Tuesday, August 11, 2009

घरसो मां जर्नीर्गमय:


तमसो मां ज्योतिर्गमय:

तम से ज्योति की ओर। घरसो मां जर्नीर्गमय:।  घर से जर्नी (यात्रा) की ओर। मैं जर्नियोगामी हो गया हूं।

Journey1 बड़ी हड़हड़ाती है रेल गाड़ी। वातानुकूलित डिब्बे में न तो शोर होता है, न गर्दा। पर इस डिब्बे में जो है सो है। इतने में एयरटेल समोसा मैसेज देता है – Airtel welcomes you to Madhya Pradesh. We wish you a pleasent stay… कमाल है। इतनी देर से फोन लग नहीं रहा था। मैसेज देने को चैतन्य हो गया। भारत में सारे सर्विस प्रदाता ऐसे ही हैं – ध्यानयोग में दक्ष। जब उन्हें कहना होता है, तभी चैतन्य होते हैं।

Journey खैर हमें रुकना नहीं है – चलते चले जाना है। मध्य प्रदेश में स्टे मध्यप्रदेश वालों को मुबारक! मैं खिड़की से बाहर झांकता हूं। जमीन वैसी ही है जैसी उत्तरप्रदेश में। एक स्टेशन पर गुजरते ऑफ साइड का प्वाइण्ट्समैन मुझे बनियान में देखता है। जरूर चर्चा करेगा कि साहेब बनियान पहने बैठे थे। स्टेशन पूरा गुजरने के पहले ही खिड़की का शटर गिरा देता हूं। मुझे अपनी नहीं, साहब की छवि कि फिक्र लगती है।

खैर, आप टिप्पणी की फिक्र न करें – मैं सिर्फ यह देख रहा हूं कि चलती-हिलती-हड़हड़ाती गाड़ी में पोस्ट ठेल पाता हूं कि नहीं। जब यह शिड्यूल समय पर पब्लिश होगी, तब भी यह गाड़ी तेज रफ्तार से चल ही रही होगी!  


34 comments:

  1. ये आप कौन गाड़ी में बैठ गये कि न सैलून और न एसी...कुछ तो साहेब की छवि की फिक्र इसमें भी करनी थी.

    हम तो क्या क्या सपन संजोये थे आपकी पोजीशन को लेकर..सब मटिया मेट हो गई एक ठो पोस्ट और फोटू से.

    क्या मालगाड़ी संचालन के लिए मालगाड़ी के गार्ड साहेब के डब्बा में बैठे चले जा रहे हैं??

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  2. संवाद जारी रखने की प्रतिबद्धता और ललक प्रशंसनीय है।

    बनियान में हमरे बाबू जी(बड़े चाचा) की तरह लग रहे हैं। सच्ची ;)

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  3. ई कौन थर्ड क्लास क डब्बा म बैठ गए है ?

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  4. ज्ञानजी, कंघा साथ रखियेगा। पंखा न चले तो पंखे के जाली में जगह बनाकर उसे खर्रखुर्र करते चलाने की कोशिश किजियेगा। औऱ हां, जूता बहुत चोरी होता है उसे कनपुरीया स्टाईल में पंखे के उपर रखियेगा। रास्ते में वडा पाव- बिडा पाव मिलता है जरूर नोश फरमाइएगा......और सबसे जरूरी बात......'लटकायमान झोला' जो आप हमारे लिये ला रहे हैं उसे 'चेन पुलिंग' वाली जंजीर के साथ लटका दिजियेगा....डरिये नहीं.....वो तो ऐसे ही लगाया रहता है लोगों को भरमाने के लिये.... :)

    यात्रा के लिये शुभकामनाएं।

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  5. ब्लॉग्गिंग की लत ही ऐसी है..ट्रेन में भी चैन नहीं..!!

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  6. मेरे और पंचम भैया के अलावा और अब आगे जो लोग भी टिप्पणी करने वाले हैं उनसे अनुरोध है कि चच्चा की इस 'जनयात्रा' के डिब्बे के बारे में अब और टिप्पणी न करें। रेलवे की माया के बारे में आप लोग अल्पज्ञ हैं। खामखाँ चच्चा को 'मनबढ़ू' न बनाएं।

    इस समय वह धीर गम्भीर मुद्रा में चिंतनरत हैं। बंडी वाला फोटो दुबारा देखें।

    पंचम भैया, आप ने तो कमाल कर दिया। लेकिन चच्चा उस डब्बे में नहीं हैं जिसमें आप समझ रहे हैं।

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  7. जमीनी स्तर से जुड़े हुए आप जैसे साहब लोग बहुत कम होते हैं।

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  8. पोस्ट तो सक्सेसफुली पोस्ट हो गयी साहेब, बधाई!

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  9. चलती ट्रेन से तो कर दी पोस्ट .... कभी हवाई जहाज़ से ट्राई करियेगा.

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  10. लो जी समय पर पोस्ट भी आ पहुंची और फ़ोटू तो बडी चकाचक है.

    रामराम.

