Friday, September 28, 2007

सड़क के डिवाइडर पर नींद कैसे आ जाती है


मेरा दुनियां का अनुभव सीमित है. मैं केवल घर से दफ्तर, दफ्तर से घर का अनुभव रखता हूं. घर और दफ़्तर के अनुभव बार-बार एकसार से और नीरस होते हैं.

दोनो के बीच केवल एक घण्टे की यात्रा जो रोज होती है; उसमें वाहन से बाहर झांकते हुये दुनियां दीखती है. जीवन में कुछ ही वाहन ड्राइवर सही मायने में सारथी मिले - गौतम के या अर्जुन के सारथी की तरह अनुभव और नसीहत देने वाले. पर सामान्यत: वे सामान्य जीव ही थे. आज कल जो ड्राइवर है; वह अपने जीवन से मेरी तरह परेशान है. सो वह कोई ज्ञान देने से रहा.

पर वाहन से बाहर झांकना मन को गुदगुदाता है. परसों रात में देर से लौट रहा था. रात में ट्रकों को शहर में आने दिया जाता है. उससे उनका डयवर्शन बचता होगा और कुछ पुलीस वालों की दैनिक आय का जरीया बनता होगा. पर उन ट्रकों के बीच - जिनके कारवां को ट्रैफिक जाम के नाम से जाना जाता है - आपको उस अजगर की याद हो आती है जो नौ दिन में अंगुल भर चलता था.

राणाप्रताप की प्रतिमा के चौराहे के पास एक रोड के बीचोंबीच पतली पट्टी की आकार के चबूतरेनुमा डिवाइडर पर एक व्यक्ति सो रहा था. बिल्कुल राणाप्रताप के भाले की दिशा में. राणा अगर भाला चला दें तो प्रोजेक्टाइल मोशन (projectile motion) के साथ उसी पर जा कर गिरता. रात के ११ बजे थे. ट्रकों का शोर उसपर असर नहीं कर रहा था.

मुझे लगा कि कहीं नशे में धुत व्यक्ति न हो. पर अचानक उसने सधी हुई करवट बदली. अगर धुत होता तो बद्द से डिवाइडर के नीचे गिर जाता. पर वह संकरे  डिवाइडर पर ही सधा रहा - इसका मतलब सो रहा था. उसके सोने में इतनी सुप्त-प्रज्ञा थी कि वह जानता था उसके बिस्तर का आयाम कितना है. करवट बदलने पर उसका बांया हाथ जो पहले शरीर से दबा था, मुक्त हो कर डिवाइडर से नीचे झूलने लगा. ट्रैफिक जाम के चलते बहुत समय तक मैं उसके पास रहा और उसे देखता रहा. 

मुझे यह विचित्र लगा. मैने सोचा - घर पंहुच कर मैं सोने के पहले मच्छरों से बचने के लिये मॉस्कीटो रिपेलर का इन्तजाम चेक करूंगा. The bedबिस्तर की दशा पैनी नजर से देखूंगा. नींद आने के लिये गोली भी लूंगा. यह सब करने पर भी ३०-३५ प्रतिशत सम्भावना है कि २-३ घण्टे नींद न आये. और यह आदमी है जो व्यस्त सड़कों के चौराहे वाली रोड के डिवाइडर पर सो रहा है!

depressed_manमुझे उस आदमी से ईर्ष्या हुई. 

कभी-कभी लगता है कि मैं राहुल सांकृत्यायन अथवा अमृतलाल वेगड़ की तरह निकल जाऊं. यायावर जिन्दगी जीने को. पर जैसे ही यह सद्विचार अपनी पत्नी को सुनाता हूं; वे तुरत व्यंग करती हैं - बनाये जाओ ख्याली पुलाव! नर्मदा के तट पर तुम्हें कहां मिलेंगे रेस्ट हाउस या मोटल. बिना रिटर्न जर्नी रिजर्वेशन कन्फर्म हुये घर से एक कदम बाहर नहीं करते और जाओगे यायावरी करने? मुंह और मसूर की दाल.

