Friday, March 6, 2009

हौलट!



ब्लॉगिंग एक समग्र काम है। इस रचनात्मकता में लेखन एक पार्ट है। अच्छा लेखन अच्छी पोस्ट का बेस बनाता है। पर अच्छा ब्लॉग केवल अच्छे लेखन से बनता होता तो यह स्पेस सारे लेखक-कवि-पत्रकार विधा के लोग कॉर्नर कर गये होते! वैसा है नहीं।  GDPandey

एक अच्छा ब्लॉगर होने के लिये एक अच्छा हौलट होना जरूरी शर्त है। अगर हौलटीय न हों तो ब्लॉगरी काहे की करें?

और लेखक-कवि-पत्रकार अगर कुशल ब्लॉगर हैं तो अपने कुशल लेखन-कवित्व-पत्रकारत्व के बल पर नहीं, अन्य गुणों के बल पर हैं। यह जरूर है कि यह कौन से गुण हैं; उन पर बहस हो सकती है। पर उनमें किसी प्रकार का वैशिष्ठ्य और सम्प्रेषण की क्षमता अनिवार्य अंग होंगे। मात्र लेखन अपने आप में - ओह, आई हूट केयर फॉर प्योर लेखन।

पर यह शीर्षक में “हौलट” क्या है?

असल में हौलट एक मजेदार शब्द है। यह शब्द मेरे सह अधिकारी ने बड़ी स्पॉण्टेनियस तरीके से व्यक्त किया। मेरी पत्नी इसके समकक्ष शब्द बतातीं हैं - बकलोल। हमारे मुख्य गाड़ी नियंत्रक समानार्थक शब्द बताते हैं - अधकपारी (आधे दिमाग वाला)। मेरे विचार से एक अच्छा ब्लॉगर होने के लिये एक अच्छा हौलट होना जरूरी शर्त है। अगर हौलटीय न हों तो ब्लॉगरी काहे की करें? अपने पाण्डित्य की? चने के ठोंगे बराबर भी कीमत नहीं है उसकी।

देखिये साहब, अगर आप विद्वान टाइप हैं तो १०९९ रुपये के हार्डबाउण्ड छाप ४५० पेज की किताब लिखिये। उसको ब्लॉग से बैक-अप कर सकते हैं। किताब का सत्त निकाल लें तो २५० रुपये का पेपरबैक भी अच्छे पैसे दे देगा। अगर आप विद्वान टाइप नहीं हैं तो हौलट बनिये। एक ब्लॉग चलाइये। प्योर ब्लॉग एक हौलट ही चला सकता है। ब्लॉग चलाइये और एडसेंस के स्वप्न देखिये। हौलट; यस! हूट केयर फॉर प्योर लेखन!@


@- अगर आप वास्तव में विद्वान और सफल ब्लॉगर हैं, तो आप टिप्पणी-कोसन कर सकते हैं। वैसी टिप्पणियां अगर ज्यादा हुईं तो मैं अपना मत बदल कर विद्वतोपार्जन में सन्नध हो जाऊंगा!

32 comments:

  1. naya shabd pata chala - haulat

    lekin mujhe lagta hai woh dusra wala shabd "AdhKapali" hona chaiye na ki "adhkapaRi". Kyonki sir ya khopri ko "kapal" kehte hain na ki "kapar".

    baaki baat aapne haulat ki chalayi hai to uske liye koi bhi chalega ;)

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  2. @ तरुण -
    "अधकपारी" अधकपाली ही है। अवधी-भोजपुरी देशज प्रयोग में "कपार" कपाल ही होता है। मसलन कोई बहुत बक बक करने लगे तो कहा जाता है - बहुत कपार खा रहे हो!

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  3. आप प्योर ब्लॉग चला रहे है इसलिये आपके विषय में हौलट वाली अवधारणा बना लूँ-ये मुझसे न हो पायेगा. आप नाम और काम दोनों से ज्ञानी हैं, भला बकलोल और अधकपारी कोई कैसे कहने की जुर्रत कर सकता है-कम से कम मैं तो नही.

    :)

    शुभकामनाऐं इस प्योर ब्लॉग लेखन को सतत जारी रखने के लिए.

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  4. बताओ भला क्या जमाना आ गया है ब्लागिंग में!
    शुद्ध ब्लागर कहलाने के लिये आदमी को हौलट बनना पड़ेगा पहिले! हम तो ऐसे ही भले! हमें न बनना प्योर ब्लागर!

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  5. तरुण एक दूसरे दृष्टि से सही हैं -अधकपारी दरअसल सिरदर्द की कुख्यात बीमारी माईग्रेन का देशी नाम हैं -अतः यह बकलोल की जगह इस्तेमाल नहीं हो सकता ! क्योंकि बकलोल तो की जगह कोई ले नही सकता -हाँ हौलट चल जायेगा ! अधकपारी के बजाय यहाँ भी हाफ माईंड बोलने का चलन है !
    बाकी आपसे सहमत !

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  6. हर पीढ़ी के बाद यह शब्द बदल जाएगा।

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  7. प्योर लेखन तो नहीं चलेगा, यू हैव टू बिकम ए हौलट चिट्ठाकार अगेन्स्ट दूसरा।

    ਓਏ ਮੈਂ ਝੂਠ ਬੋਲੇਯਾ?

    वैसे ऊ शब्द का मीनिंग देख मूँ में पानी आ ग्या :-)

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  8. "हौले हौले से हौलट बनते हैँ
    हौले हौले से नेट -नट बनते हैँ हाँ "
    नई नई बातोँ से ही
    सिलसिला आगे बढता है
    और वह भी, हौले से ..
    श्रम साध्य काम है जी :)
    - लावण्या

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  9. जो ना विद्वान हो ओर ना हौलट उनका क्या?

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  10. अपुन तो हौलट ही सही,मगर आपको तो ऐसा नही कह सकते।फ़िर भी होली का माहौल है इस्लिये हिम्मत कर रहा हूं।

    हमे तो लूट लिया इलाहाबाद के हौलट ने,………………


    बुरा न मानो होली है।

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  11. हौलट कहें या विद्वान अपन पक्का ब्लॉगर है. एक शब्द 'खपती' भी है. थोड़ा सनकी होना भी किसी क्षेत्र में सफल होने के लिए अनिवार्य है. जैसे गाँधीजी को ब्रह्मचार्य परिक्षण की सनक थी, नेहरू को विश्वशांति के लिए देश की सेना बर्खास्त करने की, तथा खेती का सरकारी करण करने की.

    तो जो सनकी होगा वही सफल बिलागर होगा. :)

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  12. अच्छा ब्लागर ही नही, अच्छा कुछ भी बनने के लिए हौलटत्व जरुरी है। हौलटत्व के महात्म्य पर तो अलग से पोस्ट लिखी जा सकती है। सीधे सीधे चलने वाले अकलमंद हैं, अकलमंदों के योगदान दुनिया को यूं ही से हैं। सही टाइम पर खा लिया, सही टाइम पर सो लिये। सही टाइम पर बच्चे बड़ेकर टें बोल लिये।
    हौलटत्व के रास्ता ही विश्व को आगे ले गया है।
    आपसे विश्व को बहुत उम्मीदें हैं

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  13. जब कुछ तय हो जाये तो हम तो वही मान लेंगे. अपना पहले से ही अध कपार है उसको क्यों फ़ोकट मे पाव (१/४) कपार करें? :)


    रामराम.

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  14. अब पता चला कि आप तो पुराने हौलट हैं।

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  15. होलफिट यह भी कहा जाता है हमारे यहाँ

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  16. लीजिये हम आज तक क्या थे इसका ज्ञान अभी हुआ...बल्कि अपने आपको अभिव्यक्त करने के लिए सही शब्द अभी मिला..."हौलट" अहः...आहा हा..क्या शब्द है हम तो निहाल हो गए ये शब्द पढ़ कर...बाकि इसके जो भी पर्यायवाची आपने बताये हैं उन सब पर भारी है "हौलट". हमें नहीं लिखनी मोती सी किताब हम तो अपने ब्लॉग लेखन से ही खुश है...जो हौलट बने रहने में मजा है वो लेखक बनने में कहाँ?
    नीरज

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  17. अरविन्द जी का कहना अही है। अधकपारी के नाम से बहुत सी वनस्पतियाँ भी जानी जाती है। उन्हे यह नाम इसलिये मिला है क्योकि ये अधकपारी यानि माइग्रेन या आधासीसी की चिकित्सा मे परम्परागत रुप से प्रयोग होती है। इनमे से ज्यादातर तो आँतरिक तौर पर ली जाती है पर कुछ के विचित्र बाहरी उपयोग भी है। मसलन यदि दायी ओर सिरदर्द है तो बायी ओर के कान मे वनस्पति को बाँधा जाता है। और वाइसे-वरसा।

    इस पोस्ट की मूल भावना से एकदम सहमत हूँ।

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  18. होली से पहले क्या सही हौलटपना।

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  19. आप के ब्लोग पर अक्सर मुझे नये शब्द सीखने को मिलते हैं, हौलट्…ह्म्म्…बड़िया शब्द हैं। लावण्या जी और आलोक जी की टिप्पणी मजेदार है। पंकज जी वापस आ गये देख कर अच्छा लगा,वनस्पति की क्लास शुरु ?

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  20. क्या प्यार शब्द ढुढ के लाये है.. हौलट.. बहुत अच्छा... अब तो अजित जी की पोस्ट का इन्तजार करेगें.. ये कहां से आया..:)

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  21. हौलट और बकलोल में एक अन्तर है । बकलोल अपने बोलने से पहचाना जाता है जबकि हौलट अपने व्यवहार से । दोनो के अन्दर ही बुद्धि और व्यवहार या बुद्धि और बोलचाल में तारतम्य नहीं रहता है । दोनो ही दया के पात्र नहीं हैं । सभी समाज सुधारक एवं वैज्ञानिक प्रारम्भ में इसी उपाधि से जाने जाते हैं । आजकल भी तेज तर्रार अधिकारियों को हौलट कहा जाता है । बिना हौलटीय मानसिकता के कोई विकास सम्भव नहीं है ।
    ब्लॉग स्तरीय है । आचार संहिता में बँधे बगैर लिखें यही विनती है । ज्ञान बाँटने से बढ़ेगा ।
    प्रवीण पाण्डेय

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  22. हमें भी ये शब्द पता नहीं था, शीर्षक देख कर सोचे की halt को कहा गया होगा...रेलवे से जुड़े होने के कारन हमें आपसे halt के बारे में ज्ञान मिलने की उम्मीद थी, पर यहाँ तो मामला अलग ही निकला. वैसे अधकपारी जो दर्द देता है उसके सामने हर माइग्रेन फेल है.

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  23. हौलट कहीं रौलट का भाई तो नहीं ( रौलट एक्ट :)

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  24. भाई वाह .क्या शब्द है....परिभाषा ससुरी थोडी कठिन सी हो गयी...पर" हौलट " जँच गया

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  25. अव्‍वल तो यह कि आपने सबको काम पर लगा दिया। 'हौलट' परोस कर सबका 'हौलटपन' टटोल रहे हैं। होली मनाने का यह ब्‍लागिया तरीका निकाला है आपने। भुस में आग लगा कर बन्‍नो दूर खडी। सब जुट गए हैं और आप मुस्‍कुरा रहे हें।

    'सफलता', 'शुध्‍दता', 'विद्वत्‍ता', 'स्‍तर' की कोई सुनिश्चित परिभाषा आज तक कौनो नहीं दे पाया है। सबके पास अपनी-अपनी सुविधावादी परिभाषा है।

    फिर, 'सफल ब्‍लाग लेखन' से आपका मतलब है क्‍या? यदि 'सफल ब्‍लाग' का लेखन है तो यह 'सफल ब्‍लाग' क्‍या ब्‍लाग की कोई नई किस्‍म है? कोई ब्‍लागर सफल या असफल हो सकता है। भला ब्‍लाग कैसे सफल या असफल हो सकता है?

    मैं संजय बेंगाणी से सहमत हूं। इसके लिए 'खब्‍ती' होना या 'सनकी' होना पहली शर्त लगती है मुझे तो जिसकी अन्तिम परिणती 'व्‍यसनी' हो जाना ही है।

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  26. आज बहुत देर हौलट के बारे में sochta रहा, बड़ा mazedaar शब्द है.एक नए शब्द से परिचय बरास्ता आप हुआ,aabhaar.इसी तरह एक शब्द मनोहर श्याम joshi जी ने दिया था-क्याप.वैसा ही वज़नदार शब्द ये भी.

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  27. ञानदत्त जी ने अपनी एक पोस्ट के दुमछल्ले में जिज्ञासा जाहिर की थी कि जिस तेजी से और एक विशेष क्षेत्र में वे लिख रहे हैं, लगता है यूंही नहीं, एक ध्येय के दायरे में लिख रहे हैं।' मेरे एक घनिष्ट मित्र ने पूछा था कि इतना समय कैसे निकाल लेते हो? इसका कोई कोर्स-वोर्स होता है क्या? मेरा ज़वाब था कि इसका कोई कोर्स नहीं। हाँ एक कोर्स कर लो, तो सबकुछ सम्भव है। वह कोर्स है जूनून का!

    देखिये पूरा किस्सा

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  28. अरे कोई इस हौलट का अर्थ भी लिख दो, Halat तो हमारा ही शव्द है लेकिन यह सोतेला भाई हौलट क्या है?
    ग्याण जी आप की वज्यए मानसिक हलचल आज हमे हो गई.
    ताऊ वाली राम राम जी की

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  29. पोस्ट बहुत मजेदार है। लेकिन सच्चे मन की बात बताऊं तो हौलट छाप लोग बहुत दिनो ब्लॉगरी में टिक नहीं पाएंगे।

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  30. 'हौलट'

    नए शब्द से परिचय हुआ.

    आभार!

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  31. हौलट और बकलोल एक जैसे समझना मेरे अनुसार उचित नहीं ??

    बकिया आप का हौलाटीय तत्त्व बढ़ता रहे ..... इस कामना के साथ होली की शुभकामनायें!!!

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  32. पर अच्छा ब्लॉग केवल अच्छे लेखन से बनता होता तो यह स्पेस सारे लेखक-कवि-पत्रकार विधा के लोग कॉर्नर कर गये होते!

    कैसे कर गए होते जी, ऐसे लेखकों की संख्या कम है और पढ़ने वाले एक ही लेखक के प्रति वफ़ादार नहीं होते, तो इसलिए ब्लॉग जगत में तो कम से कम यह संभव नहीं कि कुछ गिनती के ब्लॉग अपना वर्चस्व बना लें। वे पाठकों की बड़ी संख्या पर कब्ज़ा बना सकते हैं लेकिन वर्चस्व नहीं! ;)

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--- सादर, ज्ञानदत्त पाण्डेय