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Wednesday, June 24, 2009
कॉनपोर
हम लोग रेल बजट के संदर्भ में एक पावरप्वॉइण्ट प्रेजेण्टेशन बना रहे थे। अचानक याद आया कि बाम्बे-बड़ौदा एण्ड कॉण्टीनेण्टल इण्डियन रेलवे सन १९०९ में कानपुर में दाखिल हुई। स्टेशन बना था कॉनपोर। यह स्टेशन अब कानपुर में हमारे अभियांत्रिक प्रशिक्षण अकादमी का भवन है।
सौ साल!। आप इस भवन के फोटो देखें। कानपुरवाले इस जगह को छू कर आ सकते हैं।
इस घटना की शती मनाने को मेरी रेलवे कुछ करेगी जरूर।
यह रहा भवन का तीसरा चित्र। इलाहाबाद से कानपुर के लिये पहली ट्रेन १८५९ में चली थी। कानपुर-लखनऊ १८७५ में जुड़ा। कानपुर से बुढ़वल (सरयू का किनारा) १८७९ में जुड़ा और झांसी कानपुर से १८८६ में लिंक हुआ।
इस ब्लॉग में इतिहास समेटना मेरा ध्येय नहीं है। पर चित्र हाथ लगे तो सोचा लगे हाथ बता ही दूं। मेरे कुछ ग्राहक तो कानपुरिये हैं ही।
अस्सी-नब्बे स्लाइड का इन्फर्मेशन एक्प्लोजन वाला पावरप्वाइण्ट मन्त्री जी कितनी रुचि ले कर सुनते-देखते हैं, यह नहीं कह सकता। पर यह इतिहास वाला अंश रोचक है जरूर।
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अच्छा लगा यह जानकारी पा कर.
ReplyDeleteवाकई आपने एक इतिहास का आज प्रगटीकरण किया है ,रोचक पोस्ट .
ReplyDeleteअनूप जी कुछ कहें !
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी!
ReplyDeleteहम तो बीबीसीआईआर वाले हैं।
ReplyDeleteआजकल के मकान तो सौ साल तक़ टिकते ही नही।उस दौर के बिना कमिशनखोरी के भवनो की बुलंदी कुछ तो ईमानदारी का झंड़ा उठाये हुये है।
ReplyDeleteऐतिहासिक है कानपुर के चित्र व सँदर्भ
ReplyDelete- लावण्या
कानपुर का बैण्ड बजा दिया... लेकिन इमा्रत बहुत भव्य बनाई.. सोचता हूँ अगर अंग्रेजो को १०-१५ साल और रोक कर कुछ और infra structure के प्रोजेक्टस करवा लेते तो कितना आराम होता,,:)
ReplyDeleteएक कनपुरिया होने के नाते इस जानकारी के लिए आपका बहुत आभारी हूँ, आपने कहा इसबार इस जगह को छु कर तो आऊंगा ही :-)
ReplyDeleteइस जानकारी का शुक्रिया । आभार ।
ReplyDeleteसर्वथा नवीन व रोचक जानकारी रही यह हमारे लिए....आभार.
ReplyDeleteबहुत बढिया जानकारी दी आपने। वह भी फोटो के साथ। इससे तो एक खबर भी बन सकती है, १०० साल पूरे होने पर। शुक्रिया..
ReplyDeleteजानकारी के लिए आभार.
ReplyDeleteएक बार, कुछ समय के लिए मैं कानपुर में नियुक्त था. सिविल लाइंस से रेलवे स्टेशन जाते हुए, मेस्टन रोड से गुज़रता था तो ठीक आपके चित्र सरीखा cawnpore, कोतवाली भवन पर लिखा देखता था और में इसे " कावन पोरे " पढ़ता था. बोलते हुए अच्छा लगता था. रिक्श्वाले मेरे ज्ञान पर हंसते थे - "साहेब इ कानपुर हौ" :-)
cawnpore तो बहुत सुंदर लगा, पढने मै ओर समझने मै थोडी देर लगी, धन्यवाद
ReplyDeleteवाकई एक बड़े वाला मील का पत्थर है जी!
ReplyDeleteअंग्रेज़ों ने भी क्या-२ नाम रखे थे, देसी नामों का एंग्लिसाइज़्ड वर्ज़न! :)
cawnpuria ही कहा जाएगा कनपुरियों को
ReplyDelete’झाँसी की रानी’ द्वारा प्रदत्त भय ने ५० वर्ष लगा दिये अग्रेजों को यह सोचने में कि झाँसी से जुड़ा जाये या नहीं । शायद यह बुन्देलखण्ड के अविकसित होने का प्रमुख कारण रहा ।
ReplyDeleteराजा हिन्दूसिंह के कर्णपुर से कानपुर तक की यात्रा अपनें आप में इतिहास है। आखिरी चित्र में दिख रहा कैन्ट साइड़ का दृश्य मुझे आज भी याद है। संभवतः ७० तक यह हरियाली थी, अब तो सब कान्क्रिटाइज हो चुका है। सुंदर।
ReplyDeleteतो क्या फिल्म तीसरी कसम में हीरामन इसी कानपुर का नाम सुनकर फिसफिसा कर हँस पडे थे।
ReplyDeleteजा रे जमाना :)
मैं सोचता हूँ कहीं ये 'कौनपुर' तो नहीं है :)
लखनऊ कानपुर के बीच में जो एलसी चलती है उसका मतलब लखनऊ सिटी होता है या लखनऊ-कॉनपोर?
ReplyDeleteज्ञानदत्त जी आनंद हुआ पढ़ . हमारे बचपन तक में बम्बई ( मुंबई तो हालिया है ) में वेस्टर्न रेलवे ' बीबी ' यानी बॉम्बे बडोदा एंड सेंट्रल इंडिया रेलवे तथा सेंट्रल रेलवे ' जी आई पी ' यानी ग्रेट इंडियन पेनान्सुला रेलवे कहलाती थी .
ReplyDeleteअंग्रेज तो खैनफ़ोर बोलते होंगे :)
ReplyDeleteइस ऐतिहासिक जानकारी को हमारे साथ बांटने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी दी है।आभार।
ReplyDeleteये तो आज बढ़िया ऐतिहासिकता की बातें बातें हैं आपने. काम की जानकारी है.
ReplyDelete@abhishek ji,
एलसी जो कि लखनऊ-कानपुर-लखनऊ के बीच की पैसेंजर है. LC का मतलब है LUCKNOW (code-LKO) से KANPUR CENTRAL (code-CNB). कोड की वजह से यह LC है.
जयपुरिये ग्राहकों का भी ख्याल रखा जाए जी..
ReplyDeleteये फ़ोटू दिखाने का शुक्रिया। वैसे कानपुर के और भी नाम हैं। नाम यहां दे रहे हैं। कहानी यहां बांचिये:
ReplyDelete1.CAWNPOOR– 1770– गेव्रियल हार्पर
2.CAUNPOUR– 1776– जेम्स रेनेल
3.CAUNPORE– 1785– जेम्स फार्वेस
4.CAWNPOUR– 1788– जेम्स रेनेल
5.KAWNPORE– 1790– फोर्ट विलियम पत्राचार
6.CAWNPORE– 1788– थामस टिवनिंग(सर्वाधिक स्वीकृत वर्तनी, 1857 की क्रांति के बाद से 1948 तक प्रचलित)
7.CAWNPOR — 1795– फोर्ट विलियम पत्राचार
8.CAWNPOR — 1798– फोर्ट विलियम पत्राचार
9.KAUNPOOR– 1798– नक्शा तथा फोर्ट विलियम पत्राचार
10.KHANPORE– —— श्रीमती डियेन सैनिक अधिकारी की पत्नी
11.KHANPURA– —— वाटर हेमिल्टन, ईस्ट इंडिया गजेटियर
12.KHANPORE– —— फारेस्ट एक अंग्रेज यात्री
13.CAUNPOOR– 1815– ईस्ट इंडिया गजेटियर
14.KHANPOOR– 1825– भारत का नक्शा
15.KANHPUR — 1857– नामक चंद की डायरी, मांटगोमरी मिलेसन
16.CAWNPOUR– 1857– क्रांति के उपरान्त प्रकाशित एक पिक्चर पोस्ट कार्ड1881 में प्रकाशित गजेटियर आफ इंडिया
17.CAAWNPORE 1879– मारिया मिलमेन आफ इन्डिया
18.CAWNPOR ——- इनसाक्लोपीडिया आफ अमेरिका
19.COWNPOUR ——- उपरोक्त
20.KANPUR 1948– अन्तिम तथा वर्तमान
जगह एक और इतने सारे नाम! हम कान पकड़ते हैं जी:)
ReplyDeleteअरे वाह, इतिहास के इस टुकड़े को सार्वजनिक करने का शुक्रिया.
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