पत्नी को पूरा यकीन है न मैं घुमन्तू बन सकता हूं और न साधू-सन्यासी. सवेरे नहाने के पहले अधोवस्त्र और फिर दफ्तर जाने के कपड़ों तक के लिये पत्नी पर निर्भर व्यक्ति आत्म निर्भर कैसे बन सकता है! पत्नीजी ने यह छोटी-छोटी सहूलियतों का दास बना कर हमारी सारी स्वतन्त्रता मार दी है.

खैर मैं न पत्नी जी को कोसूंगा और न प्रारब्ध को. भगवान ने जो दिया है; बहुत कृपा है. पर नींद और निश्चिन्तता नहीं दी. उसका जुगाड़ करना है. उस आदमी को सड़क के डिवाइडर पर गहरी नींद आ जाती है. मुझे घर में; पन्खे के नीचे आरामदेह बिस्तर पर भी नहीं आती. मुझे नींद न आने की आशंका और लोक - परलोक की चिन्तायें न सतायें - इसका हल खोजना है.

इतनी जिन्दगी में इतना तो स्पष्ट हो गया है कि समाधान खुद ही खोजने होते हैं. आर्ट आफ लिविंग और बाबा रामदेव के प्रवचनों इत्यदि के इतर और मात्र अपने समाधान!

आपके पास टिप्स हैं क्या?  


20 comments:

  1. मेरी मानें तो आचार्य रजनीश की ओजपूर्ण कैसेट सुनने लगें और यहीं जानिये २० मिनट में नींद की गोद में चले जायेंगे. एक कैसेट खत्म होते ही समय लगेगा. आपसे मुलाकात होगी तो वह आपको मेरी भेंट होगी.

    अगर जुगाड़ लगे तो महर्षि महेश योगी का TM program भी सीख लें. मानसिक शांति के लिये बहुत असरकारक है. मुझे इन दोनों का लगातार सहारा है. :)

    डिवाडर वाला बंदा शारीरक रुप से थका है तो सो गया मगर आप मानसिक रुप से थके हैं और शारीरक रुप से अति अराम में-तो सामन्जस्य नहीं बैठ पा रहा शरीर का.

    ReplyDelete
  2. टिप्स वही बाबा रामदेव वाले हैं पर उन्हे खुद पर ही नहीं आजमाया इसलिये कोई गारंटी नहीं.

    ReplyDelete
  3. हमें यही लगता है कि मनुष्य मस्तिष्क बड़ा उर्वर होता है। चिंतित रहने के बहाने तलाश ही लेता है।

    ReplyDelete
  4. पहली बात तो यही है कि सोता तो शरीर है और बिना थके हुए शरीर को नींद कैसे आएगी। मन की चिंता छोड़िए, वह तो कभी थकता ही नहीं, न उसे सोने की ज़रूरत होती है।
    दूसरी बात, हर दिन जीवन, हर दिन मौत। बुरा मत मानिएगा। आप हर रात इस एहसास के साथ बिस्तर पर जाइए कि आप मौत की गोंद में समां रहे हैं।
    तीसरी बात...2 से 20 तक का पहाड़ा मन ही मन लगातार बोलना शुरू कर दीजिए। नींद क्या, उसकी अम्मा भी आ जाएगी आपको सुलाने।

    ReplyDelete
  5. नया शब्दः सुप्त-प्रज्ञा
    अकाट्य सत्यः "बिना रिटर्न जर्नी रिजर्वेशन कन्फर्म हुये घर से एक कदम बाहर नहीं करते और जाओगे यायावरी करने"
    समाधानः मेरी कविताएँ नित्य सुनिए-पढ़िए, बढ़िया नींद की पक्की गारंटी।

    ReplyDelete
  6. हीरो की एक्सरसाइजर साइकिल लाइए, पंद्रह मिनट तक चलाइए।
    इसके बाद विपस्सना करने की कोशिश कीजिये।
    नींद पक्का आयेगी। एकैदम।