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  11. आप की विशेषता यही है कि आप अपनी मानसिक हलचल के प्रति बहुत ईमानदार हैं।

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  12. आपने लिख दी.. हमने पढ़ ली.. सफलता पूर्वक..

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  13. आपका ये अंदाज़ भी हमें अच्छा लगा...और साहेब की छवि वाली बात बहुत पसंद आई

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  14. आप तो सलमान खान को कोम्प्लेक्स देने लगे..

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  15. मुझे आशंका है कि इस डिब्बे में प्रवेश करने का प्रयोजन केवल यह ढिंचक फोटो खिंचाने का रहा होगा। साहब इतनी लम्बी यात्रा ऐसे डिब्बे में कतई नहीं कर रहे होंगे। या, शायद सैलून में एक खिड़की ऐसी भी लगवा ली गयी है जो साहब की ‘ब्लॉगरी की बयार’ के आवागमन के लिए स्पेशली बनायी गयी हो। :)

    भाइयों, जो दिखता है वो कभी-कभी होता नहीं है।

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  16. आपकी जर्नीर्गमय सक्सेस्तन्मय हो:)

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  17. यात्रा मंगलमय हो. अब थर्ड क्लास में बनियायिन पहन कर न बैठें तो क्या सुईत पहनेंगे.

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  18. कृपया पुष्टि करें कि आप जो बनियाइन पहने हैं वह रूपा फ़्रन्टलाइन की ही है।

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  19. @ अनूप जी : काहे बताएंगे कि बनियानी कौन कम्पनी का है ? बिज्ञापन का पइसवा लगता है .

    ई फोटू मा तो ज्ञान जी एकदम्मै अफ़सर नहीं बुझाते हैं . पूरे सोलह आने घर-परिवार के बुजुर्ग दीख पड़ते हैं .

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  20. ठीक है जी यात्रा के मजे लूटते रहो.....और यह भी बताते जाओ कि ब्लोंग लिखने की लत...कहाँ कहाँ से पोस्ट ठिलवा देती है......शुभ यात्रा।

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  21. समीर जी की बात से सहमति है, कुछ तो साहेब वाली छवि का और ख्याल करना चाहिए था, कम से कम थर्ड एसी में तो सफ़र करना चाहिए था! :)

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  22. मध्‍य प्रदेश तक ही चलेगी गाडी कि छत्‍तीसगढ में भी परबेस करेगी. जानकारी होगी तो टेसन में झांकने आयेंगें भले ही शटर गिरा हो.

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  23. लोग यूँ ही सलमान खान, राखी सावंत और मल्लिका शेरावत को बदनाम करते हैं, जबकि हकीकत यह है कि अंग प्रदर्शन का मौका कोई भी नहीं चूकता !

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  24. वो क्या कहते है साहस चाहिए ऐसी फोटू ठेलने को ओर फिगर भी...बाकी समीर लाल जी की टिपण्णी को आधा उधार ले रहे है ...

    हम तो क्या क्या सपन संजोये थे आपकी पोजीशन को लेकर..सब मटिया मेट हो गई एक ठो पोस्ट और फोटू से.

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  25. ये क्या? मध्यप्रदेश से गुजर गये, बिना पहले से खबर किये. ये अच्छी बात नहीं है.

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  26. ट्रेन निकल जाने के बाद प्वाइण्ट्समैन भी बनियाइन में आ जायेगा । झण्डा व शर्ट, दोनों ही प्रोफेशनल कार्यों में उपयोग में आते हैं । ऐसी उमस भरी गर्मी में यह वस्त्र बड़ा ही सुविधाजनक है ।

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  27. बिलकुल यात्रामय फोटो है

    @ अनूप जी अब तो बता ही दीजिये ये सब क्या सांठ गाँठ है आपकी,, कभी "हमदर्द" तो कभी बनियाइन की कंपनी roopa frantlaain पूछी जा रही है ???
    वीनस केसरी

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  28. इस एयरटेल ने तो मुझे भी परेशान कर रखा है। लेकिन कोई भी इंटरनेट सर्विस प्रदाता कंपनी इससे बेहतर भी नहीं दिखती। इसलिए तमाम परेशानियों के बाद भी इसके डाटाकार्ड का उपयोग करना मजबूरी है।

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  29. यह नया कलेवर बहुत अच्छा लगा भाई जी !

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  30. अपनी छवि का ख़याल रखें या न रखें, पर असाबहब की छवि का ख़याल तो रखना ही पड़ेगा भाई!

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  31. bhai logo yeh sallon ka hi photo hai.

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  32. 'मुझे अपनी नहीं, साहब की छवि की फिक्र लगती है।'

    - राजनेताओं (जैसे लालू प्रसाद यादव) की छवि इस तरीके से और भी निखरती है.ब्लॉगजगत में आपकी भी निखरी है.आपकी तुलना ग्लेमर क्षेत्र के दिग्गजों से हो रही है.

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  33. लम्बी उबाऊ रेल यात्रा में यदि इंटरनेट का साथ मिल जाय तो और क्या चाहिए....आपने उपाय खोज निकला..अब हम आपका अनुगमन करेंगे....

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय