पंकज अवधिया मेरे ब्लॉग के नियमित पाठक हैं। मैं भी इनका ब्लॉग मेरी कविता नियमित पढ़ता हूं। इनका वनस्पति और पर्यावरण के प्रति जुनूनी प्रेम मुझे बहुत आकर्षित भी करता है और अपने अज्ञान पर मुझे संकुचित भी करता है। अपनी टिप्पणियों में मेरी नींद, वजन, पैरों में दर्द तथा मेरी पत्नी के आधासीसी सिरदर्द के विषय में उन्होने बहुत उपयोगी सुझाव दिये। मुझे मौका मिला उन्हें मेरे ब्लॉग के लिये स्वास्थ्य विषयक अतिथि-ब्लॉगपोस्टें लिखने का आमंत्रण देने का। और उन्होने मुझे निराश नहीं किया। आप उनकी पोस्ट पढ़ें -
मैं पिछले कुछ समय से लगातार ज्ञान जी के ब्लॉग को पढ रहा हूँ और टिप्पणी कर रहा हूँ। मेरी टिप्पणियो मे यदा-कदा वनौषधीयों के विषय मे भी लिखा होता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस आधार पर ढेरो सन्देश पाठकों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को लेकर मुझे मिल रहे है।
मैने जब ज्ञान जी को इसके बारे मे बताया तो उन्होने सुझाया कि मै बतौर अतिथि लेखक उनके ब्लाग पर इन सन्देशों का जवाब दूँ। मैने स्वीकार कर लिया। अब मै प्रति सप्ताह एक प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करूंगा। अभी तो इतने प्रश्न है कि छ माह तक जवाब दिये जा सकते है। आप भी अपने प्रश्न प्रेषित कर सकते है ज्ञान जी को।
जैसा आप जानते है मै कृषि विशेषज्ञ हूँ और वर्तमान मे वनौषधियों से सम्बन्धित पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण कर रहा हूँ। अब तक किये गये कार्य के आधार पर ढाई लाख पन्नो मे समाहित 20,000 वैज्ञानिक दस्तावेज अंतरजाल पर उपलब्ध है। देश भर के पारम्परिक चिकित्सको के सानिध्य से जो कुछ मैने सीखा है उस ज्ञान को जग-हित मे मैं यहाँ बाँटना चाहूंगा। अब मैं एक आम हित का प्रश्न लेता हूं -
प्रश्न: ऐसा उपाय बतायें जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और रोगों से बचाव हो सके।
मेरे दिवंगत स्वसुर जी कहते थे कि जिस अभागे की मां न हो, वह हर्रा, बहेर्रा और आंवला को अपनी मां समझे। ये तीनों मां की तरह स्वास्थ्य की रक्षा करेंगे।
- ज्ञानदत्त पाण्डेय
उत्तर: देश के मध्य भाग के पारम्परिक चिकित्सक एक बडा ही सरल उपाय सुझाते है। यह उपाय है हर्रा या हरड के प्रयोग का।
एक फल ले और उसे रात भर एक कटोरी पानी मे भिगो दे। सुबह खाली पेट पानी पीयेँ और फल को फैंक दें। यह सरल सा दिखने वाला प्रयोग बहुत प्रभावी है। यह ताउम्र रोगो से बचाता है। वैसे विदेशो मे किये गये अनुसन्धान हर्रा के बुढापा रोकने की क्षमता को पहले ही साबित कर चुके हैं।
अब प्रश्न उठता है कि कितने समय तक इसे लिया जाये। बहुत से विशेषज्ञ इसे आजीवन लेने की सलाह देते है पर किसी भी दवा का नियमित प्रयोग उचित नही है। अत: साल के किसी भी तीन महिने इसे लिया जा सकता है।
मैने पेट, आँख, अच्छी नींद, तनाव मुक्ति, जोड़ों के दर्द, मोटापे आदि के लिये इसे उपयोगी पाया है पर पारम्परिक चिकित्सक इसे पूरे शरीर को मजबूत करने वाला उपाय मानते है। शरीर चंगा तो फिर रोग कहाँ से आयेंगे।
^ चित्र ऊपर छोटी और बड़ी हर्रा/हरड़ के हैं - इण्टरनेट से लिये गये। «चित्र बायें कटोरी में रात भर पानी में भिगोया हर्रा व उसका पानी |
यदि आपको कोई गम्भीर रोग है तो आप अपने चिकित्सक की सलाह लेकर इसका प्रयोग करे। अन्य अंग्रेजी दवाओ के साथ इसके प्रयोग के लिये भी उनसे पूछ ले। मैने तो पाया है कि किशोरावस्था से यदि इसके प्रयोग की आदत हो जाये तो क्या कहने?!
इस साधारण प्रयोग को और अधिक उपयोगी बनाने बहुत सारे जटिल नियम है। जैसे झरने के पानी के साथ इसका प्रयोग, या फिर उच्च गुणवत्ता के फलों का उपयोग। हमारे छत्तीसगढ मे पारम्परिक चिकित्सक पुराने पेड़ों को विभिन्न सत्वो से सींचते है ताकि फल उच्च गुणयुक्त हो। आज के व्यस्त जीवन मे यह सब कर पाना असम्भव सा है हम आधुनिक मनुष्यों के लिये।
अत: जो भी और जितना भी बन पड़े उसे ही अच्छे से करना चाहिये।
पंकज अवधिया
ये हरड़ तो अपने पहाड़ में होता है. क्या मैदानों में भी इसके पेड़ होते हैं. कभी देखे नहीं.
ReplyDeleteत्रिफला के तीन फलों में आँवला और बहेड़ा के साथ एक फल हर्र भी है। मैं तो रोज़ खाता हूँ त्रिफला। कहते हैं कि कब्ज़ के लिए इस से अच्छी दवा नहीं है.. यह भी कहते हैं कि तिजोरी में पड़ा रुपया नुक्सान कर सकता है पर पेट में पड़ी हर्र नहीं.. वह सिर्फ़ फ़ायदा करती है।
ReplyDeleteडॉ० अवधिया बहुत ज़बरदस्त काम कर रहे हैं.. उनको मेरी अनेको अनेक शुभकामनाएं..
अतिथि लेखक की यह तो बड़ी अच्छी जानकारी है। आपने पुलकोट के भी आगे फोटो लगाना सीख लिया। क्या कहने!
ReplyDeleteआपको साधुवाद इसे पेश करने के लिये.
ReplyDeleteजब तक हम पहाड़ में थे, हमने भी इसका पानी पिया है। इसके बारे में काफी सुन रखा है।
ReplyDeleteयह प्रयोग निश्चित ही गुणकारी है,...... क्या इसे ३-५ साल के बच्चों को भी दिया जा सकता है
ReplyDeleteअच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद. वैसे हमारे घर मैं भी इसका प्रयोग होता है और समय-समय पर हम लाभान्वित हुए हैं.
ReplyDeleteपंकज जी और ज्ञान भाई दोनों को इस जानकारी के लिए साधुवाद.
ReplyDeleteनीरज
भाई अवधिया जी को शुभकामनाएं. अच्छी जानकारी दी है.
ReplyDeleteपंकज अवधिया जी बिना शोरगुल किये हिन्दी जगत में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। उनका यह प्रश्नोत्तर का कार्यक्रम भी बहुत उपयोगी रहेगा।
ReplyDeleteज्ञानवर्धक. वैसे आपका तो नाम ही ज्ञानदत्त है. आप ज्ञान दिए जाइये हम लिए जायेंगे.
ReplyDeleteज्ञान जी आप को और पंकज जी दोनो को बधाई और धन्यवाद इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए।
ReplyDeleteअरे वाह जे तो नए किसम की ज्ञान बिड़ी है ।
ReplyDeleteधन्यवाद कह दूं ।
बहुत खूब ! ज्ञान जी , पंकज जी आप तो बहुत हितकारी काम कर रहे हैं. तीनों के मिले जुले पाउडर से बाल तो धोते ही हैं. पता नही कि खा भी सकते है या नही?
ReplyDeleteइ लो ,हम कल इहां टिपियाये रहे उ त गायब हुई गवा!! का लोचा है!!
ReplyDeleteहम कहे रहे कि--
बढ़िया जानकारी!!
अनुनाद जी के कथन से पूर्ण सहमति है!!
aapne bahut hi achhi jankari di hai kya ise koi bhi amal kar saktaa hai. teen mah tak prayog karnaa hai na.
ReplyDeletesir i m very thankful to you, for your valuable information about harad i really get a good health to use... it is very usefully thanks again to you and internet who connect me to you,,,
ReplyDeletedinesh