    ReplyDelete
  7. मैं तो इस वजह से परेशान हूं कि कम्बख्त नींद बहुत ज्यादा आती है, दिन हो या रात हो दस मिनिट में नींद आ जाती है।
    शायद आप विश्वास नहीं करेंगे एक बार ट्रेफिक सिग्नल पर कुछ मिनिट गाड़ी रुकती है, उतने समय में मुझे नींद आ गई थी, एक बार रोड़ डिवाईडर से मारे नींद के गाड़ी ( दुपहिया) टकराने का अनुभव भी ले चुका हूँ। :)

    ReplyDelete
  8. सरजी इस दुनिया को इतना सीरिअसली मत लिया कीजिये. यह सब छलावा है. मिल जाए तो मिट्टी है, खो जाए तो सोना है.
    वैसे दो ही किस्म के लोगों को सोने में दिक्कत आती है- एक वोह जो नश्वर माया की चिन्ता में नहीं सोते और दूसरे वोह जो यह सोचते हैं की अगला क्यों सो रहा है. आप बाद वाली किस्म के मालूम पड़ रहे हैं. ऐसे ही कबीर भी थे- कह गए हैं-
    सुखिया सब संसार है खावे और सोवे.
    दुखिया दास कबीर है जागे और रोवे.
    अथ घुमक्कड़ जिज्ञासा शांत करने की जब तलब लगे तो याद कीजियेगा. कई चुनिंदा सर्किट हैं अपने पास.

    ReplyDelete
  9. मैं जो सोने के लिये करता हूं वही आपको भी बताता हूं.. शायद सुन कर आपको हंसी भी आये.. :)

    मैं सोने से पहले कोई कामिक उठा कर पढने बैठ जाता हूं.. और आधे घन्टे में नींद आ ही जाती है.. मेरे मित्रगण अब तो कुछ नहीं कहते हैं पर मेरी इस आदत से पहले बहुत परेशान रहा करते थे की इतने बड़े हो गये हो और दसवीं के छात्र की तरह कामिक पढते हो..

    लेकिन थोड़ा अंतर ये हो सकता है की आप मुझसे उम्र में लगभग दोगुने बड़े हैं.. और उम्र के साथ नींद भी घटती जाती है..

    ReplyDelete
  10. नींद देर से आने की शिकायत अपन को भी है सो अपन ने गोलियों की बजाय किताबों की आदत डाल रखी है!!
    एक बार अपन को नींद लगी नई कि अपन हो गए कुंभकरण, जगाते रहे बैठ के अपन उठने वाले नई!!

    ReplyDelete
  11. ज्ञान भईया
    आप को अपनी ग़ज़ल का एक शेर सुनाता हूँ :

    " रब नहीं देता है कुछ खैरात मैं ये मान लो
    नींद लेता उससे जिसको मखमली बिस्तर दिए "

    आपकी नींद ज़रूरी नहीं की मखमली बिस्तर के कारण चली गयी हो.
    यायावारी का अपना आनंद है. कभी खोपोली आ कर देखिये मेरे पास, इतना घुमाऊंगा की साल भर तक नींद की समस्या दूर हो जायेगी.

    नीरज

    ReplyDelete
  12. अब इतने सारे उपायों मे कोई तो काम करेगा ही और नही तो आप अपने जीवन के किसी भी अच्छे पल को याद करिये फ़िर नींद कब आ जायेगी आपको पता भी नही चलेगा.

    ReplyDelete
  13. मै सोचता था कि काम से हटकर ब्लाग लिखने से आपका मन बदल जाता होगा पर यह पोस्ट पढ्कर मन बैठ गया। नीन्द की गोली को आखरी विकल्प मानिये। जैविक खेती से तैयार माने गाँव से तिल का तेल लाये और तलवो पर मालिश करे। नीन्द अच्छी आयेगी। नही तो बताइयेगा आपके एक सह-अधिकारी माननीय दीपक दवे हमारे पडोसी है रायपुर मे। उनसे तेल भिजवा दूँगा। तिल के तेल वाली बात आप अपनी माता जी से भी कनफर्मे कर सकते है।

