहाँ से जल कुम्भी बहा लाई होंगी.
आप तो गंगा माई तट से लाईव रिपोर्टर हो लिये हैं.
’मानसिक हलचल ब्लॉग के लिए मैं ज्ञानदत्त, खुद ही कैमरा लिए गंगा तट से’...ये आखिर में जोड़ दिया करिये. :)
दिनाँक 21 को जोधपुर से आये एक मित्र को गंगा स्नान करवाने गया था। गंगा मइया में पानी बहुत नही था संगम नोज पर भी लोग पैदल चलते दिख रहे थे, संगम पर दो धाराएं दिख रही थी छोटी धारा ही संगम की रचना कर रही थी।
ReplyDeleteबड़ा ही तेज काम हुआ. आज ही सुबह का चित्र, दो घण्टे पहले का. गंगा जी के ताजे दर्शन करके धन्य हुए. जय गंगा मैया.
ReplyDeleteलग रहा है गंगातीर से लाइव चल रहा है। ग्यारह दिन त्योहारों के हैं और उस के बाद पूरा पखवाड़ा श्राद्ध। गंगा से लाइव जारी रहे।
ReplyDeleteशायद बाढ़ प्राक्रतिक रूप से नदियों की सफाई करने के लिए भी आती होगी . हमारे यहाँ तो रामगंगा है आजकल हजारो बीघा खेत डूबे हुए है ,लेकिन बाढ़ के बाद उनसे ज्यादा उपजाऊ कोई खेत नहीं होगा , गेहू के लिए तो वरदान है इस समय की बाढ़
ReplyDeleteआदरणीय ज्ञानदत्त जी,
ReplyDeleteहरितालिका व्रत और गणेश चतुर्थी के पश्चात सुबह सुबह ही गंगा मईया का दर्शन लाभ, बहुत पुण्य का कार्य किया हैं।
वाकई आपको काफी मेहनत करनी पड़ी होगी जो बिना प्रतिबद्धिता के संभव नही है।
आभार और आपके स्नेह का कृतज्ञ,
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
सुन्दर चित्रों के लिए आभार।आप के साथ साथ हम भी सैर कर रहे हैं।
ReplyDeleteगंगा मैया के सुंदर और सुखद दर्शनों के लिए आभार...
ReplyDeleteregards
जय हो गंगा मैया की..
ReplyDeleteबढ़िया चित्रों से सजी सुन्दर पोस्ट के लिए बधाई!
ReplyDeleteअभी बढ़ना जरूरी है, वरना कई "घट" जाएंगे...
ReplyDeleteगंगाजी का बहाव बढना सुखद है और आपकी रिपोर्टिंग की वजह से गंगा माई के दर्शन हो रहे हैं इसके पुण्य के आप भी भागीदार हैं.
ReplyDeleteरामराम.
गंगा मैया को विसर्जन के प्रदूषण से बचाने का समय आ गया है। गौरी विसर्जन के बाद गणेशजी जो बाट जो रहे हैं:)
ReplyDeleteगंगा मैया धर्म का ख्याल रख कर ही तो श्रद्धालुओं के हित में बढ़ रही हैं, वर्ना उन्हों ने व्यवसाइयों के कुकर्मों से त्रस्त होकर सिकुड़ने का मन तो बना ही लिया था.
ReplyDeleteसुन्दर और मनमोहक चित्रों ने गंगा मैया का साक्षात् दर्शन करा ही दिया.
आपको हार्दिक धन्यवाद, इस पुण्य कर्म के लिए.
आपके इस पोस्ट और जलखुंभी के बारे में पढ़कर बचपन का लखनदेई नदी याद हो आया.. जो बिहार के सीतामढ़ी जिले से होकर गुजरती है.. बचपन में(लगभग 9 साल की उम्र तक) उस नदी में अक्सर जलखुंभी देखता रहा था मैं.. :)
ReplyDeleteगंगा मईया की कृपा यूँ ही सब पर बनी रहे..तस्वीरें अच्छी लगीं.घर बैठे दर्शन हो गए..
ReplyDelete"विडियोयात्मक पोस्ट "है जी
ReplyDeleteइलाहाबाद में तो गंगा मैया के दर्शन केवल एक बार हुआ है किन्तु हरिद्वार कई बार जाना हुआ है। वहाँ गंगा मैया का प्रवाह देखते ही बनता है!
ReplyDeleteधन्य है आपका केमरा जैसा भी है जो भी है उसकी बदौलत हम भी इत्ती दूर बैठे गंगा मईया के दर्शन कर लेते हैं...
ReplyDeleteनीरज
जय् हो। अरे ज्ञानजी आप समीरलालजी की सलाह कत्तई न मानियेगा। कैमरा-फ़ैमरा वाली बात मती लिखियेगा। ये आपसे बहाने से मौज ले रहे हैं। हम बता दिये। फ़िर न कहियेगा कोई बताइस नहीं!
ReplyDeleteज्ञानजी
ReplyDeleteप्रणाम!
आज आपने गगाजी के बारे मे बताया। बडा ही सुखद अनुभव होता है जब गगाजी के दर्शन करते है। आपके इस ब्लोग सहयोग के बिना दर्शन ना हो पाते।
आभार।
“Khamemi Savve Jiva,
Savve Jiva Khamantu Mi
Mitti Me Savva bhuesu,
Veram majjham na Kenai”
Mahaveer semlani & family
खमत खामणा का महत्व
ज्ञान जी,
ReplyDeleteऐसी है इलाहाबाद में गंगाजी???? एकदम शांत.
हमने तो जी हरिद्वार-ऋषिकेश में ही देखा है गंगा को, बड़ा ही भयानक वेग है.
इलाहाबाद की गंगा का रुप तो बहुतै ही विराट है जी।
ReplyDeleteजलकुंभी नाम से ही स्पष्ट है की कुंभ के समान जल में एकत्रित होने वाली चीज ।,
ReplyDeleteलेकिन मैं वहां की सोच रहा हूँ कि उस अगोरवार का क्या हुआ होगा जिसने गंगा जी में जमा जलकुंभीयों को समय पर बेचने का मन बनाया होगा और पता चला उसके अगोरते इंतजार करते गंगा जी बहा ले गईं।
क्या माँ एक बेटे को भूखा रखेगी और दूसरे को भोजन से लकदक ?
आपकी लाईव रिपोर्टिंग खूब जँच रही है।
गंगा माई के स्वास्थ्य के बारे में अच्छा समाचार है..
ReplyDeleteआप माई के पास है उनके हाल देते रहें.
गंगा माँ के और जलखुंभी के बारे में जानकर अच्छा लगा. माता गंगाजी के बारे में आपके ब्लॉग से बढ़िया जानकारी मिल जाती है . बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteगंगा मैया के बारे में तस्बीरो के माध्यम से जानकारी देने के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteआखिरकार जल बढ़ा तो। नहीं तो इस वर्ष मामला बहुत बुरा रहा है! पानी बरसा नहीं और सूखा पड़ रिया है, खाद्य पदार्थों के दामों पर भी इससे फर्क पड़ा है!!
ReplyDeleteगंगा मैया की जय ..!!
ReplyDeletemain bhi aapko live reporter hi bolna chah raha tha..Sameer jee pahle hi bol chuke hain :)
ReplyDeleteHope ki ab search engine 'Ganga' search karne par aapka blog dikhate honge :) Aap search engines ko gumraah karne ki koshish kar rahe hain.. :)
गंगा मैया के बारे में तस्बीरो के माध्यम से जानकारी देने के लिये धन्यवाद
ReplyDeleteज्ञानजी
ReplyDeleteप्रणाम!
आज आपने गगाजी के बारे मे बताया। बडा ही सुखद अनुभव होता है जब गगाजी के दर्शन करते है। आपके इस ब्लोग सहयोग के बिना दर्शन ना हो पाते।
आभार।
“Khamemi Savve Jiva,
Savve Jiva Khamantu Mi
Mitti Me Savva bhuesu,
Veram majjham na Kenai”
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