यह चित्र मेरी पत्नी श्रीमती रीता पाण्डेय और मेरे भृत्य भरतलाल के गुझिया बनाने के दौरान कल शाम के समय लिया गया है। सामन्यत: रेलवे की अफसरायें इस प्रकार के चिर्कुट(?!) काम में लिप्त नहीं पायी जातीं। पर कुछ करना हो तो काम ऐसे ही होते हैं - दत्तचित्त और वातावरण से अस्तव्यस्त! यह उद्यम करने का कारण - मेरा विचार; कि हम लोग तो जन्मजात अफसर केटेगरी के नहीं हैं। (रीताजी को इस वाक्य पर कुनमुनाहट है! यद्यपि साफ तौर पर उन्होने नहीं कहा कि मैं यह कथन हटा दूं!)।
और इस चित्र के साथ ही आप सब को होली की अनेक शुभकामनायें।
सर जी, मैडम को कह दीजियेगा कि इतनी मेहनत से बनाई गईं गुझिया की महक यहां यमुनानगर तक भी पहुंच गई है। परमात्मा से यही कामना है कि यह त्योहार आप सब की ज़िंदगी में हमेशा हरियालीयां, खुशहालियां लाता रहे और आप ऐसे ही अपने मन के उदगार हम सब लोगों के साथ साझे कर कर के हम लोगों को नित- नये रास्ते दिखाते रहें।
ReplyDeleteअब तो लग रहा है कि पहली उड़ान भरकर सीधे इलाहाबाद आ जाएं गुझिया के उद्यम का मीठा परिणाम चखने के लिए । ऐसा स्वाद मुंबई में कहां होगा । होली मुबारक हो ज्ञान जी । ज़रा अपनी लालमलाल तस्वीर तो चढ़ाईये कल परसों तक । :D
ReplyDeleteआपको सहयोग करना चाहिये। आप फ़ोटू खींचने में तल्लीन हैं। ई बात ठीक नहीं है। होली मुबारक।
ReplyDeleteआप को भी सपरिवार होली की शुभकामनाएं.
ReplyDeleteअब तक तो गुझिया बना कर तैयार हो चुकी होंगी। अब फटाफट गुझिया भरी प्लेट का चित्र भी चिपका दें। मुँह में पानी आ रहा है :-)
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ - आनंद
holi mubarak,babhiji ke haath ki bani gujhiya badi swadist hogi,jara chitra mein hi darshan kara digiye sirji
ReplyDeleteजब गुझिया की ऐसी तैयारी थी तो आज मालपूआ भी बन रहा होगा। संभाल कर खाइएगा और जमकर रंग खेलिए। अंदर से बाहर तक सब कुछ रंगो से भर जाए, यही कामना है। होली मुबारक हो।
ReplyDeleteभाई जी,
ReplyDeleteअभी रंग बन्द नहीं हुआ है,
आप इतनी साफ़ सुथरी हालत में
भाभी के दर्शन करा रहे हैं, इस बेला ?
आख़िर क्या चाहते हैं, आपको छोड़ कर
भाभी को रगड़ा जाये ?
होली की सपरिवार शुभकामनाएँ,
ReplyDeleteह्म्म देखो जी, बाकी सब ठीक है भौजी से कह दीजो कि हमरे हिस्से का माल-मत्ता रखा जाए बचा के हां =P~
ReplyDeleteहोली मुबारक आप लोगों को
आप सभी को भी होली की हार्दिक शुभकामनाए।
ReplyDeleteचार छह
ReplyDeleteनहीं दस बीस गुजिया
बचाकर रखियेगा, जमशेदपुर से आते जाते ले लेंगे।
होली की शुभकामनाएं।
होली की सुभकामनाऐं.. :)
ReplyDeleteMummy ki banaai ghar ke pakavaan bahut yaad aa rahe hain.. subah se ghar ko bahut miss kar raha hun.. :(
ज्ञानदत्त पाण्डेय जी,आप को ओर आप के परिवार को होली की बहुत बहुत बधाई, भाई जो गुजिया बची हो वो हमे भेज दे, क्यो कि टिपण्णी भी सब से बाद मे जो कर रहा हू.
ReplyDeleteसौ. रीता भाभी जी, परिवार के सभी को ज्ञान भाई साहब वसंत के आगमन के साथ , स्वासथ्य लाभ ...
ReplyDeleteभाई भारत लाल को आशिष !
आह!! भूख लग आई..आपको होली बहुत-बहुत मुबारक.
ReplyDeleteहमारी ओर से भी होली की शुभकामनाएं स्वीकारें. उल्लास पर्व आपकी कलम (या कहें कीबोर्ड) के लिए और गति लेकर आए, ऐसी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.
ReplyDeleteगुझिया की खुशबू तो यहां भोपाल तक पहुंच रही है। भरावन का डिब्बा भी आधा खत्म हो चुका दिख रहा है।
ReplyDeleteहोली मुबारक हो।
होली आपको भी मुबारक हो
ReplyDeleteथोडी देर से ही सही आपको और रीता भाभी को तथा समस्त परिवार को होली मुबारक हो।
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