    ReplyDelete
  14. आपके लिए जीतू भाई ने कुछ टिप्स लिखे थे।

    http://www.jitu.info/merapanna/?p=664

    ReplyDelete
  15. एक तरीका और है. फायदे की गारंटी है पर फायदा होगा क्या, ये नहीं कह सकता. :)
    आपको जो चीज बिल्कुल समझ न आती हो , उसी विषय पर कोई किताब पढ़ना शुरू कर दीजिये. या तो नींद आ जायेगी या वो विषय समझ आ जायेगा. हैं न दोनों हाथों में लड्डू!
    आज़मा कर मुझे भी बता दीजियेगा! :)
    अब मुझे तो वैसे ही नींद बहुत आती है, तो मैं तो आज़मा नहीं सकता न!

    ReplyDelete
  16. इतने सारे उपाय सब बता चुके हैं कि उन्हें आजमायेंगें तो वैसे ही समस्या का हल हो जायेगा। फिर भी असर ना हो तो हमारी माता जी का उपाय अपनाइयेगा ः) आँखें मुंद कर बकरियां गिनियेगा ।

    ReplyDelete
  17. एक तरीका और है. फायदे की गारंटी है पर फायदा होगा क्या, ये नहीं कह सकता. :)
    आपको जो चीज बिल्कुल समझ न आती हो , उसी विषय पर कोई किताब पढ़ना शुरू कर दीजिये. या तो नींद आ जायेगी या वो विषय समझ आ जायेगा. हैं न दोनों हाथों में लड्डू!
    आज़मा कर मुझे भी बता दीजियेगा! :)
    अब मुझे तो वैसे ही नींद बहुत आती है, तो मैं तो आज़मा नहीं सकता न!

    ReplyDelete
  18. ज्ञान भईया
    आप को अपनी ग़ज़ल का एक शेर सुनाता हूँ :

    " रब नहीं देता है कुछ खैरात मैं ये मान लो
    नींद लेता उससे जिसको मखमली बिस्तर दिए "

    आपकी नींद ज़रूरी नहीं की मखमली बिस्तर के कारण चली गयी हो.
    यायावारी का अपना आनंद है. कभी खोपोली आ कर देखिये मेरे पास, इतना घुमाऊंगा की साल भर तक नींद की समस्या दूर हो जायेगी.

    नीरज

    ReplyDelete
  19. मैं जो सोने के लिये करता हूं वही आपको भी बताता हूं.. शायद सुन कर आपको हंसी भी आये.. :)

    मैं सोने से पहले कोई कामिक उठा कर पढने बैठ जाता हूं.. और आधे घन्टे में नींद आ ही जाती है.. मेरे मित्रगण अब तो कुछ नहीं कहते हैं पर मेरी इस आदत से पहले बहुत परेशान रहा करते थे की इतने बड़े हो गये हो और दसवीं के छात्र की तरह कामिक पढते हो..

    लेकिन थोड़ा अंतर ये हो सकता है की आप मुझसे उम्र में लगभग दोगुने बड़े हैं.. और उम्र के साथ नींद भी घटती जाती है..

    ReplyDelete
  20. मै सोचता था कि काम से हटकर ब्लाग लिखने से आपका मन बदल जाता होगा पर यह पोस्ट पढ्कर मन बैठ गया। नीन्द की गोली को आखरी विकल्प मानिये। जैविक खेती से तैयार माने गाँव से तिल का तेल लाये और तलवो पर मालिश करे। नीन्द अच्छी आयेगी। नही तो बताइयेगा आपके एक सह-अधिकारी माननीय दीपक दवे हमारे पडोसी है रायपुर मे। उनसे तेल भिजवा दूँगा। तिल के तेल वाली बात आप अपनी माता जी से भी कनफर्मे कर सकते है।

    ReplyDelete

आपको टिप्पणी करने के लिये अग्रिम धन्यवाद|

हिन्दी या अंग्रेजी में टिप्पणियों का स्वागत है|
--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय